तुंगनाथ पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पहली बार एक लाख पार..
अष्टमी पर उमड़ा भक्तों का सैलाब..
उत्तराखंड: पंचकेदार में तृतीय तुंगनाथ की यात्रा ने नया कीर्तिमान बनाया है। पहली बार दर्शनार्थियों की संख्या एक लाख के पार पहुंच गई है। बाबा के भक्तों के उमड़ने से यात्राकाल में मस्तूरा से तुंंगनाथ तक कारोबार को भी नई गति मिली है। 26 अप्रैल से शुरू हुई तृतीय केदार की यात्रा को नया आयाम मिल रहा है। इस वर्ष प्रतिदिन औसतन 500 श्रद्धालु प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। रविवार को शारदीय नवरात्र की अष्टमी को सुबह से मंदिर में भक्तों की भीड़ जुटी रही। दोपहर 12 बजे तक तीन हजार श्रद्धालुओं के दर्शन करते ही तृतीय केदार तुंगनाथ में इस वर्ष दर्शनार्थियों की संख्या 1,00,500 पहुंच गई।
उत्तराखंड राज्य निर्माण के 23 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब यात्राकाल में तृतीय केदार में इतने श्रद्धालु पहुंचे हैं। यहां चोपता से तुंगनाथ तक पूरे पैदल मार्ग पर रौनक बनी हुई है। मंदिर के प्रबंधक बलवीर सिंह नेगी का कहना हैं कि कपाट खुलने के बाद से प्रतिदिन मंदिर में भक्तों की खूब भीड़ उमड़ रही है। यात्रा के बढ़ने से स्थानीय स्तर पर कारोबार को भी गति मिली और साथ ही कई लोगों को रोजगार मिल रहा है। मंदिर के मठाधिपति राम प्रसाद मैठाणी ने बताया, वह पिछले 50 वर्ष से भी अधिक समय से यात्रा को देखते आ रहे हैं, लेकिन तुंंगनाथ में इतने भक्त पहली बार पहुंचे हैं। इससे पूर्व तुंगनाथ में वर्ष 2019 में पूरे यात्राकाल में 25 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए थे।
10,095 श्रद्धालु कर चुके द्वितीय केदार में दर्शन..
बता दे कि पंचकेदार में द्वितीय मद्महेश्वर में इस वर्ष अभी तक 10,095 श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। 22 मई से शुरू हुई द्वितीय केदार की यात्रा में भी पहली बार इतनी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं, जबकि अभी एक माह से अधिक की यात्रा शेष है। पंच गौंडारी व ग्राम प्रधान वीर सिंह पंवार का कहना है कि जब से उन्होंने होश संभाला, यह पहला मौका है, जब द्वितीय केदार की यात्रा में दर्शनार्थियों की संख्या 10 हजार के पार पहुंची है। बताया, कपाट बंद होने तक दर्शनार्थियों का आंकड़ा 15 हजार के पार होने की उम्मीद है।
अतिक्रमणकारियों ने की मंदिर क्षेत्र में सेंधमारी, हक-हकूकधारियों और पुजारियों में आक्रोश..
उत्तराखंड: नगर, कस्बों और गांवों को छोड़कर अब अतिक्रमणकारी मठ-मंदिर क्षेत्रों में भी सेंधमारी करने लगे हैं। तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर क्षेत्र में बड़े स्तर पर अतिक्रमण को लेकर भूमि कटान किया गया है। यहां पत्थर के ढेर लगाए गए हैं और अस्थायी टिनशेड भी बनाया गया है। हक-हकूकधारियों व पुजारियों ने प्रशासन से मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
बता दे कि तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बीते सात नवंबर को बंद हो गए हैं। इन दिनों यहां सन्नाटा पसरा हुआ है जिसका अतिक्रमणकारी फायदा उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में मंदिर से कुछ पहले पैदल मार्ग किनारे बड़े स्तर पर भूमि का कटान किया गया है। यहां दो-तीन स्थानों पर कटान से निकल रहे पत्थरों के ढेर लगाए गए हैं। साथ ही अस्थायी टिनशेड भी बनाए गए हैं।
वीडियो में हक-हकूकधारी व मंदिर के पुजारी रवींद्र मैठाणी का कहना है कि कपाट बंद होने के बाद मंदिर से जुड़े सभी हक-हकूकधारी, पुजारीगण, व्यापारी अपने-अपने घरों को चले गए थे। बीते 27 नवंबर को वे तुंगनाथ में अपने भवनों की देखरेख के लिए गए थे तो देखा कि वहां बड़े स्तर पर अतिक्रमण हो रहा है। भूूमि का कटान इस तरह से किया गया है कि वहां बने भवनों को खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने जिलाधिकारी से मामले की त्वरित जांच कर अतिक्रमणकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
एक वर्ष पूर्व पटवारी कर चुका निरीक्षण
पुजारी रवींद्र मैैठाणी का कहना है कि तुंगनाथ में मैठाणी ब्राह्मण परिवारों की नजूल भूमि है। बीते 10 जून को पंच पुरोहितों ने तुंगनाथ में अतिक्रमण की सूचना एसडीएम ऊखीमठ को दी थी। तब 15 जून को राजस्व उप निरीक्षक ने निरीक्षण किया था और 23 जून को आश्वस्त किया था कि अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की जाएगी लेकिन अतिक्रमण जारी है।