जंगली जानवरों से कितनी उजड़ रही खेती पलायन आयोग तैयार करेगा रिपोर्ट..
उत्तराखंड: प्रदेश में हर साल जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा कर किसानों की मेहनत पर पानी फेर रहे हैं। इस समस्या से किसान खेतीबाड़ी छोड़ने को मजबूत हो रहे हैं। इस समस्या से उजड़ रही खेती पर पहली बार पलायन आयोग रिपोर्ट तैयार करेगा। जिससे प्रदेश सरकार समस्या का समाधान करने के लिए ठोस नीति बना सके। प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में हाथी, नील गाय और पर्वतीय क्षेत्रों में बंदर और जंगली सुअर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं।
नुकसान को देखते हुए किसान भी खेतीबाड़ी छोड़ कर आजीविका के लिए दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं। पहाड़ों में मंडुवा, झंगोरे व मैदानी क्षेत्रों में मक्का का क्षेत्रफल कम हुआ है। राज्य गठन के समय कुल कृषि क्षेत्रफल 7.70 लाख हेक्टेयर था। जो वर्ष 2022-23 में घटकर 6.21 लाख हेक्टेयर रह गया है। यानी कृषि क्षेत्रफल में 1.49 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। किसानों के खेतीबाड़ी छोड़ने से परती भूमि (ऐसी भूमि जिस पर पहले खेती होती थी अब बंजर पड़ी है) रकबा बढ़ रहा है। 2001 में प्रदेश में 1.07 लाख हेक्टेयर परती भूमि थी। जो बढ़कर 1.91 लाख हेक्टेयर हो गई है।
प्रदेश में सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी..
जंगली जानवरों से फसलों को हो रहे नुकसान को देखते हुए प्रदेश सरकार ने पहली बार पलायन आयोग को पूरे प्रदेश में सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है। आयोग यह पता लगाएगा कि इस समस्या से हर साल कितनी कृषि भूमि उजड़ रही है और किसानों को कितना नुकसान हो रहा है। साथ ही समस्या के समाधान के लिए सुझाव भी देगा। अभी तक कृषि व उद्यान विभाग के पास समस्या के समाधान के लिए ठोस योजना नहीं है प्रदेश सरकार ने आयोग को जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान पर सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी है। शीघ्र ही आयोग इस पर काम करेगा। समस्या का समाधान कैसे हो सकता है, इस पर आयोग का फोकस रहेगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में घोषित गैरसैंण में स्थापित होने वाले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण का अवलोकन किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि यह सेंटर स्थानीय स्तर पर लोगों की आर्थिकी में सुधार एवं कौशल विकास की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा।
राजधानी देहरादून में मुख्यमंत्री आवास में आयोजित एक बैठक में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को लेकर अधिकारियों ने प्रस्तुतिकरण दिया। यह सेंटर यूएनडीपी के सहयोग से संचालित किया जाएगा। बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के युवा परिश्रमी एवं ईमानदार हैं। उनके हुनर को कौशल विकास से और अधिक निखारा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमें क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनानी होगी। कृषि में मंडूआ, झंगोरा, मसूर, चौलाई के साथ ही अन्य क्षेत्रीय उत्पादों को ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग के माध्यम से राजस्व सृजन का बेहतर श्रोत बनाना होगा। स्थानीय उत्पादों को और अधिक डिजीटल प्लेटफार्म उपलब्ध कराना होगा।
सीएम ने कहा कृषि, बागवानी, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, भेड़-बकरी पालन के साथ ही स्थानीय उत्पादों की बेहतर प्रोसेसिंग आदि की आधुनिक तकनीकि दक्षता के साथ प्रशिक्षण प्राप्त होने से लोगों को इन व्यवसायों से जुड़ने में मदद मिलेगी तथा अधिक से अधिक लोग इन क्षेत्रों में स्वरोजगार के लिये आगे आएंगे।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोकने एवं लोगों की आर्थिकी में सुधार की दिशा में राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में स्थापित किए जा रहे विभिन्न रूरल ग्रोथ सेंटर भी लोगों की आर्थिकी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एस.एस. नेगी ने बताया कि सेंटर की स्थापना के संबंध में विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं के विकास एवं योजनाओं के विषयगत प्रशिक्षण आदि की रूप रेखा निर्धारित करने हेतु गठित समिति के सदस्यों ने जनपद चमोली के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से सम्पर्क कर उनके सुझाव व विचार जाने। इसके साथ ही चमोली के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से डेयरी विकास, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, हेल्थ एण्ड वेलनेस, पर्यटन व हैण्डीक्राफ्ट सेक्टर में सामने आ रही चुनौतियों के सम्बन्ध में भी चर्चा की।
प्रस्तुतीकरण में निदेशक कौशल विकास डॉ. आर राजेश कुमार ने बताया कि इस सेंटर में लोगों को उद्यमिता विकास एवं आजीविका बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जायेंगे। यूएनडीपी द्वारा सेंटर के संचालन हेतु तकनीकी, परामर्शीय एवं कॉरपोरेट स्पान्सर्स के माध्यम से वित्तीय सहयोग दिया जायेगा। आरंभ में सेंटर राजकीय पॉलिटेक्नीक, गैरसैंण से संचालित किया जायेगा।
बैठक में मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर सचिव झरना कमठान सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।