जल जीवन मिशन की अटकी 212 करोड़ की योजनाएं, तीन परियोजनाओं को हरी झंडी..
उत्तराखंड: प्रदेश में जल जीवन मिशन की 212 करोड़ रुपये की परियोजनाएं सालों से वन कानूनों के चक्कर में लटकी हुईं हैं। लगातार पत्राचार के बाद भी इन्हें अनुमति नहीं मिल पाईं। इन सभी परियोजनाओं से सैकड़ों गांवों की हजारों की आबादी को पेयजल मिलना था। जल जीवन मिशन के तहत पांच करोड़ से ऊपर की 268.19 करोड़ की 12 ऐसी परियोजनाएं थीं, जिनका निर्माण या तो रिजर्व फॉरेस्ट के क्षेत्र में होना था या जिनके लिए वन भूमि की दरकार थी। इनमें से हाल ही में उत्तरकाशी की 12.63 करोड़ की खान्सी पौटी ग्राम समूह पेयजल योजना, 26.24 करोड़ लागत की कंडारी ग्राम समूह पेयजल योजना और 16.84 करोड़ की देवराना ग्राम समूह पंपिंग पेयजल योजना को वन भूमि हस्तांतरण की अनुमति मिल गई है।
अब इन परियोजनाओं का काम शुरू होगा। लेकिन, नौ परियोजनाओं को अभी तक कोई स्वीकृति नहीं मिली। एक को वन विभाग से तो स्वीकृति मिली है, लेकिन नैना देवी पक्षी विहार से अनुमति नहीं मिल पाई है। इन परियोजनाओं को वन भूमि हस्तांतरण न होने की वजह से करोड़ों रुपये वर्षों से खर्च नहीं हो पाए। जल जीवन मिशन के तहत परियोजनाओं की पाइपलाइन तो जंगलों के बीच से बिछा दी गई। लेकिन, जमीन न होने के कारण इनका पंपिंग स्टेशन या वेल निर्माण नहीं हो पाया है। पेयजल निगम के अफसरों का कहना है कि लगातार इस संबंध में वन विभाग से पत्राचार किया जा रहा है।
जल जीवन मिशन के लिए प्रदेश को मिले 403 करोड़..
उत्तराखंड: प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में हर घर नल से जल की जल जीवन मिशन योजना के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने राज्य को 403 करोड़ की तीसरी किश्त जारी कर दी है। इससे मिशन के कार्यों में तेजी आएगी। जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में 14 लाख 94 हजार 375 घरों में नल से जल पहुंचाने की योजना है। इसके तहत अभी तक 9 लाख 95 हजार 477 घरों में नल से जल पहुंचाया जा चुका है। बाकी घरों के लिए भी तेजी से काम चल रहा है। जल जीवन मिशन के तहत 17 हजार से अधिक छोटी-बड़ी परियोजनाएं बनाई गई हैं, जिनके लिए जल शक्ति मंत्रालय अभी तक दो किश्तों के रूप में करीब 800 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर चुका है।
बुधवार को मंत्रालय ने 403 करोड़ 12 लाख 62 हजार रुपये की तीसरी किश्त भी जारी कर दी। इससे मिशन कार्यों में तेजी आएगी। पेयजल निगम के एमडी उदयराज सिंह का कहना हैं कि तीसरी किश्त से इस वित्तीय वर्ष के साथ ही आगामी वित्तीय वर्ष में भी कार्य होंगे। उनका कहना हैं कि इससे कार्यों में तेजी आएगी।
जितना काम होगा, उतना पैसा मिलेगा..
जल जीवन मिशन के तहत वैसे तो राज्य में करीब 72 प्रतिशत घरों तक हर घर नल से जल पहुंचाया जा चुका है लेकिन रफ्तार अपेक्षाकृत कम है। केंद्र सरकार का स्पष्ट कहना है कि जितना काम होगा, उसी हिसाब से पैसा जारी होगा। जानकारी के अनुसार अगर काम और तेजी से होता तो चौथी किश्त भी मार्च में ही जारी हो सकती थी।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने जल जीवन मिशन के तहत सभी स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों में पेयजल की उपलब्धता का टारेगट शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। सोमवार को आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव ने यह निर्देश अधिकारियों को दिए।
मुख्य सचिव ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत निर्धारित मानकों का पूर्णतः पालन करते हुए पेयजल उपलब्ध कराया जाए और इसकी लगातार मॉनिटरिंग भी हो। जिलाधिकारी भी कार्यों की प्रगति बैठक समय-समय पर लेते रहें।
उन्होंने सुस्ती दिखाने पर कार्रवाई की चेतावनी देते हुए, रिपोर्ट उनके कार्यालय को शीघ्र भेजे जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि योजना को प्राथमिकता पर लेते हुए जनपद मुख्यालयों में रिक्त अवर अभियंता व सहायक अभियंता के पदों पर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि मुख्य अभियंता फील्ड में जाएं और समस्याओं का निराकरण करें। साथ ही चीफ इंजीनियर भी लगातार भ्रमण करें।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में कमी न हो इसके लिए जल जीवन मिशन में तेजी लाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि पानी मौलिक आवश्यकता है। प्रत्येक घर तक इसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
इस अवसर पर जल संस्थान एवं जल निगम के अधिकारी तथा वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी जिलाधिकारी जुड़े थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शनिवार को चम्पावत जिले के लोहाघाट पहुंचे। मुख्यमंत्री ने वहां ग्रोथ सेंटर का निरीक्षण किया। ग्रोथ सेंटर के भवन के सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ लौह बर्तन एवं कृषि यंत्र उत्पादन मशीनों का लोकार्पण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने चंपावत के लिए लगभग 11 करोड़ 93 लाख की सात विभिन्न विकास योजनाओं के लोकार्पण के अलावा ही लगभग 18 करोड़ 65 लाख लागत की 12 योजनाओं का शिलान्यास भी किया।
चंपावत भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ विभिन्न विकास योजनाओं एवं कार्यक्रमों की समीक्षा की और योजनाओं की अद्यतन प्रगति की जानकारी प्राप्त करते हुए विकास कार्यों में और तेजी लाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने चिकित्सा विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में कोविड-19 से निपटने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। इसमें किसी भी प्रकार का शिथिलता न बरती जाए। उन्होंने पशुपालन विभाग को पोल्ट्री के क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से कार्य करने को कहा। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य परिणात्मक होना चाहिए। मनरेगा की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिक से अधिक व्यक्तियों का पंजीकरण कराने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने जल जीवन मिशन की समीक्षा करते हुए कहा कि इस योजना के तहत एक रूपये में पानी के कनेक्शन दिये जा रहे हैं। इसलिए विभाग प्रत्येक दिन का लक्ष्य निर्धारित कर धरातलीय कार्य करें। इसके लिए उन्होंने ग्राम व न्यायपंचायत स्तर पर कार्य योजना तैयार करने निर्देश दिए। जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार भी प्राप्त होगा। जिला योजना की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि धनराशि का व्यय रोजगारपरक योजनाओं पर अनिवार्य रूप से किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा प्रत्येक व्यक्ति को रोजगारपरक योजनाओं से लाभान्वित करना है।
इस अवसर पर जनपद के प्रभारी मंत्री अरविंद पांडेय, विधायक पुरन सिंह फर्त्याल, कैलाश चन्द गहतोड़ी, जिला पंचायत अध्यक्षा ज्योति राय, दायित्वधारी हयात सिंह मेहरा, मंडलायुक्त अरविंद सिंह ह्यांकी, जिलाधिकारी सुरेंद्र नारायण पांडेय आदि उपस्थित थे।