बद्रीनाथ धाम में VIP कल्चर को लेकर धरने पर बैठे पंडित-पुरोहित और व्यापारी, SDM ने VIP व्यवस्था खत्म करने की घोषणा की..
उत्तराखंड: देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है। रविवार को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। चारधाम यात्रा शुरू होते ही धामों में व्यवस्थाओं और यात्रियों की सुविधाओं को लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। जिसके बाद बद्रीनाथ धाम में वीआईपी व्यवस्था खत्म हो गई है। उप जिलाधिकारी जोशीमठ ने धरनास्थल पर आकर इसकी सार्वजनिक घोषणा की है। बद्रीनाथ मंदिर समिति द्वारा विगत वर्ष शुरू की गई वीआईपी दर्शन की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। उप जिलाधिकारी जोशीमठ द्वारा धरना स्थल पर आकर घोषणा सार्वजनिक की गई है। बता दें सोमवार सुबह से तीर्थ पुरोहितों के साथ पंडा समाज और स्थानीय लोग वीआईपी कल्चर ख़त्म करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए थे।
स्थानीय लोगों का कहना था कि बामणी गांव जाने वाले पैदल रास्ते पर वीआईपी दर्शन के लिए एक कार्यालय बनाया गया है। जिससे वहां पर गांव की तरफ जाने वाले लोगों के मार्ग को बंद कर दिया गया है। गांव के लोगों को इस रास्ते से गुजरने नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन की लापरवाही की वजह से आम जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है।
कपाट खुलते ही बद्रीनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों का विरोध प्रदर्शन..
उत्तराखंड: देवभूमि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा का आगाज हो गया है। रविवार को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। कपाट खोलने के दूसरे दिन ही तीर्थ पुरोहितों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। चार धाम यात्रा शुरू होते ही धामों में व्यवस्थाओं और यात्रियों की सुविधाओं को लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया हैl पंडा पुरोहितों ने बैकडोर एंट्री को लेकर भी कड़ा विरोध जताया है। साथ ही तीर्थ पुरोहितों की बेरोकटोक मंदिर परिसर में आने जाने की सुविधा देने की मांग की है। पंडा समाज और तीर्थ पुरोहितों ने इसके विरोध में मंदिर परिसर के पास ही बैठकर सांकेतिक धरना दिया। इतना ही नहीं पंडा समाज से आमरण अनशन की चेतावनी दी है। पुरोहितों का कहना है कि मंदिर में वीआईपी कल्चर को खत्म करना होगा साथ ही पुरोहितों के हक हूककों को मंदिर समिति को छीनने नहीं दिया जाएगा। आपको बता दें 12 मई को हल्की बारिश के बीच बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। कपाट खुलने के पहले दिन ही हजारों श्रद्धालुओं ने बद्रीनाथ में अखण्ड ज्योति एवं भगवान बद्रीनाथ के दर्शन किए। बता दें कपाटोद्घाटन के अवसर पर बद्रीनाथ मंदिर को 15 कुंतल फूलों से सजाया गया था।
राजदरबार में बद्रीनाथ के अभिषेक के लिए पिरोया गया तिल का तेल, रवाना हुई गाडू घड़ा यात्रा..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 12 मई को खोल दिए जाएंगे। गुरुवार को भगवान बद्रीनाथ के अभिषेक के लिए राजदरबार में तिल का तेल पिरोया गया। बता दें आज गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा नरेंद्रनगर राजदरबार से रवाना होगी। नरेंद्रनगर राजमहल में महारानी माला राजलक्ष्मी शाह के नेतृत्व में नगर की सुहागिन महिलाओं के द्वारा तिल का तेल पिरोया गया। जिसके बाद शाम छह बजे राजदरबार से गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा ऋषिकेश के लिए रवाना हुई। भगवान बद्रीनाथ के अभिषेक के उपयोग में लाया जाने वाला तिल का तेल नरेंद्रनगर राजदरबार में पिरोया जाता है। इसके बाद तेल को गाड़ू घड़ा में डाला जाता है।
कल शाम राजदरबार से गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा का शुभारंभ किया गया। विभिन्न पड़ावों से होते हुए 28 अप्रैल को यात्रा डिम्मर गांव पहुंचेगी। सात मई तक गाडूघड़ा तेल कलश लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित कर दिया जाएगा। 8 मई को यात्रा सिमली, कर्णप्रयाग होते हुए पाखी गांव पहुंचेगी। 9 को नृसिंह मंदिर जोशीमठ और 10 को यात्रा आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, बद्रीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी), धर्माधिकारी व वेदपाठियों के साथ रात्रि प्रवास के लिए योगध्यान मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेगी। 11 को महाभिषेक व बाल भोग के बाद यात्रा बद्रीनाथ धाम पहुंचेगी और 12 मई को विधि-विधान के साथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
तीन धामों के कपाट हुए बंद, पंजीकरण पोर्टल बद्रीनाथ धाम के लिए खुला..
उत्तराखंड: केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद पर्यटन विभाग ने यात्रा पंजीकरण बंद कर दिया है। पंजीकरण पोर्टल बद्रीनाथ धाम के लिए खुला है। अब तक चारधाम यात्रा के लिए 75 लाख यात्रियों ने पंजीकरण किया है। इसमें 55.80 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। 22 अप्रैल से शुरू हुई चारधाम यात्रा के लिए इस बार प्रदेश सरकार ने पंजीकरण अनिवार्य किया था। यात्रा शुरू होने से पहले पर्यटन विभाग ने पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सरकार को बीच-बीच में पंजीकरण रोकना पड़ा था।
बुधवार को विधि-विधान से केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो गए। जबकि बीते दिन गंगोत्री धाम के कपाट बंद हुए हैं। पर्यटन विभाग ने तीन धामों की यात्रा के लिए पंजीकरण बंद कर दिया है। बद्रीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे। तब तक बद्रीनाथ की यात्रा के लिए पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध है। पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक योगेंद्र गंगवार का कहना हैं कि चारधाम यात्रा के लिए अब तक 75 लाख यात्रियों ने वेबसाइट, वाट्सएप और मोबाइल एप से पंजीकरण कराया है। जिसमें 55.80 लाख यात्रियों ने दर्शन किए हैं।
बाबा केदार के दरबार में 19.61 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई हाजिरी..
बाबा केदार के दरबार में इस बार 19.61 लाख श्रद्धालुओं ने हाजिरी लगाई है। बुधवार को विधि विधान से बाबा केदार के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। चारधाम यात्रा में अब तक दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 55.78 लाख हो गई है। चारधाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या ने नया रिकॉर्ड बनाया है। केदारनाथ में सर्वाधिक 19.61 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जबकि बद्रीनाथ धाम में 18 लाख, गंगोत्री में 9.05 लाख, यमुनोत्री में 7.35 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए हैं। केदारनाथ, यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो गए हैं। जबकि 18 नवंबर को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे।
बद्रीनाथ धाम पहुंचे उद्योगपति मुकेश अंबानी, किया पांच करोड़ रुपये का दान..
उत्तराखंड: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रमुख व देश के प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी गुरुवार को बद्रीनाथ धाम पहुंचे। कड़ी सुरक्षा के बीच मुकेश अंबानी अपनी छोटी पुत्रवधू राधिका के साथ भगवान के दर्शन किए। धाम पहुंचने के बाद मंदिर के पुजारी ने मुकेश अंबानी से विशेष पूजा अर्चना कराई। बद्रीनाथ के दर्शन कर उन्होंने मंदिर समिति को पांच करोड़ रुपये की राशि दान की है।देश के सबसे अमीर आदमी और उद्योगपति मुकेश अंबानी कड़ी सुरक्षा के बीच बद्रीनाथ धाम पहुंचे। इस दौरान उनके निजी सुरक्षा गार्ड भी मौजूद रहे।
आपको बता दे कि आजकल बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम में सेलिब्रिटीज, स्पोर्ट्समैन आदि वीआईपी लोगों का आना जाना लगा हुआ है। बुधवार को क्रिकेटर सुरेश रैना भगवान बद्री विशाल के दर्शन के लिए बद्रीनाथ धाम पहुंचे थे। जहां बद्रीनाथ धाम के प्रभारी अधिकारी अनिल ध्यानी ने क्रिकेटर का वहां पहुंचने पर भव्य स्वागत किया। क्रिकेटर ने धाम पहुंचकर रावल से आशीर्वाद भी लिया और पूजा अर्चना की। उन्होंने देश की खुशहाली की कामना की। मुकेश अंबानी, सुरेश रैना के अलावा बुधवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मुलायम सिंह यादव के बेटे प्रतीक यादव भी बाबा बद्रीनाथ के दर्शन करने पहुंचे थे। प्रतीक ने पूजा अर्चना के बाद ब्रह्मकपाल में पिता स्व. मुलायम सिंह यादव और मां साधना यादव का पिंडदान किया।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध के बाद प्रदेश सरकार ने विगत विधानसभा चुनाव से पहले इसे भंग कर श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को पुनर्जीवित कर दिया था। प्रदेश सरकार ने बीकेटीसी की कमान निर्विवादित व स्वच्छ छवि वाले वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय को सौंपी। पूर्व में केदारनाथ आपदा घोटाला और प्रदेश में लैंड जिहाद जैसे मुद्दों को उठा कर चर्चाओं में रहे अजेंद्र अजय बीकेटीसी के अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद से फिर से न केवल खुद चर्चाओं में बने हुए हैं, बल्कि बीकेटीसी भी लगातार चर्चाओं में बनी हुई है। दरअसल, मंदिर समिति में दीमक की तरह लगे हुए कुछ लोगों ने वर्षों से ऐसी परंपरा कायम की हुयी है कि वो नए अध्यक्ष के आने पर उसे अपनी करबट में लेने की कोशिश करते हैं। यदि अध्यक्ष उनके अनुसार नहीं चलता है तो उसे घेरने और दबाब बनाने की कोशिश करते हैं। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बिना वजह के मुद्दों पर विवाद भी खड़ा करा देते हैं। अजेंद्र ने धामों में निजी स्वार्थों के लिए कार्य कर रहे कुछ लोगों के संगठित गिरोह पर भी चोट की और व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। इस कारण अजेंद्र लगातार स्वार्थी तत्वों के निशाने पर भी हैं और उन्हें घेरने की लगातार कोशिश की जा रही है। मगर अजेंद्र इन सब की परवाह किये बगैर लगातार मंदिर समिति में सुधारों को जारी रखे हुए हैं।
अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही अजेंद्र ने सबसे पहले बीकेटीसी की कार्यप्रणाली में बदलाव के प्रयास किए। वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय गठित हुई बीकेटीसी में कर्मचारियों व अधिकारियों के ट्रांसफर अपवादस्वरूप ही होते रहे हैं। अजेंद्र ने कर्मचारियों व अधिकारियों के स्थानांतरण कर बीकेटीसी में हड़कंप मचा दिया था।। कुछ कार्मिकों ने अध्यक्ष द्वारा किये गए ट्रांसफरों को धता बताने की कोशिश भी की, किन्तु अध्यक्ष के सख्त रूख के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। अध्यक्ष ने कार्मिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया। वर्षों से पदोन्नत्ति की मांग कर रहे कार्मिकों मुराद पूरी की और वेतन विसंगति का सामना कर रहे 130 से अधिक कार्मिकों के वेतन में वृद्धि भी की।
अजेंद्र ने लगभग 11 वर्षों से बीकेटीसी में मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर कुंडली जमाये बैठे विवादित अफसर बीडी सिंह को भी चलता किया। भाजपा हो अथवा कांग्रेस हर सरकार में बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर जमे रहने वाले बीडी सिंह ने मंदिर समिति से हटते ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ही ले ली थी। अजेंद्र ने बीकेटीसी में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए भी कई कदम उठाये। मंदिर समिति में वित्तीय पारदर्शिता कायम करने के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित कर शासन से वित्त अधिकारी की नियुक्ति कराई गयी। केदारनाथ धाम में दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी ग्लास हॉउस निर्मित कराया गया। अन्य भी कई नयी पहल शुरू की गयीं, जिनसे बीकेटीसी की आय में भी वृद्धि हुई है।
आजादी से पूर्व गठन होने के बावजूद बीकेटीसी में अभी तक कार्मिकों की सेवा नियमावली नहीं है। इस कारण कई विसंगतियां पैदा होती रही हैं। बीकेटीसी बोर्ड ने विगत माह बैठक में कार्मिकों की सेवा नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिस पर शासन स्तर पर तेजी से कार्रवाई चल रही है। अजेंद्र ने सचिवालय की तर्ज पर बीकेटीसी में अलग से सुरक्षा संवर्ग तैयार करने की पहल भी की है। यह प्रस्ताव भी शासन में विचाराधीन है। बीकेटीसी का सुरक्षा संवर्ग गठित होने पर केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में मंदिरों की आंतरिक सुरक्षा पूरी तरह से बीकेटीसी के हाथों में रहेगी। अजेंद्र के कार्यकाल में बीकेटीसी में अवैध नियुक्तियों पर भी रोक लगी। अब तक अधिकांश अध्यक्षों के कार्यकाल में बीकेटीसी में बड़ी संख्या में कार्मिकों की अवैध रूप से नियुक्तियां की गयीं। इस कारण बीकेटीसी को सात सौ से भी अधिक कर्मचारियों का बोझ उठाना पड़ रहा है। आधे कार्मिकों के पास कोई काम तक नहीं है। पहली बार अजेंद्र के कार्यकाल में एक भी कर्मचारी की अवैध नियुक्ति नहीं हुयी।
अजेंद्र ने मंदिरों के जीर्णोद्वार, विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की दिशा में भी ठोस पहल की। उनके कार्यकाल में सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया जाना रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख रेख में यह प्रक्रिया पूर्ण कराई। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। अजेंद्र ने बाबा केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के विकास व विस्तारीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी काम शुरू किया। इस कार्य के लिए स्थानीय जनता द्वारा करीब तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है और पूर्व में कई मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका शिलान्यास भी किया गया था।
आपदा में ध्वस्त हो चुके केदारनाथ मंदिर के समीप स्थित ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण भी अजेंद्र के कार्यकाल की उपलब्धि है। आपदा के इतने वर्षों पश्चात गत वर्ष इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। एक वर्ष के भीतर मंदिर का निर्माण कार्य करा कर इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी गयी। केदारनाथ धाम में बीकेटीसी कार्मिकों के आवास व कार्यालय भवन इत्यादि के कार्य भी विगत वर्ष ही शुरू हुए हैं। वर्तमान में बीकेटीसी द्वारा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ परिसर में स्थित भैरव मंदिर निर्माण के साथ-साथ तुंगनाथ मंदिर व त्रियुगीनारायण मंदिर के विकास व सौंदर्यीकरण की योजना पर भी काम किया जा रहा है। बहरहाल, अजेंद्र ने मंदिर समिति में बदलावों और सुधारों के लिए मुहिम जारी रखी हुयी है। मगर उनके प्रयासों की हवा निकालने के लिए मंदिर समिति के बाहर व भीतर के कुछ लोग लगातार अभियान छेड़े हुए हैं। मंदिर समिति में सुधारों की कवायद कितना परवान चढ़ पाती है, यह भविष्य के गर्भ में है।
भारी बर्फबारी के बीच खुले बद्रीनाथ धाम के कपाट, जयकारों के बीच नाचने लगे श्रद्धालु..
उत्तराखंड: बर्फबारी और कड़ाके की ठंड के बीच भू-बैकुंठ बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ आज गुरुवार सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर बद्रीनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए हैं। कपाट खुलने के इस पावन मौके पर अखंड ज्योति के दर्शन करने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु धाम पहुंचे तो यात्रा पड़ावों पर चहल-पहल भी शुरू हो गई है।
कपाट खुलने के दौरान हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा हुई तो वहीं परिसर में सेना की मधुर धुन पर यात्री भी थिरके। बद्रीनाथ के सिंह द्वार से यात्रियों के दर्शन शुरू हो गए हैं। कपाट खुलने के दौरान धाम में करीब 20 हजार तीर्थयात्री पहुंचे। कपाटोद्घाटन के लिए टिहरी राजा के प्रतिनिधि के रूप में माधव प्रसाद नौटियाल भी धाम में मौजूद रहे।
वहीं बद्रीनाथ यात्रा को लेकर तीर्थयात्रियों में भी उत्साह और उल्लास का माहौल है। यात्रा पड़ावों पर जगह-जगह तीर्थयात्रियों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। बद्रीनाथ में तीर्थयात्रियों और स्थानीय श्रद्धालुओं के करीब 400 वाहन पहुंच गए हैं। बद्रीनाथ के साथ ही धाम में स्थित प्राचीन मठ-मंदिरों को भी गेंदे के फूलों से सजाया गया है।
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माणा में ग्रामीणों की चहल-पहल शुरू..
इस बार बद्रीनाथ हाईवे पर कंचन गंगा और रड़ांग बैंड में हिमखंड पिघल गए हैं। यहां अलकनंदा के किनारे कुछ जगहों पर ही बर्फ जमी है। बद्रीनाथ धाम के आंतरिक मार्गों पर अभी भी बर्फ है, जिसे नगर पंचायत बद्रीनाथ के पर्यावरण मित्रों की ओर से साफ किया जा रहा है।
वर्ष 2013 की आपदा में बह चुके लामबगड़ बाजार में भी दुकानें खुलने लगी हैं। देश के प्रथम गांव माणा में भी ग्रामीणों की चहल-पहल होने लगी है। बुधवार को बद्रीनाथ धाम पहुंंचे अधिकांश श्रद्धालु माणा गांव पहुंचे। बद्रीनाथ में आर्मी हेलीपैड से मंदिर परिसर तक साफ-सफाई का काम भी पूरा हो गया है।
27 अप्रैल को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रियाओं के तहत आज मंगलवार को जोशीमठ नृसिंह मंदिर से बद्रीनाथ के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, आदि गुरू शंकराचार्य की गद्दी और गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा के साथ योगबद्री मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना हुए। बुधवार को पांडुकेश्वर से कुबेर जी और उद्घव जी की उत्सव डोली रावल, और शंकराचार्य की गद्दी बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना होगी। जिसके बाद 27 अप्रैल को प्रात: 7 बजकर 10 मिनट पर विधि-विधान से भगवान बद्रीनाथ जी के कपाट खोल दिए जाएंगे।
20 नवंबर को बंद होंगे श्री बद्रीनाथ के कपाट..
उत्तराखंड: विश्व प्रसिद्ध श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि आज शुक्रवार विजयदशमी के दिन विधि-विधान पंचाग गणना के पश्चात तय हुआ कि बद्रीनाथ के कपाट 20 नवम्बर को साय 6:45 पर बंद होंगे।
आपको बता दे कि शीतकाल हेतु श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि प्रत्येक यात्रा वर्ष विजय दशमी के दिन तय की जाती है। आज विजय दशमी को श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि की घोषणा के अलावा पंच पूजाओं का कार्यक्रम,श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी के पांडुकेश्वर आगमन तथा श्री आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी के श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ आने का कार्यक्रम भी घोषित हुआ साथ ही आगामी यात्राकाल 2022 के लिए हक हकूकधारियों को पगड़ी भेंट की गई।
वही द्वितीय केदार भगवान श्री मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल हेतु सोमवार 22 नवंबर को प्रात: साढे आठ बजे वृश्चिक लग्न में बंद हो जायेंगे। जबकि श्री मद्महेश्वर मेला बृहस्पतिवार 25 नवंबर को आयोजित होगा। जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट शनिवार 30 अक्टूबर को दिन 1 बजे अपराह्न शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।
आज पंचकेदार गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में पुजारी-आचार्यगणों एवं पंचगाई हक-हकूकधारियों तथा देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों- कर्मचारियों की उपस्थिति में विधि-विधान पूर्वक पंचाग गणना के पश्चात कपाट बंद होने की तिथि तय की गयी। तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट बंद होने की तिथि शीतकालीन गद्दीस्थल श्री मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में तय हुई है। कपाट बंद होने के पश्चात भगवान मद्महेश्वर जी की चलविग्रह डोली 22 नवंबर को गौंडार, 23 नवंबर को रांसी, 24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी।
25 नवंबर को चल विग्रह डोली श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी 25 नवंबर को मद्महेश्वर मेला आयोजित किया जायेगा। श्री तुंगनाथ जी की चलविग्रह डोली 30 अक्टूबर को चोपता,31 अक्टूबर को भनकुंड तथा 1 नवंबर को गद्दीस्थल श्री मार्कंडेय मंदिर में विराजमान होंगी इसी के साथ गद्दीस्थलों में शीतकालीन पूजा शुरू हो जायेंगी।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने गुरुवार को सचिवालय में बद्रीनाथ-केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण कर लिया जाए।
उन्होंने केदारनाथ धाम हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा जुलाई, 2021 के प्रथम सप्ताह तक समुचित स्टाफ की तैनाती किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने मंदाकिनी नदी पर निर्मित सुरक्षा दीवार की सुदृढ़ता एवं वर्तमान स्थिति की जांच रिपोर्ट एक माह के भीतर प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग ने बताया कि केदारनाथ में सम्बन्धित व्यक्तियों हेतु भूमिधरी के अधिकार का शासनादेश हो गया है। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि उनके म्यूटेशन की कार्यवाही भी शीघ्र पूर्ण की जाए।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बद्रीनाथ धाम में कराए जाने वाले कार्यों को ससमय प्रारम्भ कर निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत कार्यों को पूर्ण करने हेतु कार्य योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने सभी कार्यों में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिए जाने के भी निर्देश दिए।
इस अवसर पर सचिव अमित नेगी, दिलीप जावलकर, एस.ए. मुरुगेशन, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बन्धित जनपदों से जिलाधिकारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।