परिवहन निगम चलाएगा दून-हरिद्वार में बसें, एसपीवी ही संभालेगी संचालन की जिम्मेदारी..
उत्तराखंड: देहरादून और हरिद्वार शहरों के भीतर अब परिवहन निगम ही बसों का संचालन करेगा। इसके लिए स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) कंपनी देहरादून सिटी ट्रांसपोर्ट लिमिटेड बनाई जाएगी। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार यह कंपनी मुख्य रूप से पीएम ई-बस सेवा के अंतर्गत देहरादून शहर में 100 बसें और हरिद्वार में 50 बसें संचालित करेगी, जिसका ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। देहरादून शहर में 50 सीएनजी बसें चलाने का भी प्रस्ताव है। परिवहन निगम के अधीन एसपीवी बनाकर बसें संचालित करने का प्रारूप तैयार किया गया है।
परिवहन निगम लगातार दो साल से लाभ में चल रहा है। निगम का मुनाफा 2022-23 में 1655.92 करोड़ था। दिसंबर 2023 तक 2934.41 करोड़ का मुनाफा रिकॉर्ड किया गया। निगम की 1309 बसों में से 553 बसें पर्वतीय और 756 मैदानी क्षेत्रों में संचालित हो रही हैं। इनमें से 153 सीएनजी बसों सहित 1242 साधारण बसें, 17 एसी बसें और 50 वॉल्वों शामिल हैं। निगम ने अपनी व्यवस्थाओं में भी सुधार किया है। इसके लिए एचआरएमएस सिस्टम लागू किया गया। दुर्घटना रोकने को हमसफर एप, कार्यशाला की इन्वेंटरी प्रबंधन के लिए एप, बसों में जीपीएस, 1500 एंड्रायड युक्त ई-टिकट मशीनें, ऑनलाइन बुकिंग, ई-ऑफिस आदि शामिल हैं। दूसरी ओर परिवहन विभाग राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य हासिल करने में सुस्त नजर आया है। इस वित्तीय वर्ष में दिसंबर 2023 तक 1475 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष 952.65 करोड़ की ही प्राप्ति हो पाई है। हालांकि 2022 में विभाग ने 1155 करोड़ के सापेक्ष 1158.37 करोड़ राजस्व प्राप्ति की थी।
परिवहन निगम की एक चिट्ठी से कर्मचारियों में असमंजस..
उत्तराखंड: उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से सभी मंडलों को भेजे गए एक पत्र ने विशेष श्रेणी कर्मचारियों के भीतर डर पैदा कर दिया है। इस पत्र में दस साल तक काम कर चुके संविदा कर्मियों की जानकारी मांगी गई है। इसके बाद नौकरी पर लगे कर्मचारियों को अब पूर्व के कर्मचारियों के नियमित होने का डर सता रहा है। आपको बता दे कि उत्तरांचल कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि यह पत्र केवल विधानसभा में पूछे गए एक सवाल से संबंधित है। किसी विधायक ने परिवहन निगम में काम कर रहे संविदाकर्मियों की संख्या के संबंध में विधानसभा में अपना सवाल दिया है, जिस पर परिवहन निगम को जवाब तैयार करके संबंधित मंत्री को भेजना है।
उनका कहना हैं कि हाईकोर्ट के 2017 के आदेश में यह स्पष्ट हो चुका है कि विशेष श्रेणी के चालकों, परिचालकों को संविदा वालों की तुलना में वरिष्ठता एवं उत्तमता प्रदान की जाएगी। अर्थात कोई भी लाभ संविदा चालकों परिचालकों के तुलना में विशेष श्रेणी चालकों परिचालकों को पहले प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महाप्रबंधक मुख्यालय का यह पत्र केवल विधायक के सवाल का जवाब तैयार करने को भेजा गया है।