केदारनाथ धाम गर्भ गृह में प्रवेश कर सकेंगे श्रद्धालु..
उत्तराखंड: हाईकोर्ट से चारधाम आने वाले यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध हटने के बाद देवस्थानम बोर्ड ने भी राहत दी है। अब श्रद्धालुओं को देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर भी पंजीकरण नहीं कराना होगा। बल्कि राज्य में प्रवेश के लिए सिर्फ स्मार्ट सिटी की साइट पर ही पंजीकरण कराना होगा। इसके साथ ही श्री केदारनाथ धाम के गर्भ गृह में भी श्रद्धालु प्रवेश कर सकेंगे। इसके बाद पर्यटक और श्रद्धालु कहीं भी घूम सकेंगे।
आपको बता दे कि अभी तक चार धाम यात्रा में आने वालों के लिए संख्या तय थी। प्रत्येक दिन केदारनाथ में 800 , बद्रीनाथ में 1000, गंगोत्री में 600, यमुनोत्री में कुल 400 श्रद्धालुओ को जाने की अनुमति हाईकोर्ट ने दी थी। केदारनाथ धाम के गर्भ गृह में श्रद्धालु प्रवेश कर करेंगे, हालांकि कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार जलाभिषेक नहीं होगा। भगवान केदारनाथ के ज्योर्तिलिंग का लेपन भी नहीं होगा।
मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाएगा। श्रद्धालु गर्भ गृह में केवल एक बार परिक्रमा कर सकेंगे। दूसरी ओर बद्रीनाथ में सामाजिक दूरी के तहत ही दर्शन होंगे। श्री बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम में दर्शन के लिए निशुल्क मैनुअल टोकन मिलेंगे। ताकि तीर्थ यात्रियों को दर्शन हेतु निर्धारित समय दिया जा सकेगा।
इससे तीर्थयात्रियों को लंबे समय तक दर्शन को लाईन में नहीं लगना होगा। इससे यात्रियों की संख्या को नियंत्रित किया जा सकेगा। इससे यात्रा सरल व सुगम बन सकेगी। चारधाम यात्रा को उत्तराखंड से बाहर के श्रद्धालुओं को देहरादून स्मार्ट सिटी पोर्टल http://smartcitydehradun.uk.gov.in में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है।
श्रद्धालुओं की संख्या तय किए जाने का विरोध किया जा रहा था। सरकार और देवस्थानम बोर्ड की ओर से सही तरीके से अपना पक्ष कोर्ट में नहीं रखा जा रहा था। अगर सही तरीके से पहले ही पक्ष रखा जाता, तो पहले ही मंजूरी मिल गई होती। पहले समय सुप्रीम कोर्ट में जाकर खराब किया गया। इसके बाद हाईकोर्ट में सही तरीके से पैरवी नहीं की गई। नहीं तो श्रद्धालुओं की संख्या में लगी रोक पहले ही हट जाती।अब श्रद्धालुओं की संख्या के आने पर कोई रोक नहीं है। ऐसे में अब देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकरण का कोई औचित्य नहीं है। अब लोग सीधे स्मार्ट सिटी की साइट पर पंजीकरण करा कर चारों धामों में दर्शन कर सकेंगे। लेकिन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।
- अजेंद्र अजय
वर्ष 2016 में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री स्व.अरुण जेटली जी ने राज्यसभा में कहा था कि रोज-रोज की अदालती दखल से सरकार को परेशानी हो रही है। प्रख्यात वकील और अपनी विद्वता के लिए विख्यात जेटली जी ने यहां तक कहा था कि – “अब लगता है कि सरकार का काम बजट तैयार करना और टैक्स वसूली करना ही रह गया है। क्योंकि बाकी कामों में किसी न किसी तरह से अदालत का दखल हो जाता है, जिससे समय पर काम पूरा नहीं हो पाता है।”
जेटली जी ने वित्त मंत्री रहते हुए उसी वर्ष किसी एक कार्यक्रम में न्यायिक सक्रियता को लेकर भी एक गंभीर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था सक्रियता के साथ संयम का मिश्रण होना चाहिए। न्यायपालिका की स्वतंत्रता के नाम पर संविधान के बुनियादी ढांचे के अन्य आयामों के साथ समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि था – न्यायिक समीक्षा न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र का वैध पहलू है, लेकिन फिर भी सभी संस्थाओं को स्वयं लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी”।
उन्होंने जोर देते हुए कहा था कि सरकारी निर्णय (एक्जकयूटिव) कार्यपालिका द्वारा ही लिए जाने चाहिए। न्यायपालिका द्वारा नहीं। क्योंकि अगर कोई निर्णय कार्यपालिका लेती है तो तब उसमें विभिन्न स्तरों पर पर जवाबदेही तय की जा सकती है। इसे चुनौती दी जा सकती है। उसकी न्यायिक समीक्षा की जा सकती है। साथ ही जनता भी अगर ये समझती है कि ये जनहित में नहीं है तो वोट के माध्यम से उस सरकार के विरुद्ध जनादेश दे सकती है। कोर्ट भी कानून सम्मत नहीं पाने पर इसे रद्द कर सकती हैं। मगर अदालत की ओर से सरकारी फैसला लिया जाएगा तो ये सभी विकल्प उपलब्ध नहीं होंगे।
जेटली जी की इन टिप्पणियों का उल्लेख उत्तराखंड की चारधाम यात्रा के संदर्भ में करना आज आवश्यक लगता है। यह सर्वविदित है कि नैनीताल हाई कोर्ट ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए पहले चारधाम यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। प्रदेश सरकार के लगातार प्रयासों के बाद कोर्ट ने यात्रा शुरू करने की अनुमति दी। मगर तमाम प्रतिबंध थोप दिए।
हाईकोर्ट की शर्तो का परिणाम यह है कि यात्रा में अनेक दुश्वारियां पैदा हो गई हैं। पर्याप्त संख्या में श्रद्धालुओं को यात्रा करने की अनुमति नहीं मिल पा रही है। अनेकों लोग आधी-अधूरी यात्रा कर वापस लौट रहे हैं। कोर्ट के निर्देशों के चलते पुलिस श्रद्धालुओं की ऐसी जांच – पड़ताल कर रही है, मानो वे तीर्थ यात्रा पर नहीं, अपितु किसी आतंकी मिशन पर निकले हों।
विगत वर्ष भी कोविड काल के कारण यात्रा व्यवस्था पूरी तरह से ठप रही। इस वर्ष महामारी के काफी हद तक नियंत्रित रहने के कारण श्रद्धालुओं को जहां तीर्थ यात्रा को लेकर उत्साह था, वहीं यात्रा व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों को उम्मीद थी कि किसी हद तक उनकी टूटी हुई आर्थिक स्थिति को संबल मिलेगा। यही नहीं प्रदेश सरकार को भी अपने आर्थिक संसाधनों को मजबूत करने का अवसर मिलता।
मगर कोर्ट के निर्देशों ने सब की आशाओं पर गहरा तुषारापात कर दिया। श्रद्धालुओं से लेकर यात्रा व्यवसायियों और प्रदेश सरकार तक को फजीहत झेलनी पड़ रही है। कई स्थानों पर देश-विदेश से आए यात्री व स्थानीय व्यवसाई धरना- प्रदर्शन और बंद कर रहे हैं।
आश्चर्य की बात है कि तमाम मुद्दों पर स्वतः संज्ञान लेने वाली न्यायपालिका इसका क्यों नहीं संज्ञान ले पा रही है? इस वर्ष यात्रा को लगभग एक माह का ही समय रह गया है। प्रदेश सरकार ने फिर से हाई कोर्ट में गुहार लगा दी है। यदि समय रहते न्यायालय ने लोगों को राहत नहीं दी तो न्यायालय की अति सक्रियता पर सवाल खड़े होंगे ही।
चारधाम यात्रा: उत्तराखंड शासन ने जारी किया नया आदेश..
उत्तराखंड: नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उत्तराखंड शासन के धर्मस्व विभाग ने चारधाम यात्रा 2021 के लिए तीर्थ यात्रियों की संख्या निर्धारित की है। इसके संबंध में विभाग ने एसओपी जारी किया है। एसओपी के अनुसार श्री बद्रीनाथ धाम हेतु के लिए 1000, श्री केदारनाथ के लिए 800, श्री गंगोत्री के लिए 600 और श्री यमुनोत्री के लिए 400 तीर्थयात्री प्रतिदिन चारों धाम पहुंच सकते हैं।
शासन का कहना है कि 18 सितंबर से शुरू हुई चारधाम यात्रा में देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट www.devasthanam.uk.gov.in में पंजीकृत तीर्थयात्रियों में से प्रतिदिन कम श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इसलिए अब यह संख्या निर्धारित की गई है। नए आदेश में कहा गया हैं कि जो पंजीकृत तीर्थयात्री निर्धारित तिथि को चारधाम यात्रा पर नहीं पहुंच रहे हैं उनके स्थान पर अन्य पंजीकृत तीर्थयात्री चारधाम में दर्शन को जा सकेंगे।
हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार, शासन की ओर से चारधाम यात्रा भले ही शुरू कर दी गई है। लेकिन सरकार शासन की ओर से चारधाम में तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित किए जाने की वजह से न सिर्फ तीर्थयात्री बल्कि बस और टैक्सी संचालकों के सामने भी मुसीबत खड़ी हो गई है।
स्थिति यह है कि चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं होने से दूसरे राज्यों के तीर्थयात्री न सिर्फ ट्रेन बल्कि ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून से बुक कराई गई टैक्सी और बसों की बुकिंग भी निरस्त करवा रहे। तीर्थयात्रियों के इस कदम ने चारधाम यात्रा के लिए बस और टैक्सी संचालित करने वाले संचालकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
उत्तराखंड परिवहन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय का कहना है कि सरकार और शासन की ओर से बद्रीनाथ धाम के लिए एक हजार, केदारनाथ धाम के लिए आठ सौ, गंगोत्री के लिए छह सौ और यमुनोत्री धाम के लिए चार सौ तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित की गई है।
चारधाम में इतनी कम संख्या निर्धारित किए जाने की वजह से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री बस और टैक्सी की बुकिंग निरस्त करवा चुके हैं। तीर्थयात्रियों में तमाम ऐसे हैं जो ट्रेन से हरिद्वार, ऋषिकेश को पहुंच गए, लेकिन चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं करा पाने की वजह से उन्होंने बस और टैक्सी की बुकिंग भी निरस्त करा दी ।
भाजपा नेता व पूर्व दर्जाधारी अजेंद्र अजय ने प्रदेश के धर्मस्व सचिव हरीश चंद्र सेमवाल से फोन पर बात कर चार धामों के दर्शन के लिए निर्धारित की गई श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इस अनुमति के लिए प्रदेश शासन को हाई कोर्ट से अनुरोध करना चाहिए।
अजेंद्र ने कहा कि इस वर्ष अब चार धाम यात्रा को लगभग एक माह का समय ही शेष रह गया है। नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा श्रद्धालुओं की संख्या सीमित किए जाने से जहां एक ओर अनेक लोग यात्रा करने से वंचित रह जाएंगे, वहीं दूसरी तरफ यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों को लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई में कठिनाई पैदा होगी। उन्होंने सचिव धर्मस्व को सुझाव दिया कि प्रदेश शासन इस विषय में नैनीताल उच्च न्यायालय से अनुरोध करे, ताकि चारों धामों में अधिक संख्या में यात्रियों को दर्शनों की अनुमति मिल सके।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के अनुरोध पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने चारों धामों में कुछ शर्तों के साथ यात्रा की अनुमति दी है। न्यायालय ने बद्रीनाथ के लिए 1000, केदारनाथ के लिए 800, गंगोत्री के लिए 600 व यमुनोत्री के लिए 400 यात्रियों को प्रतिदिन दर्शन करने की अनुमति दी है।
कोविड काल के दौरान चार धाम यात्रा के पूरी तरह से ठप हो जाने के कारण अर्थ व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके मददेनजर प्रदेश सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू कराने को लेकर न्यायालय में प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखा।
न्यायालय ने यात्रा शुरू कराने की अनुमति तो दी। मगर यात्रियों की संख्या सीमित करने से यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों के अलावा इन धामों की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं।
सीएम धामी बोले, उत्तराखंड में पटरी पर लौट रही चारधाम यात्रा..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है। इससे चारधाम से जुड़े तीर्थ पुरोहितों, व्यवसायियों की उम्मीद भी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना हैं कि चारधाम यात्रा प्रांरभ होने से कोविड की दूसरी लहर के बाद बंद पड़े कारोबार को संजीवनी मिलेगी। शनिवार से अब तक चारों धामों में साढ़े पांच हजार लोग दर्शन कर चुके हैं, जबकि 42 हजार से अधिक व्यक्तियों को ई-पास जारी किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कुछ समय पहले कोविड संक्रमण के कारण आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे चारधाम यात्रा व पर्यटन से जुड़े कारोबारियों के लिए दो सौ करोड़ रुपये का राहत पैकेज जारी किया। इसके तहत चारधाम यात्रा मार्गों से जुड़े होटल, रेस्टोरेंट, टैक्सी संचालकों समेत अन्य व्यक्तियों के साथ ही पर्यटन से जुड़े व्यक्तियों को एकमुश्त सहायता राशि उपलब्ध कराई जा रही है।
पर्यटन विभाग की ओर से ही अब तक 15 हजार व्यक्तियों को सात करोड़ की राशि दी जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रा से जुड़े व्यवसायियों, तीर्थ पुरोहितों की परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उनका कहना हैं कि चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर तीर्थ पुरोहितों के मन में उठ रहे संशय को दूर करने के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है।
समिति में चारों धामों से दो-दो तीर्थ पुरोहितों को भी शामिल किया जा रहा है। तीर्थ पुरोहितों की बात सुनकर समिति सरकार के समक्ष रिपोर्ट रखेगी। फिर इसके आधार पर फैसला लिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि चारधाम से जुड़े तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों के हित किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होने दिए जाएंगे।
चारधाम यात्रा के लिए गाइडलाइन जारी, पढ़िए पूरी खबर..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर लगी रोक हट गई है। इस फैसले से उन कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है, जो लंबे वक्त से चारधाम यात्रा की शुरुआत का इंतजार कर रहे थे। आज यानि शनिवार से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। अगर आप भी शनिवार से शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं तो इसके लिए नियमों का भलिभांति समझ लें। कहीं ऐसा न हो कि आप चारधाम यात्रा से वंचित रह जाएं।
परिवहन आयुक्त दीपेंद्र कुमार चौधरी की ओर से शुक्रवार को यात्रा के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए। दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी यात्री वाहन को ग्रीन कार्ड या ट्रिप कार्ड के बिना प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यात्रा करने वाले लोग वाहन की आरसी, फिटनेस प्रमाण पत्र, इंश्योरेंस, प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र, परमिट, उत्तरखंड राज्य का मोटर वाहन कर जमा कराने का प्रमाण पत्र, चालक का लाइसेंस, ग्रीन कार्ड, ट्रिपकार्ड, यात्री सूची की वैध मूल प्रमाण की प्रति जरूर साथ रखें।
वाहन की लाइट, डीपर, वाईपर, ब्रेक, स्टेयरिंग, टायर की जांच कर लें। वाहन में लाल, सफेद और पीले रिफ्लेक्टर लगाएं। फर्स्ट एड किट, लकड़ी या लोहे का गुटका और अग्निशमन यंत्र रखें। वाहन में टॉर्च, रस्सी, पंचर किट, हवा भरने का पंप रखें। इसके साथ ही वाहन में कूड़ादान और वोमेटिंग बैग भी रखें। यात्रा के दौरान मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर का पालन करना होगा।
चारधाम यात्रा के दौरान रात आठ बजे से सुबह पांच बजे तक वाहनों का संचालन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा। वाहन में किसी भी तरह का ज्वलनशील पदार्थ एलपीजी, डीजल, पेट्रोल, कैरोसिन टैंक के अलावा अलग से स्टोर न करें। एक चालक एक दिन में लगातार आठ घंटे से अधिक वाहन न चलाए। चप्पल पहनकर वाहन चलाने पर कार्रवाई हो सकती है। मोटर कैब, मैक्सी कैब में टेपरिकॉर्डर का संचालन नहीं किया जा सकता। टूरिस्ट बसों में इस शर्त पर म्यूजिक सिस्टम चलाने की अनुमति होगी कि उसका संचालन कंडक्टर के हाथ में हो।
हाईकोर्ट ने हटा दी चारधाम यात्रा पर लगी रोक, कोविड नियमों का पालन करने के दिए आदेश..
उत्तराखंड: हाईकोर्ट में चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटा दी है। गुरुवार को इस मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यात्रा पर लगाई रोक के 28 जून के निर्णय को वापस ले लिया है। कोर्ट ने कोविड के नियमों का पालन करते हुए चारधाम यात्रा शुरू करने के आदेश दे दिए हैं।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण अब नियंत्रण में है। ऐसे में यात्रा से रोक हटाई जाए। यात्रा के लिए सरकार नई एसओपी जारी करेगी।
कोर्ट ने कहा कि केदारनाथ धाम में 800 यात्री, बदरीनाथ धाम में 1200 यात्री, गंगोत्री में 600 और यमुनोत्री में 400 यात्रियों को प्रतिदिन जाने की अनुमति होगी। यात्री किसी भी कुंड में स्नान नहीं कर सकेंगे।
निगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन सर्टिफिकेट लाना अनिवार्य..
हर यात्री को कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट और वैक्सीन सर्टिफिकेट लाना अनिवार्य होगा। कोर्ट ने चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में होने वाली चारधाम यात्रा के दौरान आवश्यकतानुसार पुलिस फोर्स तैनात करने के निर्देश भी दिए हैं।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष इस प्रकरण पर गुरुवार को सुनवाई हुई। बता दें कि 10 सितंबर को सरकार ने कोर्ट से मामले की जल्द सुनवाई करने का आग्रह किया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तिथि नियत की थी।
16 सितंबर को होगी चारधाम यात्रा को लेकर सुनवाई..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटवाने के लिए राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में प्रार्थना की है। सुप्रीम कोर्ट से विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) वापस लेने के बाद सरकार अब यात्रा शुरू करने पर लगी रोक हटवाने के लिए प्रयासरत है। शुक्रवार को हाईकोर्ट के मुख्य स्थायी अधिवक्ता (सीएससी) चंद्रशेखर रावत ने इस मामले को उठाया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई के लिए 16 सितंबर की तिथि तय की है। जून 2021 में हाईकोर्ट ने कोविड से संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अधूरी तैयारियों, स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी, कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन के लिए पर्याप्त इंतजाम न होने के आधार पर चारधाम यात्रा पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को एसएलपी के जरिये सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई नहीं हुई थी।
इधर, चारधाम यात्रा शुरू करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों और व्यवसायियों ने भी आंदोलन शुरू कर दिया था। बीते दिनों महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष यात्रा पर लगी रोक हटाने के लिए प्रार्थना की थी। इस पर हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी विचाराधीन होने का हवाला देते हुए इस पर विचार करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी एसएलपी वापस ले ली थी।
यात्रा का सिर्फ एक महीना शेष..
चारधाम यात्रा का मुश्किल से एक महीना शेष बचा है। अक्तूबर-नवंबर में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। इसके साथ ही चारधाम यात्रा छह माह के लिए स्थगित हो जाएगी। इस साल अप्रैल व मई में चारों धामों के कपाट विधि विधान से खुल गए थे, लेकिन तीर्थ यात्रियों को दर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई।
प्रदेश सरकार ने जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने का निर्णय लिया था, लेकिन जून में हाईकोर्ट ने कोविड से संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अधूरी तैयारियों, स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी, कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन के लिए पर्याप्त इंतजाम न होने के आधार पर चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई थी
चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर आज यमुनोत्री कूच करेंगे कई संगठन..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा शुरू करने की मांग के समर्थन में घाटी के विभिन्न संगठन बुधवार को यमुनोत्री कूच करेंगे। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष सोबन राणा का कहना हैं कि प्रदेश भर के पर्यटन स्थलों पर पर्यटक बड़ी संख्या में जुट रहे हैं। लेकिन चारधाम यात्रा को बंद किया गया है। इससे क्षेत्र के कारोबारियों के समक्ष रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। राणा ने कहा कि बुधवार को होटल एसोसिएशन, टैक्सी-मैक्सी महासंघ सहित यात्रा से जुड़े अन्य लोगों का जत्था यमनोत्री कूच करेगा। यमुनोत्री कूच बुधवार सुबह जानकी चट्टी से शुरू होगा।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं वनाधिकार आंदोलन के संयोजक किशोर उपाध्याय ने चारधाम यात्रा अविलंब शुरू कराने की मांग की है। किशोर उपाध्याय ने सभी राजनीतिक दलों से चारधाम यात्रा शुरू कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाने और ‘बद्रीनाथ कूच’ को समर्थन देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने चारधाम यात्रा शुरू नहीं की तो एकादशी को वह बद्रीनाथ धाम कूच कर सरकार की सद्बुद्धि के लिए भगवान बद्री विशाल से विनती करेंगे।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का कहना हैं कि नोटबंदी और कोविड-19 ने राज्य की आर्थिक रीढ़ को तोड़ दिया है। केंद्र और राज्य सरकार घोषणाएं कर रही हैं, लेकिन धरातल पर कहीं कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। चारधाम यात्रा लाखों लोगों के रोजगार से जुड़ी है। गरीब से लेकर अमीर वर्ग इससे जुड़ा है। चारधाम यात्रा के तीन महीनों में लोग मेहनत से कमाकर बाकी नौ महीनों में परिवार का पोषण करते हैं।
कोविड एसओपी के चलते यात्रा बंद है। चारधाम यात्रा से जुड़े व्यवसायी यात्रा खुलने का इंतजार कर रहे हैं। लोग भुखमरी और आत्महत्या के कगार पर हैं। किशोर उपाध्याय ने सरकार से सवाल उठाते हुए कहा कि जब सब कुछ सामान्य हो गया तो चारधाम यात्रा शुरू क्यों नहीं की जा रही है।
चारधाम यात्रा शुरू कराने की मांग को लेकर हरिद्वार में पर्यटन व्यवसायियों ने संयुक्त मोर्चा पर्यटन उद्योग के बैनर तले पर्यटन विभाग के कार्यालय पर धरना दिया। व्यवसायियों ने एक सप्ताह में यात्रा शुरू नहीं होने पर आत्मदाह की चेतावनी दी।
अभिषेक अहलूवालिया का कहना हैं कि उत्तराखंड पूरी तरह धार्मिक पर्यटन पर आश्रित है, लेकिन लगातार दो साल से चारधाम यात्रा पर रोक लगने से पर्यटन व्यवसायी गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। हजारों वाहन स्वामी, चालक, होटल मालिक यात्रा पर रोक के चलते खाली बैठे हैं। सरकार चारधाम यात्रा संचालित नहीं कर रही है। अगले वर्ष होने वाले चुनाव को देखते हुए प्रदेश में चुनावी सभाएं हो रही हैं और चारधाम यात्रा पर रोक लगा लगी है। उन्होंने कहा कि यदि एक सप्ताह में सरकार चारधाम यात्रा शुरू नहीं करती है तो आंदोलन को तेज किया जाएगा
चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर हक-हकूकधारियों ने किया बद्रीनाथ कूच..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर उत्तराखंड के चारों धाम में का आंदोलन जारी है। इसी क्रम में आज सोमवार को हक-हकूकधारियों ने बद्रीनाथ धाम कूच किया। जिसे देखते हुए बद्रीनाथ पुल के समीप पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाई है। इस दौरान बद्रीनाथ धाम कूच कर रहे हक-हकूकधारियों को पुलिस ने बद्रीनाथ पुल पर रोक दिया। यहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई।
बैरिकेडिंग होने के कारण आगे नहीं बढ़ पाए हक-हकूकधारी..
हक-हकूकधारी हाथ में बद्रीनाथ धाम के प्रसाद के साथ साकेत तिराहे से बद्रीनाथ धाम के लिए निकले, लेकिन पुल पर पुलिस की बैरिकेडिंग होने के कारण वे आगे नहीं बढ़ पाए। प्रसाद की थाली के साथ अभी भी आंदोलनकारी वहीं जमे हुए हैं। स्थानीय लोगों ने एलान किया कि जब तक यात्रा का संचालन शुरू नहीं किया जाता आंदोलन जारी रखा जाएगा। इस दौरान सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की गई। चारधाम यात्रा का संचालन न होने से यात्रा पड़ावों से लेकर धामों तक लोगों की आजीविका ठप पड़ गई है। सभी पर्यटन स्थल खोल दिए गए हैं, लेकिन चारधाम यात्रा का संचालन रोका गया हैं।