यूकाडा की कमाई तो बढ़ी, लेकिन हेली टिकटों में खत्म नहीं हुईं अनियमितताएं..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा में केदारनाथ हेली सेवा संचालन से उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) की कमाई तो बढ़ी है। लेकिन हेली टिकटों में अनियमितता पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। यूकाडा को फर्जी वेबसाइट के माध्यम से टिकटों की बुकिंग और ब्लैक में बेचने की शिकायत मिली है। इस पर हेली सेवा ऑपरेटरों पर पांच लाख का जुर्माना किया गया। एक एजेंट को ब्लैक लिस्ट करने की कार्रवाई की गई। केदारनाथ हेली सेवा के लिए टिकटों की मांग और आपूर्ति में अंतर है। एक सीट के लिए 10 गुणा मांग है। हेली टिकटों की कालाबाजारी रोकने के लिए बीते वर्ष आईआरसीटीसी के माध्यम से टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग शुरू की गई। इससे अनियमितता में कुछ कमी तो आई है लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।
बता दे कि आईआरसीटीसी से बुकिंग करने से यूकाडा का राजस्व बढ़ा है। वर्ष 2023 में हेली सेवा संचालन से यूकाडा को कुल 49 लाख का राजस्व मिला था। जो वर्ष 2022 की तुलना में 21 करोड़ अधिक था। इस बार भी यूकाडा को 50 करोड़ से ज्यादा राजस्व मिलने की उम्मीद है। यूकाडा के सीईओ सी. रविशंकर का कहना हैं कि केदारनाथ हेली सेवाओं की बुकिंग में अनियमितताओं में कमी आई है। लेकिन अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। इस बार अब तक 65 फर्जी वेबसाइट को बंद किया। टिकटों की कालाबाजारी करने पर ऑपरेटरों पर पांच लाख का जुर्माना किया गया। यात्रियों के साथ दुर्व्यवहार करने पर ऑपरेटरों पर पेनल्टी लगाई गई। एक एजेंट को ब्लैक लिस्ट किया गया। उन्होंने कहा कि आईआरसीटीसी से माध्यम से बुकिंग की मानीटरिंग की जा रही है। जिसमें यह देखा जा रहा किस शहर और किस कंप्यूटर से बुक कराया गया। टिकटों की बल्क बुकिंग पूरी तरह से बंद हुई है।
यात्रियों के लिए अच्छी खबर, हवाई सफर से पहले पता चलेगा मौसम का मिजाज..
उत्तराखंड: प्रदेश में पल-पल बदलते मौसम के बीच हवाई सेवा का संचालन करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में चारधाम के लिए हेली सेवा से यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों के लिए अच्छी खबर है। तीर्थयात्रियों को अब हवाई सफर करने से पहले मौसम का मिजाज पता चल सकेगा। इसके लिए मौसम विज्ञान केंद्र और उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूकाडा) के बीच करार होने वाला है। करार के तहत केंद्र की ओर से चारधाम यात्रा के उन स्थानों पर उपकरण लगाए जाएंगे जहां से हेली सेवा का संचालन किया जा रहा है। बीते रोज उत्तराखंड के मौसम में हुए बदलाव के चलते विभिन्न हेली कंपनियों के चार हेलीकॉप्टर ने एम्स में इमरजेंसी लैंडिंग की थी। इन सभी हेलीकॉप्टर ने चारधाम यात्रा के लिए उड़ान भरी थी। ऐसे में अगर मौसम की सटीक जानकारी होती तो हवाई यात्रा को स्थगित किया जा सकता था। इस तरह की समस्या से बचने के लिए मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से करार के संबंध में यूकडा को पत्र भेजा गया है।
चारधाम के मौसम की नहीं मिल रही सटीक जानकारी..
चारधाम यात्रा रूट में उपकरण न होने की वजह से मौसम की सटीक जानकारी नहीं मिल रही है। ऐसे में मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से इन स्थानों पर उपकरण लगाने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा गया है। लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी उपकरण न लग पाने से मौसम का सटीक अनुमान नहीं लग पा रहा है। हालांकि, मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से अर्द्ध स्वचालित मशीनें लगाई गई हैं। लेकिन चारधाम यात्रा में होने वाली बर्फबारी के चलते यह खराब हो जाती हैं। हेली सेवा के संचालन के लिए मौसम की सटीक जानकारी लेने के लिए यूकाडा के साथ मिलकर उपकरण लगाने की योजना है। इस संबंध में यूकाडा को पत्र भेजा गया है। रही बात चारधाम में उपकरण कि तो इस संबंध में भी राज्य सरकार को पत्र भेजा गया है। सरकार के साथ मिलकर ही इन स्थानों पर मौसम के अनुमान के लिए उपकरण लगाए जाने हैं।
निजी भूमि पर बना सकेंगे हेलीपैड और हेलीपोर्ट..
उत्तराखंड: प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में हवाई सेवाओं के विस्तार करने के लिए अब निजी भूमि पर भी हेलीपैड और हेलीपोर्ट बना सकेंगे। इसके लिए भू-स्वामी जमीन को 15 साल के लिए उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) को लीज पर दे सकता है या स्वयं भी हेलीपैड और हेलीपोर्ट बना सकता है। जमीन पर लीज पर देने पर भू-स्वामी को 100 रुपये प्रति वर्गमीटर के हिसाब से किराया और हेलीपैड व हेलीपोर्ट संचालन व प्रबंधन से प्राप्त होने वाले राजस्व का 50 प्रतिशत भुगतान किया जाएगा, जबकि स्वयं बनाने पर कुल पूंजी निवेश का 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सरकार ने पहली उत्तराखंड हेलीपैड व हेलीपोर्ट नीति को मंजूरी दी है।
इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही आपातकालीन चिकित्सा और आपदा के दौरान बचाव व राहत कार्यों में आसानी होगी। प्रदेशभर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां पर हेलीपैड या हेलीपोर्ट विकसित किया जा सकता है, लेकिन यहां पर सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं है। इसके लिए सरकार ने निजी भूमि पर हेलीपैड व हेलीपोर्ट बनाने की नीति को मंंजूरी दी है।
प्रति वर्ष 100 रुपये प्रति वर्गमीटर के हिसाब से किराया..
नीति में हेलीपैड व हेलीपोर्ट के लिए जमीन देने के लिए भू-स्वामी को दो विकल्प दिए गए हैं। पहला भूस्वामी जमीन को 15 साल के लिए यूकाडा को लीज पर दे सकता है, जिसमें यूकाडा डीजीसीए नियमों के तहत हेलीपैड को विकसित करेगा। इसके लिए बदले भू-स्वामी को प्रति वर्ष 100 रुपये प्रति वर्गमीटर के हिसाब से किराया दिया जाएगा।
इसके साथ ही संचालन एवं प्रबंधन से प्राप्त होने वाले राजस्व का 50 प्रतिशत भुगतान किया जाएगा। दूसरा विकल्प भू-स्वामी स्वयं भी हेलीपैड व हेलीपोर्ट को विकसित कर सकता है। इसके लिए डीजीसीए से लाइसेंस लेकर हेलीपैड का इस्तेमाल करने वालों से शुल्क लेगा। सरकार की ओर से कुल पूंजीगत व्यय पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। नीति में हेलीपैड के लिए कम से 1,000 वर्गमीटर और हेलीपोर्ट के लिए 4,000 वर्गमीटर जमीन अनिवार्य है। हेलीपैड बनाने के लिए 10 से 20 लाख रुपये तक खर्च और हेलीपोर्ट निर्माण में दो से तीन करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। यदि भूस्वामी स्वयं हेलीपैड व हेलीपोर्ट बनाता है तो इस पर सरकार सब्सिडी देगी, जिसका भुगतान दो किस्तों में किया जाएगा।