उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध के बाद प्रदेश सरकार ने विगत विधानसभा चुनाव से पहले इसे भंग कर श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को पुनर्जीवित कर दिया था। प्रदेश सरकार ने बीकेटीसी की कमान निर्विवादित व स्वच्छ छवि वाले वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय को सौंपी। पूर्व में केदारनाथ आपदा घोटाला और प्रदेश में लैंड जिहाद जैसे मुद्दों को उठा कर चर्चाओं में रहे अजेंद्र अजय बीकेटीसी के अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद से फिर से न केवल खुद चर्चाओं में बने हुए हैं, बल्कि बीकेटीसी भी लगातार चर्चाओं में बनी हुई है। दरअसल, मंदिर समिति में दीमक की तरह लगे हुए कुछ लोगों ने वर्षों से ऐसी परंपरा कायम की हुयी है कि वो नए अध्यक्ष के आने पर उसे अपनी करबट में लेने की कोशिश करते हैं। यदि अध्यक्ष उनके अनुसार नहीं चलता है तो उसे घेरने और दबाब बनाने की कोशिश करते हैं। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बिना वजह के मुद्दों पर विवाद भी खड़ा करा देते हैं। अजेंद्र ने धामों में निजी स्वार्थों के लिए कार्य कर रहे कुछ लोगों के संगठित गिरोह पर भी चोट की और व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। इस कारण अजेंद्र लगातार स्वार्थी तत्वों के निशाने पर भी हैं और उन्हें घेरने की लगातार कोशिश की जा रही है। मगर अजेंद्र इन सब की परवाह किये बगैर लगातार मंदिर समिति में सुधारों को जारी रखे हुए हैं।
अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही अजेंद्र ने सबसे पहले बीकेटीसी की कार्यप्रणाली में बदलाव के प्रयास किए। वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय गठित हुई बीकेटीसी में कर्मचारियों व अधिकारियों के ट्रांसफर अपवादस्वरूप ही होते रहे हैं। अजेंद्र ने कर्मचारियों व अधिकारियों के स्थानांतरण कर बीकेटीसी में हड़कंप मचा दिया था।। कुछ कार्मिकों ने अध्यक्ष द्वारा किये गए ट्रांसफरों को धता बताने की कोशिश भी की, किन्तु अध्यक्ष के सख्त रूख के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। अध्यक्ष ने कार्मिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया। वर्षों से पदोन्नत्ति की मांग कर रहे कार्मिकों मुराद पूरी की और वेतन विसंगति का सामना कर रहे 130 से अधिक कार्मिकों के वेतन में वृद्धि भी की।
अजेंद्र ने लगभग 11 वर्षों से बीकेटीसी में मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर कुंडली जमाये बैठे विवादित अफसर बीडी सिंह को भी चलता किया। भाजपा हो अथवा कांग्रेस हर सरकार में बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर जमे रहने वाले बीडी सिंह ने मंदिर समिति से हटते ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ही ले ली थी। अजेंद्र ने बीकेटीसी में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए भी कई कदम उठाये। मंदिर समिति में वित्तीय पारदर्शिता कायम करने के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित कर शासन से वित्त अधिकारी की नियुक्ति कराई गयी। केदारनाथ धाम में दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी ग्लास हॉउस निर्मित कराया गया। अन्य भी कई नयी पहल शुरू की गयीं, जिनसे बीकेटीसी की आय में भी वृद्धि हुई है।
आजादी से पूर्व गठन होने के बावजूद बीकेटीसी में अभी तक कार्मिकों की सेवा नियमावली नहीं है। इस कारण कई विसंगतियां पैदा होती रही हैं। बीकेटीसी बोर्ड ने विगत माह बैठक में कार्मिकों की सेवा नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिस पर शासन स्तर पर तेजी से कार्रवाई चल रही है। अजेंद्र ने सचिवालय की तर्ज पर बीकेटीसी में अलग से सुरक्षा संवर्ग तैयार करने की पहल भी की है। यह प्रस्ताव भी शासन में विचाराधीन है। बीकेटीसी का सुरक्षा संवर्ग गठित होने पर केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में मंदिरों की आंतरिक सुरक्षा पूरी तरह से बीकेटीसी के हाथों में रहेगी। अजेंद्र के कार्यकाल में बीकेटीसी में अवैध नियुक्तियों पर भी रोक लगी। अब तक अधिकांश अध्यक्षों के कार्यकाल में बीकेटीसी में बड़ी संख्या में कार्मिकों की अवैध रूप से नियुक्तियां की गयीं। इस कारण बीकेटीसी को सात सौ से भी अधिक कर्मचारियों का बोझ उठाना पड़ रहा है। आधे कार्मिकों के पास कोई काम तक नहीं है। पहली बार अजेंद्र के कार्यकाल में एक भी कर्मचारी की अवैध नियुक्ति नहीं हुयी।
अजेंद्र ने मंदिरों के जीर्णोद्वार, विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की दिशा में भी ठोस पहल की। उनके कार्यकाल में सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया जाना रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख रेख में यह प्रक्रिया पूर्ण कराई। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। अजेंद्र ने बाबा केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के विकास व विस्तारीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी काम शुरू किया। इस कार्य के लिए स्थानीय जनता द्वारा करीब तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है और पूर्व में कई मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका शिलान्यास भी किया गया था।
आपदा में ध्वस्त हो चुके केदारनाथ मंदिर के समीप स्थित ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण भी अजेंद्र के कार्यकाल की उपलब्धि है। आपदा के इतने वर्षों पश्चात गत वर्ष इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। एक वर्ष के भीतर मंदिर का निर्माण कार्य करा कर इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी गयी। केदारनाथ धाम में बीकेटीसी कार्मिकों के आवास व कार्यालय भवन इत्यादि के कार्य भी विगत वर्ष ही शुरू हुए हैं। वर्तमान में बीकेटीसी द्वारा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ परिसर में स्थित भैरव मंदिर निर्माण के साथ-साथ तुंगनाथ मंदिर व त्रियुगीनारायण मंदिर के विकास व सौंदर्यीकरण की योजना पर भी काम किया जा रहा है। बहरहाल, अजेंद्र ने मंदिर समिति में बदलावों और सुधारों के लिए मुहिम जारी रखी हुयी है। मगर उनके प्रयासों की हवा निकालने के लिए मंदिर समिति के बाहर व भीतर के कुछ लोग लगातार अभियान छेड़े हुए हैं। मंदिर समिति में सुधारों की कवायद कितना परवान चढ़ पाती है, यह भविष्य के गर्भ में है।
उत्तराखंड। केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में लगे सोने को पीतल में बदलने का सबसे पहले वीडियो वायरल करने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं। भाजपा ने केदारनाथ आपदा के समय आपदा राहत कार्यों को लेकर ना केवल तत्कालीन कांग्रेस सरकार को घेरा है, बल्कि आपदा घोटाले में मनोज रावत को भी कठघरे में खड़ा किया है।
भाजपा ने केदारनाथ में स्वर्णमंडन के कार्य में घोटाले का आरोप लगाने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें केदारनाथ आपदा में हुए घोटालों पर सही स्थिति जनता के सामने रखने की जरूरत है, क्योंकि सभी मामले उनके क्षेत्र से जुड़े हैं और उन्हें धार्मिक स्थलों को की छवि से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता बिपिन कैन्थोला ने कहा कि केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले में कांग्रेस घृणित राजनीति कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश पर मनोज रावत के नेतृत्व में केदारनाथ गए दल ने प्रेस कांफ्रेंस में जो आरोप लगाए वो भ्रामक व तथ्यहीन हैं। कांग्रेस नेताओं ने अब तक जितने भी आरोप लगाए हैं, उनका श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा बिंदुवार जवाब दे दिया गया है। इसके बावजूद कांग्रेस नेता बेवजह के आरोप-प्रत्यारोप लगा कर केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल करने का दुष्प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने को लेकर तमाम आरोप लगा रहे हैं। मगर उनके द्वारा अभी तक इसका कोई भी दस्तावेज अथवा प्रमाण जनता के सामने नहीं रखा गया है। इसके विपरीत केदारनाथ आपदा के समय आपदा के लिए आयी राहत राशि में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किस प्रकार से बंदरबांट की, यह जग जाहिर है। आपदा पीड़ितों के हिस्से की धनराशि को अनाप-शनाप तरीके से खर्च किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत को तत्कालीन हरीश रावत सरकार द्वारा “हिटो-केदार” अभियान के नाम पर लाखों रूपये दिए गए। आपदा के पैंसे को ट्रैकिंग के नाम पर लुटा दिया गया। गढ़वाल मंडल विकास निगम के माध्यम से माऊंटेनियर्स एंड ट्रैकर्स एसोसियशन (माटा) नाम की एक संस्था को आनन-फानन में ट्रैकिंग अभियान संचालित करने का जिम्मा सौंप दिया गया। माटा संस्था का सोसायटी रजिस्ट्रार के यहां 22 सितंबर, 2016 को पंजीकरण किया गया और उसी माह इस संस्था को ट्रैकिंग अभियान संचालित करने की अनुमति दे गयी।
इस संस्था के अध्यक्ष कांग्रेस नेता मनोज रावत थे। इस प्रक्रिया में नियम-कानूनों का किसी प्रकार से पालन नहीं किया गया। इस संस्था के पास किसी प्रकार का अनुभव नहीं था। ना ही संस्था के चयन के लिए कोई प्रक्रिया अपनायी गयी। मनोज रावत की संस्था को किस आधार पर यह कार्य दिया गया, इसमें प्रतिभागियों का चयन किसने किया और वो कौन थे, ये कहीं स्पष्ट नहीं है।
केदारनाथ के लिए पुराने मार्ग से भी शुरू होगी आवाजाही..
उत्तराखंड: वर्ष 2013 की आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक आठ किमी पैदल मार्ग नेस्तनाबूद हो गया था। इसके बाद रामबाड़ा से दायीं ओर की पहाड़ी पर नए मार्ग का निर्माण हुआ और अब पुराने मार्ग के पुनर्निर्माण की योजना है। इसका प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है और स्वीकृति मिलते ही इस पर कार्य शुरू हो जाएगा। मार्ग बनने के बाद धाम के लिए रामबाड़ा से केदारनाथ तक वन-वे व्यवस्था लागू करने का विकल्प भी खुल जाएगा। यह पैदल मार्ग पुराने पैदल मार्ग से लगभग एक किमी अधिक लंबा होगा।
आपको बता दे कि जून 2013 की केदारनाथ आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक पैदल मार्ग मंदाकिनी नदी के सैलाब में समा गया था। जिस पहाड़ी से यह मार्ग गुजरता था, उस पर भूस्खलन जोन भी विकसित हो गए थे। ऐसे में प्रशासन ने दायीं ओर की पहाड़ी पर रामबाड़ा से केदारनाथ तक नौ किमी नए पैदल मार्ग का निर्माण कराया। वर्तमान में इसी मार्ग से आवाजाही होती है। लेकिन, इस मार्ग पर हिमखंड सक्रिय रहते हैं और यात्राकाल में उनके टूटकर मार्ग पर आने का खतरा बना रहता है। साथ ही इस मार्ग पर चढ़ाई भी काफी तीखी है, जिससे आवाजाही में यात्रियों को खासी दिक्कतें होती हैं।
यही वजह है कि आपदा में बहे मार्ग के पुनर्निर्माण की मांग समय-समय पर उठती रही है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में इस मार्ग का पुनर्निर्माण भी शामिल है। जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, लोनिवि शाखा केदारनाथ के सहायक अभियंता राजवेंद्र सिंह का कहना हैं कि इसके तहत केदारनाथ से गरुड़चट्टी तक 3.5 किमी मार्ग बन चुका है।
अब रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक 5.3 किमी मार्ग निर्माण का प्रस्ताव केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है। अब यह मार्ग लगभग नौ किमी लंबा होगा, जबकि पूर्व में इसकी लंबाई आठ किमी थी। बताया कि इस पहाड़ी पर मंदाकिनी नदी से लगभग 1.5 किमी ऊपर तक भूस्खलन जोन सक्रिय हैं। इसे देखते हुए कार्यदायी संस्था ने पैदल मार्ग को भूस्खलन जोन के ऊपर से बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
रामबाड़ा से केदारनाथ तक पुराने पैदल मार्ग के निर्माण से यात्रियों को काफी फायदा होगा। घोड़ा-खच्चर और पैदल यात्रियों के एक साथ गुजरने के कारण मार्ग पर काफी भीड़ हो जाती है। ऐसे में घोड़ा-खच्चर की टक्कर से हादसे भी होते रहते हैं। साथ ही पैदल यात्रियों को खासी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। घोड़ा-खच्चर की लीद से मार्ग पर गंदगी व कीचड़ भी होता है, ऐसे में नया मार्ग यात्रा को सुलभ बनाने का कार्य करेगा।
वर्ष 2013 की भीषण आपदा में बुरी तरह से तहस-नहस हुए विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्य तेजी पर हैं। धाम में लगभग 180 करोड़ रूपये के काम पूरे होने को हैं। केदारनाथ में द्धितीय चरण में 128 करोड़ रूपये के निर्माण कार्य भी जल्द शुरू किए जाएंगे। केदार पुरी में आदि शंकराचार्य की मूर्ति बनकर तैयार हो गई है और शंकराचार्य की समाधि का कार्य भी जल्द पूर्ण हो जाएगा। धाम में श्रद्धालुओं को ध्यान लगाने के लिए तीन गुफाओं का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। इसके अलावा सरस्वती घाट भी बन कर तैयार हो चुका है।
मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा राजधानी देहरादून में आयोजित समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने केदारनाथ व बद्रीनाथ के पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा के दौरान अधिकारियों से निर्माण कार्यों की प्रगति की विस्तार से जानकारी ली को निर्देश दिए कि कार्यों को निर्धारित समयावधि में पूर्ण करने के साथ ही गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि बर्फवारी के कारण जो कार्य बाधित हुए उन कार्यों में तेजी लाएं।
मुख्यमंत्री ने आगामी समय में केदारनाथ व बद्रीनाथ के कपाट खुलने से पूर्व श्रद्धालुओं की सुविधा के दृष्टिगत महत्वपूर्ण प्रकृति के सभी कार्य पूर्ण करने को कहा। उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुविधा के लिए बैठने, पेयजल एवं शेड की भी उचित व्यवस्था हो। जन सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए मन्दिर के आस-पास सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जाय।
प्रदेश के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने जानकारी दी कि केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों में प्रथम चरण में मंडप से संबधित कार्य 85 प्रतिशत काम हो चुके हैं। आगामी15 अप्रैल तक यह कार्य पूर्ण हो जाएंगे। बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि बद्रीनाथ धाम में प्रथम चरण में 245 करोड़ रूपये के कार्यों का प्लान तैयार हो चुका है। यात्रा सीजन को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण प्रकृति के कार्यों को पहले प्राथमिकता दी जाएगी।
बैठक में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन, गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन, अपर सचिव आशीष चौहान, आर. राजेश कुमार एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।