उत्तराखंड का गोविंदघाट क्षेत्र आपदा के लिहाज से बेहद संवेदनशील रहा है। पिछले 17 सालों में यह तीसरी बार हुआ है कि अलकनंदा नदी पर बना पुल टूट गया। इससे हेमकुंड साहिब जाने वाले श्रद्धालु, फूलों की घाटी के पर्यटक और पुलना गांव के ग्रामीण गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं। बुधवार को भूस्खलन की वजह से पुल धराशायी हो गया, जिससे एक बार फिर लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बीते वर्षों में आई आपदाओं का दर्द फिर उभरा
गोविंदघाट का इतिहास बार-बार आई प्राकृतिक आपदाओं और पुल टूटने की घटनाओं से भरा रहा है।
. 2007 में हेमकुंड साहिब जाने वाला झूला पुल क्षतिग्रस्त हो गया था।
. 2008 में बना वाहन पुल 2013 की आपदा में बह गया।
. 2013 के बाद घोड़ा पड़ाव और गुरुद्वारा के पास अस्थायी झूला पुल बनाए गए।
. 2015 में 105 मीटर लंबा सस्पेंशन ब्रिज तैयार किया गया, लेकिन यह अब ध्वस्त हो गया।
गांव के लोग संकट में, अप्रैल में शादियों और डिलीवरी की चिंता
पुलना गांव के 101 परिवारों की रोजमर्रा की जिंदगी इस पुल पर निर्भर थी। पुल टूटने से न सिर्फ उनकी आवाजाही बाधित हो गई, बल्कि गांव में होने वाले जरूरी कार्यक्रमों पर भी असर पड़ा है।
. अप्रैल में गांव में दो शादियां हैं – एक युवक की बारात बाहर जाएगी और एक युवती की शादी में बारात गांव आएगी। अब परिवारों को चिंता है कि अगर जल्द समाधान न हुआ तो विवाह समारोह प्रभावित होंगे।
. एक गर्भवती महिला की डिलीवरी भी अप्रैल में होनी है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
वाहनों और रोजमर्रा की जरूरतों पर असर
. पुल टूटने से गांव के कई वाहन फंसे हुए हैं। कुछ गोविंदघाट में रह गए हैं तो कुछ पुलना की तरफ अटके हैं।
. आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो गई है, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी हो रही है।
अस्थायी पुलिया बनी सहारा
ग्रामीणों ने मवेशियों के लिए एक कच्ची पुलिया बनाई थी, जो अब मुख्य रास्ता बन गई है। लोग इसी से किसी तरह नदी पार कर रहे हैं, लेकिन यह भी सुरक्षित नहीं है।
समाधान की जरूरत
बार-बार पुल टूटने की घटनाएं दर्शाती हैं कि इस क्षेत्र में मजबूत और आपदा-रोधी आधारभूत संरचना विकसित करने की सख्त जरूरत है। यदि जल्द कोई स्थायी समाधान नहीं निकला, तो यहां के लोगों और श्रद्धालुओं की परेशानी लगातार बनी रहेगी।
चमोली जिले के माणा क्षेत्र में हुए भीषण हिमस्खलन हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं। जोशीमठ के एसडीएम को इस जांच का जिम्मा सौंपा गया है। यह हादसा 28 फरवरी को हुआ था, जिसमें बीआरओ (BRO) के 54 श्रमिक हिमस्खलन की चपेट में आ गए थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन: 46 श्रमिक सुरक्षित, 8 की मौत
. रेस्क्यू ऑपरेशन में ITBP, सेना और NDRF की टीमों ने तीन दिनों तक लगातार अभियान चलाया।
. पहले दिन 33 श्रमिकों को सुरक्षित निकाला गया।
. दूसरे दिन एनडीआरएफ भी अभियान में शामिल हुई, जिससे कुल 46 श्रमिकों को बचा लिया गया।
. हादसे में 8 श्रमिकों की मौत हो गई।
घटना का क्रम
. शुक्रवार, 28 फरवरी – भारी हिमस्खलन हुआ, जिसमें 54 श्रमिक फंस गए।
. पहले दिन – ITBP और सेना ने 33 श्रमिकों को सुरक्षित निकाला।
. दूसरे दिन – एनडीआरएफ के सहयोग से 46 श्रमिकों को बचाया गया, 4 शव बरामद।
. तीसरे दिन – लापता 4 श्रमिकों के शव मिले, जिससे मृतकों की संख्या 8 हो गई।
रेस्क्यू अभियान समाप्त
. आखिरी शव मिलने के बाद दोपहर करीब चार बजे रेस्क्यू अभियान समाप्त कर दिया गया।
. जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी किए।
. हादसे की जांच जोशीमठ एसडीएम को सौंपी गई है।
यह हिमस्खलन हादसा चिंताजनक है और इसकी विस्तृत जांच के बाद सुरक्षा उपायों पर भी निर्णय लिया जाएगा।
उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा के पास स्थित माणा क्षेत्र में भीषण हिमस्खलन के बाद बचाव अभियान जारी है। भारतीय सेना और आईटीबीपी ने अब तक 47 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया है, जबकि 8 मजदूरों को बचाने का कार्य अभी जारी है। राहत की बात यह है कि अब तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से संपर्क कर स्थिति की जानकारी ली है।
मौसम खुलते ही बचाव अभियान तेज
बचाव कार्य मौसम पर निर्भर था, लेकिन जैसे ही मौसम साफ हुआ, रेस्क्यू ऑपरेशन तेज कर दिया गया। सेना ने सुबह 14 और मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला, जिनमें से कुछ को गंभीर चोटें आई हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अन्य 8 मजदूरों की तलाश जारी है, जिनके एक कंटेनर में फंसे होने की आशंका है। यह कंटेनर पूरी तरह से बर्फ से ढका हुआ है, जिससे बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण हो गया है।
आपातकालीन सेवाएं अलर्ट पर
चमोली के डीएम संदीप तिवारी और एसपी सर्वेश पंवार घटनास्थल के लिए रवाना हो चुके हैं और जोशीमठ पहुंच गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना की बारीकी से निगरानी करते हुए कहा कि एम्स ऋषिकेश, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल गोपेश्वर को अलर्ट पर रखा गया है। एम्स की हेली एंबुलेंस भी तैयार रखी गई है ताकि जरूरत पड़ने पर घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा सके।
केंद्र सरकार से निरंतर संपर्क में उत्तराखंड प्रशासन
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि उत्तराखंड सरकार प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से लगातार संपर्क में है। उन्होंने कहा कि यदि किसी और एजेंसी की जरूरत पड़ी, तो उसकी सहायता ली जाएगी। इसके अलावा, माणा हेलिपैड को सक्रिय किया गया है, ताकि बचाव कार्य में तेजी लाई जा सके। हालांकि, भारी बर्फबारी और बारिश के कारण कई मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे राहत कार्य में कठिनाइयां आ रही हैं।
ड्रोन और विशेषज्ञों की मदद से बचाव अभियान
आईजी एसडीआरएफ रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि एसडीआरएफ की टीमों को रवाना कर दिया गया है। इसके अलावा, ड्रोन की सहायता से मजदूरों की सटीक लोकेशन का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने भी निजी ड्रोन ऑपरेटर्स की सहायता लेकर राहत कार्य को तेज किया है।
प्राथमिकता: मजदूरों की सुरक्षा
आईटीबीपी, भारतीय सेना, जिला प्रशासन और वायुसेना की टीमें संपूर्ण समन्वय के साथ काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी प्राथमिकता मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालना है। सरकार ने इस घटना से संबंधित एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करने का निर्णय लिया है, जिससे परिजन अपने प्रियजनों की जानकारी प्राप्त कर सकें। बचाव अभियान तेजी से जारी है और प्रशासन का पूरा ध्यान शेष मजदूरों को सुरक्षित निकालने पर केंद्रित है। हिमस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है, जिससे उम्मीद है कि जल्द ही सभी मजदूर सुरक्षित बाहर आ जाएंगे।
उत्तराखंड में मौसम का मिजाज बिगड़ गया है। ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी और ओलावृष्टि हो रही है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में लगातार बारिश से ठंड में इजाफा हो गया है। मौसम विभाग ने 3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी और कुछ स्थानों पर भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है।
गंगोत्री-यमुनोत्री और हर्षिल में भारी बर्फबारी
गंगोत्री, यमुनोत्री और हर्षिल में भारी बर्फबारी जारी है। देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, नैनीताल और चम्पावत में बारिश हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार, एक मार्च के बाद प्रदेश में मौसम खुलने की संभावना है।
सीजन में पहली बार पारा 12.3 डिग्री लुढ़का
देहरादून में सर्दियों के मौसम में पहली बार लगातार दो दिन की बारिश से तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। बीते बुधवार को अधिकतम तापमान 29.0 डिग्री था, जो बृहस्पतिवार को गिरकर 16.7 डिग्री पर पहुंच गया। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस सीजन में पहली बार पश्चिमी विक्षोभ इतनी मजबूती से सक्रिय हुआ है, जिससे तापमान में तेज गिरावट आई है।
बदरीनाथ, हेमकुंड में बर्फबारी, निचले क्षेत्रों में बारिश
बदरीनाथ धाम, हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी, रुद्रनाथ, औली, गोरसों, नीती और माणा घाटियों में भारी बर्फबारी हो रही है। निचले क्षेत्रों में बारिश से ठंड और बढ़ गई है।
केदारनाथ में आधा फीट ताजी बर्फ जमी
केदारनाथ धाम में घने बादलों के बीच पिछले दो दिनों से बर्फबारी जारी है। धाम में आधा फीट ताजी बर्फ जम चुकी है, जबकि पहले से सवा फीट बर्फ जमा है। माणा, नीति घाटी, औली, मद्महेश्वर, तुंगनाथ, चोपता और त्रियुगीनारायण के ऊपरी क्षेत्रों में भी हल्की बर्फबारी दर्ज की गई है।
ग्लेशियर रिचार्ज, जल संकट से मिलेगी राहत
फरवरी के अंत में हुई बर्फबारी से प्रदेश के ग्लेशियर और नदियां रिचार्ज हो गई हैं। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे गर्मियों में जल संकट जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी और पानी की उपलब्धता बनी रहेगी।
उत्तराखंड में 2025 की चारधाम यात्रा की तारीखों का ऐलान हो गया है। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर ओंकारेश्वर मंदिर में धार्मिक गुरुओं द्वारा पूजा-अर्चना के बाद यह निर्णय लिया गया।
. केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को सुबह 7 बजे भक्तों के लिए खोले जाएंगे।
. बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खोले जाएंगे।
. गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर खुलेंगे।
श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बुधवार को इस घोषणा की पुष्टि की। चारधाम यात्रा के अंतर्गत देश-विदेश के श्रद्धालु बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
इस साल भी भक्तों के बीच चारधाम यात्रा को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है, और उत्तराखंड सरकार यात्रा के सुचारू संचालन के लिए विशेष तैयारियां कर रही है।
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 2025 के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव किया जा रहा है। इस बार बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा के लिए पंजीकरण को आधार कार्ड से जोड़ना अनिवार्य किया जा रहा है। इसके लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) से अनुमति मांगी गई है, जिससे इस प्रक्रिया को प्रभावी रूप से लागू किया जा सके।
आधार से पंजीकरण लिंक होने का उद्देश्य
. सुरक्षा और व्यवस्था में सुधार: यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सही पहचान और सटीक आंकड़ों के लिए यह कदम उठाया गया है।
. आपात स्थिति में मददगार: यात्रियों का वास्तविक डेटा होने से किसी भी आपातकालीन स्थिति में उन्हें सहायता प्रदान करना आसान होगा।
. प्रवेश में पारदर्शिता: आधार कार्ड से लिंक होने पर ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण दोनों प्रक्रियाएं सरल हो जाएंगी।
पंजीकरण की प्रक्रिया और तारीखें
. यात्रा की शुरुआत: 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही चारधाम यात्रा का शुभारंभ होगा।
. ऑनलाइन पंजीकरण: 11 मार्च से पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन शुरू हो जाएंगे।
. पंजीकरण का अनुपात: इस बार 60% ऑनलाइन और 40% ऑफलाइन पंजीकरण का प्रावधान रखा गया है।
. ऑफलाइन पंजीकरण: यात्रा शुरू होने से 10 दिन पहले ऑफलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू होगी।
पिछली यात्रा से सीखे गए सबक
. 2024 की चारधाम यात्रा में 46 लाख से अधिक श्रद्धालु देश-विदेश से पहुंचे थे।
. यात्रा के शुरुआती चरण में पंजीकरण प्रक्रिया में कई दिक्कतें सामने आई थीं, जिससे यात्रियों का शेड्यूल प्रभावित हुआ था।
. बड़ी संख्या में बिना पंजीकरण पहुंचे यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
इस बार, इन समस्याओं से बचने के लिए प्रशासन ने सुधारात्मक कदम उठाए हैं।
आधार लिंक से मिलेंगी ये सुविधाएं
. त्वरित पंजीकरण: ऑफलाइन पंजीकरण में चेहरा स्कैन होते ही पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
. यात्रियों की पहचान: यात्रियों की सटीक पहचान और आंकड़े आसानी से उपलब्ध होंगे।
. आपात स्थिति में सहायता: किसी भी आपदा या आपातकाल में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
प्रशासन की तैयारी और रणनीति
गढ़वाल मंडलायुक्त विनय शंकर पांडेय के अनुसार, पंजीकरण प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से यह पहल की जा रही है।
. पर्यटन विभाग की वेबसाइट को UIDAI की वेबसाइट से जोड़ने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।
. अनुमति मिलने के बाद इस प्रक्रिया को लागू करने में लगभग एक माह का समय लग सकता है।
यात्रियों के लिए सुझाव
. आधार कार्ड साथ लाएं: यात्रा पर निकलने से पहले आधार कार्ड अवश्य रखें।
. ऑनलाइन पंजीकरण को प्राथमिकता दें: इससे समय और संसाधनों की बचत होगी।
. सभी दिशानिर्देशों का पालन करें: प्रशासन द्वारा जारी सुरक्षा निर्देशों का पालन करें।
चारधाम यात्रा भारतीयों की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। आधार कार्ड से जुड़ी इस नई व्यवस्था के बाद यात्रियों को अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक और पारदर्शी अनुभव मिलेगा। आगामी 30 अप्रैल से शुरू हो रही इस पवित्र यात्रा के लिए सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि वे समय पर पंजीकरण कराएं और यात्रा का सुखद अनुभव प्राप्त करें।
उत्तराखंड में मौसम ने अचानक करवट ली है। ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार बर्फबारी हो रही है, जिससे पहाड़ियां सफेद चादर में लिपट गई हैं। प्रदेशभर में झमाझम बारिश, कड़ाके की ठंड, और बर्फबारी का खूबसूरत नजारा देखने को मिल रहा है। आज सुबह से ही कई जिलों में हल्की बूंदाबांदी से लेकर तेज बारिश तक जारी है। उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी और आस-पास के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी बर्फबारी का दौर जारी है, जिससे निचले इलाकों में घने बादल छाए हुए हैं।
मुखबा में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास का बर्फीला नजारा बेहद मनमोहक है। वहीं, खरसाली गांव, यमुनोत्री धाम, और आस-पास के क्षेत्रों में भी सुबह चार बजे से बर्फबारी हो रही है। बड़कोट तहसील जैसे निचले इलाकों में रिमझिम बारिश हो रही है।
धामों में सर्दी का प्रकोप, यात्रा तैयारियां प्रभावित
लगातार बर्फबारी के चलते बदरीनाथ धाम में करीब छह इंच तक ताजा बर्फ जम गई है। ठंड के बढ़ते असर को देखते हुए जिलाधिकारी ने अपने अधिकारियों के साथ धाम का दौरा रद्द कर दिया है। इस साल चारधाम यात्रा चार मई से शुरू होनी है, लेकिन मौसम की वजह से प्रशासनिक टीम अब तक धाम नहीं पहुंच पाई है। यात्रा के लिए पेयजल, बिजली, सीवर, और सड़क जैसे बुनियादी ढांचे को तैयार करना बाकी है।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान:
मौसम विभाग के अनुसार, आज प्रदेश के कुछ हिस्सों में मौसम खराब रहेगा। हालांकि, 21 फरवरी से प्रदेशभर में मौसम शुष्क रहने की संभावना है।
बर्फबारी और ठंड के बीच उत्तराखंड की पहाड़ियां आज किसी जन्नत की तरह नजर आ रही हैं, लेकिन यात्रा तैयारियों और प्रशासनिक गतिविधियों पर इसका प्रभाव साफ दिख रहा है।
बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को शीतकाल के लिए होंगे बंद,13 नवंबर से शुरू होंगी पंच पूजाएं..
उत्तराखंड: विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट इस साल शीतकाल के लिए 17 नवंबर को रात 9 बजकर 7 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अंतर्गत बुधवार 13 नवंबर से पंच पूजाएं शुरू होगी। पंच पूजाओं के अंतर्गत पहले दिन भगवान गणेश की पूजा होगी। शाम को इसी दिन भगवान गणेश के कपाट बंद होंगे। दूसरे दिन 14 नवंबर को आदि केदारेश्वर मंदिर और शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद होंगे। तीसरे दिन 15 नवंबर को खड्ग-पुस्तक पूजन और वेद ऋचाओं का वाचन बंद हो जाएगा। चौथे दिन 16 नवंबर को मां लक्ष्मी को कढ़ाई भोग चढ़ाया जाएगा। 17 नवंबर को रात 9 बजकर 7 मिनट पर बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद हो जाएंगे।
सोमवार 18 नवंबर को कुबेर और उद्धव सहित रावल, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी शीतकालीन प्रवास पांडुकेश्वर और नृसिंह मंदिर जोशीमठ को प्रस्थान करेगी। उद्धव और भगवान कुबेर शीतकाल में पांडुकेश्वर प्रवास करेंगे। आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार 18 नवंबर को पांडुकेश्वर प्रवास के बाद 19 नवंबर को समारोह पूर्वक गद्दीस्थल नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगी। इसी के साथ शीतकालीन प्रवास पांडुकेश्वर और नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं आयोजित होंगी। आपको बता दें कि उत्तराखंड के चार धाम में से केदारनाथ धाम, यमुनोत्री धाम, गंगोत्री धाम के कपाट नवंबर के पहले सप्ताह में बंद हो चुके हैं।इसके साथ ही रुद्रनाथ और तुंगनाथ मंदिर के कपाट भी बंद हो चुके हैं। वहीं मद्महेश्वर मंदिर के कपाट 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
रील्स और वीडियो बनाना पड़ा भारी, 15 का हुआ चालान..
पुलिस ने आठ घंटे तक जब्त रखे मोबाइल..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ धाम में बुधवार को कुछ लोग प्रतिबंध के बाद भी रील्स और वीडियो बना रहे थे। रील्स और वीडियो बनाना श्रद्धालुओं को भारी पड़ गया। पुलिस ने इन पर एक्शन लेते हुए 15 श्रद्धालुओं का चालान किया है। इसके साथ ही पुलिस ने इन सभी लोगों के मोबाइल भी जब्त कर लिए। चारधाम यात्रा में बीते कुछ समय से रील और वीडियो बनाने का ट्रेंड बढ़ गया है। ट्रेंड के बढ़ते चलन के कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिसे देखते हुए सरकार ने चारों धामों के 50 मीटर के दायरे में में वीडियोग्राफी व रील्स को प्रतिबन्धित कर दिया है। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग रील्स और वीडियो बना रहे हैं। चमोली पुलिस ने बुधवार को बद्रीनाथ धाम में रील्स और वीडियो बनाने वाले 15 लोगों का चालान किया। पुलिस ने सभी यात्रियों के मोबाइल करीब आठ घंटे बाद 500-500 रुपए का चालान करने के बाद लौटाए। बताया जा रहा है कि बद्रीनाथ धाम में रील और वीडियो बनाने वालों में गुजरात, मध्यप्रदेश बंगाल, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य क्षेत्रों के यात्री शामिल थे।
पहली बार एक दिन में बद्रीनाथ पहुंचे 28 हजार श्रद्धालु..
एक लाख पार हुई दर्शनार्थियों की संख्या..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ धाम की यात्रा ने अब रफ्तार पकड़ ली है। रविवार को बद्रीनाथ धाम में 28 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। यात्रा के इतिहास में यह पहली बार है जब धाम में एक दिन में इतने अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं। वहीं बद्रीनाथ में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक लाख के पार हो गई है। बद्रीनाथ धाम की यात्रा 12 मई से शुरू हुई थी। शुरू के चार दिन यात्रा की रफ्तार धीमी रही, लेकिन अब यात्रा नए रिकॉर्ड बना रही है। शनिवार और रविवार को धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। आलम यह रहा कि दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की करीब ढाई किमी लंबी लाइन लगी हुई थी। बद्रीनाथ मंदिर से इंद्रधारा तक (माणा की ओर) श्रद्धालुओं की लाइन लगी रही। सुबह लगी लाइन देर शाम तक खत्म नहीं हो पाई थी। धाम में रविवार को 28,055 श्रद्धालु दर्शनों को पहुंचे। वहीं अब तक धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 1,20,757 हो गई है। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ का कहना हैं कि रविवार को बद्रीनाथ धाम में 28 हजार श्रद्धालु पहुंचे। धाम में एक दिन में आने वाले श्रद्धालुओं की यह अभी तक की सबसे अधिक संख्या है। धाम में अब तक एक लाख 20 हजार तक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं।