चारधाम यात्रा ने जोर पकड़ा, 22 दिन में यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में 1.45 लाख श्रद्धालुओं ने किया दर्शन..
उत्तराखंड: सीजन के दूसरे चरण में चारधाम यात्रा धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह के 22 दिन में ही गंगोत्री व यमुनोत्री धामों में 1.45 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं, इस साल यमुनोत्री धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा छह लाख के पार पहुंच चुका है। जबकि गंगोत्री धाम में भी 6.80 लाख श्रद्धालु पहुंच चुके हैं।मानसून सीजन में अतिवृष्टि के चलते श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट आई थी। लेकिन अब बरसात थमते ही यह धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है। इस माह 22 सितंबर तक दोनों धामों में अच्छी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। आने वाले दिनों में प्रशासन श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ने की संभावना जता रहा है। जानकीचट्टी व फूलचट्टी के मध्य में भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त सड़क के स्थान पर नवनिर्मित वैकल्पिक मार्ग पर यातायात शुरू कर दिया गया है।
दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड है बना सकती..
जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 10 मई को कपाट खुलने के बाद 136 दिन की यात्रा में यमुनोत्री धाम में कुल 602364 श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। वहीं गंगोत्री धाम में यह संख्या 680950 हो गई है। अभी यात्रा काल के लिए डेढ़ माह का समय शेष है, ऐसे में दोनों धामों में श्रद्धालुओं की दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या नया रिकॉर्ड बना सकती है। डीएम डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने चारधाम यात्रा से जुड़े सभी विभागों को यात्रियों की सुविधाओं के लिए व्यवस्थाएं चुस्त-दुरुस्त रखने एवं यमुनोत्री पैदल मार्ग पर तय एसओपी के अनुसार ही आवागमन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं।
गंगोत्री व यमनुोत्री के लिए नई एसओपी जारी..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए उत्तरकाशी पुलिस ने यात्रा को लेकर एसओपी (विशेष कार्य योजना) जारी की है। जिसके तहत अब रात आठ बजे के बाद किसी भी वाहन को गंगोत्री व यमुनोत्री धाम नहीं जाने दिया जाएगा। रात 11 बजे के बाद यात्रा प्रतिबंधित रहेगी। वहीं, शाम पांच बजे बाद कोई भी यात्री जानकीचट्टी से यमुनोत्री धाम दर्शन के लिए नहीं जा पाएगा।
एसपी अर्पण यदुवंशी की ओर से जारी एसओपी के अनुसार यमुनोत्री धाम जाने वाले वाहनों को रात आठ बजे के बाद डामटा, नौगांव, बड़कोट, दोबाटा, खरादी, पालीगाड से आगे जाने नहीं दिया जाएगा। इसी तरह गंगोत्री धाम जाने वाले वाहनों को रात आठ बजे बाद नगुण, उत्तरकाशी शहर, हीना, भटवाड़ी व गंगनानी से आगे नहीं भेजा जाएगा।
वहीं यमुनोत्री पैदल मार्ग पर सुबह चार बजे से ही आवागमन शुरू होगा। शाम पांच बजे के बाद किसी को भी पैदल मार्ग पर नहीं भेजा जाएगा। इस दौरान डंडी-कंडी व घोड़ा-खच्चर भी प्रतिबंधित रहेंगे। वहीं डंडी-कंडी व घोड़ा खच्चर के लिए रोटेशन की व्यवस्था लागू रहेगी। भीड़ बढ़ने पर घोड़ा-खच्चरों को वैकल्पिक मार्ग से भेजा जाएगा। दोनों ही धामों में रात साढ़े आठ बजे के बाद गंगा व यमुना आरती के उपरांत कोई भी अनावश्यक रूप से मंदिर परिसर में नहीं रह सकेगा। किसी भी पड़ाव पर यात्री वाहनों को दो घंटे से ज्यादा नहीं रोका जाएगा।
प्रत्येक दिन सुबह पांच बजे से यातायात व्यवस्था का आवागमन सुचारू रूप से होगा। हालांकि आपातकालीन स्थिति में यात्री व श्रद्धालुओं को प्राथमिकता के आधाार पर आकस्मिक सेवा स्थल तक जाने दिया जाएगा। इसके अलावा धाम जाने वाले श्रद्धालु रात आठ बजे के बाद होटल बुकिंग तक जा सकेंगे। इसके लिए श्रद्धालुओं को बैरियरों पर तैनात पुलिसकर्मी को होटल बुकिंग के संबंध में जानकारी व आवश्यक प्रमाण उपलब्ध कराना जरूरी होगा। रात 11 बजे के बाद यात्रा पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगी।
संकरे स्थानों पर लागू रहेगा गेट सिस्टम..
यमुनोत्री हाईवे पर पालीगाड़ से जानकीचट्टी के बीच 25 किमी संकरे हिस्से में जाम से निपटने के लिए बड़े वाहनों को लिए गेट सिस्टम लागू रहेगा। बड़े वाहनों को रोककर एक निश्चित समय बाद छोड़ा जाएगा। जबकि छोटे वाहन चलते रहेंगे। इधर, गंगोत्री हाईवे पर गंगनानी से डबरानी पांच किमी, सुक्की से झाला सात किमी तथा हर्षिल से झाला 14 किमी तक वन-वे प्रभावी रहेगा।
नेताला से गंगोत्री तक प्लास्टिक नियंत्रित क्षेत्र में QR कोड से ही कर सकेंगे बिक्री..
उत्तराखंड: उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने चारधाम यात्रा को देखते हुए नेताला से गंगोत्री धाम तक के क्षेत्र को प्लास्टिक नियंत्रित क्षेत्र घोषित किया है। इस क्षेत्र में प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक के पैकेट पर क्यूआर कोड लगाकर बिक्री करना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।एसडीएम का कहना हैं कि गंगोत्री धाम तक सभी व्यापारिक प्रतिष्ठानों को प्लास्टिक निर्मित बोतल, पेय पदार्थ, नमकीन बिस्कुट, चिप्स आदि के पैकेट पर न्यूनतम मूल्य का क्यूआर कोड लगाना होगा। यह क्यूआर कोड रिसाइकल कंपनी की ओर से न्यूनतम धनराशि जमा करने पर उपलब्ध कराया जाएगा। कंपनी के डिपॉजिट रिफंड काउंटर पर क्यूआर कोड वाली खाली बोतल व रैपर जमा कराने के बाद जमा राशि वापस कर दी जाएगी। बताया, रिफंड काउंटर उत्तरकाशी से लेकर गंगोत्री तक उपलब्ध होंगे। एसडीएम ने कहा, प्लास्टिक की बोतलों व रैपर की बिना क्यूआर कोड के बिक्री की गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। कहा, यदि इससे किसी को कोई आपत्ति है तो 15 दिनों के अंदर लिखित सूचना दे सकते हैं।
अब पीसीयू के माध्यम से देश-विदेश पहुंचेगा गंगोत्री का गंगाजल..
उत्तराखंड: शुक्रवार को आईसीएम देहरादून में रामकृष्ण मेहरोत्रा की अध्यक्षता में पीसीयू की बोर्ड बैठक आयोजित की गई, जिसमें 14 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर निर्णय लिए गए। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों में पीसीयू के माध्यम से स्टेशनरी क्रय की जाएगी। साथ ही अब शिक्षा निधि कोष से शिक्षा प्रशिक्षण कार्य संपादित करवाए जाएंगे।
इसके साथ ही पीसीयू उत्तराखंड और पीसीयू उत्तर प्रदेश के मध्य परिसंपत्तियों एवं निधियों के विभाजन के संबंध में सहमति बन गई है। इस संबंध में जल्द ही दोनों राज्यों के अधिकारियों की उच्च स्तरीय बैठक होगी। इसके साथ ही प्रादेशिक कोऑपरेटिव यूनियन की ओर से मासिक पत्रिका के आरएनआई रजिस्ट्रेशन को लेकर भी अध्यक्ष की ओर से औपचारिकताएं पूरी करने के निर्देश दिए गए।
बैठक में उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह बिष्ट, प्रबंधक निदेशक मान सिंह सैनी, निदेशक सुभाष रमोला, प्रदीप चौधरी, शांति देवी, ममता मेहरोत्रा, गोपाल सिंह बोरा, सुप्रिया चौहान, राजेंद्र सिंह, सुरेंद्र सिंह, करणवीर सिंह, चंद्र सिंह थापा मौजूद थे।
भाजपा नेता व पूर्व दर्जाधारी अजेंद्र अजय ने प्रदेश के धर्मस्व सचिव हरीश चंद्र सेमवाल से फोन पर बात कर चार धामों के दर्शन के लिए निर्धारित की गई श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इस अनुमति के लिए प्रदेश शासन को हाई कोर्ट से अनुरोध करना चाहिए।
अजेंद्र ने कहा कि इस वर्ष अब चार धाम यात्रा को लगभग एक माह का समय ही शेष रह गया है। नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा श्रद्धालुओं की संख्या सीमित किए जाने से जहां एक ओर अनेक लोग यात्रा करने से वंचित रह जाएंगे, वहीं दूसरी तरफ यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों को लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई में कठिनाई पैदा होगी। उन्होंने सचिव धर्मस्व को सुझाव दिया कि प्रदेश शासन इस विषय में नैनीताल उच्च न्यायालय से अनुरोध करे, ताकि चारों धामों में अधिक संख्या में यात्रियों को दर्शनों की अनुमति मिल सके।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के अनुरोध पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने चारों धामों में कुछ शर्तों के साथ यात्रा की अनुमति दी है। न्यायालय ने बद्रीनाथ के लिए 1000, केदारनाथ के लिए 800, गंगोत्री के लिए 600 व यमुनोत्री के लिए 400 यात्रियों को प्रतिदिन दर्शन करने की अनुमति दी है।
कोविड काल के दौरान चार धाम यात्रा के पूरी तरह से ठप हो जाने के कारण अर्थ व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके मददेनजर प्रदेश सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू कराने को लेकर न्यायालय में प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखा।
न्यायालय ने यात्रा शुरू कराने की अनुमति तो दी। मगर यात्रियों की संख्या सीमित करने से यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों के अलावा इन धामों की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं।
जानिए क्या हट जाएगा अब चारों धामों से प्रतिबंध..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर लगा ग्रहण शायद अब हट जाएगा। मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले श्रीनगर में इस बात के संकेत दिए हैं। उनका कहना हैं कि मामला हाईकोर्ट में है, लेकिन सरकार इस दिशा में विचार कर रही है। कोरोना महामारी के कारण उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारों तीर्थस्थल बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा के दो सीजन बर्बाद हो गए।
जिसका खामियाजा अब तक यात्रा से जुड़े तमाम वर्ग के लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं। हरिद्वार से लेकर चारों धामों तक जिनकी आजीविका इस यात्रा पर निर्भर है वे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। साल 2020 में तो सरकार ने 1 जुलाई से कुछ प्रतिबंधों के साथ यात्रा को खोल दिया था। लेकिन इस साल शुरूआत से ही इस पर रोक है। केवल स्थानीय लोगों को ही वहां जाने की सीमित अनुमति मिली है। उसमें भी वह लोग मंदिरों में दर्शनों के लिए प्रवेश नहीं कर सकते हैं।
यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से खासकर बद्रीनाथ और केदारनाथ में तीर्थ पुरोहित, हकहकूकधारी, पंडा समाज और व्यापारी वर्ग आंदोलित है। चार दिन पहले ही बद्रीनाथ में संत धर्मराज भारती ‘मौनी बाबा’ ने यात्रा और मंदिर में प्रवेश से रोक हटाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया। ऐसे वक्त में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का श्रीनगर में दिया गया बयान आम लोगों के लिए सुकून भरा है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जन आशीर्वाद रैली के दौरान कहा कि चारधाम यात्रा के रुकने से इन क्षेत्रों का जनजीवन प्रभावित है। मामला कोर्ट में होने से फैसला नहीं हो पा रहा है। लेकिन अब सरकार जल्द ही इसका रास्ता निकालेगी। जिसके बाद अब लोगों में चारधाम यात्रा को लेकर कुछ उम्मीद जगी है।
धारा-144 के बीच शुक्रवार को बाबा केदार की पंचमुखी चल उत्सव विग्रह डोली ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर से सादगीपूर्वक केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान कर गई। डोली अपने पहले पड़ाव गौरीकुंड पहुंच गई है। वहां से डोली शनिवार को केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी। केदारनाथ मंदिर के कपाट 17 मई को खोले जाएंगे।
ऐतिहासिक ओंकारेश्वर मंदिर में परम्पराओं व वैदिक विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना के बाद बाबा केदार की डोली ने आज पूर्वाह्न केदारनाथ के लिए प्रस्थान किया। कोरोना महामारी के चलते डोली के दर्शनों के लिए लोगों की भीड़ ना जुटने पाए, इसके लिए रुद्रप्रयाग के जिला प्रशासन ने कर्फ्यू के साथ-साथ ऊखीमठ समेत पूरे यात्रा मार्ग पर धारा-144 लागू की हुई है।
डोली के साथ केदारनाथ जाने के लिए प्रशासन ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के 14 अधिकारी/ कर्मचारी और 14 हक़-हकूकधारियों को ही अनुमति दी गई है। इस अवसर पर रावल भीमाशंकर लिंग, उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, पुजारी बागेश लिंग, डोली प्रभारी युद्धवीर पुष्पवान आदि उपस्थित थे।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि 17 मई को प्रात:पांच बजे श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। प्रदेश सरकार ने कोरोना के चलते फिलहाल के लिए चारधाम यात्रा को स्थगित रखा है। लिहाजा, केवल मंदिर के कपाट खोले जाएंगे और मंदिर के पुजारी ही नियमित पूजा- अर्चना करेंगे।
यमुनोत्री के कपाट खुले
अक्षय तृतीया के अवसर पर शुक्रवार को ही अभिजीत मुहुर्त 12 बजकर 15 मिनट पर श्री यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए। आज प्रात: श्री यमुनोत्री जी की चलविग्रह डोली ने शीतकालीन गद्दीस्थल खरशाली( खुशीमठ) से प्रस्थान किया। उनको विदा करने छोटे भाई शनिदेव महाराज यमुनोत्री धाम पहुंचे।
यमुनोत्री धाम के कपाट भी चुनिंदा तीर्थ पुरोहितो व पुलिस -प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में खुले। इस अवसर पर मंदिर समिति अध्यक्ष व बड़कोट के उपजिलाधिकारी चतरसिंह चौहान, सचिव सुरेश उनियाल, पवन उनियाल, कृतेश्वर उनियाल आदि मौजूद रहे।
कल खुलेंगे गंगोत्री के कपाट
मां गंगा की चलविग्रह डोली ने आज दोपहर शीतकालीन गद्दीस्थल मुखवा (मुखीमठ) से गंगोत्री धाम के लिए प्रस्थान किया। डोली आज रात्रि प्रवास हेतु भैरव घाटी पहुंचेगी और कल सुबह गंगोत्री धाम पहुंचेगी। शनिवार 15 मई को प्रात: 7 बजकर 31 मिनट पर श्री गंगोत्री धाम के कपाट खुलेंगे। इस अवसर पर भटवाड़ी के उप जिलाधिकारी देवेन्द्र सिंह नेगी, देवस्थानम बोर्ड के विशेष कार्याधिकारी राकेश सेमवाल, गंगोत्री मंदिर समिति अध्यक्ष सुरेश सेमवाल, सचिव दीपक सेमवाल आदि उपस्थित थे।
18 मई को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट
हिन्दुओं के एक अन्य विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट मंगलवार १८ मई को प्रात: 4 बजकर 15 मिनट पर खुलेंगे। इससे पहले 16 मई को आदिगुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के साथ बद्रीनाथ के रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी पांडुकेश्वर स्थित श्री योगध्यान बदरी मंदिर पहुंचेगे और वहां से 17 मई की शाम को श्री बद्रीनाथ धाम पहुंचेगे।
घर बैठे दर्शन कर सकेंगे श्रद्धालु
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण प्रदेश सरकार द्वारा श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा पर रोक लगायी गयी है। स्थिति सामान्य होते ही चारधाम यात्रा शुरू हो सकेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द स्थितियां सामान्य होंगी। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं को चारों धामों के वर्चुअल दर्शन कराने हेतु देवस्थानम बोर्ड को कहा गया है। देवस्थानम बोर्ड शीघ्र ही वर्चुअल दर्शन की व्यवस्था करेगा।
,… श्री केदारनाथ तथा श्री बद्रीनाथ धाम के वर्चुअल दर्शन कराएंगे। जहां तक अनुमति होती है, भक्तगण वहां तक इन धामों के दर्शनों का लाभ घर बैठे ही प्राप्त कर सकेंगे। वर्तमान समय में सच्ची देशभक्ति यही है कि आप सभी वैक्सीन अवश्य लगाएं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। 2/3
— Satpal Maharaj (@satpalmaharaj) May 13, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप श्री बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित करने के लिए भारत सरकार के तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और उत्तराखंड सरकार के श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच गुरूवार को लगभग 100 करोड़ के कार्यों के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय तेल व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठान – इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, ओएनजीसी तथा गैस ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया द्वारा बद्रीनाथ धाम में पहले चरण की विकास गतिविधियों में 99.60 करोड़ रूपये की धनराशि दी जाएगी।
Oil PSUs have committed ₹100 crore towards the Badrinath development master plan and will be undertaking several works for the beautification of the temple & its surroundings, including pilgrim and environment-friendly amenities, water supply, sewage management among others. pic.twitter.com/UINWqsZola
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) May 6, 2021
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि उत्तराखंड स्थित चार धाम आध्यात्मिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक कारणों से लाखों लोगों के हृदय के निकट है। उन्होंने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठान न केवल बद्रीनाथ का विकास कार्य करेंगे, बल्कि केदारनाथ, उत्तरकाशी, यमुनोत्री तथा गंगोत्री के विकास का हिस्सा भी बनेंगे।
तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधान ने कहा कि ये प्रतिष्ठान बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगर के रूप में विकसित करने के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को साकार करने के लिए आगे आए हैं। पर्यटन प्रमुख उद्योग है, जो राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बद्रीनाथ जैसे स्थलों के विकास से और अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री तीरथ ने कहा प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कार्य शुरू हुए थे जो कि अब अपने अंतिम चरणों में हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बद्रीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया। बद्रीनाथ में आगामी 100 वर्षों की आवश्यकताओं के मद्देनजर सुविधाओं का विकास चरणबद्ध तरीके से किया जाना है। उन्होंने बद्रीनाथ धाम के विकास में सहयोग के लिए केंद्र सरकार का आभार भी जताया।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि श्री बद्रीनाथ धाम का धार्मिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है। यहां से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है। उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण कार्यो के दौरान हमें इस बात का भी ध्यान रखना है कि यहां पर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
उत्तराखंड में कोविड के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा को स्थगित करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि धामों के कपाट निर्धारित समय पर ही खुलेंगे और तीर्थ-पुरोहित मंदिरों में नियमित रूप से पूजा-पाठ करेंगे। लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर चारधाम यात्रा को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है।
उल्लेखनीय है की प्रदेश में स्थित चारधामों बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री की यात्रा अगले माह 14 मई से शुरू होनी थी। परंपरानुसार 14 मई को गंगोत्री व यमुनोत्री, 17 मई को केदारनाथ तथा 18 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने हैं। मगर इस बार कोविड की परिस्थितियों के मद्देनजर राज्य सरकार ने चारधामों के कपाट निर्धारित तिथियों पर खोलने की घोषणा के साथ यात्रा पर आम श्रद्धालुओं के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उत्तराखंड में भी लगातार कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। लोगों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 से लड़ाई के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) April 29, 2021
गुरूवार को अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा को स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा की किसी को अनुमति नहीं होगी। केवल तीर्थ पुरोहितों को ही नियमित पूजा-पाठ की अनुमति होगी। स्थानीय लोग भी मंदिरों में पूजा-पाठ के लिए नहीं जा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि चारधाम के पट नियमित समय पर ही खुलेंगे और तीर्थ-पुरोहित ही पूजा करेंगे। बाकी देश के लोगों के लिए चारधाम यात्रा अभी बंद है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में इस समय कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। उत्तराखण्ड में भी लगातार कोविड के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे समय में सरकार पूरी तरह से सजग है और इसी क्रम में तय हुआ है कि अभी चारधाम यात्रा को स्थगित रखा जाए। उन्होंने कहा कि लोगों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। राज्य सरकार की ओर से कोविड-19 से लड़ाई में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि अविरल गंगा-निर्मल गंगा के लिए अब कार्यकर्ताओं को भगीरथ प्रयास करना होगा, क्योंकि यह काम भारत की अन्तरात्मा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि गंगा भारत की संस्कृति की जीवन रेखा है। इसे हर हाल में बचाना होगा।
सरसंघचालक डॉ भागवत शनिवार को प्रयागराज में परेड स्थित विश्व हिंदू परिषद के शिविर में गंगा के लिए कार्य कर रहे गैर सरकारी संगठन गंगा समग्र के कार्यकर्ता संगम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में गंगा समग्र से जुड़े 6 प्रांतों से आए कार्यकर्ता उपस्थित थे।
डॉ भागवत ने कहा कि इस धरती पर जो प्रयास भागीरथ को गंगा जी को लाने के लिए करना पड़ा था, वही प्रयास कार्यकर्ताओं को गंगा एवं उससे जुड़ी नदियों को बचाने के लिए करना होगा। इस कठिन काम को आसान करने का मूल मंत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि जन जागरण से यह काम संभव हो पाएगा। गंगोत्री से गंगासागर तक गंगा के दोनों तटों पर पांच-पांच किलोमीटर के दायरे में बसे गांवों एवं शहरों में इसके लिए नित्य नैमित्तिक कार्यक्रम चलाने होंगे।
उन्होंने कहा कि यह काम जन-जन के भीतर के भगवान को जगा कर पूरा किया जा सकता है। इसके लिए सरकार पर निर्भर नहीं होना चाहिए। स्वयं जनता को इस को अपने हाथों में लेना पड़ेगा। सभी आयामों की मजबूत टीम बनाकर केंद्र एवं राज्य स्तर पर उनका विधिवत प्रशिक्षित कर इस काम को आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए तटवर्ती गांव में प्रतिदिन सुबह-शाम गंगा आरती, तीर्थ पुरोहितों को कर्मकांड का प्रशिक्षण, घाटों की स्वच्छता, वृहद वृक्षारोपण, तालाबों में जल संचय कर उनको पुनर्जीवन देने से संभव हो पाएगा।
संघ प्रमुख ने निर्मल गंगा अविरल गंगा अभियान को आगे बढ़ाने के लिए विकास और पर्यावरण दोनों का समान रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि दोनों में संतुलन बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस काम में लगे सभी कार्यकर्ताओ को नदियों के जल प्रबंधन तथा जल संरक्षण का पूरा ज्ञान होना चाहिए। इस काम के लिए उन्होंने संतों का आशीर्वाद प्राप्त करने का भी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया।
गंगा समग्र के केंद्रीय महामंत्री डॉ.आशीष गौतम ने संगठन की संपूर्ण भूमिका रखी। उन्होंने बताया कि नर्मदा समग्र के माध्यम से नर्मदा नदी पर किए गए काम और उस में मिली सफलता के बाद गंगा समग्र की योजना बनी। इस काम के लिए उन्होंने स्वर्गीय अशोक सिंघल की प्रेरणा को भी महत्वपूर्ण बताया।
गंगा समग्र के केंद्रीय संगठन मंत्री मिथिलेश नारायण ने कचरा प्रबंधन एवं कचरा परिशोधन करने का तरीका कार्यकर्ताओं को समझाया। इसमें दिल्ली से आई संगठन की प्रांत संयोजिका नंदिनी पाठक ने भी नया प्रयोग करके कार्यकर्ताओं को दिखाया। प्रांत संयोजकों ने अपने-अपने प्रांतों में वृक्षारोपण, घाटों की स्वच्छता, गंगा आरती, गंगा जागरण यात्रा, प्राकृतिक खेती की जानकारी दी।
सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल ने किया समापन
कार्यक्रम का समापन आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ.कृष्ण गोपाल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अब गंगा समग्र का मजबूत सांगठनिक ढांचा तैयार हो गया है। कार्यकर्ता दोगुनी ताकत से अपने कार्यों का निर्वहन करेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि मजबूत संगठन के माध्यम से निर्मल गंगा का संकल्प अवश्य पूरा होगा।