नई टिहरी। टिहरी बांध से प्रभावित रौलाकोट गांव के निवासियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। अब टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीएचडीसी) प्रतीतनगर, देहराखास और केदारपुरम में आवंटित आवासीय और कृषि भूखंडों का विकास करेगा। इससे 113 प्रभावित परिवारों को बुनियादी सुविधाओं से युक्त प्लॉट मिलेंगे, जिससे वे अपने घरों का निर्माण और कृषि कार्य आसानी से शुरू कर सकेंगे।
पहले यह कार्य पुनर्वास विभाग के जिम्मे था, लेकिन अविकसित भूखंडों के कारण प्रभावित परिवारों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। अब टीएचडीसी सड़क, पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता देते हुए विकास कार्य शुरू करेगा।
टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने कहा कि जल्द ही प्रतीतनगर में भूखंडों का विकास कार्य शुरू होगा। पुनर्वास विभाग को पहले ही पांच करोड़ रुपये दिए गए थे, और अब यह कार्य पूरी तरह से टीएचडीसी के अधीन रहेगा, ताकि पुनर्वास कार्य तेजी से और प्रभावी ढंग से पूरा हो सके।
प्रभावित परिवारों को जल्द मिलेगी राहत, टीएचडीसी अनुभवी अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती कर रहा है, जो सुनिश्चित करेंगे कि पुनर्वास प्रक्रिया तेजी से पूरी हो और प्रभावितों को सुरक्षित और विकसित भूखंड उपलब्ध हो सकें।
उत्तराखंड में अब टीएचडीसी बनाएगा आठ नई पनबिजली परियोजनाएं..
उत्तराखंड: प्रदेश में जल्द आठ नई पनबिजली परियोजनाएं शुरू होने जा रही हैं। इनसे करीब तीन हजार मेगावाट बिजली उत्पादन होगा। इनमें से चार परियोजनाएं कुमाऊं व चार गढ़वाल मंडल में बनाई जाएंगी। इन परियोजनाओं के लिए ऊर्जा मंत्रालय से सैद्धांतिक सहमित मिल चुकी है। अक्तूबर माह से नई परियोजनाओं पर काम शुरू होने की उम्मीद है।
टीएचडीसी के अध्यक्ष एवं एमडी राजीव कुमार विश्नोई का कहना हैं कि उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट के जरिये कुल करीब दस हजार मेगावाट बिजली उत्पादन संभव है। आठ परियोजनाएं ऐसी चिह्नित की गई हैं, जिनसे तीन हजार मेगावाट बिजली बन सकती है।
इनमें कुमाऊं की धौली व काली गंगा क्षेत्र में चार और गढ़वाल में यमुना वैली में चार परियोजनाएं बनेंगी। परियोजनाओं का काम नई कंपनी करेगी। इस कंपनी का गठन एक माह में होने की उम्मीद है। इसमें टीएचडीसी की हिस्सेदारी 74% और राज्य सरकार का हिस्सा 26% होगा। टीएचडीसी हाइड्रो प्रोजेक्ट की तकनीक भी सरकार को देगा। नई परियोजनाओं पर उत्तराखंड सरकार भी गंभीर है।
परियोजनाओं पर करीब बीस हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। विश्नोई का कहना हैं कि इस समय देश में थर्मल पावर से करीब 60%, वैकल्पिक ऊर्जा से 30% व हाइड्रो से लगभग 10% बिजली बन रही है। इसके चलते हाइड्रो को लेकर राज्य में बड़ी संभावना है। जल विद्युत परियोजनाओं का काम उत्तराखंड में अब टीएचडीसी ही करेगा।