मोदी सरकार को राहत, बरकरार रहेगा 370 हटाने का फैसला..
देश-विदेश: सुप्रीम कोर्ट से पीएम मोदी की सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को बरकरार रखा है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, इसकी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है। आपको बता दें कि 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था, साथ ही राज्य को 2 हिस्सो जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। केंद्र के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 अर्जियां दी गई थी। सभी को सुनने के बाद सितंबर में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
370 हटने के 4 साल, 4 महिने, 6 दिन बाद आज सुप्रीम कोर्ट मे पांच जजों जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा, जम्मू कश्मीर के संविधान में संप्रभुता का कोई जिक्र नहीं था। हालांकि भारत के संविधान की प्रस्तावना में इसका उल्लेख है। भारतीय संविधान आने पर अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर पर लागू हुआ। अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिकल 370 हटाने का फैसला बरकरार रहेगा। उन्होनें कहा कि 370 को हटाना संवैधानिक तौर पर सही है। हालांकि उन्होनें कहा कि राष्ट्रपति के पास फैसले लेने का अधिकार है।
2030 तक भारत बनेगा ड्रोन हब-पीएम मोदी..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिवसीय ड्रोन महोत्सव 2022 का दिल्ली के प्रगति मैदान में शुक्रवार को उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने प्रदर्शनी का भी निरीक्षण किया। प्रधानमंत्री का कहना हैं कि मैं ड्रोन प्रदर्शनी से प्रभावित हूं। 2030 तक भारत ड्रोन हब बनेगा। यह उत्सव सिर्फ ड्रोन का नहीं, यह नए भारत-नई गवर्नेंस का उत्सव है। ड्रोन टेक्नोलॉजी को लेकर भारत में जो उत्साह देखने को मिल रहा है, वो अद्भुत है। ये जो ऊर्जा नजर आ रही है, वो भारत में ड्रोन सर्विस और ड्रोन आधारित इंडस्ट्री की लंबी छलांग का प्रतिबिंब है। पीएम ने कहा, यह ऊर्जा भारत में रोजगार सृजन के एक उभरते हुए बड़े सेक्टर की संभावनाएं दिखाती है। उनका कहना हैं कि आठ वर्ष पहले यही वो समय था, जब भारत में हमने सुशासन के नए मंत्रों को लागू करने की शुरुआत की थी।
जापान से लौटते ही काम में जुटे पीएम मोदी, बुलाई कैबिनेट बैठक..
देश-विदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी तीन दिवसीय जापान यात्रा से वापस लौट चुके हैं। वह आज सुबह ही दिल्ली पहुंचे हैं, भारत लौटते ही अपने काम में जुट गए। प्रधानमंत्री ने सुबह ही कैबिनेट बैठक बुला ली। जानकारी के अनुसार पीएम मोदी सभी मंत्रियों के साथ कैबिनेट बैठक कर रहे हैं। इस दौरान सभी मंत्री मौजूद हैं। बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान यात्रा के दौरान करीब 24 बैठकें की। मंगलवार को भी मोदी 11 घंटे के अंदर करीब 12 कार्यक्रमों में शामिल हुए। वह 22 मई की रात आठ बजे जापान के लिए रवाना हुए थे। पीएम ने डेढ़ घंटे तक विमान में अधिकारियों के साथ बैठक की। 23 मई की सुबह साढ़े सात बजे वह टोक्यो पहुंचे थे। 40 मिनट बाद यानी सुबह 8ः30 बजे से नौ कार्यक्रम में शामिल हुए। 23 मई को कुल 12 घंटे तक पीएम बैठक व अन्य कार्यक्रमों में शामिल हुए।
नए साल में कर्मचारियों की इतनी बढ़ेगी सैलरी..
शहर के हिसाब से मिलता है HRA..
देश-विदेश: केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए नया साल खुशखबरी लेकर आ रहा हैं।आपको बता दे कि मोदी सरकार सरकारी कर्मचारियों के लिए नए साल पर कई घोषणाएं कर सकती हैं।
केंद्रीय सरकार कर्मचारीयों का महंगाई भत्ता बढ़ाने के साथ हाउस रेंट अलाउंस बढ़ा सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन (7th Pay Commission) में बंपर उछाल आ जाएगा। आपको बता दे कि मोदी सरकार जनवरी महीने में इसकी घोषणा कर सकती है।
बढ़ सकता है DA..
महंगाई भत्ता कितना बढ़ेगा अभी यह नहीं मालूम लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि यह 31 फीसदी से बढ़कर 34 फीसदी हो सकता है. इसके अतिरिक्त बजट 2022 में भी फिटमेंट फैक्टर पर भी फैसला हो सकता है. इस पर कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर इसे बजट के खर्च में शामिल कर लिया जाएगा. साथ ही दिसंबर 2021 के आखिर में केंद्र सरकार के कुछ विभागों में कर्मचारियों प्रमोशन भी दिया जाता है.
कर्मचारियों का बढ़ेगा HRA..
जानकारी के अनुसार जनवरी 2021 से कर्मचारियों को बढ़ा HRA मिल सकात है। एचआरए मिलते ही कर्मचारियों की सैलरी में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।इंडियन रेलवे टेक्निकल सुपरवाइजर्स एसोसिएशन और नेशनल फेडरेशन ऑफ रेलवेमेन (NFIR) ने 1 जनवरी 2021 से HRA लागू करने की मांग की है।इसके बाद ये सभी केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन पर लागू हो सकता है.
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) की कैटेगरी X, Y और Z क्लास शहरों के हिसाब से है। यानी जो कर्मचारी X कैटेगरी में आते हैं उन्हें अब 5400 रुपए महीने से ज्यादा HRA मिलेगा। इसके बाद Y Class वाले को 3600 रुपए महीना और फिर Z Class वाले को 1800 रुपए महीना HRA मिलेगा।X कैटेगरी में 50 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर आते हैं। इन शहरों में जो केंद्रीय कर्मचारी हैं उन्हें 27 परसेंट HRA मिलेगा। Y कैटेगरी के शहरों में 18 परसेंट होगा और Z कैटेगरी में 9 परसेंट होगा।
- प्रवीण गुगनानी
लेखक व स्तंभकार
अब जबकि गांव-गांव, गली-गली और खेतोखेत खरीफ फसल बुआई की तैयारी हो रही है और देश में लॉकडाऊन का दौर ढलान पर है तब सभी को खरीफ कृषि के संदर्भ यह कहावत स्मरण कर लेनी चाहिए –
असाड़ साउन करी गमतरी, कातिक खाये, मालपुआ।
मांय बहिनियां पूछन लागे, कातिक कित्ता हुआ॥
अर्थात – आषाढ़ और सावन मास में जो गांव-गांव में घूमते रहे तथा कार्तिक में मालपुआ खाते रहे (मौज उड़ाते रहे) वे लोग पूछते हैं कि कार्तिक की फसल में कितना अनाज पैदा हुआ? अर्थात जो खेती में व्यक्तिगत रुचि नहीं लेते हैं उन्हें कुछ प्राप्त नहीं होता है। भारत सरकार एवं प्रदेशों की सरकारों को भी चाहिए कि वह लॉकडाऊन के इस दौर में भारतीय कृषि के कार्तिक तत्व अर्थात खरीफ उत्पादन हेतु पर्याप्त व्यवस्थाएं करके किसानों को सहयोग दें।
सर्वविदित है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारतीय जनमानस भी कृषिनिर्भर ही रहता है। यदि कृषि सफल, सुचारू व सार्थक हो रही है तो भारतीय ग्राम प्रसन्न रहते हैं अन्यथा अवसादग्रस्त हो जाते हैं और यह अवसाद समूचे राष्ट्र को दुष्प्रभावित करता है। यदि भारतीय कृषि को छोटे व निर्धन कृषकों की दृष्टि से देखें तो खरीफ की फसल ही भारत की महत्वपूर्ण फसल है क्योंकि इस मौसम में सिंचाई के साधनों की अनुपलब्धता वाले छोटे-छोटे करोड़ों कृषक भी फसल उपजाने में सफल हो पाते हैं।
लगभग राष्ट्रव्यापी लॉकडाऊन के इस कालखंड में जबकि जून के प्रथम सप्ताह से देश भर में अनलॉकका क्रम प्रारंभ हो रहा है तब बहुत कुछ ऐसा है जिसे खरीफ की फसल और छोटे, मध्यम व सीमान्त किसानों की दृष्टि से समायोजित किया जाना चाहिए। छोटा किसान दूध, सब्जी, पशुपालन आदि-आदि छोटी कृषि आधारित इकाइयों से प्राप्त आय से जीवन यापन भी करता है तथा खरीफ फसल को बोने बिरोने के खर्चे भी निकालता है। स्वाभाविक है कि दो माह के लॉकडाऊन के मध्य ये छोटे कृषक अत्यधिक प्रभावित हुए हैं। उनके पास न तो परिवार के भरण-पोषण हेतु समुचित नगदी है और न ही उसकी जीवन रेखा खरीफ फसल को बोने बखरने हेतु नगदी है।
यद्यपि मोदी सरकार ने निर्धन परिवारों को निःशुल्क राशन, आयुष योजना व अन्य माध्यमों से सुरक्षित रखने की अनेक योजनाओं की झड़ी लगा दी है तथापि निर्धन, छोटे व सीमान्त किसानों का एक बड़ा वर्ग अब भी संकट में है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। निस्संदेह कोविड-19 ने जब समूचे अर्थतंत्र को दुष्प्रभावित कर दिया है तब किसान भी इससे अछूता नहीं रहा है, बल्कि कृषक वर्ग तो इकोनामिक बैकअप न होने के कारण बेहद असहाय, निर्बल व लाचार हो गया है। देश की केंद्र व प्रदेश सरकारों ने यदि कृषि तंत्र को महंगाई, बेरोजगारी व लॉकडाऊन के इस भीषण दौर में अपना सहारा नहीं दिया तो केवल कृषक समाज नहीं, अपितु समूचे देश को इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे।
पिछले वर्ष जब कोरोना महामारी ने भारत में पांव पसारे थे तब संपूर्ण भारत का उत्पादन तंत्र सिमट गया था और बड़े ही निराशाजनक परिणाम मिले थे। किंतु कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जिसने जीवटतापूर्वक आशाओं से कहीं बहुत अच्छा उत्पादन करके देश की आर्थिक व्यवस्था को संबल प्रदान किया था।
बारिश अच्छी, समय पर व पर्याप्त होने की संभावनाओं के आ जाने के बाद स्वाभाविक ही है कि किसान खरीफ फसल बोने हेतु अत्यधिक उत्सुक व उत्साहित है। किंतु संकट भी है। इस वर्ष बीज बहुत महंगा रहने की आशंका है। खरीफ की प्रमुख फसल धान, सोयाबीन व मक्का के बीज मूल्य तो किसान की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। देशव्यापी लॉकडाऊन के कारण उर्वरकों का उत्पादन व विपणन तंत्र गड़बड़ा गया है। अतः उर्वरकों के मूल्य भी बढ़ रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय मूल्य तंत्र के कारणों से भी मोदी सरकार उर्वरकों के मूल्य तंत्र को संभालने में असफल रही, किंतु आभार है इस संवेदनशील सरकार का कि उसने उर्वरकों पर सरकारी सहायता (सब्सिडी) बढ़ाकर उर्वरकों की मूल्यवृद्धि को निष्प्रभावी कर दिया है। केंद्र सरकार ने डीएपी खाद पर सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ा दी है। इस हेतु 1475 करोड़ रूपये की अतिरिक्त सबसिडी जारी कर देश भर के कृषकों को एक बड़ी समस्या से बचा लिया है। निस्संदेह यदि केंद्र की संवेदनशील मोदी सरकार समय पर डीएपी के संदर्भ में यह सटीक निर्णय नहीं लेती तो देश में बुआई का रकबा और खरीफ उपज अवश्य ही प्रभावित हो जाती।
प्रधानमंत्री मोदी ने किसान सम्मान निधि की आठवीं किश्त के रूप में अक्षय तृतीया के शुभ दिन को 19 हज़ार करोड़ रुपए 10 करोड़ किसानों के खाते में सीधे ट्रांसफर करके भी एक बड़ा आर्थिक संबल का वातावरण बना दिया है। महामारी के कठिन समय में ये राशि इन किसान परिवारों के बहुत काम आ रही है। इस योजना से अब तक 1 लाख 35 हज़ार करोड़ रुपए कृषकों के खाते में सीधे पहुंच चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस राशि में से सिर्फ कोरोना काल में ही 60 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक किसानों को मिल गए हैं।
मोदी सरकार ने कोरोना काल को देखते हुए, KCC ऋण के भुगतान या फिर नवीनीकरण की समय सीमा को बढ़ा दिया गया है। ऐसे सभी किसान जिनका ऋण बकाया है, वो अब 30 जून तक ऋण का नवीनीकरण कर सकते हैं। इस बढ़ी हुई अवधि में भी किसानों को 4 प्रतिशत ब्याज पर जो ऋण मिलता है, जो लाभ मिलता है, वह यथावत रहेगा।
भारत की केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे सतत कृषि उन्नयन के प्रयासों का ही परिणाम है कि इतनी विपरीत परिस्थितियों के बाद भी गत वर्ष की अपेक्षा खरीफ का रकबा 16.4% बढ़ने की संभावना बताई जा रही है। कृषि मंत्रालय ने आशा जताई है कि पिछले साल अच्छी बारिश होने की वजह से इस बार जमीन में नमी मौजूद है और यह फसलों के लिए बहुत बेहतर स्थिति है। पिछले 10 साल के औसत की तुलना में इस बार देश के जलाशय 21 प्रतिशत तक अधिक भरे हुए हैं। हमें उम्मीद है कि इस बार देश में बंपर कृषि उपज हो सकती है। गतवर्ष की अच्छी वर्षा, जलस्त्रोतों में जल की उपलब्धि व भूमि में नमी का लाभ उठाने हेतु शासन कृषि क्षेत्र को पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराये तो किसान भी देश के गोदामों को अनाज से लबालब भरने में सक्षम हो सकता है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच सॉल्यूशंस ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नए संकट आने के संकेत दिए हैं। इसका असर आर्थिक विकास दर पर पड़ेगा और वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद 9.5% हो सकता है। ऐसी स्थिति में निश्चित ही जीवटता व जिजीविषा से लबालब किसान वर्ग ही भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने उत्पादन से एक बड़ा संबल प्रदान कर सकता है। आवश्यकता है कि शासन-प्रशासन भारतीय कृषक के प्रति संवेदनशील रहे।
मोदी सरकार के 7 वर्ष पूरे होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन किया है। शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने विकास, सुरक्षा, जनकल्याण और ऐतिहासिक सुधारों के समांतर समन्वय का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
https://twitter.com/AmitShah/status/1398886002769285123
केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने ट्वीट कर कहा कि “इन 7 वर्षों में मोदी जी ने एक ओर देशहित को सर्वोपरि रखकर अपने दृढसंकल्प और सर्वस्पर्शी व कल्याणकारी नीतियों से गरीब, किसान व वंचित वर्ग को विकास की मुख्यधारा से जोड़कर उनके जीवन को बेहतर बनाया है तो वहीं दूसरी ओर अपने मजबूत नेतृत्व से भारत को एक सशक्त राष्ट्र बनाया”।
https://twitter.com/AmitShah/status/1398886031173193730
शाह ने यह भी कहा कि “विगत 7 साल से देश की जनता ने मोदी जी की सेवा और समर्पण पर निरंतर अपना अटूट विश्वास जताया है, जिसके लिए मैं देशवासियों को नमन करता हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में हम हर चुनौती पर विजय प्राप्त कर भारत की विकासयात्रा को अविरल जारी रखेंगे”।
https://twitter.com/AmitShah/status/1398886048789196801
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की सबसे बड़ी हितैषी है। मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि विधेयकों से किसानों की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे। विधेयकों में ऐसी व्यवस्थाएं की गई हैं, जिससे किसान अपनी उपज को स्वयं अच्छी कीमतों पर मंडी में या मंडी के बाहर कहीं भी बेच सकेगा। इसमें बिचैलियों की भूमिका खत्म कर दी गई हैं। यानि जो मुनाफा किसान से बिचैलिये उठाते थे, वो पैसा अब सीधा किसान की जेब में जाएगा। इन कृषि विधेयकों से एक राष्ट्र एक बाजार की संकल्पना को मजबूती मिल रही है। किसान अब सीधे बाजार से जुड़ सकेंगे।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र आज सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग किसानों को बरगलाने और उकसाने का काम कर रहे हैं। झूठ बोला जा रहा है। परंतु किसानों को स्वयं इन कृषि सुधारों को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सोच हमेशा से किसानों के हित में रही है। इसी सोच के साथ ये सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने वहां किसानों के लिए 7 घंटे नियमित और निश्चित बिजली की व्यवस्था की। उन्होंने कृषि महोत्सवों की शुरूआत की।
त्रिवेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी किसान हमेशा उनकी प्राथमिकताओं में रहे। उनकी सरकार में गांव, गरीब और किसानों का सबसे पहले ख्याल रखा गया है। वर्ष 2009 में यूपीए की सरकार में कृषि मंत्रालय का बजट केवल 12 हजार करोड़ रूपए था, जो आज कई गुना बढ़ाकर 1 लाख 34 हजार करोड़ किया गया है। उन्होंने कहा कि पीएम किसान योजना से अब तक 92 हजार करोड़ रूपए सीधे डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने कृषि अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की है। इसमें मत्स्य पालन के लिए 20 हजार करोड़, पशुपालन के लिए 15 हजार करोड़, हर्बल खेती के लिए 4 हजार करोड़, फूड प्रोसेसिंग के लिए 1 हजार करोड़ रूपए का पैकेज स्वीकृत किया है। यूपीए के समय किसानों को 8 लाख करोड़ का कर्ज मिलता था, आज 15 लाख करोड़ का ऋण सालाना दिया जा रहा है। यूपीए के समय स्वामीनाथन आयेाग ने कृषि कल्याण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, लेकिन उस समय इन्हें लागू नहीं किया गया। आज मोदी सरकार ने न सिर्फ स्वामीनाथन रिपोर्ट के सुझावों को लागू किया बल्कि उसमें और अधिक प्रावधान जोड़कर किसानों का हित तलाशा है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य काफी बढ़ाया गया है। मोदी सरकार ने किसानों को दो तरफा फायदा दिया है। अगर किसान मंडी में उपज बेचता है तो उसे ऊंची एमएसपी पर कीमत मिलेगी और मंडी से बाहर बाजार में बेचता है तो उसे ऊंची कीमत के साथ तकनीक का भी लाभ मिलेगा। इन विधेयकों से बिचैलियों की भूमिका खत्म होगी और किसान अपनी फसल को कहीं भी बेचने के लिए स्वतंत्र होगा।
मोदी सरकार ने मुखौटा अर्थात शेल कंपनियों की पहचान कर इन्हें बंद करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है। सरकार ने लगातार दो साल या इससे अधिक समय से वित्तीय विवरण (financial statements) दाखिल नहीं करने के आधार पर इन कंपनियों की पहचान की। कंपनी अधिनियम के विभिन्न प्राविधानों के तहत पिछले तीन वर्षों के दौरान 3,82,581 कंपनियों को बंद कर दिया गया है। यह जानकारी राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने दी।
कंपनी अधिनियम के तहत “शेल कंपनी” को पारिभाषित नहीं किया गया है। यह आम तौर पर उस कंपनी को इंगित करता है, जो सक्रिय कारोबार का संचालन नहीं करती है या कंपनी के पास महत्वपूर्ण परिसंपत्ति नहीं है। इन कंपनियों का इस्तेमाल कुछ मामलों में अवैध उद्देश्य के लिए किया जाता है जैसे कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, अस्पष्ट स्वामित्व, बेनामी संपत्ति आदि। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के मुताबिक शेल कंपनी के मामले की जांच करने के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष कार्य बल ने कुछ सिफारिशें की हैं। इसके तहत शेल कंपनियों की पहचान के लिए अलर्ट के रूप में कुछ रेड फ्लैग संकेतकों का उपयोग किया जाता है।
सामान्य भाषा में कहा जाए तो शेल कंपनियां वे कम्पनियाँ हैं जो केवल कागजों पर चलती हैं और पैसे का भौतिक लेनदेन नहीं करती हैं। इन्हें छद्म कम्पनी भी कह सकते हैं। समझा जाता है कि काले धन को सफेद करने के लिए बड़े पैमाने पर शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आतंकी गतिविधियों में पैसों के लेनदेन के लिए भी इन कंपनियों का इस्तेमाल होता है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा मोदी सरकार को घेरने के चक्कर में हर बार नौसिखिया साबित हो रहे हैं और हंसी का पात्र बन जा रहे हैं। ठोस तथ्यों के अभाव और होम वर्क किये बगैर मोदी सरकार पर हमला करना अक्सर उनको भारी पड़ जाता है। सर्वाधिक चर्चित उदाहरण राफेल विमान सौदों का है। राफेल विमानों की खरीददारी को लेकर राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाने में जमीन-आसमान एक कर दिया था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राहुल सोते-जागते राफेल में घोटाले का आरोप लगाते रहे। मगर उनके सारे आरोप फुस्स साबित हुए। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को ही बुरी तरह से हार का सामना नहीं करना पड़ा, बल्कि खुद राहुल गांधी अपने परिवार की परम्परागत सीट अमेठी से चुनाव हार गए। सुप्रीम कोर्ट तक से राफेल मामले का निर्णय कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहा। वर्तमान में कृषि विधेयकों के विरोध ने कांग्रेस, राहुल व प्रियंका की किरकिरी करा दी है।
क्या हैं ये अध्यादेश
कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार द्वारा संसद में पेश किये गए कृषि सम्बन्धी तीन विधेयकों का जोरदार विरोध कर रही है। मोदी कैबिनेट ने इस वर्ष जून में ‘कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020’, ‘किसानों (सशक्तिकरण और सरंक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं अध्यादेश, 2020’ तथा ‘आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश,2020’ पारित किये थे। सरकार संसद के वर्तमान सत्र में इन अध्यादेशों को कानूनी रूप देने के लिए जुटी हुई है।
अब तक किसानों पर हैं ये प्रतिबन्ध
इन अध्यादेशों के कानून बन जाने के बाद किसानों को कई तरह की सहूलियतें मिलेंगीं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी तक किसान अपने उत्पादों को केवल सरकार द्वारा निर्धारित मंडियों में लाइसेंसधारी व्यापारियों को ही बेच सकते हैं। सरकार द्वारा निर्धारित मंडियों के अलावा कहीं और अपने उत्पादों को बेचना किसानों के लिए प्रतिबंधित है। इस कारण किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पता है। किसानों के बजाय बिचौलिये और दलाल ज्यादा फायदा उठाते हैं।
किसानों को ये मिलेंगी सहूलियत
केंद्र सरकार के इन अध्यादेशों के लागू होने के बाद किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए एक मुक्त बाजार मिलेगा। वो अपनी सहूलियत और मर्जी से कही भी अपने उत्पाद बेच सकेंगे। बाजार में प्रतिस्पर्धा होने के कारण किसानों को उपज का उचित मूल्य मिलेगा। अध्यादेशों में ऐसे ही तमाम अन्य प्राविधान हैं, जो किसानों की खुशहाली बढ़ाने में कारगर साबित होंगे और किसानों को उनकी मेहनत के अनुरूप उन्हें उनका हक मिलेगा।
राहुल, प्रियंका समेत पूरी कांग्रेस विरोध में
कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस इन अध्यादेशों को पूरी तरह से किसान विरोधी बता रही है और उसके छोटे से लेकर बड़ा नेता बयानबाजी करने में लगा हुआ है। कांग्रेस के इस अभियान में भाई राहुल के बाद शनिवार को बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हो गईं। प्रियंका ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया और मोदी सरकार को किसान विरोधी बताया।
कांग्रेस ऐसे फंसी अपने जाल में
मोदी सरकार का विरोध करने से पहले राहुल, प्रियंका और कांग्रेस नेताओं ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जारी घोषणा पत्र पर ध्यान देने की जरुरत भी नहीं समझी। मोदी सरकार ने इन अध्यादेशों में जो प्राविधान किये हैं, उन्हें कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था। कांग्रेस के इस विरोध को बेपर्दा करने में पार्टी से निलंबित राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय झा ने जरा भी देर नहीं लगाई। झा ने ट्वीट कर कहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में खुद इन प्राविधानों की हिमायत की थी।
सोशल मीडिया पर हो रही छीछालेदर
संजय झा के बयान के साथ कांग्रेस के लोकसभा घोषणा पत्र का वह पेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें पार्टी ने ये प्राविधान करने की बात कही थी। इसके साथ ही पार्टी के यूट्यूब चैनल पर मौजूद एक वीडियो भी जबरदस्त तरीके से वायरल हो रहा है। यह वीडियो वर्ष 2013 का है। इसमें राहुल गांधी कांग्रेस शासित 11 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक प्रेस कांफ्रेंस में बैठे हुए हैं। कांफ्रेंस को राहुल के साथ कांग्रेस नेता अजय माकन सम्बोधित कर रहे हैं। माकन कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक का हवाला देते हुए राहुल गांधी के सामने इन प्राविधानों को लागू किये जाने की जरुरत पर जोर देते हैं। सोशल मीडिया पर कांग्रेस, राहुल व प्रियंका की इस मामले को लेकर जमकर छीछालेदर हो रही है।