- अजेंद्र अजय
पीवी नरसिम्हा राव, एचडी देवगौड़ा, अशोक गहलोत, राबड़ी देवी, चौधरी बंशी लाल, गिरधर गोमांग समेत कई नेता प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री अथवा मंत्री रहते हुए एक वर्ष से कम समयावधि के बावजूद उप चुनाव लड़ चुके हैं।
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और मीडिया के एक हिस्से में यह चर्चा बड़ी तेजी से फैलाई जा रही है कि उत्तराखंड में संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा होने वाली है। इस चर्चा में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के एक प्रावधान का उल्लेख करते हुए राज्य में संवैधानिक संकट की आशंका जताई जा रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि सोशल मीडिया से उठे इस मुद्दे को प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने ऐसा लपका मानो उसके हाथ कोई जादुई चिराग लग गया हो।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह से लेकर कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने बाकायदा बयान जारी कर सितंबर माह में प्रदेश में संवैधानिक संकट की ज्योतिषीय घोषणा तक कर डाल दी है। कांग्रेस नेताओं ने बयानबाजी करने से पहले इस मुद्दे से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों और कानून के तकनीकि पक्षों को जरा सा भी समझने की कोशिश नहीं की और अनाड़ी व नौसिखिये राजनीतिज्ञों की तरह हो-हल्ला मचाना शुरू कर दिया।
दरअसल, प्रकरण प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के उप चुनाव को लेकर है। भाजपा नेतृत्व ने विगत 11 मार्च को गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से सांसद तीरथ सिंह रावत को प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान सौंपी थी। संवैधानिक प्रावधानों के तहत उन्हें मुख्यमंत्री के पद पर नियुक्ति से छः माह के भीतर अर्थात आगामी 10 सितंबर तक उत्तराखंड विधान सभा का सदस्य निर्वाचित होना है।
कांग्रेस नेता लोक प्रतिनिधित्व अधिनियमम -1951 की धारा- 151 (क) को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए उप चुनाव लड़ने में बाधक बता रहे हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के भाग- 9 में उप निर्वाचन शीषर्क में संसद के दोनों सदनों और राज्यों के विधान मंडलों में आकस्मिक रिक्तियों के चुनावों को लेकर उपबंध तय किये गए हैं। भाग -9 की धारा -151 (क) में किसी कारण से रिक्त हुई सीट पर छः माह की अवधि के भीतर चुनाव करने का प्रावधान है। यह धारा कहती है कि –
151 क. धारा 147, धारा 149, धारा 150 और धारा 151 में निर्दिष्ट रिक्तियों को भरने के लिए समय की परिसीमा – धारा 147, धारा 149, धारा 150 और धारा 151 में किसी बात के होते हुए भी, उक्त धाराओं में से किसी में निर्दिष्ट किसी रिक्ति को भरने के लिए उप निर्वाचन, रिक्त होने की तारीख से छः मास की अवधि के भीतर कराया जाएगा :
परन्तु इस धारा की कोई बात उस दशा में लागू नहीं होगी, जिसमें –
(क) किसी रिक्ति से संबंधित सदस्य की पदावधि का शेष भाग एक वर्ष से कम है ; या
(ख) निर्वाचन आयोग, केंद्र सरकार से परामर्श करके, यह प्रमाणित करता है कि उक्त अवधि के भीतर ऐसा उप निर्वाचन करना कठिन है।
कांग्रेस द्वारा धारा-151क (क) को आधार बना कर तिल का ताड़ बनाया जा रहा है। कांग्रेस का कहना है कि चूंकि उत्तराखंड विधान सभा के आम चुनावों के लिए एक वर्ष से भी कम का समय रह गया है। लिहाजा, अब उप चुनाव नहीं हो सकते हैं और मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत उप चुनाव नहीं लड़ सकते।
यह सही है कि धारा-151क (क) रिक्ति की पदावधि का शेष भाग एक वर्ष से कम होने पर उप चुनाव की अनुमति नहीं देता है। मगर कोई सामान्य समझ वाला व्यक्ति भी धारा-151क (ख) को देख कर कह सकता है की यह उप चुनाव कराने की पूरी गुंजाइश रखती है। यह सोचने वाली बात है कि यदि गुंजाइश नहीं होती तो 151क (क) के बाद अधिनियम में “या” शब्द जोड़ने का क्या औचित्य था ?
“या” शब्द जोड़ने के बाद 151क (ख) में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग, केंद्र सरकार से परामर्श करके, यह प्रमाणित करता है कि उक्त अवधि के भीतर ऐसा उप निर्वाचन करना कठिन है। यानी अगर उप चुनाव नहीं कराने होंगे तो चुनाव आयोग केंद्र सरकार से चर्चा करके बताएगा कि चुनाव कराने में क्या कठिनाई है ?
स्पष्ट है कि किसी विशेष प्रकार की परिस्थितियों के मद्देनजर ही “या” शब्द जोड़ा गया होगा और अधिनियम बनाने वालों ने भविष्य में किसी संभावित समस्या को देखते हुए यह प्रावधान किया होगा। कोई नियम अथवा अधिनियम संवैधानिक संकट पैदा ना हो, इस उद्देश्य से बनाया जाता है, ना कि संकट पैदा करने के लिए। यहां यह स्पष्ट है कि धारा-151 चुनाव आयोग को उप चुनाव नहीं कराने को लेकर किसी प्रकार से बाध्य नहीं करता है। आयोग उप चुनाव करा सकता है।
अब बारी आती है संविधान की। भारतीय संविधान का अनुच्छेद-75(5) बिना किसी सदन की सदस्यता के छः माह तक किसी भी व्यक्ति को केंद्र सरकार में मंत्री अथवा प्रधानमंत्री और अनुच्छेद-164 (4) किसी भी व्यक्ति को प्रदेश का मुख्यमंत्री अथवा मंत्री नियुक्त होने की अनुमति देता है। अर्थात अगर कोई व्यक्ति संसद के किसी भी सदन का सदस्य निर्वाचित हुए बगैर प्रधानमंत्री अथवा केंद्रीय मंत्री बनता है तो, उसे छः माह के भीतर संसद के किसी भी सदन का सदस्य चुना जाना आवश्यक है। इसी प्रकार की बाध्यता मुख्यमंत्री व राज्य के मंत्रियों के लिए भी है। उन्हें विधान सभा अथवा जिन राज्यों में विधान परिषद् है, में से किसी एक सदन का सदस्य निर्वाचित होना आवश्यक है।
यानी बिना किसी सदन के सदस्य हुए बगैर छः माह तक किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री, मंत्री या देश का प्रधानमंत्री बनने का किसी भी भारतीय नागरिक को भारतीय संविधान पूरा अधिकार देता है। अब सवाल यह है की क्या किसी मुख्यमंत्री अथवा मंत्री को संविधान प्रदत्त इस अधिकार से कैसे आसानी से वंचित किया जा सकता है ? चुनाव आयोग भी संविधान प्रदत्त अधिकारों को सरंक्षण देते हुए ही अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करता है। तमाम ऐसे उदाहरण हैं जब चुनाव आयोग ने आकस्मिकताओं को ध्यान में रख कर एक वर्ष अथवा छह माह की अवधि से भी कम समय में उप चुनाव कराएं हैं।
चुनाव मामलों की जानकारी देने वाली इलेक्शन लॉज़, प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर पुस्तक के अनुसार चुनाव आयोग ने, सुसंगत नीति के मामले में, हमेशा मंत्री के रूप में नियुक्त व्यक्ति को, जो उसकी ऐसी नियुक्ति के समय उपयुक्त विधायिका का सदस्य नहीं है, को संवैधानिक आवश्यकता को पूरा करने का अवसर प्रदान किया है। आयोग ने संबंधित व्यक्ति द्वारा पद ग्रहण करने के छह माह के भीतर उप-चुनाव कराकर मंत्री के रूप में अपनी नियुक्ति के संबंध में मतदाताओं को अपना निर्णय देने का अवसर प्रदान किया है।
पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हाराव, एच.डी. देवेगौड़ा समेत वर्ष 1999 में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वर्ष 1997 में बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, वर्ष 1993 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय भास्कर रेड्डी एक वर्ष से कम अवधि के दौरान चुनाव लड़ चुके हैं।
वर्ष 1999 में उड़ीसा के तत्कालीन मुख्यमंत्री गिरधर गोमांग ने प्रदेश की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लक्ष्मीपुर विधानसभा क्षेत्र से उप चुनाव लड़ा। प्रदेश की लक्ष्मीपुर समेत कुछ अन्य विधान सभा सीटें खाली पड़ीं थीं। राज्य विधानसभा का शेष कार्यकाल उस रिक्ति की तारीख से एक वर्ष से कम के लिए था। मगर चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री की इच्छा को देखते हुए केवल लक्ष्मीपुर विधानसभा क्षेत्र में ही उप चुनाव आयोजित किया।
उड़ीसा की तरह का मामला वर्ष 1987 में हरियाणा में भी सामने आया था। यहां भी उड़ीसा की तरह चौधरी बंशी लाल तोशम विधान सभा क्षेत्र से उप चुनाव लड़े, जबकि यहां भी विधानसभा का कार्यकाल एक वर्ष से कम था और अन्य कुछ सीटें भी रिक्त थीं। मगर चुनाव आयोग ने चौधरी बंशी लाल को उनके संवैधानिक अधिकार की पूर्ति एक ही सीट पर उप चुनाव कराया। इस मामले को किसी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। मगर कोर्ट ने कोई हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी चुनाव आयोग के उस निर्णय में हस्तक्षेप नहीं किया।
उत्तराखंड के सन्दर्भ में विपक्षी दलों द्वारा विभिन्न न्यायालयों के जिन भी मामलों का उल्लेख किया जा रहा है, वे यहां कतई प्रासंगिक नहीं हैं। उन प्रकरणों की प्रकृति अलग तरह की थी। उत्तराखंड से कुछ अंश मात्र मिलते-जुलते मामलों की चर्चा की जाए तो देखा जा सकता है की सभी न्यायालयों ने सकारात्मक निर्णय ही दिए हैं। न्यायालयों ने चुनाव आयोग के आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया है।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एपी रंगनाथ बनाम मुख्य चुनाव आयोग, 2018 केस में उस याचिका को ख़ारिज कर दिया था, जिसमें लोकसभा सीट पर उप चुनाव के लिए एक वर्ष से थोड़ी ही अधिक अवधि थी। इसमें कोर्ट ने कहा की किसी क्षेत्र को एक वर्ष से अधिक समय के लिए बिना जनप्रतिनिधि के खाली नहीं रखा जा सकता। इस निर्णय का सबसे महत्वपूर्ण पहलु यह था की कोर्ट ने चुनाव आयोग को कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-151क की व्याख्या के संबंध में कोई अस्पष्टता उत्पन्न होती है, तो चुनाव सुधार समिति, 1990 की रिपोर्ट का सहारा लिया जाना चाहिए।
ऐसे ही एक मिलते-जुलते मामले प्रमोद लक्ष्मण गुड़धे बनाम भारत निर्वाचन आयोग व अन्य में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की, कि ऐसी व्याख्या लोकतंत्र के पवित्र सिद्धांत के अनुरूप है कि किसी निर्वाचन क्षेत्र को बिना प्रतिनिधित्व के नहीं रखना है। उप चुनाव पर होने वाले खर्च के संबंध में व्यक्त की गई चिंता को आधार नहीं माना जा सकता। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोकतंत्र को निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा खुद को बनाए रखना होता है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गुरूवार को अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर सचिवालय में आयेाजित एक संक्षिप्त कार्यक्रम में ‘सेवा, समर्पण और विश्वास के 100 दिन’ विकास पुस्तिका का विमोचन किया। पुस्तिका का प्रकाशन सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग द्वारा किया गया है। पुस्तिका के विमोचन से पूर्व दो मिनिट का मौन रख कर 2013 की केदारनाथ आपदा व कोविड में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी गई।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि पिछले 100 दिन में सरकार ने कोविड से सफलतापूर्वक संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के कुछ दिन में ही वे स्वयं कोविड संक्रमित हो गए। इस पर गाईडलाईन का पूरी तरह से पालन करते हुए उन्हें एक कक्ष में ही कई दिनों तक रहना पड़ा। परंतु इस अवधि में भी उन्होंने अधिकारियों से वर्चुअल मीटिंग कीं। दूर-दराज के क्षेत्रों की समस्याओं का मौके पर निस्तारण के लिए वर्चुअल चौपालों का आयेाजन किया। इनमें वर्चुअल प्रतिभाग करते हुए लोगों की समस्याओं को सुना और उनका निदान करने के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया।
तीरथ ने कहा कि वे गांव की मिट्टी से जुड़े हैं और ग्रामीणों व आम जन के दुःख-दर्द को भली भांति जानते हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों से विकास प्राधिकरणों को हटाया ताकि ग्रामीणों को अनावश्यक औपचारिकताओं के लिए परेशान न होना पड़े।
उन्होंने कहा कि वे जब विकास की रणनीति बना रहे थे तो कोविड की दूसरी लहर पूरे देश में आ गई। किसी को पता नहीं था कि कोविड की दूसरी लहर इस तरह का रूप लेगी। परंतु जल्द ही हमने स्थिति को पूरी तरह से सम्भाल लिया। पिछले लगभग तीन माह में हमने आईसीयू बेड, आक्सीजन बेड, वेंटिलेटर आदि की संख्या कई गुना तक बढ़ा दी। प्रत्येक जिला अस्पताल में आक्सीजन प्लांट स्थापित किए। सीएससी तक भी आक्सीजन प्लांट लगा रहे हैं। प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के निर्देशों पर डीआरडीओ ने ऋषिकेश में 500 बेड का कोविड अस्पताल 14 दिन में तैयार कर दिया जबकि हल्द्वानी में 21 दिन में तैयार कर दिया। हमने राज्य में काफी तैयारी कर ली हैं। हम कोविड की तीसरी लहर के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
मुख्यमंत्री ने 18-44 वर्ष वालों को निशुल्क टीकाकरण और गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न देने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 45 से अधिक उम्र वालों में लगभग 65 फीसदी का वैक्सीनेशन किया जा चुका है। कोविड को देखते हुए प्रदेश में हम विशेष खाद्यान्न सहायता दे रहे हैं। साढ़े सात किलो प्रति राशन कार्ड खाद्यान्न मिलता था जिसको बढ़ाकर बीस किलो प्रतिमाह कर दिया है। आपदा में पहली बार चीनी उपलब्ध कराई गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री और अनेक केंद्रीय मंत्रियों से भेंट कर राज्य के विकास पर विचार विमर्श किया। उन्हें राज्य की आवश्यकताओं से अवगत कराया। प्रधानमंत्री का देवभूमि उत्तराखण्ड के प्रति विशेष लगाव है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि उत्तराखण्ड को लेकर किसी प्रकार की कमी नहीं रहेगी।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, गणेश जोशी, राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, विधायक हरबंस कपूर, विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चौहान, उमेश शर्मा काउ, खजानदास, सहदेव सिंह पुंडीर, राजकुमार ठुकराल, रामसिंह कैड़ा, विनोद कण्डारी, सूचना महानिदेशक रणबीर सिंह चौहान व अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अपर निदेशक डा.अनिल चंदोला ने किया।
नरेंद्रनगर स्थित पुलिस ट्रेनिंग सेंटर (पीटीसी) में प्रशिक्षण प्राप्त कर उत्तराखंड पुलिस सेवा (यूपीएस) संवर्ग के १७ अधिकारी गुरूवार को उत्तराखंड पुलिस का हिस्सा बन गए। पीटीसी में पुलिस उपाधीक्षक आधारभूत प्रशिक्षण दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को सम्मानित भी किया। सम्मानित होने वाले पुलिस उपाधीक्षकों में रीना राठोर, नताशा सिंह, अभिनय चौधरी, स्वप्निल मुयाल, सुमित पाण्डे शामिल थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि पीटीसी में ऑडिटोरियम का निर्माण किया जायेगा। साइबर क्राइम को रोकने हेतु प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण भत्ता देने की घोषणा भी की।
तीरथ ने प्रशिक्षण के उपरांत पास आउट होने वाले सभी पुलिस उपाधीक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दी जाने वाली शिक्षा ही प्रशिक्षण है। प्रशिक्षण कोई एक दिन में पूर्ण होने वाला वन टाइम टास्क नहीं है, अपितु उसके अनुरूप खुद को बदलना पड़ता है। प्रशिक्षण ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने पेशेवर कार्यों को तेजी व दक्षता से करने में सक्षम होते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षुओं को कानूनों की जानकारी के अलावा शस्त्र संचालन आदि अनेक प्रकार के जरूरी कौशल का प्रशिक्षण भी दिया गया होगा, परंतु क्षमताओं का वास्तविक आंकलन तो तभी होगा जब हम अपने सीखे हुए ज्ञान एवं कौशल को अपने व्यवहारिक जीवन सही व सहज तरीके से प्रयोग करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में साईबर एवं डिजिटल तकनीकी के माध्यम से होने वाले आर्थिक अपराधों, साईबर अपराधों एवं सामाजिक अपराधों से निपटना पुलिस के लिए प्रमुख चुनौती है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पुलिस अन्य अपराधों के अलावा साइबर और संगठित अपराधों पर रोक लगाकर राज्य में चौतरफा सुरक्षा का माहौल तैयार करेंगे। कोरोना संकट के इस दौर में उत्तराखण्ड पुलिस ने कई नई-नई चुनौतियों का सामना किया है।
आज पी.टी.सी. नरेन्द्र नगर, टिहरी में पुलिस उपाधीक्षक आधारभूत प्रशिक्षण दीक्षांत समारोह में शामिल हुआ।
इस दौरान प्रशिक्षणरत पुलिस उपाधीक्षकों को प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करने पर बधाई दी व सम्मानित भी किया। pic.twitter.com/j3WfRd7rpR
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) June 17, 2021
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस के सामने अनैक चुनौतियां हैं। पुलिस को नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए यह कठिन प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने कहा कि पुलिस में जन सेवक के गुण होने बहुत जरूरी हैं। हमारा मकसद पीड़ित केन्द्रित होना चाहिए। हमारा प्रयास होना चाहिए कि समाज के ऐसे लोगों को न्याय दिलाया जाए जो सुविधाओं से वंचित हैं। पुलिस के पास यूनिफार्म के साथ ही कानूनी अधिकार भी है।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, अपर पुलिस महानिदेशक डॉ. पी.वी.के.प्रसाद, पुलिस महानिरीक्षक (प्रशिक्षण) पूरन सिंह रावत, निदेशक पीटीसी राजीव स्वरूप, टिहरी की जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तृप्ति भट्ट आदि उपस्थित थे।
साइबर अपराध रोकने हेतु ई-सुरक्षा चक्र हेल्पलाईन नंबर 155260 का शुभारंभ
मुख्यमंत्री तीरथ ने पीटीसी में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में साइबर अपराधों में रोकने हेतु ई-सुरक्षा चक्र हेल्पलाईन नंबर 155260 का शुभारंभ किया। यह नंबर विशेषकर वित्तीय साइबर अपराधों में त्वरित सहायता के लिए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि साईबर अपराध एक उभरती हुई चुनौती है। इस चुनौती से लड़ने हेतु उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा यह अच्छा प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस हेल्पलाईन नम्बर की जानकारी सबको हो, इसलिए इसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाय। मुख्यमंत्री ने ई-सुरक्षा चक्र बुकलेट का विमोचन भी किया।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने उत्तराखण्ड पुलिस के अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि दिन-प्रतिदिन साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। इसको रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने जरूरी है। हेल्पलाईन नम्बर जारी करने वाला उत्तराखण्ड देश का तीसरा राज्य बना इसके लिए उत्तराखण्ड पुलिस बधाई की पात्र है।
इस अवसर पर जानकारी दी गई कि विगत कुछ वर्षो में साईबर अपराध के मामलो मे लगातार बढोत्तरी हुई है। वित्तीय एवं गैर वित्तीय मामले सामने आ रहे है। हाल ही मे गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पीड़ितो की त्वरित सहायता प्रदान कराने हेतु एक साईबर हेल्प लाईन नम्बर 155260 जारी किया गया है। उत्तराखण्ड देश का तीसरा राज्य बना जिसे गृह मंत्रालय से साईबर हेल्पलाईन नम्बर 155260 के संचालन की अनुमति प्राप्त हुयी। इस नम्बर पर किसी भी प्रकार के वित्तीय साईबर अपराध की सूचना दी जा सकती है तथा पीड़ित को अतिशीघ्र राहत देने का प्रयास किया जायेगा। इस नई प्रणाली के लिये स्पेशल टास्क फोर्स के अधीन साईबर क्राईम पुलिस स्टेशन में एक ई-सुरक्षा चक्र कन्ट्रोल रुम की स्थापना की गयी है।
इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार, महानिदेशक सतर्कता, वी. विनय कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक पी.वी.के. प्रसाद, पुलिस महानिरीक्षक अमित सिन्हा, संजय गुंज्याल, पूरन सिंह सिंह रावत, मुख्तार मोहसिन, पुलिस उप महानिरीक्षक, नीलेश आनन्द भरणे आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने नई दिल्ली में केंद्रीय पंचायती राज, कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भेंट की। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा सहायतित और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा अनुदानित राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना में अनुमन्य अनुदान को हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड को आर्गेनिक स्टेट बनाने के लिए गम्भीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत राज्य में 10 हजार जैविक क्लस्टरों की अनुमति दी गई थी। पहले चरण में आवंटित 3900 क्लस्टरों में जैविक कृषि संबंधी कार्य पूरे कर लिए गए हैं। जिससे लगभग 78 हजार हैक्टेयर कृषि भूमि को जैविक के अंतर्गत लाया गया तथा 1.5 लाख कृषकों की आय में वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से जैविक प्रदेश की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए स्वीकृति के सापेक्ष अवशेष 6100 क्लस्टर आवंटित करने का अनुरोध किया।
परम्परागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत राज्य में 10 हजार जैविक क्लस्टरों की अनुमति दी गई थी। पहले चरण में आवंटित 3,900 क्लस्टरों में जैविक कृषि संबंधी कार्य पूरे कर लिए गए हैं। स्वीकृति के सापेक्ष अन्य 6,100 क्लस्टर आवंटित करने का अनुरोध भी किया।
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) June 15, 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ट्रूथफूल बीज (टी.एल. सीड्स) खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत अनुदान पर वितरित करने की अनुमति प्रदेश को दी गई थी। उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में बीजों पर अनुदान अनुमन्य करने एवं गुणवत्तायुक्त बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए वर्ष 2021-22 में भी ट्रुथफूल बीजों पर प्रमाणित बीजों के समकक्ष अनुदान दिए जाने का भी आग्रह मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री से किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राजकीय क्षेत्र के सुदृढ़ीकरण के लिए वर्ष 2021-22 की 280 करोड़ रूपए परिव्यय की अतिरिक्त कार्ययोजना बनाई गई है। केंद्र से इसकी स्वीकृति की जानी है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के तहत 16472 के लक्ष्य का आवंटन ग्राम पंचायतवार एवं श्रेणीवार ‘आवास साॅफ्ट’ में कराने का अनुरोध किया।
केंद्रीय मंत्री तोमर ने मुख्यमंत्री को उनके मंत्रालय की ओर से हर सम्भव सहयोग के प्रति आश्वस्त किया। इस अवसर पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, सचिव राधिका झा, शैलेश बगोली व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को गन्ना विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वामी यतीश्वरानंद के साथ उत्तरकाशी जनपद का भ्रमण किया। उन्होंने बड़कोट में कोविड केयर सेंटर और नौगांव में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का निरीक्षण कर विभिन्न व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने कोविड सेल से होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों से फोन से वार्ता कर उनका हालचाल भी जाना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। डॉक्टरों को दूरस्थ क्षेत्रों में तैनाती दी गई है। कोविड के दौरान डॉक्टरों की कमी न हो, इसके लिए जिलाधिकारियों को भी अधिकार दिया गया है कि कोविड के दौरान मानक के अनुसार एवं आवश्यकतानुसार डॉक्टरों की तैनाती कर सकते हैं।
उन्होंने ने कहा कि उत्तरकाशी जनपद में कोविड के नियंत्रण के लिए अच्छे प्रयास हुए हैं। जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर के दृष्टिगत सरकार द्वारा पूरी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। अस्पतालों एवं कोविड केयर सेंटरों में बच्चों के लिए अलग वार्ड की व्यवस्था के साथ ही उनके अभिभावकों के लिए भी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। सीएचसी स्तर तक भी आक्सीजन प्लांट की व्यवस्था की जा रही है।
तीरथ ने भ्रमण के दौरान उत्तरकाशी में लगभग 52 करोड़ 37 लाख रूपये की 26 योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास भी किया। जिसमें से 17 करोड़ 41 लाख रूपये की 12 योजनाओं का लोकार्पण एवं 34 करोड़ 46 लाख रूपये की 14 योजनाओं के शिलान्यास हुवा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में स्थापित 30 नए आईसीयू बेड का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि कोविड के समय में इन आईसीयू बेड की उपलब्धता से विशेषकर पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग एवं टिहरी जिले के लोगों को ईलाज में मदद मिलेगी। इन जनपदों से अधिकांश मरीज ईलाज के लिए श्रीनगर आते हैं। कोविड के बाद अन्य बीमारियों के ईलाज के लिए भी इन आईसीयू बेड का उपयोग होगा।
कोविड-19 के संक्रमण काल में इन आईसीयू बेड की उपलब्धता से विशेषकर पौड़ी, चमोली, रुद्रप्रयाग एवं टिहरी जिले के लोगों को उपचार में मदद मिलेगी।
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) May 26, 2021
उन्होंने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश में आईसीयू, ऑक्सीजन बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता है। मेडिकल कॉलेज एवं जिला अस्पतालों में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं। इनका विस्तार सीएचसी एवं पीएचसी लेवल तक किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जल्द ही नैनीडांडा, थलीसैंण एवं प्रदेश के अन्य दूरस्थ क्षेत्रों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के लिए अभी से सतर्कता बरतनी होगी। सभी अस्पतालों में बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था हो। इसकी समय से पूरी तैयारी रखी जाय।
इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से उच्च शिक्षा एवं सहकारिता राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, जिलाधिकारी पौड़ी विजय जोगदंडे, सीएमओ पौड़ी डॉ मनोज शर्मा, श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ सीएमएस रावत आदि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग के द्वारा प्रदेश में कोविड की रोकथाम और बचाव कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाने के निर्देश दिये जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों की सहायता की जा सके, इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के लिये तैयारियों को शीघ्रता से धरातल पर लागू किया जाए। वर्तमान में कोविड के मामलों में कमी देखने को मिल रही है, फिर भी हमें पूरी तरह से सावधान रहना है। किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। तीसरी लहर में बच्चों पर फोकस करना है। जिला व ब्लॉक स्तर तक इसकी मैपिंग हो। फील्ड में काम करने वालों को मालूम होना चाहिए कि किसी तरह की परिस्थिति में उन्हें क्या करना है। उन्होंने ने कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन और कालाबाजारी करने वालों पर जरूरी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि ई-संजीवनी का अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है। इसे और अधिक सुदृढ़ और प्रचारित किया जाए।
मैंने निर्देशित किया हैं कि ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाई जाए, जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए। pic.twitter.com/0pC3FyvTfh
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) May 22, 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड को लेकर अधिक ध्यान देना है। इसके लिए विकेंद्रीकृत योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। आशा, एएनएम की सही तरीके से ट्रेनिंग हो। पीएचसी व सीएचसी स्तर तक तैयारियां हों। हर ब्लाॅक में कन्ट्रोल रूम हों। ग्राम सभाओं का सहयोग लिया जाए। जहाँ तक सम्भव हो दूरस्थ क्षेत्रों के लिए मोबाईल टेस्टिंग वैन, मोबाईल लैब, सेम्पलिंग वैन की व्यवस्था हो। गांव-गांव, घर- घर तक जरूरी मेडिकल किट व दवाओं की उपलब्धता हो। गांवों में क्वारेंटाईन सेंटर चिन्हित कर उन्हें जरूरी सुविधाओं से युक्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन में धन की कमी नहीं है। इसके लिये हर सम्भव प्रयास कर वैक्सीनैशन की प्रक्रिया में तेजी लानी है। प्रस्तावित और निर्माणाधीन ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को जल्द पूरा किया जाए। ऑक्सीजन आपूर्ति में बहुत सुधार हुआ है। इसे आगे भी बनाये रखना है। हमारे सभी आईसीयू संचालित होने चाहिए। कोविड से सम्बंधित सूचनाओं की रियल टाईम डाटा एन्ट्री सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेंगू को लेकर भी तैयारियां की जाएं। इसके बचाव के संबंध में जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं। यह देख लिया जाए कि हमारे कोविड अस्पताल और कोविड केयर सेंटर के आस-पास पानी एकत्र न हो।
बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार शत्रुघ्न सिंह, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अशोक कुमार, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, डॉ पंकज कुमार पाण्डेय सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप श्री बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगरी के रूप में विकसित करने के लिए भारत सरकार के तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों और उत्तराखंड सरकार के श्री केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच गुरूवार को लगभग 100 करोड़ के कार्यों के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
वर्चुअल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय तेल व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। तेल व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सार्वजनिक प्रतिष्ठान – इंडियन आयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, ओएनजीसी तथा गैस ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया द्वारा बद्रीनाथ धाम में पहले चरण की विकास गतिविधियों में 99.60 करोड़ रूपये की धनराशि दी जाएगी।
Oil PSUs have committed ₹100 crore towards the Badrinath development master plan and will be undertaking several works for the beautification of the temple & its surroundings, including pilgrim and environment-friendly amenities, water supply, sewage management among others. pic.twitter.com/UINWqsZola
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) May 6, 2021
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि उत्तराखंड स्थित चार धाम आध्यात्मिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक कारणों से लाखों लोगों के हृदय के निकट है। उन्होंने कहा कि तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठान न केवल बद्रीनाथ का विकास कार्य करेंगे, बल्कि केदारनाथ, उत्तरकाशी, यमुनोत्री तथा गंगोत्री के विकास का हिस्सा भी बनेंगे।
तेल और गैस क्षेत्र के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के प्रयासों की सराहना करते हुए प्रधान ने कहा कि ये प्रतिष्ठान बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक नगर के रूप में विकसित करने के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को साकार करने के लिए आगे आए हैं। पर्यटन प्रमुख उद्योग है, जो राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बद्रीनाथ जैसे स्थलों के विकास से और अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री तीरथ ने कहा प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद केदारनाथ में पुनर्निर्माण के कार्य शुरू हुए थे जो कि अब अपने अंतिम चरणों में हैं। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बद्रीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया। बद्रीनाथ में आगामी 100 वर्षों की आवश्यकताओं के मद्देनजर सुविधाओं का विकास चरणबद्ध तरीके से किया जाना है। उन्होंने बद्रीनाथ धाम के विकास में सहयोग के लिए केंद्र सरकार का आभार भी जताया।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि श्री बद्रीनाथ धाम का धार्मिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है। यहां से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है। उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण कार्यो के दौरान हमें इस बात का भी ध्यान रखना है कि यहां पर पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
- सुभाष चमोली
उत्तराखंड की सल्ट विधानसभा के प्रतिष्ठापूर्ण उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बाजी मार ली। रविवार को हुई मतगणना में भाजपा प्रत्याशी महेश जीना ने कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को 4697 मतों से पराजित किया।
चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जीना को 21,874 जबकि कांग्रेस की गंगा को 17,177 मत प्राप्त हुए। उप चुनाव में भाजपा, कांग्रेस समेत कुल सात प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इस सीट पर मतदान 17 अप्रैल को हुआ था। चुनाव में कुल 43.28 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था।
भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के मृत्यु के बाद खाली हुई इस सीट पर पार्टी ने उनके बड़े भाई महेश जीना को अपना प्रत्याशी बनाया था, जबकि कांग्रेस पार्टी ने विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर दे चुकीं गंगा पंचोली को फिर से मैदान में उतारा था।
उत्तराखंड में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सल्ट विधानसभा उपचुनाव दोनों ही पार्टियों भाजपा व कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ था। उपचुनाव प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के लिए इम्तिहान भी था। उनके नेतृत्व में यह कोई भी पहला चुनाव था। सल्ट के परिणामों ने उनके नेतृत्व पर मोहर मार दी और कोरोना काल में उन्हें घेर रहे विपक्ष को भी बड़ा झटका दे दिया है।
उधर, सत्ता में वापसी के लिए छटपटा रही कांग्रेस के लिए सल्ट उपचुनाव के परिणाम किसी सदमे से कम नहीं है। सल्ट में कांग्रेस ही नहीं, अपितु पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की साख भी दांव पर लगी थी। कांग्रेस प्रत्याशी गंगा पंचोली को हरीश रावत के गुट का माना जाता है। इन चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस की राजनीति में नेतृत्व की लड़ाई के और तेज होने के आसार हैं।
उल्लेखनीय है कि हरीश रावत अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की बात उठा चुके हैं। इसके बाद हरीश रावत के समर्थकों द्वारा लगातार उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ाई जाने की मांग की जा रही थी। मगर सल्ट उपचुनावों से उनकी इस मुहिम को निश्चित ही धक्का पहुंचा है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सीएम राहत कोष से आशा कार्यकत्रियों को एक-एक हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही शादियों में 25 लोगों से अधिक को अनुमति नहीं होगी।
यह निर्देश मुख्यमंत्री ने शनिवार को सचिवालय में कोविड -19 को लेकर एक बैठक में दिए। बैठक में शासन के उच्च अधिकारियों के अलावा वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से सभी जिलों के जिलाधिकारी भी जुड़े हुए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार खुलने के समय को जिलाधिकारी अपने अनुसार घटा सकते हैं। उन्होंने डोर-टू-डोर सर्वे के भी निर्देश दिए।
इसके साथ ही 104, सीएम हेल्पलाइन व पुलिस विभाग के कॉल सेंटर में फोन लाईनों की संख्या बढ़ाने को कहा। उन्होंने कहा कि कॉल सेंटर और हेल्पलाईन पूरी तरह से सक्रिय रहें और बेड, इंजेक्शन सम्बंधी जानकारी भी अपडेट रखें।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन के सिलेंडरों की संख्या बढ़ाने के लिये हर सम्भव कोशिश की जाए। इसमें विभिन्न संगठनों, उद्योगों की सहायता भी ली जा सकती है। कोविड अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भोजन, पानी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने में कोई ढिलाई न हो। इसके साथ ही छोटे- छोटे स्थानों में भी सेनेटाइजेशन का काम किया जाए, जहां संक्रमण की अधिक सम्भावनाएं हैं ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड टेस्ट की रिपोर्ट में समय न लगे। टेस्ट होते ही तुरंत सभी को कोविड किट दिया जाए। ई-संजीवनी पोर्टल को और प्रभावी बनाते हुए प्रचारित किया जाए ताकि जन सामान्य उसका अधिक लाभ उठा सके। होम आइसोलेशन में रहने वालों को मालूम होना चाहिए कि उन्हें किन बातों का ध्यान रखना है।
सीएम ने कहा कि सरकारी व निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों की व्यवस्था को लगातार क्रास चैक करवाया जाए। संबंधित मरीजों और उनके परिजनों से इसका फीड बैक लिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कोविड मरीज़ों हेतु एम्बुलेंस की दरें निर्धारित करने और ओवररेटिंग जैसी शिकायतों को दूर करने के लिए कहा। दवाओं की कालाबाजारी को रोकने के लिए 147 एसटीएफ टीमें बनाई गई हैं।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, डीजीपी अशोक कुमार, सचिव अमित नेगी, शैलेश बगोली, डाॅ पंकज कुमार पाण्डेय, सूचना महानिदेशक रणबीर सिंह चौहान सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।