उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य में बिना पंजीकरण के चल रहे मदरसों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। देहरादून के विकासनगर और सहसपुर में प्रशासन ने बुधवार को 12 और मदरसों को सील कर दिया। इससे पहले 19 मदरसों पर कार्रवाई की जा चुकी थी, जिससे अब तक कुल 31 अपंजीकृत मदरसों को बंद किया जा चुका है। प्रशासन ने साफ किया है कि बिना पंजीकरण के संचालित किसी भी शैक्षणिक संस्थान को अनुमति नहीं दी जाएगी।
मुख्य बिंदु:
. अब तक 31 अपंजीकृत मदरसों पर कार्रवाई
. शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता
. स्थानीय विरोध के बावजूद कार्रवाई जारी
. मुख्यमंत्री ने कहा – बच्चों के भविष्य के साथ समझौता नहीं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह कदम राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए जरूरी है। प्रशासन ने बताया कि सभी शैक्षणिक संस्थानों का सत्यापन किया जा रहा है और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर इसी तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को देहरादून से नैनीताल, बागेश्वर, मसूरी और हल्द्वानी से बागेश्वर के लिए चार नई हेली सेवाओं का शुभारंभ किया। इन सेवाओं से राज्य में हवाई संपर्क बेहतर होगा और पर्यटन व आर्थिक विकास को गति मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उड़ान योजना के तहत शुरू हुई इन सेवाओं से स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा मिलेगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वर्तमान में सड़क मार्ग से देहरादून से इन स्थानों तक पहुंचने में 8-10 घंटे लगते हैं, लेकिन हेली सेवा से यह यात्रा केवल 1 घंटे में पूरी की जा सकेगी।
मुख्य हेली सेवा रूट और किराया:
1. देहरादून – नैनीताल
. किराया: ₹4500 प्रति यात्री
. उड़ान समय: सुबह 8:15 बजे और दोपहर 2:25 बजे
2. देहरादून – बागेश्वर
. किराया: ₹4000 प्रति यात्री
. उड़ान समय: सुबह 10:20 बजे और दोपहर 12:30 बजे
3. हल्द्वानी – बागेश्वर
. किराया: ₹3500 प्रति यात्री
. उड़ान समय: सुबह 8:30 बजे और दोपहर 2:45 बजे
4. देहरादून – मसूरी
. किराया: ₹2578 प्रति यात्री
. उड़ान समय: दिन में एक बार
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हवाई संपर्क को मजबूत करने के लिए 18 हेलीपोर्ट्स पर काम किया जा रहा है, जिनमें से 12 हेलीपोर्ट्स पर सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। हेली सेवाओं से पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही आपातकालीन स्थितियों में भी लोगों को मदद मिलेगी।
उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए प्रमुख स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में नए वेडिंग डेस्टिनेशन की पहचान करने और उनके विकास के लिए पर्यटन विभाग को जल्द से जल्द गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही त्रियुगीनारायण जैसे लोकप्रिय वेडिंग डेस्टिनेशन को बेहतर सड़क संपर्क और हेलीपैड की सुविधा से जोड़ने के आदेश भी दिए गए हैं।
डेस्टिनेशन वेडिंग को मिलेगी नई दिशा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में डेस्टिनेशन वेडिंग को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों से उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए प्राथमिकता देने का आग्रह किया है। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण इसे वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए उपयुक्त बनाते हैं। मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को इस दिशा में तेजी से कार्य करने और अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं।
त्रियुगीनारायण बनेगा वेडिंग हब
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से त्रियुगीनारायण को वेडिंग हब के रूप में विकसित करने की बात कही। यहां बेहतर सड़क संपर्क और हेलीपैड निर्माण की योजना बनाई जा रही है ताकि देश-विदेश से आने वाले मेहमानों को आसानी से यहां पहुंचने की सुविधा मिले। त्रियुगीनारायण को पहले से ही एक प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में जाना जाता है। अब इसे एक प्रमुख डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल के रूप में स्थापित करने की तैयारी है।
नई वेडिंग डेस्टिनेशन की होगी पहचान
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को राज्य के विभिन्न हिस्सों में नए वेडिंग डेस्टिनेशन की पहचान करने और उनके विकास की योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इन स्थानों को सभी आवश्यक सुविधाओं से लैस किया जाएगा ताकि यहां शादी समारोहों के आयोजन के लिए उपयुक्त माहौल तैयार हो सके।
डेस्टिनेशन वेडिंग से मजबूत होगी अर्थव्यवस्था
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ावा देने से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इससे पर्यटन, होटल व्यवसाय, कैटरिंग और परिवहन जैसे क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और आधुनिक सुविधाओं का संयोजन इसे देश-विदेश के जोड़ों के लिए एक आदर्श वेडिंग डेस्टिनेशन बनाएगा।
धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद का गठन जल्द
चारधाम यात्रा और अन्य धार्मिक आयोजनों के बेहतर प्रबंधन के लिए उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद के गठन की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक औपचारिकताएं जल्द पूरी करने के निर्देश दिए हैं। यह परिषद पर्यटन विभाग के अंतर्गत काम करेगी और इसके प्रारूप को अंतिम रूप देने के बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
बैठक में शामिल हुए वरिष्ठ अधिकारी
इस बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, अपर मुख्य सचिव आनंदबद्र्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, सचिन कुर्वे, अपर पुलिस महानिदेशक वी. मुरुगेशन, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय और गढ़वाल आईजी राजीव स्वरूप सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में विकसित करने की यह पहल न केवल राज्य के पर्यटन को नई दिशा देगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगी।
देहरादून एयरपोर्ट पर उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए एयर स्पेस का विस्तार किया जाएगा। वर्तमान में एयरपोर्ट के पास पांच नॉटिकल मील (करीब 9.26 किमी) लंबा और 7500 फीट ऊंचा एयर स्पेस है, जिसमें प्रति घंटे केवल सात विमानों की लैंडिंग संभव है। एयर स्पेस बढ़ने पर प्रति घंटे 12 विमानों की लैंडिंग की सुविधा मिल सकेगी। इस मुद्दे को हाल ही में सलाहकार समिति की बैठक में उठाया गया, जहां एयरपोर्ट निदेशक ने इस पर विस्तार से चर्चा की। अब समिति इस प्रस्ताव को भारत सरकार के समक्ष पेश करेगी।
एयर स्पेस बढ़ने से मिलेगी सुविधा
देहरादून एयरपोर्ट का एयर स्पेस वायु सेना द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यदि वायु सेना से अधिक एयर स्पेस की अनुमति मिलती है, तो एयरपोर्ट की रनवे क्षमता में वृद्धि होगी। इससे अधिक विमानों की लैंडिंग और उड़ानें संभव होंगी, जिससे हवाई यातायात प्रबंधन भी सुगम होगा। नए टर्मिनल के बनने के बाद एयरपोर्ट की कुल जगह बढ़कर 42,776 वर्ग मीटर हो गई है और इसकी वार्षिक क्षमता 50 लाख यात्रियों तक पहुंच गई है। लेकिन सीमित एयर स्पेस के कारण प्रति घंटे अधिक विमानों की लैंडिंग में दिक्कत हो रही है।
एयर स्पेस का महत्व
एयर स्पेस वह क्षेत्र होता है, जहां एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) विमानों की आवाजाही को नियंत्रित करता है। छोटे एयर स्पेस में सीमित संख्या में विमानों को नियंत्रित किया जा सकता है, जबकि बड़े एयर स्पेस में अधिक विमानों का संचालन सुचारू रूप से किया जा सकता है। सीमित एयर स्पेस होने के कारण विमानों को लैंडिंग के लिए इंतजार करना पड़ता है और कई बार उन्हें आसमान में चक्कर लगाने पड़ते हैं।
तीन प्रमुख समस्याएं
देहरादून एयरपोर्ट को फिलहाल तीन प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है:
1. एयर स्पेस की कमी – सीमित एयर स्पेस के कारण अधिक विमानों की लैंडिंग में समस्या हो रही है।
2. रनवे विस्तार के लिए भूमि की आवश्यकता – एयरपोर्ट को रनवे विस्तार और अन्य सुविधाओं के लिए 140.5 एकड़ भूमि की जरूरत है।
3.वन्य जीवों की गतिविधि – एयरपोर्ट के आसपास वन्य जीवों की आवाजाही से उड़ानों के संचालन में बाधा आ रही है।
उड़ानों की संख्या में होगा इजाफा
वर्तमान में देहरादून एयरपोर्ट पर सुबह 7:30 बजे से शाम 7:15 बजे तक प्रतिदिन 18 से 20 फ्लाइट्स का संचालन हो रहा है। एयर स्पेस बढ़ने के बाद यह संख्या बढ़कर प्रति घंटे 12 उड़ानों तक हो सकती है। इससे देहरादून एयरपोर्ट पर हवाई यातायात प्रबंधन बेहतर होगा और यात्रियों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
सरकार से मंजूरी का इंतजार
एयर स्पेस विस्तार का प्रस्ताव अब भारत सरकार के समक्ष पेश किया जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद देहरादून एयरपोर्ट पर प्रति घंटे अधिक विमानों की लैंडिंग संभव होगी, जिससे यात्रियों को कम प्रतीक्षा समय और अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च को लेकर आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार, 2022-23 से दिसंबर 2024 तक 70 विधायकों को 964 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से 61% (589.21 करोड़ रुपये) खर्च हुए।
कैबिनेट मंत्रियों में कौन आगे, कौन पीछे?
कैबिनेट मंत्रियों में सौरभ बहुगुणा (सितारगंज) ने 85% निधि खर्च कर शीर्ष स्थान हासिल किया। उनके बाद गणेश जोशी (72%), रेखा आर्य (64%), सुबोध उनियाल (57%) और सतपाल महाराज (56%) का स्थान रहा। हालांकि, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (33%) और डॉ. धन सिंह रावत (29%) निधि खर्च में सबसे पीछे रहे, जिन्हें अधिक सक्रियता दिखाने की जरूरत है।
विधायकों में प्रदीप बत्रा सबसे आगे, किशोर उपाध्याय सबसे पीछे
विधायकों में प्रदीप बत्रा (रुड़की) ने 90% निधि खर्च कर पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि किशोर उपाध्याय (टिहरी) सिर्फ 15% निधि खर्च कर सबसे पीछे रहे।
61% से कम खर्च करने वाले प्रमुख विधायक
बंशीधर भगत (कालाढूंगी) – 43%
भरत सिंह चौधरी (रुद्रप्रयाग) – 43%
किशोर उपाध्याय (टिहरी) – 15%
सुमित ह्रदयेश (हल्द्वानी) – 46%
यशपाल आर्य (बाजपुर) – 45%
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च में बड़े अंतर देखने को मिले हैं। जहां कुछ मंत्री और विधायक 85-90% तक निधि खर्च कर चुके हैं, वहीं कई 50% से भी कम खर्च कर पाए हैं। यह आंकड़े जनप्रतिनिधियों की सक्रियता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को अब ऋषिकेश एम्स में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। यह सुविधा एक्स-सर्विसमैन कॉन्ट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) के तहत प्रदान की जाएगी।
एमओयू पर हुआ हस्ताक्षर
अब तक पूर्व सैनिकों को ऋषिकेश एम्स में कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं मिलती थी, जिससे उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इस समस्या को हल करने के लिए ईसीएचएस देहरादून और ऋषिकेश एम्स के बीच एक समझौता (MoU) हुआ है। इस पर उत्तराखंड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल प्रेम राज और एम्स ऋषिकेश के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ ने हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को भी लाभ मिलेगा। ईसीएचएस निदेशक ने इसे पूर्व सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताया है।
दून अस्पताल में एक क्लिक पर मिलेगा मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड
देहरादून मेडिकल कॉलेज में ‘ई-हॉस्पिटल’ सॉफ्टवेयर का नया वर्जन ‘नेक्स्ट जेन’ शुरू किया गया है, जिससे अस्पताल की व्यवस्थाएं पहले से अधिक सुचारु हो जाएंगी।
नई सुविधाएं
. मरीज के पर्चे पर डॉक्टर का नाम और ओपीडी-डे पहले से दर्ज होगा।
. डॉक्टर का लोकेशन भी दर्ज होगा, जिससे मरीजों को सही जानकारी मिलेगी।
. अब कोई डॉक्टर दूसरे डॉक्टर की आईडी से मरीज को भर्ती नहीं कर सकेगा।
. इससे यह भी पता चलेगा कि किस डॉक्टर ने कितने मरीज देखे और कितनों को भर्ती किया।
. ओटी मॉड्यूल शुरू हो गया है, जिससे ऑपरेशन से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा।
. जल्द ही फार्मेसी और भंडारण मॉड्यूल भी जोड़ा जाएगा, जिससे दवाओं का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जा सकेगा।
हालांकि, शुक्रवार को सॉफ्टवेयर बार-बार हैंग होने के कारण ओपीडी, इमरजेंसी और भर्ती प्रक्रियाओं में परेशानी आई। अधिकारियों के मुताबिक, समस्या जल्द ही ठीक कर ली जाएगी।
प्रदेश में विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समूह-क और समूह-ख अधिकारियों को अब हवाई यात्रा की अनुमति मिल गई है। सरकार के इस फैसले से निर्माण, निरीक्षण और अनुश्रवण कार्यों में तेजी आएगी।
हवाई यात्रा को लेकर नए दिशा-निर्देश
. वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किए।
. यह अनुमति 1 मार्च 2025 से 28 फरवरी 2026 तक के लिए दी गई है।
. इस अवधि के बाद योजना की समीक्षा होगी, और समूह-ग के कर्मचारियों को भी हवाई यात्रा की अनुमति देने पर विचार किया जाएगा।
. योजना से संबंधित सभी जानकारियां नागरिक उड्डयन विकास विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगी।
. राज्य से बाहर की सरकारी यात्राओं के लिए 23 जनवरी 2019 के शासनादेश का पालन करना होगा, यानी सरकार की अनुमति लेनी होगी।
तहसील दिवस में घटती रुचि, अधिकारियों को करना पड़ा इंतजार
जहां एक ओर सरकारी अधिकारी विकास योजनाओं में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं तहसील दिवस में आमजन की भागीदारी लगातार घट रही है।
. 31 विभागों के अधिकारी सुबह 11 बजे निर्धारित समय पर तहसील दिवस के लिए पहुंचे।
. पहले दो घंटे तक कोई फरियादी नहीं आया, अधिकारियों को इंतजार करना पड़ा।
. आखिरी घंटे में सिर्फ 9 फरियादी पहुंचे, जिनकी समस्याओं का मौके पर निस्तारण किया गया।
तहसील दिवस में घटती शिकायतों का कारण
. तहसील दिवस से पहले हर सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय में जनता दरबार लगता है, जहां अधिकतर शिकायतों का समाधान हो जाता है।
. पिछले 7 महीनों में 189 अधिकारियों की उपस्थिति रही, जबकि शिकायतें मात्र 77 दर्ज हुईं।
. सबसे ज्यादा अक्टूबर में 25 शिकायतें दर्ज हुईं, जबकि अन्य महीनों में यह संख्या कम रही।
अधिकारियों की उपस्थिति बनाम शिकायतों की संख्या (पिछले 7 महीने)
. सितंबर: 28 अधिकारी, 5 शिकायतें
. अक्टूबर: 31 अधिकारी, 25 शिकायतें
. नवंबर: 25 अधिकारी, 6 शिकायतें
. दिसंबर: 13 अधिकारी, 11 शिकायतें
. जनवरी: 33 अधिकारी, 6 शिकायतें
. फरवरी: 28 अधिकारी, 11 शिकायतें
. मार्च: 31 अधिकारी, 9 शिकायतें
सरकारी अधिकारियों के लिए हवाई यात्रा की अनुमति प्रशासनिक कामों में गति लाएगी, जबकि तहसील दिवस में शिकायतों की संख्या में गिरावट यह दर्शाती है कि जनता अन्य माध्यमों से अपनी समस्याएं सुलझा रही है।
चमोली जिले के माणा क्षेत्र में हुए भीषण हिमस्खलन हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। जोशीमठ के एसडीएम को इस जांच का जिम्मा सौंपा गया है। यह हादसा 28 फरवरी को हुआ था, जिसमें बीआरओ (BRO) के 54 श्रमिक हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन: 46 श्रमिक सुरक्षित, 8 की मौत
. रेस्क्यू ऑपरेशन में ITBP, सेना और NDRF की टीमों ने तीन दिनों तक लगातार अभियान चलाया।
. पहले दिन 33 श्रमिकों को सुरक्षित निकाला गया।
. दूसरे दिन एनडीआरएफ भी अभियान में शामिल हुई, जिससे कुल 46 श्रमिकों को बचा लिया गया।
. हादसे में 8 श्रमिकों की मौत हो गई।
घटना का क्रम
. शुक्रवार, 28 फरवरी – भारी हिमस्खलन हुआ, जिसमें 54 श्रमिक फंस गए।
. पहले दिन – ITBP और सेना ने 33 श्रमिकों को सुरक्षित निकाला।
. दूसरे दिन – एनडीआरएफ के सहयोग से 46 श्रमिकों को बचाया गया, 4 शव बरामद।
. तीसरे दिन – लापता 4 श्रमिकों के शव मिले, जिससे मृतकों की संख्या 8 हो गई।
रेस्क्यू अभियान समाप्त
. आखिरी शव मिलने के बाद दोपहर करीब चार बजे रेस्क्यू अभियान समाप्त कर दिया गया।
. जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी किए।
. हादसे की जांच जोशीमठ एसडीएम को सौंपी गई है।
यह हिमस्खलन हादसा चिंताजनक है और इसकी विस्तृत जांच के बाद सुरक्षा उपायों पर भी निर्णय लिया जाएगा।
उत्तराखंड की चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी, जो सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, अपने विस्तार और उन्नयन की राह देख रही है। यह हवाई पट्टी भारत-चीन सीमा, चारधाम यात्रा और आपदा प्रबंधन के लिहाज से बेहद उपयोगी हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया दौरे से स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इसके विकास और कायाकल्प का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
इतिहास और विकास की मांग
. 1992-93: उत्तर प्रदेश सरकार ने चिन्याली, नागणी, धनपुर और श्यामपुर के किसानों से 776 नाली भूमि अधिग्रहित की।
. 2013: उत्तराखंड सरकार ने 46 करोड़ रुपये के बजट से रनवे विस्तार (1165 मीटर लंबाई और 30 मीटर चौड़ाई) सहित एटीसी टॉवर, टर्मिनल भवन और विद्युत स्टेशन का निर्माण किया।
. अधूरे कार्य: टैक्सी स्टैंड, रनवे समतलीकरण और अन्य सुविधाएं अब भी लंबित हैं।
सामरिक और चारधाम यात्रा के लिए महत्वपूर्ण
. वायुसेना का अभ्यास केंद्र – लड़ाकू और मालवाहक विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास किया जाता है।
. सेना और हेलिकॉप्टर संचालन – सेना के महत्वपूर्ण हेलिकॉप्टर यहां उतरते हैं।
. चारधाम यात्रा के लिए हवाई सेवा की मांग – स्थानीय लोग हवाई पट्टी को चारधाम यात्रा के लिए इंटर-स्टेट हवाई सेवा केंद्र के रूप में विकसित करने की उम्मीद कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों की मांग और उम्मीदें
चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के अधूरे कार्यों को पूरा करने और इसे चारधाम यात्रा व सामरिक उद्देश्यों के लिए विकसित करने की मांग लंबे समय से उठ रही है। पूर्व प्रमुख बलबीर सिंह बिष्ट, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शूरवीर रांगड़, पूर्ण सिंह बिष्ट और सतपाल बिष्ट ने सरकार से इसे शीघ्र विकसित करने की अपील की है।
पीएम मोदी के शीतकालीन प्रवास के दौरान मुखबा में उनकी यात्रा से यह उम्मीद और प्रबल हो गई है कि चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी जल्द ही एक पूर्ण विकसित हवाई अड्डे में तब्दील होगी, जिससे चारधाम यात्रा और सामरिक दृष्टिकोण को मजबूती मिलेगी।
उत्तराखंड सरकार ने सरकारी कामकाज में सुधार और सुशासन को बढ़ावा देने के लिए कर्तव्यहीन कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि जो कर्मचारी अपने दायित्वों के प्रति लापरवाह हैं, उन्हें चिह्नित कर नियमानुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए।
सुशासन के एजेंडे को मजबूत करेगी सरकार
मुख्यमंत्री धामी सरकारी कार्यप्रणाली में सरलीकरण और समाधान को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो कर्मचारी शासन की प्राथमिकताओं को लागू करने में बाधा बन रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और व्यक्तिगत भूमि विवादों को लेकर भी कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
ड्रग्स फ्री उत्तराखंड अभियान होगा तेज
मुख्यमंत्री ने राज्य में ड्रग्स के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए विशेष छापेमारी अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराधियों की सूची तैयार कर सख्त कार्रवाई करने को कहा। साथ ही, सीमावर्ती क्षेत्रों में नियमित जांच बढ़ाने और पुलिस को रात्रिकालीन गश्त तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।
त्योहारी सीजन में मिलावटखोरी और बिजली चोरी पर नजर
धामी सरकार ने त्योहारी सीजन को देखते हुए खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी रोकने और बिजली चोरी पर लगाम लगाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सभी संबंधित विभाग इस दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करें।
युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने पर जोर
मुख्यमंत्री ने बैठक में राज्य के युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने निर्देश दिया कि इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर, बार्बर और प्लंबर जैसे क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित कर उनका कौशल विकास किया जाए। इससे राज्य के युवा स्वरोजगार के नए अवसरों से जुड़ सकेंगे।
बैठक में उच्च अधिकारी रहे मौजूद
इस महत्वपूर्ण बैठक में गृह सचिव शैलेश बगोली, डीजीपी दीपम सेठ, गढ़वाल मंडलायुक्त विनय शंकर पांडेय, अपर पुलिस महानिदेशक एपी अंशुमान और एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सरकार के इस कदम से सरकारी कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।