बाहरी राज्यों के वाहनों से उत्तराखंड में वसूला जाएगा ग्रीन सेस, ये है तैयारी..
उत्तराखंड: राज्य के बाहर से उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले वाहनों से ग्रीन सेस वसूलने की प्रक्रिया को परिवहन विभाग फास्टैग से जोड़ने जा रहा है। इसके लिए एक हफ्ते में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी करेगा। सरकार ग्रीन सेस वसूलने के साथ वाहनों का डेटा भी तैयार करना चाहती है, ताकि इसका यात्रियों की सुरक्षा व सुविधा बनाने के लिए उपयोग में लाया जा सके। हालांकि, परिवहन विभाग लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ग्रीन सेस वसूलने की अधिसूचना जारी कर चुका है, लेकिन यह अधिसूचना प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पाई है। विभाग अभी ग्रीन सेस वसूलने के प्रभावी तरीके पर विचार कर रहा है। आधिकारिक सूत्रों का कहना हैं कि पड़ोसी राज्य हिमाचल भी वहां प्रवेश करने वाले दूसरे राज्यों के वाहनों से ग्रीन सेस वसूलता है। वहां राज्य की सीमा पर बैरियर बनाकर सेस वसूला जाता है, लेकिन उत्तराखंड सरकार की मंशा इससे जुदा है।
वाहनों को रोके बिना ग्रीन सेस वसूलना चाहती सरकार
प्रदेश सरकार बाहरी राज्यों से उत्तराखंड में प्रवेश करने वालों वाहनों को रोककर ग्रीन सेस वसूलने के पक्ष में नहीं है। इससे ट्रैफिक का दबाव बढ़ने की संभावना है। इसलिए फास्टैग के विकल्प पर विचार हो रहा है। विभागीय अधिकारियों ने इस संबंध में एनएचएआई से भी संपर्क किया है, लेकिन यहां एक पेच फंसा है। एनएचएआई के टोल बैरियरों में फास्ट टैग की व्यवस्था राज्य के भीतर और बाहर दोनों तरह के वाहनों के लिए है, लेकिन उत्तराखंड में केवल राज्य के बाहर से आने वाले वाहनों से ही ग्रीन सेस वसूला जाना है।
एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट जारी करेगी सरकार
इसलिए सरकार ने तय किया है कि वह फास्टैग की सुविधा देने वाले बैंक व अन्य एजेंसियों के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (ईओआई) जारी करेगी। संयुक्त परिवहन आयुक्त एसके सिंह का कहना हैं कि अगले हफ्ते तक एक्सप्रेस ऑफ इंट्रेस्ट जारी कर दिया जाएगा।
ग्रीन सेस वसूली से होंगे दो फायदे
ग्रीन सेस की ऑनलाइन वसूली से दो फायदे होंगे। पहला लाखों की संख्या में राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों से ग्रीन सेस के एवज राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी। सरकार के पास उत्तराखंड की सीमा में प्रवेश करने वाले वाहनों के बारे में जानकारी होगी।
नए साल में यानी पहली जनवरी से आप सड़क पर गाड़ी चलाएंगे तो आपके वाहन पर फास्टैग (FASTag) लगा होना चाहिए। केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport & Highways) ने सभी वाहनों के लिए 1 जनवरी से फास्टैग अनिवार्य कर दिया है। फास्टैग की शुरुआत 2016 में की गयी थी।
केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस साल नवंबर में एक अधिसूचना जारी कर केंद्रीय मोटर वाहन नियम (CMVR), 1989 में संशोधन किया था। इस संशोधन में 1 दिसम्बर, 2017 से पहले बेचे गये वाहनों में भी, 1 जनवरी, 2021 से फास्टैग को अनिवार्य बनाया गया है।
CMVR अनुसार, 1 दिसंबर 2017 से, नए चार पहिया वाहनों के पंजीकरण के लिए फास्टैग को अनिवार्य कर दिया गया था और इसकी आपूर्ति वाहन निर्माताओं या उनके डीलरों द्वारा की जा रही है। इसके अलावा, यह भी अनिवार्य किया गया था कि फास्टैग के लिए फिट होने के बाद ही परिवहन वाहनों के फिटनेस प्रमाणपत्र का नवीनीकरण किया जाएगा। राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों के लिए 1 अक्टूबर 2019 से फास्टैग मानकों पर फिट होना अनिवार्य किया गया था।
टोल प्लाज़ा पर केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से शुल्क का भुगतान 100 प्रतिशत होना और वाहनों का शुल्क प्लाज़ा के माध्यम से निर्बाध रूप से गुजरना सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम होगा। प्लाज़ा में प्रतीक्षा करते हुए कोई समय जाया नहीं करना होगा और इससे ईंधन की बचत होगी।
राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार विविध चैनलों पर फास्टैग की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं ताकि नागरिक अपनी सुविधा के अनुसार अगले दो महीनों के भीतर उन्हें अपने वाहनों पर फास्टैग चिपका सकें।
केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरूवार को एक समारोह को वर्चुअल संबोधित करते हुए कहा कि फास्टैग को 1 जनवरी से लागू किया जाएगा। इस कदम से मिलने वाले लाभों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह यात्रियों के लिए उपयोगी है क्योंकि उन्हें नकद भुगतान के लिए टोल प्लाजा पर रुकने की जरुरत नहीं होगी। इससे समय और ईंधन की भी बचत होगी।
केंद्र सरकार ने नेशनल हाइवेज पर टोल प्लाजा (Toll Plazas) पर लगने वाले जाम को कम करने लिए फास्टैग (FASTag) को अनिवार्य कर दिया है। देश में अगले वर्ष पहली जनवरी से सभी चार पहिया वाहनों के लिए फास्टैग जरुरी होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Union Ministry of Road Trasport & Highways) ने शनिवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी।
फास्टैग एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन डिवाइस (Electronic toll collection device) है, जो वाहन के विंडशील्ड पर लगाई जाती है। इससे वाहन चालक को टोल प्लाजा पर रुकने की जरुरत नहीं पड़ती है। टोल शुल्क का भुगतान सीधे प्रीपेड वॉलेट या उससे जुड़े बैंक खाते से काट लिया जाता है। टोल प्लाजा पर कैश हैंडलिंग और जाम की समस्या से छुटकारा पाने के लिए केंद्र सरकार ने एक दिसंबर 2017 से नए चार पहिया वाहनों के सभी तरह के पंजीकरण के लिए फास्टैग अनिवार्य कर दिया गया था। साथ ही यह अनिवार्य किया गया था कि परिवहन वाहनों के लिए फास्टैग लगने के बाद ही फिटनेस प्रमाणपत्र का नवीनीकरण किया जाएगा।
इसके अलावा राष्ट्रीय परमिट वाहनों के लिए भी एक अक्टूबर, 2019 से फास्टैग चिपकाना अनिवार्य कर दिया गया था। अब वर्ष 2017 से पहले के वाहनों के लिए भी फास्टैग जरुरी कर दिया गया है। साथ ही फॉर्म 51 (बीमा का प्रमाण पत्र) में संशोधन के जरिए यह भी तय कर दिया गया है कि थर्ड पार्टी बीमा लेते समय वैध फास्टैग का होना अनिवार्य है। इसमें फास्टैग आईडी का ब्यौरा शामिल होगा। यह एक अप्रैल, 2021 से लागू होगा।
मंत्रालय ने कहा है कि यह अधिसूचना टोल प्लाजा पर केवल इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से शुल्क के शत-प्रतिशत भुगतान को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे टोल प्लाजा से वाहन बिना किसी रुकावट गुजर सकेंगे। वाहनों को प्लाजा पर इंतजार नहीं करना होगा और ईंधन की बचत होगी। फास्टैग की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं। इन्हें विभिन्न स्थानों पर और ऑनलाइन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा रही है, ताकि लोग अपनी सुविधा के अनुसार दो महीने के भीतर अपने वाहन पर फास्टैग लगा सके।