धामी सरकार के 3 साल पूरे होने पर 23 मार्च को मनाया जाएगा सेवा दिवस..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वर्तमान सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के अवसर पर 22 से 25 मार्च तक प्रदेश में विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन के निर्देश दिए हैं। दिल्ली से वर्चुअल बैठक के दौरान उन्होंने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि इन आयोजनों में जनता की अधिकतम भागीदारी हो। 23 मार्च को “सेवा दिवस” के रूप में मनाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही विकासखंड स्तर पर बहुद्देशीय शिविरों का आयोजन होगा, जिससे जनता को सीधी सरकारी सेवाएँ मिल सकें। स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाएगा, जिससे लोगों को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिल सके। जन सरोकार से जुड़े कार्यों में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।
सीएम धामी का कहना हैं कि हालांकि वे अभी दिल्ली प्रवास पर हैं लेकिन उनका मन हर पल राज्य के विकास के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि सरकार के तीन साल के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों में समाज के हर वर्ग और क्षेत्र के लोगों को जोड़ा जाए। विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने वालों की सफलताओं की कहानियां आम लोगों तक पहुंचाई जाए। तीन साल के कालखंड में राज्य की जनभावनाओं के अनुरूप विकास के कई प्रतिमान स्थापित किए गए हैं। कई ऐसे निर्णय लिए गए, जो राज्य हित के लिए नितांत जरूरी हैं। समान नागरिक संहिता, सख्त नकल विरोधी जैसे ऐतिहासिक कानून लागू किये गए, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर राज्य को अलग पहचान मिली। राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए पहली बार राज्य का बजट एक लाख करोड़ के पार पहुंचा है।
सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के प्राकृतिक जल स्रोतों के संवर्द्धन के साथ ही नहरों, कुओं, खड्डों और नदियों के पुनरुद्धार के लिए जमीनी स्तर पर प्रयास किए जाएं। सीएम ने आगामी ग्रीष्म ऋतु के मद्देनजर पूरे राज्य में पेयजल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। बैठक में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्धन, प्रमुख सचिव न्याय प्रदीप पंत, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, एल फैनई, आर मीनाक्षी सुंदरम, डीजीपी दीपम सेठ समेत कई अन्य अधिकारी मौजूद थे
उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य में बिना पंजीकरण के चल रहे मदरसों पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। देहरादून के विकासनगर और सहसपुर में प्रशासन ने बुधवार को 12 और मदरसों को सील कर दिया। इससे पहले 19 मदरसों पर कार्रवाई की जा चुकी थी, जिससे अब तक कुल 31 अपंजीकृत मदरसों को बंद किया जा चुका है। प्रशासन ने साफ किया है कि बिना पंजीकरण के संचालित किसी भी शैक्षणिक संस्थान को अनुमति नहीं दी जाएगी।
मुख्य बिंदु:
. अब तक 31 अपंजीकृत मदरसों पर कार्रवाई
. शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता
. स्थानीय विरोध के बावजूद कार्रवाई जारी
. मुख्यमंत्री ने कहा – बच्चों के भविष्य के साथ समझौता नहीं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह कदम राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए जरूरी है। प्रशासन ने बताया कि सभी शैक्षणिक संस्थानों का सत्यापन किया जा रहा है और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर इसी तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को देहरादून से नैनीताल, बागेश्वर, मसूरी और हल्द्वानी से बागेश्वर के लिए चार नई हेली सेवाओं का शुभारंभ किया। इन सेवाओं से राज्य में हवाई संपर्क बेहतर होगा और पर्यटन व आर्थिक विकास को गति मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि उड़ान योजना के तहत शुरू हुई इन सेवाओं से स्थानीय लोगों को आवागमन में सुविधा मिलेगी और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। वर्तमान में सड़क मार्ग से देहरादून से इन स्थानों तक पहुंचने में 8-10 घंटे लगते हैं, लेकिन हेली सेवा से यह यात्रा केवल 1 घंटे में पूरी की जा सकेगी।
मुख्य हेली सेवा रूट और किराया:
1. देहरादून – नैनीताल
. किराया: ₹4500 प्रति यात्री
. उड़ान समय: सुबह 8:15 बजे और दोपहर 2:25 बजे
2. देहरादून – बागेश्वर
. किराया: ₹4000 प्रति यात्री
. उड़ान समय: सुबह 10:20 बजे और दोपहर 12:30 बजे
3. हल्द्वानी – बागेश्वर
. किराया: ₹3500 प्रति यात्री
. उड़ान समय: सुबह 8:30 बजे और दोपहर 2:45 बजे
4. देहरादून – मसूरी
. किराया: ₹2578 प्रति यात्री
. उड़ान समय: दिन में एक बार
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में हवाई संपर्क को मजबूत करने के लिए 18 हेलीपोर्ट्स पर काम किया जा रहा है, जिनमें से 12 हेलीपोर्ट्स पर सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। हेली सेवाओं से पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही आपातकालीन स्थितियों में भी लोगों को मदद मिलेगी।
उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए प्रमुख स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सरकार ने ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में नए वेडिंग डेस्टिनेशन की पहचान करने और उनके विकास के लिए पर्यटन विभाग को जल्द से जल्द गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही त्रियुगीनारायण जैसे लोकप्रिय वेडिंग डेस्टिनेशन को बेहतर सड़क संपर्क और हेलीपैड की सुविधा से जोड़ने के आदेश भी दिए गए हैं।
डेस्टिनेशन वेडिंग को मिलेगी नई दिशा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को सचिवालय में डेस्टिनेशन वेडिंग को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों से उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए प्राथमिकता देने का आग्रह किया है। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण इसे वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए उपयुक्त बनाते हैं। मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को इस दिशा में तेजी से कार्य करने और अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं।
त्रियुगीनारायण बनेगा वेडिंग हब
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से त्रियुगीनारायण को वेडिंग हब के रूप में विकसित करने की बात कही। यहां बेहतर सड़क संपर्क और हेलीपैड निर्माण की योजना बनाई जा रही है ताकि देश-विदेश से आने वाले मेहमानों को आसानी से यहां पहुंचने की सुविधा मिले। त्रियुगीनारायण को पहले से ही एक प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में जाना जाता है। अब इसे एक प्रमुख डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल के रूप में स्थापित करने की तैयारी है।
नई वेडिंग डेस्टिनेशन की होगी पहचान
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग को राज्य के विभिन्न हिस्सों में नए वेडिंग डेस्टिनेशन की पहचान करने और उनके विकास की योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इन स्थानों को सभी आवश्यक सुविधाओं से लैस किया जाएगा ताकि यहां शादी समारोहों के आयोजन के लिए उपयुक्त माहौल तैयार हो सके।
डेस्टिनेशन वेडिंग से मजबूत होगी अर्थव्यवस्था
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ावा देने से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इससे पर्यटन, होटल व्यवसाय, कैटरिंग और परिवहन जैसे क्षेत्रों को सीधा लाभ होगा। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और आधुनिक सुविधाओं का संयोजन इसे देश-विदेश के जोड़ों के लिए एक आदर्श वेडिंग डेस्टिनेशन बनाएगा।
धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद का गठन जल्द
चारधाम यात्रा और अन्य धार्मिक आयोजनों के बेहतर प्रबंधन के लिए उत्तराखंड धर्मस्व एवं तीर्थाटन परिषद के गठन की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस संबंध में आवश्यक औपचारिकताएं जल्द पूरी करने के निर्देश दिए हैं। यह परिषद पर्यटन विभाग के अंतर्गत काम करेगी और इसके प्रारूप को अंतिम रूप देने के बाद इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
बैठक में शामिल हुए वरिष्ठ अधिकारी
इस बैठक में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद विश्वास डाबर, अपर मुख्य सचिव आनंदबद्र्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, सचिन कुर्वे, अपर पुलिस महानिदेशक वी. मुरुगेशन, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय और गढ़वाल आईजी राजीव स्वरूप सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में विकसित करने की यह पहल न केवल राज्य के पर्यटन को नई दिशा देगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ाएगी।
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च को लेकर आरटीआई के तहत मिली जानकारी के अनुसार, 2022-23 से दिसंबर 2024 तक 70 विधायकों को 964 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसमें से 61% (589.21 करोड़ रुपये) खर्च हुए।
कैबिनेट मंत्रियों में कौन आगे, कौन पीछे?
कैबिनेट मंत्रियों में सौरभ बहुगुणा (सितारगंज) ने 85% निधि खर्च कर शीर्ष स्थान हासिल किया। उनके बाद गणेश जोशी (72%), रेखा आर्य (64%), सुबोध उनियाल (57%) और सतपाल महाराज (56%) का स्थान रहा। हालांकि, कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल (33%) और डॉ. धन सिंह रावत (29%) निधि खर्च में सबसे पीछे रहे, जिन्हें अधिक सक्रियता दिखाने की जरूरत है।
विधायकों में प्रदीप बत्रा सबसे आगे, किशोर उपाध्याय सबसे पीछे
विधायकों में प्रदीप बत्रा (रुड़की) ने 90% निधि खर्च कर पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि किशोर उपाध्याय (टिहरी) सिर्फ 15% निधि खर्च कर सबसे पीछे रहे।
61% से कम खर्च करने वाले प्रमुख विधायक
बंशीधर भगत (कालाढूंगी) – 43%
भरत सिंह चौधरी (रुद्रप्रयाग) – 43%
किशोर उपाध्याय (टिहरी) – 15%
सुमित ह्रदयेश (हल्द्वानी) – 46%
यशपाल आर्य (बाजपुर) – 45%
उत्तराखंड में विधायक निधि खर्च में बड़े अंतर देखने को मिले हैं। जहां कुछ मंत्री और विधायक 85-90% तक निधि खर्च कर चुके हैं, वहीं कई 50% से भी कम खर्च कर पाए हैं। यह आंकड़े जनप्रतिनिधियों की सक्रियता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी का कार्यकाल 31 मार्च को समाप्त हो रहा है, जिसके बाद नए मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। दो बार छह-छह महीने का सेवा विस्तार मिलने के बाद अब उनके कार्यकाल के आगे बढ़ने की संभावना कम मानी जा रही है।
मुख्य सचिव पद की रेस में कौन-कौन?
मुख्य सचिव बनने के लिए 30 वर्ष की सेवा अवधि अनिवार्य होती है। इस मानदंड को पूरा करने वाले 1992 बैच के आईएएस अधिकारी आनंदबर्धन सबसे वरिष्ठ उम्मीदवार हैं। हाल ही में केंद्र में सचिव पद के लिए इम्पैनलमेंट होने के बावजूद उन्होंने राज्य में ही सेवाएं देने की इच्छा जताई है। अन्य संभावित नामों में 1997 बैच के प्रमुख सचिव एल. फैनई और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री आर.के. सुधांशु शामिल हैं। हालांकि, ये दोनों अधिकारी अभी अपर मुख्य सचिव पद के लिए पात्र हो रहे हैं, इसलिए सरकार के पास विकल्प सीमित हैं।
राधा रतूड़ी के भविष्य की योजना
मुख्य सचिव पद से हटने के बाद राधा रतूड़ी ने मुख्य सूचना आयुक्त के लिए आवेदन किया है, जिससे यह साफ है कि वह सेवा विस्तार की इच्छुक नहीं हैं।
जल्द होगा नाम का खुलासा
सरकार अगले कुछ दिनों में नए मुख्य सचिव के नाम की घोषणा कर सकती है। उत्तराखंड प्रशासन के इस महत्वपूर्ण पद पर कौन नियुक्त होगा, इसका फैसला मार्च के अंत तक हो सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कार्यशैली और प्रदेश के विकास में उनकी भूमिका की सराहना की। हर्षिल में भाषण समाप्त होने के बाद, जैसे ही मुख्यमंत्री पीएम मोदी के पास पहुंचे, प्रधानमंत्री ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और उनकी पीठ थपथपाकर प्रशंसा की।
सीएम धामी को छोटे भाई और ऊर्जावान नेता बताया
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सीएम धामी को “छोटे भाई” और “ऊर्जावान मुख्यमंत्री” कहकर संबोधित किया। उन्होंने उत्तराखंड सरकार की ओर से लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों—जैसे समान नागरिक संहिता (UCC) और राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की सराहना की।
शीतकालीन यात्रा को बताया अभिनव पहल
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड सरकार द्वारा शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के प्रयासों की जमकर तारीफ की। उन्होंने इसे राज्य के आर्थिक विकास से जोड़ते हुए अभिनव पहल बताया और इसके लिए सीएम धामी और उनकी सरकार को धन्यवाद दिया।
उत्तराखंड के विकास की प्रशंसा
पीएम मोदी ने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का है, और राज्य सरकार बेहतरीन कार्य कर रही है। उन्होंने अपनी केदारनाथ यात्रा को याद करते हुए उत्तराखंड के तेजी से हो रहे विकास पर संतोष जताया।
जनसभा में दिखा जबरदस्त उत्साह
हर्षिल की जनसभा के दौरान “मोदी-मोदी” के नारों से माहौल गूंज उठा। प्रधानमंत्री ने कई बार मुस्कुराकर और हाथ जोड़कर जनता का अभिवादन किया। पारंपरिक परिधान और टोपी पहने पीएम मोदी ने अपने भाषण में स्थानीय आंचलिक शब्दों का भी उपयोग किया, जिससे जनता से उनका गहरा जुड़ाव झलका। प्रधानमंत्री की इस सराहना से साफ है कि मुख्यमंत्री धामी की नीतियों और उत्तराखंड सरकार की विकास योजनाओं को शीर्ष स्तर पर मजबूत समर्थन मिल रहा है।
प्रदेश में विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समूह-क और समूह-ख अधिकारियों को अब हवाई यात्रा की अनुमति मिल गई है। सरकार के इस फैसले से निर्माण, निरीक्षण और अनुश्रवण कार्यों में तेजी आएगी।
हवाई यात्रा को लेकर नए दिशा-निर्देश
. वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी किए।
. यह अनुमति 1 मार्च 2025 से 28 फरवरी 2026 तक के लिए दी गई है।
. इस अवधि के बाद योजना की समीक्षा होगी, और समूह-ग के कर्मचारियों को भी हवाई यात्रा की अनुमति देने पर विचार किया जाएगा।
. योजना से संबंधित सभी जानकारियां नागरिक उड्डयन विकास विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगी।
. राज्य से बाहर की सरकारी यात्राओं के लिए 23 जनवरी 2019 के शासनादेश का पालन करना होगा, यानी सरकार की अनुमति लेनी होगी।
तहसील दिवस में घटती रुचि, अधिकारियों को करना पड़ा इंतजार
जहां एक ओर सरकारी अधिकारी विकास योजनाओं में तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं तहसील दिवस में आमजन की भागीदारी लगातार घट रही है।
. 31 विभागों के अधिकारी सुबह 11 बजे निर्धारित समय पर तहसील दिवस के लिए पहुंचे।
. पहले दो घंटे तक कोई फरियादी नहीं आया, अधिकारियों को इंतजार करना पड़ा।
. आखिरी घंटे में सिर्फ 9 फरियादी पहुंचे, जिनकी समस्याओं का मौके पर निस्तारण किया गया।
तहसील दिवस में घटती शिकायतों का कारण
. तहसील दिवस से पहले हर सोमवार को जिलाधिकारी कार्यालय में जनता दरबार लगता है, जहां अधिकतर शिकायतों का समाधान हो जाता है।
. पिछले 7 महीनों में 189 अधिकारियों की उपस्थिति रही, जबकि शिकायतें मात्र 77 दर्ज हुईं।
. सबसे ज्यादा अक्टूबर में 25 शिकायतें दर्ज हुईं, जबकि अन्य महीनों में यह संख्या कम रही।
अधिकारियों की उपस्थिति बनाम शिकायतों की संख्या (पिछले 7 महीने)
. सितंबर: 28 अधिकारी, 5 शिकायतें
. अक्टूबर: 31 अधिकारी, 25 शिकायतें
. नवंबर: 25 अधिकारी, 6 शिकायतें
. दिसंबर: 13 अधिकारी, 11 शिकायतें
. जनवरी: 33 अधिकारी, 6 शिकायतें
. फरवरी: 28 अधिकारी, 11 शिकायतें
. मार्च: 31 अधिकारी, 9 शिकायतें
सरकारी अधिकारियों के लिए हवाई यात्रा की अनुमति प्रशासनिक कामों में गति लाएगी, जबकि तहसील दिवस में शिकायतों की संख्या में गिरावट यह दर्शाती है कि जनता अन्य माध्यमों से अपनी समस्याएं सुलझा रही है।
उत्तराखंड की चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी, जो सामरिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, अपने विस्तार और उन्नयन की राह देख रही है। यह हवाई पट्टी भारत-चीन सीमा, चारधाम यात्रा और आपदा प्रबंधन के लिहाज से बेहद उपयोगी हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया दौरे से स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इसके विकास और कायाकल्प का मार्ग प्रशस्त होगा, जिससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
इतिहास और विकास की मांग
. 1992-93: उत्तर प्रदेश सरकार ने चिन्याली, नागणी, धनपुर और श्यामपुर के किसानों से 776 नाली भूमि अधिग्रहित की।
. 2013: उत्तराखंड सरकार ने 46 करोड़ रुपये के बजट से रनवे विस्तार (1165 मीटर लंबाई और 30 मीटर चौड़ाई) सहित एटीसी टॉवर, टर्मिनल भवन और विद्युत स्टेशन का निर्माण किया।
. अधूरे कार्य: टैक्सी स्टैंड, रनवे समतलीकरण और अन्य सुविधाएं अब भी लंबित हैं।
सामरिक और चारधाम यात्रा के लिए महत्वपूर्ण
. वायुसेना का अभ्यास केंद्र – लड़ाकू और मालवाहक विमानों की लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास किया जाता है।
. सेना और हेलिकॉप्टर संचालन – सेना के महत्वपूर्ण हेलिकॉप्टर यहां उतरते हैं।
. चारधाम यात्रा के लिए हवाई सेवा की मांग – स्थानीय लोग हवाई पट्टी को चारधाम यात्रा के लिए इंटर-स्टेट हवाई सेवा केंद्र के रूप में विकसित करने की उम्मीद कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों की मांग और उम्मीदें
चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के अधूरे कार्यों को पूरा करने और इसे चारधाम यात्रा व सामरिक उद्देश्यों के लिए विकसित करने की मांग लंबे समय से उठ रही है। पूर्व प्रमुख बलबीर सिंह बिष्ट, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शूरवीर रांगड़, पूर्ण सिंह बिष्ट और सतपाल बिष्ट ने सरकार से इसे शीघ्र विकसित करने की अपील की है।
पीएम मोदी के शीतकालीन प्रवास के दौरान मुखबा में उनकी यात्रा से यह उम्मीद और प्रबल हो गई है कि चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी जल्द ही एक पूर्ण विकसित हवाई अड्डे में तब्दील होगी, जिससे चारधाम यात्रा और सामरिक दृष्टिकोण को मजबूती मिलेगी।
उत्तराखंड सरकार ने सरकारी कामकाज में सुधार और सुशासन को बढ़ावा देने के लिए कर्तव्यहीन कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि जो कर्मचारी अपने दायित्वों के प्रति लापरवाह हैं, उन्हें चिह्नित कर नियमानुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए।
सुशासन के एजेंडे को मजबूत करेगी सरकार
मुख्यमंत्री धामी सरकारी कार्यप्रणाली में सरलीकरण और समाधान को प्राथमिकता दे रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो कर्मचारी शासन की प्राथमिकताओं को लागू करने में बाधा बन रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और व्यक्तिगत भूमि विवादों को लेकर भी कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
ड्रग्स फ्री उत्तराखंड अभियान होगा तेज
मुख्यमंत्री ने राज्य में ड्रग्स के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए विशेष छापेमारी अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराधियों की सूची तैयार कर सख्त कार्रवाई करने को कहा। साथ ही, सीमावर्ती क्षेत्रों में नियमित जांच बढ़ाने और पुलिस को रात्रिकालीन गश्त तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।
त्योहारी सीजन में मिलावटखोरी और बिजली चोरी पर नजर
धामी सरकार ने त्योहारी सीजन को देखते हुए खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी रोकने और बिजली चोरी पर लगाम लगाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि सभी संबंधित विभाग इस दिशा में सक्रिय रूप से कार्य करें।
युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने पर जोर
मुख्यमंत्री ने बैठक में राज्य के युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने निर्देश दिया कि इलेक्ट्रिशियन, कारपेंटर, बार्बर और प्लंबर जैसे क्षेत्रों में युवाओं को प्रशिक्षित कर उनका कौशल विकास किया जाए। इससे राज्य के युवा स्वरोजगार के नए अवसरों से जुड़ सकेंगे।
बैठक में उच्च अधिकारी रहे मौजूद
इस महत्वपूर्ण बैठक में गृह सचिव शैलेश बगोली, डीजीपी दीपम सेठ, गढ़वाल मंडलायुक्त विनय शंकर पांडेय, अपर पुलिस महानिदेशक एपी अंशुमान और एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। सरकार के इस कदम से सरकारी कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है।