उप राष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने भविष्य में होने वाले जल संकट के प्रति आगाह किया है। उनके अनुसार नीति आयोग ने कहा है कि वर्ष 2030 तक भारत में पीने के पानी की कमी पड़ जाएगी। उन्होंने स्थिति को चिंताजनक बताया है और कहा कि अब ‘चलता है’ वाले रवैए से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि यह सभी के लिए समय है कि वे इस स्थिति की गंभीरता का एहसास करें और जल्द से जल्द पानी की बचत के उपाय अपनाएं। उन्होंने जल संरक्षण पर एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का आह्वान किया और प्रत्येक नागरिक से पानी की हर बूंद को बचाने के लिए जल योद्धा बनने का आग्रह किया। उन्होंने कहा पानी नहीं तो जिंदगानी नहीं।
न्यूज 18 और हार्पिक द्वारा आयोजित मिशन पानी के जल प्रतिज्ञा दिवस कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने बड़े जल संकट को रोकने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर उपलब्ध ताजा पानी के 3 प्रतिशत में से केवल 0.5 प्रतिशत पीने के लिए उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि भारत की आबादी विश्व की आबादी से 18 प्रतिशत अधिक है, लेकिन भारत में दुनिया के नवीकरणीय जल संसाधनों का केवल 4 प्रतिशत है।
उप राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्तमान में लगभग 2.2 बिलियन लोगों की पहुंच सुरक्षित रूप से प्रबंधित पीने के पानी तक नहीं है। दुनिया के लगभग 4.2 बिलियन लोग या 55 प्रतिशत आबादी अभी सुरक्षित रूप से प्रबंधित स्वच्छता के बिना रह रही है।
महिलाओं और बच्चों पर पानी की कमी के प्रतिकूल प्रभावों की चर्चा करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाएं हर दिन 200 मिलियन से अधिक घंटे दूर के स्थानों से पानी लाने के लिए खर्च करती हैं। विश्व स्तर पर बच्चे अपनी माताओं के बोझ को साझा करते हुए प्रत्येक दिन 200 मिलियन घंटे खर्च करते हैं।
उप राष्ट्रपति ने जल संकट के कुछ कारणों की ओर इशारा करते हुए कहा कि तेजी से शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, औद्योगिक और कृषि गतिविधियों का विस्तार, बोरवेल की अंधाधुंध ड्रिलिंग, जलवायु परिवर्तन और पानी के लापरवाह उपयोग से पानी की कमी हो रही है। उन्होंने प्लास्टिक की थैलियों, डिटर्जेंट, मानव अपशिष्ट, कचरा और औद्योगिक अपशिष्टों से तालाबों, नदियों आदि की रक्षा करने का संकल्प लेने की अपील की।
जल संरक्षण पर जल आंदोलन के लिए हाल के आह्वान की चर्चा करते हुए उप राष्ट्रपति ने पानी बचाने की दिशा में कई पहल करने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम, प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना, अटल भू-जल योजना, जल जीवन मिशन और जल शक्ति अभियान (जेएसए) प्रशंसनीय कदम हैं।
न्यूज 18 की पहल को बधाई देते हुए नायडू ने आशा व्यक्त की कि प्रत्येक समाचार चैनल, अखबार और मीडिया संगठन ऐसी पहल करें ताकि यह संदेश लोगों तक आसानी से पहुंचे। उन्होंने कहा कि सिनेमा, खेल, राजनीतिक, सामाजिक या अन्य क्षेत्रों की हस्तियां भी जल संरक्षण आंदोलन में हाथ बढ़ाएं।
नायडू ने पानी गान (Paani Anthem) रचना के लिए संगीतकार ए.आर. रहमान और गीत लिखने के लिए गीतकार व भारतीय फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी की प्रशंसा की। यहां बता दें कि हार्पिक-न्यूज़ 18 के मिशन पानी के तहत पानी गान तैयार किया गया है। इसे सुर दिया है अंतरा नंदी ने। यहां देखिए वीडियो –
कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, न्यूज़ 18 के प्रबंध संपादक किशोर अजवानी अधिकारी, शिक्षक और स्कूली बच्चे वर्चुअली शामिल हुए।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विस्तार हुआ है। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में धार्मिक एवं अन्य पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। कोविड के कारण पर्यटन गतिविधियों में जरूर कमी आई है। मगर स्थिति सामान्य होने पर पर्यटन की स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रत्येक जनपद में थीम आधारित पर्यटन स्थल विकसित किये जा रहे हैं। पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें उत्तराखंड में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रविवार को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड विभिन्न जैव विविधताओं वाला राज्य है। बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाएं, बुग्याल, विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु एवं अच्छा मानव संसाधन देवभूमि उत्तराखण्ड की ओर पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करता है। उन्होंने बताया कि उत्तरकाशी जनपद में स्नो लेपर्ड पार्क बनाया जा रहा है। प्रदेश में पर्यटन पर आधारित गतिविधियां पूरे साल हो, इसके लिए सरकार द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। क्याकिंग, राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग जैसी गतिविधियों के लिए उत्तराखण्ड में अनुकूल वातावरण है।
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उन्होंने कहा कि राज्य में होम स्टे को बढ़ावा दिया जा रहा है। अभी 2200 से अधिक होम स्टे रजिस्टर्ड हो चुके हैं। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, पौड़ी में काफी अच्छे होम स्टे बनाये गये हैं। होम स्टे के प्रति लोगों का रूझान भी बढ़ा है। होम स्टे पर्यटकों को आकर्षित तो करता ही है। साथ ही यहां के लोगों के लिए रोजगार के भी अच्छे अवसर उपलब्ध करा रहा है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि पर्यटन क्षेत्र का उत्तराखण्ड की जीडीपी में अहम योगदान रहा है। हम पर्यावरण हित पर्यटन की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। पर्यटन एवं तीर्थाटन के माध्यम से स्थानीय लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। हमारा प्रयास आपदा को अवसर में बदलने का है। विश्व पर्यटन की इस वर्ष की थीम ‘पर्यटन और ग्रामीण विकास है’। ग्रामीण विकास के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। आने वाले दिनों में हमारे समग्र प्रयास से फिर उत्तराखण्ड की तस्वीर बदलेगी, पर्यटन गतिविधियों से लोगों की आजीविका में सुधार होगा।
वेबिनार में फिल्म सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर, मनीषा पाण्डे, डॉ. शिवम मणि, मनदीप सिंह, धनुष सिंह आदि पर्यटन गतिविधियों से जुड़े जानकारों ने अपने सुझाव दिये।