कठुआ आतंकी हमले में शहीद हुए उत्तराखंड के 5 जवान, सीएम धामी ने जताया दुख..
उत्तराखंड: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुए आतंकी हमले की सीएम पुष्कर सिंह धामी ने निंदा की हैं। सीएम धामी ने कहा कि किसी भी क़ीमत पर आतंकवादी बख्शे नहीं जाएंगे। बता दें कठुआ में हुए आतंकी हमले में उत्तराखंड के पांच जवान शहीद हो गए। इस खबर के बाद से उत्तराखंड में शोक की लहर है। सीएम धामी ने कहा कठुआ, जम्मू कश्मीर में हुए कायराना आतंकी हमले के दौरान उत्तराखण्ड के पांच वीर-जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। यह हम सभी प्रदेशवासियों के लिए अत्यंत पीड़ा का क्षण है क्योंकि हमने भाई और बेटा भी खोया है। हमारे रणबाँकुरों ने उत्तराखण्ड की समृद्ध सैन्य परंपरा का पालन करते हुए मां भारती के चरणों में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
सीएम धामी का कहना हैं कि मां भारती की रक्षा करते हुए आतंकवाद के विरुद्ध शहीदों का यह सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। इस कायरतापूर्ण हमले के दोषी, मानवता के दुश्मन आतंकवादी किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे और इनको पनाह देने वाले लोगों को भी इसके परिणाम भुगतने होंगे। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा सैन्यभूमि उत्तराखण्ड वीर सैनिकों को जन्म देने वाली भूमि है। यहां के जवानों ने हमेशा से ही मां भारती की सेवा में अपने प्राणों की आहुति देकर अपने राष्ट्रधर्म का निर्वहन किया है। शहीद हुए सैनिकों का बलिदान हम किसी भी हालत में व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
आतंकियों ने कठुआ के बदनोता के बरनूड इलाके में जेंडा नाले के पास सेना के वाहन पर घात लगाकर हमला कर दिया। इस हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए। पांचों जवान उत्तराखंड के गढ़वाल के हैं। जबकि कई जवानों के घायल होने की जानकारी भी मिल रही है। बता दे कि पांच जवानों की शहादत की खबर के बाद से देवभूमि शोक में डूब गई है। आतंकी हमले में उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग निवासी नायब सूबेदार आनंद सिंह, लैंसडौन निवासी हवलदार कमल सिंह, कीर्तिनगर ब्लॉक के थाती डागर निवासी राइफलमैन आदर्श नेगी, टिहरी गढ़वाल निवासी नायक विनोद सिंह, रिखणीखाल निवासी राइफलमैन अनुज नेगी शहीद हो गए।
पुंछ में हुआ ग्रेनेड विस्फोट, सेना के कप्तान और JCO शहीद, पांच जवान घायल..
देश-विदेश: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा के पास अचानक ग्रेनेड विस्फोट हो गया। इसमें सेना के एक कप्तान और एक जूनियर कमीशंड अधिकारी की मौत हो गई। साथ ही इस हादसे में पांच अन्य जवान घायल हुए हैं। अधिकारियों ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। सेना के पीआरओ का कहना हैं कि रविवार देर रात पुंछ के मेंढर सेक्टर में यह घटना हुई।
जिस समय यह घटना हुई, उस वक्त सेना के जवान ड्यूटी पर थे। उन्होंने कहा कि घायलों को तुरंत हेलीकॉप्टर से इलाज के लिए उधमपुर ले जाया गया। इलाज के दौरान सेना के कप्तान आनंद और नायब-सूबेदार (जेसीओ) भगवान सिंह ने दम तोड़ दिया। जबकि पांच अन्य जवानों का इलाज जारी है।
इससे पहले रविवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में दोपहर बाद आतंकियों ने सीआरपीएफ की नाका पार्टी पर हमला किया। इस हमले में एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) शहीद हो गए। एक अन्य राहगीर घायल हो गया। घटना के तत्काल बाद पूरे इलाके को घेरकर तलाशी अभियान चलाया गया। शहीद एएसआई विनोद कुमार उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद जिले के रहने वाले थे। अमरनाथ यात्रा शुरू होने के बाद जुलाई महीने आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर दो बार हमला किया है।
कश्मीर में आतंकियों ने हिंदू महिला शिक्षक की गोली मारकर की हत्या..
देश-विदेश: जम्मू-कश्मीर के आतंकियों ने कुलगाम जिले के गोपालपोरा इलाके में एक हाईस्कूल की हिंदू महिला शिक्षक पर आतंकियों ने हमला कर दिया। गोली लगने से महिला शिक्षक गंभीर रूप से घायल हो गई। घायल को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। सूचना मिलते ही पुलिस और सुरक्षाबल के जवान मौके पर पहुंचे और इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। आतंकी की तलाश की जा रही है। आपको बता दे कि कुलगाम के गोपालपोरा इलाके में मंगलवार को एक शिक्षिका पर आतंकियों ने गोलीबारी की। शिक्षिका की पहचान रजनी पत्नी राज कुमार के तौर पर हुई है। वह जम्मू संभाग के जिला सांबा की रहने वाली थी। पुलिस का कहना है कि इस जघन्य आतंकी अपराध में शामिल आतंकियों की जल्द ही पहचान कर उन्हें मार गिराया जाएगा।
बता दे कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने शिक्षिका की हत्या पर दुख जताया। उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘बेहद दुखद है। निर्दोष नागरिकों पर किए गए हालिया हमलों की एक लंबी सूची में यह एक और टारगेट किलिंग है। निंदा और शोक के शब्द खोखले होते जा रहे हैं। सरकार से बस आश्वासन ही मिल रहा है कि वो स्थिति सामान्य होने तक चैन से नहीं बैठेंगे।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी मुठभेड़ में उत्तराखंड के दो जवान शहीद..
पुंछ जिले के मेंढर में काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन जारी..
देश-विदेश: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकी मुठभेड़ में उत्तराखंड के दो जवान शहीद हो गए हैं। सेना के उक्त दोनों जवान गुरुवार शाम हुई आतंकी मुठभेड़ में घायल हुए थे जिन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
सैन्य प्रवक्ता का कहना हैं कि गुरुवार शाम से पुंछ जिले के मेंढर में काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन जारी है। ऑपरेशन के दौरान भारी गोलीबारी हुई। जिसमें राइफलमैन विक्रम सिंह नेगी और राइफलमैन योगंबर सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई। शहीद राइफलमैन विक्रम सिंह नेगी (उम्र 26 साल) जिला टिहरी गढ़वाल और रायफलमैन योगंबर सिंह (उम्र 27 साल) जिला चमोली के रहने वाले थे।
मुख्यमंत्री ने व्यक्त किया शोक..
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकी मुठभेड़ के दौरान उत्तराखंड के दो जवानों के शहीद होने पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री का कहना हैं कि राइफलमैन विक्रम सिंह नेगी और योगंबर सिंह ने देश सेवा के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया है, जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता है। मुख्यमंत्री ने दोनों शहीद जवानों के परिजनों को इस दुख की घड़ी में धैर्य रखने की कामना की है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने कहा कि श्रीराम जन्म भूमि मंदिर निर्माण निधि समर्पण व संपर्क अभियान धन संग्रह का नहीं, बल्कि समर्पण का कार्यक्रम है और समाज अपनी श्रद्धा एवं इच्छा से जो सहयोग करेगा, वह सब स्वीकार्य है।
भय्याजी जोशी ने यह बात जम्मू-कश्मीर में इस अभियान का शुभारंभ करते हुए कही। उन्होंने जम्मू शहर के गांधीनगर स्थित वाल्मीकि मोहल्ला में जाकर मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण हेतु संपर्क किया। इसके बाद डिगियाना स्थित श्री संत मेला सिंह जी दस्तकारी आश्रम के महंत मंजीत सिंह से भेंट कर मंदिर निर्माण के लिए सहयोग राशि ली। जम्मू-कश्मीर में यह अभियान मकर संक्रांति से शुरू होकर 27 फरवरी माघ पूर्णिमा तक चलेगा।
भय्याजी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के सर्वसम्मत निर्णय और प्रभु श्रीराम की इच्छा अनुसार अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। भगवान के लिए समाज अपने सामर्थ्य के अनुसार स्वयं प्रेरणा से सहयोग करेगा। उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि की प्रत्येक कारसेवा में जम्मू कश्मीर के लोगों की अविस्मरणीय भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सिक्ख समाज के बंधुओं ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर, 1858 को दर्ज एक एफआईआर की रिपोर्ट में लिखा है – निहंग सिक्ख, विवादास्पद ढांचे में घुस गए थे और राम नाम के साथ वहां हवन किया। निहंग सिक्खों ने वहां न सिर्फ हवन और पूजा की, बल्कि उस परिसर के भीतर श्रीराम का प्रतीक भी बनाया। उस समय उनके साथ 25 और सिक्ख थे, जिन्होंने वहां धार्मिक झंडे उठाए और उसकी दीवारों पर चारकोल के साथ ‘राम-राम’ लिखा था।
भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार संगठन ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया’ के रुख और बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, अतिश्योक्तिपूर्ण और सच्चाई से परे बताया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि संगठन द्वारा मानवीय कार्य और सत्य की ताकत को लेकर की जा रही बयानबाजी सिर्फ अपनी गतिविधियों से ध्यान हटाने की चाल है। मंत्रालय ने कहा कि संगठन स्पष्ट रूप से भारतीय कानूनों की अवहेलना में लिप्त रहा है। एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा पिछले कुछ वर्षों में बरती गईं अनियमितताओं और अवैध कार्यों की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। ऐसे बयान देकर वह जांच को प्रभावित करने के प्रयास भी कर रहा है।
घरेलू मामलों में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार शाम को बयान जारी कर कहा कि संगठन भारत में मानवीय कार्य जारी रखने के लिए स्वतंत्र है, जिस तरह से अन्य संगठन कर रहे हैं। भारत के कानून विदेशी चंदे से वित्त पोषित संस्थाओं को घरेलू राजनीतिक बहस में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देते हैं। यह कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है और इसी तरह एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी लागू होगा।
कई बार आवेदन के बावजूद FCRA की अनुमति नहीं
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (Foreign Contribution (Regulation) Act, FCRA) के अंतर्गत सिर्फ एक बार और वह भी 20 साल पहले दिसंबर, 2000 में स्वीकृति दी गई थी। तब से अभी तक एमनेस्टी इंटरनेशनल के कई बार आवेदन करने के बावजूद पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा FCRA स्वीकृति से इनकार किया जाता रहा है, क्योंकि कानून के तहत वह इस स्वीकृति को हासिल करने के लिए पात्र नहीं है। एमनेस्टी के प्रति अलग-अलग सरकारों का यह कानूनी दृष्टिकोण स्पष्ट करता है कि अपने कामकाज के लिए पैंसा हासिल करने की उसकी प्रक्रिया संदिग्ध है।
गैर कानूनी तरीके से हासिल किया विदेशी फंड
केंद्र सरकार के अनुसार FCRA नियमों को दरकिनार करते हुए एमनेस्टी यूके ने भारत में पंजीकृत चार संस्थाओं को बड़ी मात्रा में धनराशि भेजी और इसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रूप में दिखाया गया। इसके अलावा एमनेस्टी इंडिया को FCRA के तहत गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना बड़ी मात्रा में विदेशी धन प्रेषित किया गया। गलत रास्ते से धन भेज कर कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन किया गया।
केंद्र सरकार के प्रति अभूतपूर्व भरोसा
गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत मुक्त प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका और जीवंत घरेलू बहस के साथ संपन्न और बहुलतावादी लोकतांत्रिक संस्कृति वाला देश है। भारत के लोगों ने वर्तमान सरकार में अभूतपूर्व भरोसा दिखाया है। गृह मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि कानूनों के पालन करने में विफल रहने के बाद एमनेस्टी को भारत के लोकतांत्रिक और बहुलतावादी स्वभाव पर टिप्पणियां करने का अधिकार नहीं मिल जाता है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में बंद किया कामकाज
इससे पहले, एमनेस्टी इंटरनेशनल की भारत स्थित इकाई ने मंगलवार सुबह अपनी वेबसाइट पर एक बयान जारी कर बताया कि उसने देश में अपना कामकाज रोक दिया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने कहा कि भारत सरकार द्वारा एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खातों को पूरी तरह से फ्रीज कर दिया गया है, जिसकी जानकारी 10 सितंबर 2020 को हुई। इससे संगठन द्वारा किए जा रहे सभी काम पूरी तरह से ठप हो गए हैं। एमनेस्टी ने इसे सरकार की ओर बदले की कार्रवाई बताया और कहा कि सरकार उसके पीछे पड़ गई है। उसने दावा किया कि उसके द्वारा सरकार के काम-काज में पारदर्शिता के लिए आवाज उठाई गई। लिहाजा, सरकार उसे प्रताड़ित कर रही है।
क्या है एमनेस्टी इंटरनेशनल
एमनेस्टी इंटरनेशनल लंदन स्थित एक गैर-सरकारी संगठन है। यह विश्व भर में मानवधिकारों के लिए काम करता है। संगठन के घोषित उद्देश्यों में इसे मानवधिकारों पर अनुसंधान करने और उन लोगों के लिए न्याय की मांग करने वाला बताया गया है, जिनके अधिकारों का हनन किया जा रहा हो। भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल का पंजीकृत कार्यालय बंगलुरु में स्थित है।
विवादों से नाता
एमनेस्टी इंटरनेशनल भारत में कई बार विवादों के घेरे में रहा है। जैसा कि गृह मंत्रालय के बयान में भी संगठन पर अवैध गतिविधियों में संलिप्त रहने की बात कही गई है। एमनेस्टी इंटरनेशनल तब काफी चर्चाओं में रहा था, जब वर्ष 2019 में उसने अमरीका की विदेश मामलों की एक समिति के सामने दक्षिण एशिया ख़ास कर जम्मू-कश्मीर पर केंद्रित अपनी एक रिपोर्ट को रखा था। तब उस पर देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगा था। कश्मीर में धारा-370 की समाप्ति के बाद संगठन ने वहां मानवधिकारों के हनन की बात कही। यही नहीं इस वर्ष फरवरी में CAA के विरोध में दिल्ली में हुए साम्प्रदायिक दंगों को लेकर भी एमनेस्टी की रिपोर्ट विवादों में रही।
डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी हुई कार्रवाई
विदेशी फंडिंग हासिल करने के मामले में इस संगठन के विरुद्ध केंद्र सरकार की कई एजेंसियां जांच कर रही हैं। वर्ष 2009 में डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी संगठन पर कार्रवाई हुई थी। तब भी उसने अपना कामकाज बंद कर दिया था। एमनेस्टी पर जब भी सरकार कोई कार्रवाई करती है तो वह सरकार पर आरोप लगाती है। उसका आरोप होता है कि सरकार मानवधिकारों की आवाज को कुचलना चाहती है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा धारा-370 हटाए जाने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के विकास में बाधक बने तमाम कानून भी खत्म हो गए और इस क्षेत्र के विकास की रफ्तार पर लगा “स्पीड ब्रेकर” ध्वस्त हो गया है। नकवी ने दावा किया कि केंद्र सरकार की विभिन्न आर्थिक, शैक्षणिक विकास योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ जम्मू-कश्मीर, लेह-कारगिल के लोगों को मिलना शुरू हो गया है।
लेह के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे नकवी ने लेह, साबू-थांग, शुकोट शमा, शुकोट गोंगमा, फ्यांग आदि का दौरा कर विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से भेंट एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ विकास योजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान उनके साथ स्थानीय सांसद जामियांग शेरिंग नामग्याल भी उपस्थित थे।
नकवी ने कहा कि 2019 में धारा-370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर और लेह-कारगिल में विकास की “राजनैतिक एवं कानूनी अड़चने” खत्म हुई है और विकास का चौमुखी समावेशी माहौल बना है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लेह-कारगिल में प्रशासनिक, भूमि, आरक्षण आदि सुधार हुए हैं। केंद्र सरकार के 890 कानून लागू हो गए हैं। राज्य के 164 कानून खत्म किये गए हैं। 138 कानूनों में सुधार किया गया है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था में सुधार कर अधिक से अधिक जरूरतमंदों को लाभ पहुँचाया गया है।
75 हजार से ज्यादा युवाओं को रोजगारपरक कौशल विकास की ट्रेनिंग मुहैया कराई गई है। 50 नए कॉलेज स्थापित किये जा रहे हैं। वर्तमान में जो कॉलेज हैं उनमे 1 वर्ष में 25 हजार नयी सीटें बढ़ाई गयी हैं। लाखों छात्र-छात्राओं को विभिन्न स्कॉलरशिप्स दी गई हैं। लद्दाख में 1 नए मेडिकल कॉलेज व 1 इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की जा रही है। लेह में नेशनल स्किल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट की स्थापना की जा रही है। हजारों रिक्त पड़ी सरकारी नौकरियों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 35 हजार से ज्यादा स्कूल टीचर्स को नियमित कर दिया गया है। 500 करोड़ रूपए से ज्यादा कंस्ट्रक्शन मजदूरों, पिट्ठूवाला, रेहड़ी वालों, महिलाओं को आर्थिक गतिविधियों के लिए दिए गए हैं। जम्मू, कश्मीर, लद्दाख को “इन्वेस्टमेंट हब” बनाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट सम्मिट से 14 हजार करोड़ रूपए का निवेश आया है।
नकवी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख के सभी निवासियों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराया गया है। आयुष्मान भारत का लाभ 30 लाख से ज्यादा लोगों को दिया गया है। कोरोना काल में 17 विशेष अस्पताल, 60 हजार नए बेड की व्यवस्था की गई है। कोरोना के चलते देश-विदेश में फंसे जम्मू, कश्मीर, लद्दाख के 2 लाख 50 हजार से ज्यादा लोगों को वापस उनके घर पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख में बड़े पैमाने पर विकास कार्यों की रुपरेखा बनाई है।