उत्तराखंड में यहां एक दर्जन गांवों में लगा नाइट कर्फ्यू, स्कूल भी बंद..
उत्तराखंड: श्रीनगर में लगातार गुलदार की दहशत बनी हुई है। गुलदार के श्रीनगर व आस-पास के क्षेत्रों में लगातार सक्रियता को देखते हुए जिला प्रशासन ने श्रीनगर नगर क्षेत्र सहित एक दर्जन गांवों में नाइट कर्फ्यू लगा दिया है। कर्फ्यू सात फरवरी से नौ फरवरी तक शाम छह बजे से सुबह छह बजे तक रहेगा। इसके साथ ही खिर्सू ब्लॉक के विद्यालयों में बुधवार को भी अवकाश घोषित कर दिया गया है। एसडीएम श्रीनगर नूपुर वर्मा का कहना हैं कि गुलदार की सक्रियता को देखते हुए डीएम पौड़ी के निर्देशों पर श्रीनगर नगर क्षेत्र के साथ ही ग्राम श्रीकोट, ढिक्वाल गांव, सरणा, बुघानी, जलेथा, भटोली, ग्वाड़, रैतपुर, कोठगी, खिरसू में नाइट कर्फ्यू लगाया गया है। उन्होंने कहा कि कर्फ्यू की अवधि के दौरान रात्रि के समय आम जनमानस का आवागमन प्रतिबंधित रहेगा। इसके अलावा गुलदार की सक्रियता के चलते खिर्सू ब्लॉक के विद्यालयों में भी अवकाश घोषित कर दिया गया है।
कोरोना के बढ़ते के केसों के बीच 31 जनवरी तक स्कूल बंद..
उत्तराखंड : उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के चलते फिलहाल सभी आंगनबाड़ी और 12वीं तक के स्कूल 31 जनवरी तक बंद रखने का निर्णय लिया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कोविड 19 को लेकर नई एसओपी जारी की है। इसके तहत उक्त अवधि में राजनीतिक रैलियां और धरना-प्रदर्शन पर भी रोक रहेगी। राज्य में 16 जनवरी को जारी एसओपी की अवधि रविवार को समाप्त हो गई।
प्राधिकरण के सीईओ और मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु के अनुसार, कोविड के तहत लागू प्रतिबंधों को 31 जनवरी तक बढ़ा दिया गया है। नाइट कर्फ्यू, व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए तय समयावधि पूर्व की तरह लागू रहेगी। सियासी दलों के किसी भवन में होने वाले कार्यक्रमों में सभागार की क्षमता के 50 अथवा 300 लोगों तक, जो भी कम होगा वहीं मान्य होगा। उधर, शिक्षा सचिव आर.मीनाक्षीसुंदरम के अनुसार स्कूल बंद रहने की अवधि में ऑनलाइन पढ़ाई जारी रहेगी। अधिकारियों को इस बाबत दिशानिर्देश दे दिए गए हैं।
नाइट कर्फ्यू के बाद दिन के खतरे पर कब तक होगा फैसला?
देश-विदेश: देश में कोरोना महामारी फिर से पैर पसार रही है, ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों ने राज्यों को नाइट कर्फ़्यू लगाने पर मजबूर कर दिया है, जिसके मद्देनज़र तमाम पाबंदिया भी लगा दी गई हैं, लेकिन सवाल यह है कि रैलियों में इकट्ठा होती भीड़ में क्या कोरोना नहीं पनप सकता? कोरोना के नए वैरियंट की रफ्तार ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है, जिसको देखते हुए लगभग सभी राज्य सरकारों ने अपने अपने राज्यों में रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ़्यू लगाने का फ़ैसला लिया है।
भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। देश में ओमिक्रॉन के केस मिलने का रिकॉर्ड टूट गया है। दिल्ली से लेकर देहरादून तक, हरियाणा से लेकर कर्नाटक तक, सिर्फ एक जैसी बात। एक जैसा सवाल। दिल्ली में कोरोना के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई और पिछले 24 घंटों में 496 संक्रमित मिले। दिल्ली में साढ़े 6 महीने बाद सबसे ज्यादा नए केस
और 1 दिन में कोरोना के नए केस में 50% बढ़ोतरी हो गई। वही मुंबई में कोरोना के नए मामलों में बड़ा उछाल दर्ज आया है।
ये सारे सवाल इसलिए हैं क्योंकि दिन के वक्त अभी ज्यादा पाबंदी नहीं है। रैली में नेताओं के भाषण सुनने लोग आते हैं तो क्या कोरोना वहां नहीं है। बाजार में सुबह शाम पैर रखने की जगह नहीं। क्या तब कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं। जबकि सबसे ज्यादा भीड़ तो नेताओं की रैलियों में देखने को मिल रही हैं। क्या तब कोरोना का खतरा नहीं हैं। बावजूद इसके भी अभी तक दिन के खतरे पर कोई बड़ा फैसला नहीं हुआ।
कोरोना के केस बढ़ते हैं तो सरकार के पास सबसे पहला और सरल ऑप्शन नाइट कर्फ्यू का होता है। इसलिए रात की पाबंदी शुरू हो जाती है। मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर ये वो राज्य हैं जहां फिलहाल नाइट कर्फ्यू लगा है। आने वाले वक्त में ये लिस्ट और लंबी हो सकती हैं।
आपको बता दे कि नाइट कर्फ्यू में रात 8 बजे, 10 बजे या 11 बजे से सुबह 5 या 6 बजे तक लोगों के बाहर जाने पर पाबंदी होती है। जिसका कारण ये है कि बेवजह भीड़ इकट्टी ना हो। सरकारों को लगता है कि इससे कोरोना केसेस की संख्या में कमी आ सकती है।लेकिन जब इससे हालात काबू नहीं हो पाते तो फिर लॉकडाउन लगाना पड़ता हैं। हालांकि इस बार भी यही पैटर्न फॉलो हो रहा है, लेकिन दिन में भीड़ दिखाई दे रही है।
रैली में लोग जुट रहे हैं तो इस पर भी कुछ लोग अपनी अलग-अलग राय दे रहे हैं। कुछ का मानना है कि सरकार सिचुएशन के हिसाब से फैसला कर रही है। कहने को तो केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कोरोना को लेकर गंभीर दिख रही हैं, लेकिन चुनावीं रैलियों में दिख रहा लोगों का हुजूम सभी नियमों पर सरकारी गंभीरता की धज्जियां उड़ा रहा है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली हों या फिर अन्य नेताओ की रैली सभी रैलियों में जनता बिना मास्क लगाए दिख ही जाती हैं,