कोरोना वायरस संक्रमण के चलते सचिवालय में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर लगी रोक को हटा दिया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देश पर संक्रमण में आयी कमी के बाद सरकारी अथवा व्यक्तिगत कार्य से सचिवालय में आने वाले बाहरी आगन्तुकों व मीडियाकर्मियों को पूर्व की भांति कतिपय प्रतिबन्धों के साथ सचिवालय में प्रवेश हेतु अनुमति प्रदान की गई है।
कोरोना वायरस संक्रमण के दृष्टिगत इसके रोकथाम एवं बचाव हेतु सचिवालय प्रशासन विभाग द्वारा गैर सरकारी बाहरी व्यक्तियों और मीडियाकर्मियों का सचिवालय में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था।
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार सचिवालय में आने वाले आगुंतकों द्वारा मास्क/ फेस कवर का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाएगा। बगैर मास्क/फेस कवर के आगन्तुक को सचिवालय परिसर में प्रवेश की अनुमति नही दी जाएगी।
सचिवालय के मुख्य सुरक्षा अधिकारी का दायित्व होगा कि वह अपने अधीन सुरक्षा कर्मियों को निर्देश दें कि वे आगन्तुक को स्पष्ट अवगत कराएं कि जिस अधिकारी से भेंट हेतु प्रवेश पत्र दिया गया है उसी अधिकारी से भेंट करें। सचिवालय में अन्य अधिकारियों के कार्यालय में अनावश्यक प्रवेश न करें, शासकीय कार्यों में व्यवधान उत्पन्न न हो।
इस सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी द्वारा जारी कार्यालय ज्ञाप में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आगान्तुक पास जारी होने के समय से दो घण्टे की अवधि से अधिक समय तक सचिवालय परिसर में नहीं रहेंगे।
सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए आमजन को दिक्कतों का सामना न करना पड़े। यह सुनिश्चित करने के लिए माह अक्टूबर में शुरू किया गया मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम यानी सीएम क्यूआरटी(क्विक रेस्पॉन्स टीम) तेजी से अपने लक्ष्यों को हासिल करने की ओर अग्रसर है। बीते तीन माह में इस सेवा के जरिए 70 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की समस्याओं का निराकरण किया गया। जबकि शेष शिकायतों पर भी कार्यवाही गतिमान है।
उत्तराखंड सरकार की दूरगामी नीति के अंतर्गत जरूरतमंदों की बुनियादी समस्याओं के निदान की दिशा में गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार आदि शामिल हैं। राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं समय पर मिलें और कोशिश है कि सबकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर सुनिश्चित हो सके। यदि कहीं पर किसी की कोई शिकायत हो तो उसका तत्काल निदान किया जाए।
इसी उद्देश्य के साथ अक्टूबर माह में प्रदेश के सात जिलों में मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसमें जिला स्तर पर शिविरों का आयोजन जिलाधिकारी-सीडीओ के स्तर से किया जा रहा है। यूं तो 21 सितंबर को इस सेवा को शुरू किया गया लेकिन आधिकारिक रूप से जिलों में इस सेवा ने 1 अक्टूबर 2020 से कार्य करना प्रारंभ किया। तब से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक इस शिविरों के जरिए प्रदेशभर में लोगों की कुल 4025 शिकायतें विभिन्न विभागों को प्राप्त हुई जिनमें से 2904 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है। यानि अब तक 70 प्रतिशत शिकायतों का निस्तरण किया जा चुका है।
इन विभागों की शिकायतों का हो रहा निदान
बिजली, सड़क, सिंचाई, वन, जल संस्थान, पेयजल निगम, जल संस्थान, स्वजल, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास, कृषि विभाग, राजस्व विभाग, पशुपालन विभाग, समाज कल्याण, उरेडा, जिला पंचायत, दूरसंचार, मंडी समिति, उद्यान विभाग, स्वास्थ्य विभाग, कृषि एवं भूमि संरक्षण, पर्यटन विभाग, पुलिस, पीएमजीएवाई, नलकूप विभाग, खाद्य आपूर्ति, उपकोषागार, ग्रामीण निर्माण विभाग, नगर पालिका आदि।
देहरादून। बुखार की शिकायत के बाद राजधानी के दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सोमवार को जरुरी परीक्षणों के लिए दिल्ली एम्स के लिए रेफर किया गया है। मुख्यमंत्री के फेफड़ों में हल्का संक्रमण पाया गया। डाक्टरों ने उनका स्वास्थ्य सामान्य बताया है।
मुख्यमंत्री को रविवार को दून मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था। मुख्यमंत्री के फिजीशियन डाॅ एनएस बिष्ट ने बताया कि रात में बुखार में भी कमी आई है और उनका स्वास्थ्य सामान्य है। उनके फेफड़ों में हल्का सा संक्रमण है। इस संबंध में एम्स दिल्ली के चिकित्सकों से भी परामर्श किया गया था। उनकी सलाह पर जरूरी परीक्षण के लिये मुख्यमंत्री एम्स दिल्ली जा रहे है।
इससे पूर्व, 18 दिसंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद उनकी रिपोर्ट सामान्य आई थी। तब से वे होम आइसोलेशन में थे। विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने सदन की कार्रवाई में वर्चुअली भाग लिया था।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मंगलवार को सचिवालय में यू.एन.डी.पी तथा एवं सेंटर फाॅर पब्लिक पाॅलिसी एण्ड गुड गवर्नेंस, नियोजन विभाग के सहयोग से तैयार सस्टनेबल डेवलपमेंट गोल (SDG) मोनिटरिंग हेतु तैयार डैश बोर्ड का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि 2030 तक सतत विकास का जो लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए और तेजी से प्रयासों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि राज्य में कुपोषण से मुक्ति के लिए चलाये गए अभियान, अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना, जल संचय, संरक्षण तथा नदियों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में भी अनेक प्रयास किये गए हैं। लोगों को स्वच्छ एवं उच्च गुणवत्तायुक्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रयासरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र एक रूपये में पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में भी जल्द ही पानी का कनेक्शन सस्ती दरों पर दिया जाएगा।
त्रिवेंद्र ने कहा कि जिला योजना का 40 प्रतिशत बजट स्वरोजगार के लिए खर्च किया जा रहा है। उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों की ब्रांडिंग करने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है। भारत नेट 2 से नेटवर्किंग और कनेक्टिविटी बढ़ेगी, इसका भी लोगों की आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने निर्देश दिए कि लक्ष्यों के आधार पर जो भी योजनाएं बनाई गई हैं, उनको पूरा करने के लिए नियमित माॅनिटरिंग भी की जाए।
उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि सतत विकास लक्ष्य के लिए जो 17 क्षेत्र चुने गए हैं, उनमें दिये गए सभी इन्डीकेटर पर किए जा रहे कार्यों की समय-समय पर समीक्षा की जाय। उन्होंने कहा कि डैशबोर्ड में सभी जनपद समय-समय पर अपनी उपलबिधयां अपलोड करेंगे तथा रैंकिंग के आधार पर जिन योजनाओं/ इंडीकेटरों में कमी प्रदर्शित होती है उनको प्राथमिकता में लेते हुए सतत विकास का लक्ष्य कार्यान्वयन में सुधार करने के हर संभव प्रयास करेंगे।
अपर मुख्य सचिव नियोजन, मनीषा पंवार ने कहा कि राज्य में सतत विकास लक्ष्य के क्रियान्वयन हेतु 2018 में उत्तराखण्ड विजन 2030 बनाया गया। जो 17 क्षेत्रों में वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु रौडमेप प्रदान कर रहा है। भारत सरकार के नीति आयोग के दिशा-निर्देशों पर 371 संकेतक चयनित किये गए हैं।
इस अवसर पर यूएनडीपी की राष्ट्रीय प्रमुख शोको नोडा, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, डाॅ. पंकज पाण्डेय, सुशील कुमार, यूएनडीपी की स्टेट हैड रश्मि बजाज उपस्थित थे। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सभी जिलाधिकारी तथा सीडीओ कार्यक्रम से जुड़े थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ हरिद्वार कुम्भ-2021 की तैयारियों के संबध में बैठक की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कुंभ मेला अपने दिव्य व भव्य स्वरूप में आयोजित होगा। कुंभ में परंपराओं व संस्कृति का पूरा ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि कुंभ के शुरू होने पर कोरोना महामारी की स्थिति कैसी रहती है, उसके अनुसार मेले के स्वरूप को विस्तार दिया जाएगा।
देहरादून में मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित बैठक में त्रिवेन्द्र ने संतों को आश्वासन दिया कि परिस्थितियों के हिसाब से कुंभ के दृष्टिगत जो भी निर्णय लिये जाएंगे, उसमें अखाड़ा परिषद एवं साधु-संतों के सुझाव जरूर शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का प्रयास है कि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि सकुशल कुंभ सम्पन्न कराने के लिए अखाड़ा, परिषद व संत समाज का पूरा सहयोग लिया जाएगा और अखाड़ों की समस्याओं का हर संभव निदान करने का प्रयास होगा।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने हरिद्वार कुंभ के सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग देने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने अखाड़ों की समस्याओं से भी अवगत कराया। मेलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि 15 दिसंबर तक अधिकांश स्थाई प्रकृति के कार्य और 31 दिसम्बर तक अन्य सभी कार्य पूर्ण करा लिए जाएंगे।
बैठक में ये रहे उपस्थित
बैठक में अखाड़ा परिषद के महामंत्री महन्त हरि गिरी, महन्त प्रेम गिरी, महन्त सत्यगिरी, महन्त कैलाशपुरी, महन्त मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी, महन्त रवीन्द्र पुरी, गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन, आईजी गढ़वाल अभिनव कुमार, आईजी कुंभ मेला संजय गुंज्याल, अपर सचिव शहरी विकास विनोद कुमार सुमन, अपर मेलाधिकारी डाॅ. ललित नारायण मिश्र, हरवीर सिंह, रामजी शरण शर्मा आदि उपस्थित थे।
हर की पैड़ी को फिर से गंगा का दर्जा
इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने अखाड़ा परिषद के साथ बैठक करने से पहले एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए हर की पैड़ी को स्कैप चैनल से मुक्त रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि हर की पैड़ी का अविरल गंगा का दर्जा बरकरार रखा जाएगा। इसके लिए जल्द ही शासनादेश जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा यह क्षेत्र आस्था एवं विश्वास का प्रतीक भी है। जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
यहां बता दें कि प्रदेश में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हर की पैड़ी का गंगा का दर्जा समाप्त कर उसे स्कैप चैनल अर्थात नहर के रूप में मान्यता दे दी थी। इस कारण लंबे समय से गंगा सभा एवं जनता द्वारा हर की पैड़ी क्षेत्र को स्कैप चैनल से मुक्त रखने की मांग की जा रही थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड के वितरण का शुभारंभ किया। मोदी ने छः राज्यों हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 763 गांवो 1 लाख ग्रामीणों को प्रोपर्टी कार्ड वितरित किए। इनमें उत्तराखण्ड के 50 गांवों के 6800 लोग शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में कुछ लाभार्थियों से बात भी की।
गोदा गांव के सुरेश ने कही अपनी बात
उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल के विकास खण्ड खिर्सू के ग्राम गोदा के सुरेश चंद्र को भी प्रधानमंत्री के सम्मुख अपनी बात रखने का अवसर मिला। सुरेश ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता से सम्पन्न हुई है। इसमें किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ। प्रापर्टी के कागज मिलने से अब बैंक से ऋण भी मिल सकेगा। सुरेश ने बताया कि उनके गांव से चौखम्भा आदि हिमालयी पर्वत शिखरों के दर्शन होते हैं और निकट ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी हैं। गांव के लोग प्रापर्टी कार्ड मिलने के बाद अपने घरों में होम स्टे बनाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने उच्च शिक्षा मंत्री को दिए यह निर्देश
प्रधानमंत्री ने सुरेश को बधाई देते हुए कहा कि वे स्वयं उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र में काफी रहे हैं। उन्होंने सुरेश से कहा कि उनका गांव प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। सुरेश भाग्यशाली हैं कि वे ऐसे स्थान पर रहते हैं जहां से पवित्र पर्वतों के दर्शन होते हैं। उन्होंने कहा कि उनका गांव लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। प्रधानमंत्री ने सुरेश के साथ में कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत से कहा कि कहा कि होम स्टे के फोटोग्राफ, कान्टेक्ट नम्बर सहित सारा विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध हो, ताकि पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को जानकारी मिल सके। इससे होम स्टे का काम बढ़िया तरीके से आगे बढ़ सकता है।
गांवों में होगा ऐतिहासिक बदलाव
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने स्वामित्व योजना के लाभार्थियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि अब लाभार्थियों के पास अपने घरों के मालिक होने का एक कानूनी दस्तावेज होगा। यह योजना देश के गांवों में ऐतिहासिक बदलाव लाने जा रही है। उन्होंने कहा कि देश ने एक अति महत्वाकांक्षी भारत की ओर एक और बड़ा कदम उठाया है, क्योंकि इस योजना से ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
अगले 3-4 वर्षों में सबको मिलेगा संपत्ति कार्ड
उन्होंने कहा कि हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के एक लाख लाभार्थियों को आज उनके घरों के कानूनी कागजात सौंप दिए गए हैं और अगले तीन-चार वर्षों में देश के प्रत्येक गांव में हर परिवार को ऐसे संपत्ति कार्ड देने का वादा किया।
विपक्ष की आलोचना
विपक्ष की आलोचना करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग नहीं चाहते हैं कि हमारे किसान आत्मनिर्भर बनें, उन्हें कृषि क्षेत्र में सुधारों से समस्याएं हैं। छोटे किसानों, गौपालकों और मछुआरों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड शुरू करने से दलालों और बिचौलियों को परेशानी हो रही है, क्योंकि उनकी अवैध आय रुक गई है।
गांव तथा गरीबों की आत्मनिर्भरता के लिए अभियान जारी
उन्होंने यूरिया की नीम कोटिंग, किसानों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण इत्यादि पहलों के बारे में भी बताया, जो भ्रष्टाचार को रोकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे प्रभावित लोग आज कृषि सुधारों के विरोध में हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के कारण देश में विकास रुकने वाला नहीं है और गांव तथा गरीबों को आत्मनिर्भर बनाना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इस संकल्प की सिद्धि के लिए स्वामित्व योजना की भूमिका भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय पंचायतराज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री अलग-अलग स्थानों से कार्यक्रम से जुड़े हुए थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की सबसे बड़ी हितैषी है। मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों से किसानों की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे। विधेयकों में ऐसी व्यवस्थाएं की गई हैं, जिससे किसान अपनी उपज को स्वयं अच्छी कीमतों पर मंडी में या मंडी के बाहर कहीं भी बेच सकेगा। इसमें बिचैलियों की भूमिका खत्म कर दी गई हैं। यानि जो मुनाफा किसान से बिचैलिये उठाते थे, वो पैसा अब सीधा किसान की जेब में जाएगा। इन कृषि विधेयकों से एक राष्ट्र एक बाजार की संकल्पना को मजबूती मिल रही है। किसान अब सीधे बाजार से जुड़ सकेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र आज सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग किसानों को बरगलाने और उकसाने का काम कर रहे हैं। झूठ बोला जा रहा है। परंतु किसानों को स्वयं इन कृषि सुधारों को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सोच हमेशा से किसानों के हित में रही है। इसी सोच के साथ ये सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने वहां किसानों के लिए 7 घंटे नियमित और निश्चित बिजली की व्यवस्था की। उन्होंने कृषि महोत्सवों की शुरूआत की।
त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी किसान हमेशा उनकी प्राथमिकताओं में रहे। उनकी सरकार में गांव, गरीब और किसानों का सबसे पहले ख्याल रखा गया है। वर्ष 2009 में यूपीए की सरकार में कृषि मंत्रालय का बजट केवल 12 हजार करोड़ रूपए था, जो आज कई गुना बढ़ाकर 1 लाख 34 हजार करोड़ किया गया है। उन्होंने कहा कि पीएम किसान योजना से अब तक 92 हजार करोड़ रूपए सीधे डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने कृषि अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। इसमें मत्स्य पालन के लिए 20 हजार करोड़, पशुपालन के लिए 15 हजार करोड़, हर्बल खेती के लिए 4 हजार करोड़, फूड प्रोसेसिंग के लिए 1 हजार करोड़ रूपए का पैकेज स्वीकृत किया है। यूपीए के समय किसानों को 8 लाख करोड़ का कर्ज मिलता था, आज 15 लाख करोड़ का ऋण सालाना दिया जा रहा है। यूपीए के समय स्वामीनाथन आयेाग ने कृषि कल्याण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, लेकिन उस समय इन्हें लागू नहीं किया गया। आज मोदी सरकार ने न सिर्फ स्वामीनाथन रिपोर्ट के सुझावों को लागू किया बल्कि उसमें और अधिक प्रावधान जोड़कर किसानों का हित तलाशा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य काफी बढ़ाया गया है। मोदी सरकार ने किसानों को दो तरफा फायदा दिया है। अगर किसान मंडी में उपज बेचता है तो उसे ऊंची एमएसपी पर कीमत मिलेगी और मंडी से बाहर बाजार में बेचता है तो उसे ऊंची कीमत के साथ तकनीक का भी लाभ मिलेगा। इन विधेयकों से बिचैलियों की भूमिका खत्म होगी और किसान अपनी फसल को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।