धामी सरकार इन 16 मंदिरों का कराएगी सुंदरीकरण..
उत्तराखंड: देवभूमि में चारधाम की भांति अब मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत कुमाऊं क्षेत्र के तीर्थाटन, पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण मंदिरों और धार्मिक स्थलों को संवारने के लिए सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल इस मिशन के अंतर्गत प्रथम चरण में 16 में नौ मंदिरों को निखारने के लिए 30.12 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। इसमें शामिल प्रसिद्ध कैंचीधाम में हेलीपैड की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। इसके लिए उपयुक्त भूमि मिलने पर हेलीपैड का निर्माण कराया जाएगा। जिससे आने वाले समय में देश-विदेश से श्रद्धालु हेली सेवा से आसानी से कैंचीधाम पहुंच सकेंगे।
केदारखंड में चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री धामों की यात्रा प्रदेश की आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस वर्ष अब तक 26 लाख से अधिक तीर्थयात्री चारधाम के दर्शन कर चुके हैं। चारधाम यात्रा की तरह ही मानसखंड यानी कुमाऊं क्षेत्र के मंदिरों को भी तीर्थाटन व पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने के उद्देश्य से सरकार ने मानसखंड मंदिर माला मिशन शुरू किया है। इसकी जिम्मेदारी यूटीडीबी (उत्तराखंड टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड) को सौंपी गई है। जिसके प्रथम चरण में 16 मंदिरों को मिशन में शामिल किया गया है। अब इनमें यात्रियों की सुविधा के दृष्टिगत अवस्थापना संबंधी कार्य तेजी से कराने पर जोर दिया जा रहा है। इसी कड़ी में बोर्ड ने नौ मंदिरों में होने वाले विभिन्न कार्यों के लिए 70 करोड़ रुपये के बजट का प्रविधान किया है। इनमें से प्रथम किस्त के तौर पर 30.12 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। निर्माण कार्यों के लिए लोक निर्माण विभाग को कार्यदायी संस्था बनाया गया है। लोनिवि ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है।
ये होंगे निर्माण कार्य..
मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत सभी मंदिरों में पार्किंग, रोशनी, सुंदरीकरण, आस्था पथ का निर्माण, पहुंच मार्गों का सुंदृढ़ीकरण सहित कई कार्य कराए जाएंगे। वहीं कैंचीधाम में मल्टीलेवल पार्किंग बनेगी। इसके अलावा मंदिर के प्रवेश द्वार पर वन-वे व्यवस्था होगी। मंदिर में पीछे की तरफ निकासी द्वार बनेगा, जो सीधे पार्किंग से जुड़ेगा। इससे वहां उमड़ने वाली भीड़ भी नियंत्रित रहेगी।
इन मंदिरों का होगा कायाकल्प..
जागेश्वर धाम – अल्मोड़ा -11 करोड़
बैजनाथ – बागेश्वर – 1.87 करोड़
नैना देवी – नैनीताल – 11 करोड़
कैंची धाम – नैनीताल – 28.15 करोड़
पाताल रुद्रेश्वर – चंपावत – 2.31 करोड़
पाताल भुवनेश्वर – पिथौरागढ़ – 2.43 करोड़
हाटकालिका मंदिर – पिथौरागढ़ – 6.58 करोड़
मां बाराही देवी – चंपावत – 12.54 करोड़
नंदा देवी मंदिर – अल्मोड़ा – 04 करोड़
मानसखंड मंदिर माला मिशन में शामिल नौ मंदिरों के विकास के लिए 30.12 करोड़ रुपये बजट जारी हुआ है। जल्द ही सभी मंदिरों में निर्माण कार्य शुरू होंगे। कैंचीधाम में हेलीपैड बनाने की संभावना भी तलाशी जा रही है।
सीएम धामी ने पार्वती कुंड के पास लगाया ध्यान, अब कांग्रेस ने पीएम मोदी को लेकर कही ये बात..
उत्तराखंड: पूर्व सीएम व वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के आदि कैलाश क्षेत्र में पार्वती कुंड के पास ध्यान लगाने को लेकर तीन दिन बाद अपने ही अंदाज में टिप्पणी की। उन्होंने सीएम के इस कदम को सराहा, साथ में कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया। इंटरनेट पर अपनी पोस्ट में पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि सीएम धामी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अनुसरण करते हुए पार्वती कुंड के पास ध्यान लगाया। निश्चय ही उनके इस कार्य से आदि कैलाश परंपरागत यात्रा को बढ़ावा मिला है, लेकिन इस ध्यान में प्रायश्चित का भी समावेश होना चाहिए।
उत्तराखंड की गौरव अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रा कैलाश मानसरोवर इसी भू-भाग से होकर गुजरती थी। उन्होंने यह प्रयास किया था कि यूनेस्को यात्रा की प्राचीनता देखते हुए उसे मान्यता प्रदान करे, लेकिन मोदी सरकार ने हमसे हमारा गौरव कैलाश मानसरोवर यात्रा छीन ली। इससे तकलाकोट, सांगरू क्षेत्र से चीन के साथ हमारा व्यापार भी प्रभावित हुआ। चौदास-ब्यास की रंग संस्कृति को अभूतपूर्व बताते हुए उन्होंने स्थानीय निवासियों को सावधान किया कि जहां-जहां भाजपा की नजर पड़ी है, वहां-वहां जमीन बिकी हैं।
उन्होंने क्षेत्रीय विधायक हरीश धामी और उनके सहयोगियों से कहा कि वे भी ध्यान लगाकर मुख्यमंत्री को कैलाश मानसरोवर की खो चुकी यात्रा के लिए ध्यान लगाने को बाध्य करें। राज्य सरकार ने इसे पूरी तरह विस्मृत कर दिया है। ये यात्रा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सौगात थी। यात्रा के पहले जत्थे के साथ कैलाश मानसरोवर की परिक्रमा करने का साैभाग्य उन्हें और डॉ सुब्रमण्यम स्वामी को प्राप्त हुआ था।
40 दिन में भारी संख्या में चारधाम यात्रा पर आये श्रद्धालु..
उत्तराखंड: जून की प्रचंड गर्मी और इंद्रदेव की बेरुखी भले ही जनसामान्य को बेचैन किए हुए है, लेकिन चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष चारधाम यात्रा देरी से शुरू हुई है, लेकिन मैदानी क्षेत्रों में पड़ रही प्रचंड गर्मी और पर्वतीय अंचल में सुकून की छांव के कारण इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। वर्षाकाल में विलंब के कारण भी श्रद्धालुओं को यात्रा सुगम एवं सुरक्षित लग रही। इसकी गवाही यात्रा के आंकड़े दे रहे हैं। बीते वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 40 दिन में 6.19 लाख अधिक श्रद्धालु चारधाम पहुंचे हैं
उत्तराखंड के चारधाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ के दर्शन को हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। लेकिन, इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या बीते वर्षों की अपेक्षा कहीं अधिक है। इस वर्ष यात्रा 10 मई को शुरू हुई और इस दौरान ज्यादातर स्कूल-कालेज में ग्रीष्मकालीन अवकाश के चलते बंद हो चुके थे। इसके साथ ही जून के दूसरे पखवाड़े में भी वर्षा नहीं हुई तो श्रद्धालुओं के लिए यात्रा सुरक्षित और सुलभ हो गई।
पिछले वर्ष 22 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू हुई थी और 22 अप्रैल से 31 मई के बीच 40 दिनों में 18,91,217 श्रद्धालुओं ने चारों धाम के दर्शन किए। जबकि, इस बार 10 मई से शुरू हुई यात्रा में 18 जून तक (40 दिनों के बीच) 25,10,767 श्रद्धालु चारों धाम में दर्शन को पहुंच चुके हैं। इससे साफ है कि आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या और बढ़ेगी। चारों धाम में सबसे अधिक श्रद्धालु केदारनाथ दर्शन को पहुंच रहे हैं। बीते वर्ष से करीब 30 प्रतिशत श्रद्धालु सिर्फ केदारनाथ धाम आ रहे हैं। वर्ष 2023 में 19,61,025 श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे थे। इस बार 40 दिनों में ही 9,17,413 श्रद्धालु केदारनाथ आ चुके हैं।
पहली बार सरकारी विभागों के लिए खाका तैयार..
उत्तराखंड: उत्तर प्रदेश की रीति और अनुभवों के आधार पर अपनी नीति तय करने वाली प्रदेश सरकार अब अपनी टूल किट से नीतियां बनाएगी। इसमें नियोजन विभाग का लोक नीति एवं सुशासन केंद्र(सीपीपीजीजी) सहयोग करेगा। पहली बार सीपीपीजीजी ने नीति बनाने के लिए एक टूल किट का खाका तैयार किया है। यह टूल किट नीति बनाने का बुनियादी आधार सुझाएगी और वैज्ञानिक, व्यावहारिक और विषय केंद्रित नीति का दस्तावेज तैयार करने में मदद करेगी। सचिव नियोजन डॉ. आर. मीनाक्षी सुंदरम ने साक्ष्य आधारित और डाटा केंद्रित नीति बनाने के लिए इस पॉलिसी मेकिंग टूल किट की मार्गदर्शिका सभी विभागों को भेज दी है। इसमें कदम दर कदम नीति बनाने और उसे लागू करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
सचिव का मानना है कि यह टूल किट प्रगतिशील नीति बनाने में निश्चित तौर पर सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने विभागों से भी अपेक्षा की है कि वे विभागीय नीति निर्माण की प्रक्रिया में इस टूल का प्रयोग करेंगे। उनका मानना है कि इससे साक्ष्य आधारित विभागीय नीतियां तैयार करने में मदद मिलेगी।
सीपीपीजीजी के अपर मुख्य कार्याधिकारी डॉ. मनोज कुमार पंत का कहते हैं, पहली बार नीति बनाने के लिए कोई मार्गदर्शिका उपलब्ध कराई गई है। हमें नहीं लगता कि किसी अन्य राज्य में ऐसा कोई प्रयोग हुआ है। इस टूल किट की मदद से विभागीय नीतियां बनाने में काफी मदद मिलेगी।
यह बात सही है कि नीति बनाते समय सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक और पर्यावरणीय कारण महत्वपूर्ण होते हैं और उत्तराखंड जैसे राज्य में सभी क्षेत्रों और विभागों में नीति बनाने के लिए कोई एक समान दृष्टिकोण लागू नहीं किया जा सकता। लेकिन यह मार्गदर्शिका नीति बनाने का वह बुनियादी आधार प्रदान करती है, जो इसकी आवश्यकता, साक्ष्य, प्रभाव, हित धारकों पर केंद्रित होता है।
सीएम धामी ने इस भूमि का दिया फ्री पट्टा, इन्हें बांटे 50-50 हजार रुपए..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने रुद्रपुर के गांधी पार्क में आयोजित नजूल भूमि का नि:शुल्क पट्टा वितरण एवं किफायती आवास आवंटन कार्यक्रम में 2600 लाभार्थियों को नजूल भूमि के पट्टे वितरित किए। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 403 लोगों को स्वामित्व पत्र भी प्रदान किए। इस अवसर पर सीएम ने 56704.93 लाख रुपए की 222 विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।
सीएम धामी ने पुलिस लाइन में शक्ति वंदन अभियान के समापन अवसर पर प्रधानमंत्री के वर्चुअल संवाद में भी प्रतिभाग किया। उनका कहना हैं कि ये अभी पहला चरण है, जिसमें 2600 परिवारों को मालिकाना हक का पट्टा दिया जा रहा है। अभी भी जो पात्र परिवार बचे हुए हैं उनको पट्टा दिलाने की प्रकिया पूरी की जा रही है। बहुत जल्द ही उन्हें भी उनके सपनों का घर बनाने के लिए पट्टा मिल जाएगा। इस अवसर पर सीएम ने नजूल भूमि के फ्री होल्ड के लाभार्थी रविन्द्र नगर के विवेक तिवारी एवं शिव नगर की मेघना से वार्ता की। उक्त दोनों लाभार्थियों ने सीएम जी का आभार व्यक्त किया।
सीएम द्वारा नगर निगम रुद्रपुर में स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की नामित ब्राण्ड एंबेसडर नीलम कोहली को उनके उत्कृष्ट योगदान दिए जाने के फलस्वरूप प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसी क्रम में श्रीमती दीपा मटेला को उत्तराखंडी ऐपण कला को देश-विदेश में विख्यात किए जाने हेतु, सिलाई एवं फैशन डिजाइन के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने पर कु. पूनम एवं कनकलता को डोना पत्तल का लघु उद्योग स्थापित कर महिलाओं को रोजगार देने के सरहानीय कार्य के लिए सीएम ने सम्मानित किया। नगर निगम रुद्रपुर द्वारा प्रधानमंत्री फेरी फड़ व्यवसायी आत्मनिर्भर निधि योजना के अंतर्गत रिश पाल कौर, पुष्पा विश्वास, चांदमुनी एवं रेखा को 50-50 हजार रुपए की धनराशि के चेक वितरित किए।
गरीबों को साल में तीन गैस सिलिंडर मुफ्त, जानें बजट में क्या और खास..
उत्तराखंड: सरकार ने गरीबों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं के लिए भारी राशि का प्रावधान किया है। गरीबों को साल में तीन गैस सिलिंडर मुफ्त मिलते रहेंगे तो सस्ती दरों पर नमक भी मिलेगा। बजट में गरीबों के कल्याण से जुड़ी इन योजनाओं के लिए सरकार ने 5658 करोड़ का प्रावधान किया है। इसमें से समाज कल्याण के लिए 2756 करोड़, अनुसूचित जाति कल्याण के लिए 2184 करोड़ और जनजाति कल्याण के लिए 718 करोड़ का प्रावधान शामिल है।
आपको बता दे कि समाज कल्याण के अंतर्गत आठ लाख वृद्धजन, निराश्रित विधवा, दिव्यांग, परित्यक्त निराश्रित महिलाओं आदि की विभिन्न पेंशन योजनाओं के लिए 1783 करोड़ 28 लाख, अन्नपूर्ति योजना के लिए 600 करोड़, ईडब्ल्यूएस आवासों के लिए 93 करोड़, 1,83,419 अंत्योदय कार्डधारकों को साल में तीन गैस सिलिंडर निशुल्क देने के लिए सरकार 55 करोड़ खर्च करेगी।
राज्य आंदोलानकारियों की पेंशन के लिए कारप्स फंड की स्थापना की गई है, जिसके लिए 48 करोड़ का प्रावधान किया गया है। खाद्य सुरक्षा योजना के तहत प्राथमिक व अंत्योदय राशनकार्ड धारकों को सस्ती दरों पर नमक उपलब्ध कराने के लिए सरकार 34 करोड़ 36 लाख खर्च करेगी। राज्य खाद्यान्न योजना के लिए 20 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
स्मार्ट सिटी योजना में 50 प्रतिशत बजट केंद्र और 50 प्रतिशत राज्य खर्च कर रहा है। सरकार ने बजट में स्मार्ट सिटी के लिए 46 करोड़ पांच लाख रुपये का प्रावधान किया है।सरकार ने विभिन्न विभागों की उन योजनाओं के लिए भी बजट प्रावधान किए हैं, जिन पर सब्सिडी दी जा रही है। सब्सिडी के इस खर्च पर सरकार ने 679 करोड़ 34 लाख का प्रावधान किया है।
धामी सरकार अब ऐसे कसेगी उपद्रवियों पर नकेल..
उत्तराखंड: प्रदेश में धामी सरकार उपद्रवियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए है। बता दें सरकार विरोध प्रदर्शन के नाम पर सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है। बता दे कि धामी सरकार सदन में विरोध प्रदर्शन के नाम पर सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों पर लगाम लगाने के लिए 26 फरवरी यानी आज से शुरू होने वाले बजट सत्र में ‘उत्तराखंड सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक’ लाएगी। आपको बता दें इस बिल के तहत विरोध प्रदर्शन और हड़ताल के दौरान हुए नुकसान की वसूली उपद्रव में शामिल आरोपियों से की जाएगी। नुकसान की भरपाई के लिए सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा।
सीएम धामी के नेतृत्व में ऊर्जा प्रदेश बनने की राह में आगे बढ़ रहा उत्तराखंड..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड को ऊर्जा प्रदेश बनने का संकल्प सिद्ध होता हुआ नजर आ रहा है। इसी दिशा में मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना बेहद सफल साबित हो रही है। ख़ास बात ये है कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर मैदानी क्षेत्रों तक 20 से लेकर 200 किलोवाट क्षमता के सौर संयंत्रों की स्थापना के लिए प्रदेश के युवा खूब दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर 13 मार्च 2023 को मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना (MSSY) को संशोधित का किया गया। इसके बाद प्रदेश में 20, 25, 50, 100 और 200 किलोवाट के ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना पोर्टल msy.uk.gov.in पर 839 आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें 297 आवेदनों के LOI भी जारी की जा चुकी है।
MSSY से राज्य में बढ़ रहे रोजगार के अवसर..
पूर्ववर्ती MSSY योजना में 3.43 मेगावाट स्थापित क्षमता 13.6 करोड़ रूपए के अनुमानित निवेश की तुलना में मॉडिफाइड एमएसएसवाई योजना में 839 आवेदनों में से 297 संख्या ,संचयी क्षमता 44.94 MWp के एलओए, अब तक जारी किए जा चुके हैं। जिससे राज्य में रोजगार के अवसर के साथ-साथ लगभग 224 करोड़ रूपए के निवेश के अवसर पैदा होंगे। बता दें कि नई मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना में 44.94 मेगावाट की स्थापना के बाद प्रदेशवासियों के लिए रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।
सीएम धामी के नेतृत्व में सपना हो रहा साकार..
जहां एक ओर एमएसएसवाई योजना रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं तो वहीं प्रदेश का ऊर्जा प्रदेश बनने का सपना भी साकार हो रहा है। इस से ग्रीन एनर्जी प्रोडक्शन द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर Net Zero लक्ष्य प्राप्त करने के अधिक अवसर पैदा होंगे। मॉडिफाइड MSSY योजना में उत्तराखंड के निवासी उत्सुकता से आवेदन कर रहे हैं। आवंटन प्रक्रिया 246 MWp संचयी लक्ष्य उपलब्धि तक जारी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश ग्रीन एनर्जी प्रोडक्शन के साथ ही ग्रीन इकोनॉमी की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है।
उत्तराखंड के 10 साहित्यकारों को साहित्य गौरव सम्मान से सीएम धामी करेंगे सम्मानित..
उत्तराखंड: भाषा संस्थान ने वर्ष 2023 के साहित्य पुरस्कारों की घोषणा करते हुए 10 साहित्यकारों को कई श्रेणियों में साहित्य गौरव सम्मान के लिए चुना। सीएम पुष्कर सिंह धामी 21 फरवरी को आईआरडीटी सभागार में सभी को सम्मानित करेंगे। दीर्घकालीन साहित्य सृजन के लिए साहित्यकार प्रो. लक्ष्मण सिंह बिष्ट बटरोही को सुमित्रानंदन पंत साहित्य गौरव, कथा साहित्य के लिए डॉ. सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी सम्मान दिया जाएगा। उत्तराखंड भाषा संस्थान की निदेशक स्वाति एस भदौरिया का कहना हैं कि इस वर्ष कुमाऊंनी लोक साहित्य में दीर्घकालिक साहित्य सृजन के लिए देवकीनंदन भट्ट मयंक को गुमानी पंत पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
गढ़वाली लोक साहित्य में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए भजन सिंह सिंह पुरस्कार गिरीश सुंदरियाल को प्रदान किया जाएगा। कुमाऊंनी एवं गढ़वाली में भिन्न बोलियों एवं उप बोलियों में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए गोविंद चातक पुरस्कार डॉ. सुरेश ममगाई को देने का निर्णय लिया गया। उर्दू साहित्य में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए प्रो. उन्वान चिश्ती पुरस्कार केए खान को मिलेगा। पंजाबी साहित्य दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए शिक्षक पूर्ण सिंह पुरस्कार प्रेम साहिल को, महाकाव्य, खंड काव्य एवं काव्य रचना के लिए महादेवी वर्मा पुरस्कार प्रो. शैलेय को, अन्य गद्य विद्या के लिए डाॅ. पीतांबर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार डाॅ. ललित मोहन पंत को एवं साहित्य की मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं के लिए भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार गणेश खुगशाल गणी को दिया जाएगा।
मौलिक पुस्तक लेखन श्रेणी कथा साहित्य वर्ग में शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए चयनित डॉ. सुशील उपाध्याय को उनके उपन्यास सुनो, सबरीना के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है। यह उपन्यास एक उज्बेकिस्तानी लड़की के संघर्ष की कहानी है। अब तक डॉ. सुशील उपाध्याय की 18 किताबें प्रकाशित हुई हैं।
उत्तराखंड विधानसभा ने रचा इतिहास, सीएम धामी के नेतृत्व में पास हुआ यूसीसी बिल..
उत्तराखंड: आजादी के बाद देश का पहला समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 विधानसभा में पास हो गया। इसके साथ ही उत्तराखंड ने इतिहास रच दिया है। इस बिल के आने के बाद क्या कुछ बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। यहां आसान भाषा में समझें।
UCC बिल पास कर उत्तराखंड ने रचा इतिहास
दो दिन लंबी चर्चा, बहस और तर्कों के बाद बुधवार की शाम सदन में समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 ध्वनिमत से पास हो गया। जहां एक ओर उत्तराखंड में अब लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष होगी तो वहीं प्रदेश में विवाह का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस बिल के प्रवाधान कुछ इस प्रकार है।
1- लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष होगी।
2- शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान कारण और आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।
4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी। पहली पत्नी के जिंदा रहते दूसरी शादी नहीं हो सकेगी। हालांकि अनुसूचित जनजाति के लोग इस परिधि से बाहर रहेंगे
5 – उत्तराधिकार में लड़कियों को भी अब लड़कों के बराबर का हक मिलेगा। इसके साथ ही संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। नाजायज बच्चों को भी अब जैविक संतान माना जाएगा।
6- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा। यानी लिव इन रिलेशनशिप की जानकारी परिजनों को देनी होगी। इसके साथ ही लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस कपल का जायज बच्चा ही माना जाएगा। उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।
7- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी दूसरी शादी करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
8- अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा न हो तो उनके भरण पोषण के जिम्मेदारी पति की होगी।
9- सभी को अब गोद लेने का अधिकार मिलेगा।मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
10- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
11- अगर पति-पत्नी के बीच झगड़े की स्थिति होती है तो ऐसे में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स यानी उने दादा-दादी को दी जा सकती है।