उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने खुले बाजार से बिजली खरीदने पर लगाया सरचार्ज..
उत्तराखंड: खुले बाजार यानी ओपेन एक्सेस से बिजली खरीदने वालों को अब अतिरिक्त पैसा देना होगा। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने यूपीसीएल की याचिका पर सुनवाई करते हुए ओपेन एक्सेस उपभोक्ताओं के लिए 1.12 रुपये प्रति यूनिट की दर से एडिशनल सरचार्ज लगा दिया है। इससे आम उपभोक्ता प्रभावित नहीं होंगे। कई बड़े उपभोक्ता ऐसे भी हैं जो कि खुले बाजार से बिजली खरीदते हैं।
यूपीसीएल इन उपभोक्ताओं से सरचार्ज वसूल करता है। यूपीसीएल ने पिछले दिनों नियामक आयोग में याचिका दायर करते हुए एडिशनल सरचार्ज की मांग की थी। नियामक आयोग में अध्यक्ष एमएल प्रसाद व सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने 1.12 रुपये प्रति यूनिट की दर से एडिशनल सरचार्ज को मंजूरी दे दी है। यह सरचार्ज ओपेन एक्सेस उपभोक्ताओं से एक अक्टूबर से अगले साल 31 मार्च तक वसूल किया जाएगा। इससे आम बिजली उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। नियामक आयोग के सचिव नीरज सती का कहना हैं कि यह व्यवस्था केवल ओपेन एक्सेस उपभोक्ताओं के लिए है।
बिजली धारकों के लिए राहत की खबर- उत्तराखंड में महंगी नहीं होगी बिजली..
विद्युत नियामक आयोग ने खारिज की याचिका..
उत्तराखंड: प्रदेश में बिजली महंगी नहीं होगी। यूपीसीएल की बिजली दरों में बढ़ोतरी की पुनर्विचार याचिका उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दी है। इस याचिका पर आयोग ने प्रदेशभर से सुझाव लेने के साथ ही 12 अगस्त को जनसुनवाई भी की थी। यूपीसीएल ने अप्रैल में लागू हुई विद्युत दरों पर पुनर्विचार करते हुए 919 करोड़ 71 लाख रुपये की वसूली को आधार बनाते हुए बिजली दरों में 8.54 प्रतिशत (63 पैसे प्रति यूनिट) बढ़ोतरी की याचिका दायर की थी। आयोग ने इसकी स्वीकार्यता पर सीधे कोई निर्णय लेने के बजाए उपभोक्ताओं, हितधारकों से सुझाव मांगे थे। आठ अगस्त तक प्रदेशभर से तमाम लोगों ने इस बढ़ोतरी का विरोध जताया। वहीं, 12 अगस्त को जनसुनवाई के दौरान भी उपभोक्ताओं ने कहा था कि उन्हें हर हाल में महंगी बिजली से आजादी की जरूरत है।
आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने याचिका की स्वीकार्यता पर सुनवाई करने के बाद पाया कि यूपीसीएल की याचिका पुनर्विचार लायक नहीं है। इसमें कोई भी आधार नहीं पाया गया। लिहाजा आयोग ने इसे खारिज कर दिया है। फिलहाल बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। अब यूपीसीएल के पास इस निर्णय के खिलाफ अपीलीय प्राधिकरण विद्युत दिल्ली जाने का विकल्प खुला है। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना है कि आयोग के निर्णय का अध्ययन करने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। ये देखा जाएगा कि आयोग ने किस आधार पर याचिका खारिज की है।
अप्रैल में 6.92 प्रतिशत बढ़े थे दाम..
अप्रैल में प्रदेश में बिजली की दरों में 6.92 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली 49 पैसे, अघरेलू के लिए 69 पैसे, गवर्नमेंट पब्लिक यूटिलिटी के लिए 66 पैसे, प्राइवेट ट्यूबवेल के लिए 27 पैसे, एलटी इंडस्ट्री के लिए 64 पैसे, एचटी इंडस्ट्री के लिए 64 पैसे, मिक्स लोड के लिए 52 पैसे, रेलवे के लिए 54 पैसे और ईवी चार्जिंग स्टेशन के लिए 75 पैसे प्रति यूनिट तक महंगी हुई थी। अब नई बढ़ोतरी पर नियामक आयोग को फैसला लेना है।
पिटकुल की याचिका भी खारिज.
पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (पिटकुल) की याचिका भी नियामक आयोग ने खारिज कर दी है। अप्रैल में जारी हुए आयोग के आदेश पर पुनर्विचार के लिए पिटकुल प्रबंधन ने याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि आयोग का निर्णय एरोनियस यानी गलती से किया हुआ है। आयोग ने अपने अप्रैल के आदेश के हिसाब से पिटकुल की याचिका का अध्ययन करने के बाद इसे खारिज कर दिया।
पर्वतीय जिलों में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का उत्साह, कई जगह ग्रिड फुल..
इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मांगा बजट..
उत्तराखंड: प्रदेश के पर्वतीय जिलों में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाने को जबर्दस्त उत्साह नजर आ रहा है। उत्तरकाशी, टिहरी और अल्मोड़ा में सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट लग रहे हैं। उत्तरकाशी व कई जगहों पर तो यूपीसीएल की क्षमता के हिसाब से ग्रिड फुल हो गई है। अब निगम ने सरकार से इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए बजट की मांग की है। सरकार ने सौर ऊर्जा की नई नीति जारी की थी। इसके तहत 200 किलोवाट तक के सोलर प्रोजेक्ट लगाए जा सकते हैं। पर्वतीय जिलों में सरकार 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। महिला के नाम से प्रोजेक्ट होने पर पांच प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी मिलती है। इस योजना के तहत 20, 25, 50, 100 और 200 किलोवाट के सोलर प्लांट लगा सकते हैं।
पात्र व्यक्ति अपनी निजी भूमि या लीज पर जमीन लेकर सोलर प्लांट लगा सकते हैं। योजना के तहत केवल राज्य के स्थायी निवासी ही आवेदन कर सकते हैं। उनकी आयु 18 साल से अधिक होनी चाहिए। योजना के तहत 50 किलोवाट के सोलर प्लांट के लिए 750-1000 वर्ग मीटर, 100 किलोवाट के लिए 1500-2000, 200 किलोवाट के लिए 3000-4000 वर्गमीटर जमीन जरूरी होगी।
पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाएगा..
आपको बता दे कि योजना पर 50 हजार प्रति किलोवाट का खर्च अनुमानित होगा। 50 किलोवाट से 76000 यूनिट, 100 किलोवाट से 152000 और 200 किलोवाट से 304000 यूनिट बिजली सालाना पैदा होगी। योजना के तहत यूपीसीएल 25 साल के लिए बिजली खरीदेगा। जो भी बिजली यूपीसीएल के पास आएगी, उसका पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाएगा। इसका असर नजर आ रहा है। आलम ये है कि उत्तरकाशी में तो अब नए प्रोजेक्ट की गुंजाइश ही नहीं बची है।
यहां यूपीसीएल की ग्रिड क्षमता के हिसाब से प्रोजेक्ट आवंटन पूरा हो गया है। टिहरी व अल्मोड़ा में भी काफी उत्साह नजर आ रहा है। यूपीसीएल के निदेशक परिचालन एमआर आर्य का कहना है कि पर्वतीय जिलों में भारी उत्साह के बीच अब हमें इंफ्रास्ट्रक्चर को और मजबूत करने की जरूरत है। लिहाजा शासन को पत्र भेजकर इसके लिए बजट की मांग की गई है।
बता दे कि अगर आप 50 किलोवाट का प्रोजेक्ट लगाते हैं तो इस पर कुल खर्च 25 लाख का होगा। इससे सालाना 76 हजार यूनिट बिजली पैदा होगी। कुल 17 लाख 50 हजार रुपये का लोन मिलेगा। एमएसएमई योजना के तहत 7 लाख 50 हजार की सब्सिडी मिलेगी। बिजली वर्तमान 4.49 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेचने पर सालाना 3 लाख 41 हजार 240 की कमाई होगी। सालाना 35 हजार का खर्च मेंटिनेंस का होगा। माहवार किश्त 9,557 रुपये और कमाई 15,963 रुपये होगी। लोन खत्म होने के बाद माहवार कमाई 25,520 रुपये हो जाएगी।
उत्तराखंड के बिजली उपभोक्ताओं का सितंबर में सस्ता आएगा बिल, 60 पैसे तक घटे यूनिट
उत्तराखंड: अगले महीने बिजली का बिल सस्ता आएगा। यूपीसीएल ने अगस्त माह की फ्यूल एंड पावर परचेज कॉस्ट एडजस्टमेंट (एफपीपीसीए) दरें घोषित कर दी हैं। इसके तहत बिजली बिल में 15 पैसे लेकर 60 पैसे प्रति यूनिट तक की कमी हो गई है। सितंबर के बिल में प्रति यूनिट यह छूट मिलेगी। यूपीसीएल हर महीने आपूर्ति के लिए बाजार से बिजली खरीदता है। बाजार से महंगी या सस्ती बिजली का असर बिल में नजर आता है। अगर निर्धारित से अधिक दरों पर बिजली खरीदी तो उसी अनुपात में बिल में प्रति यूनिट बिजली महंगी हो जाती है। सस्ती खरीद होने पर प्रति यूनिट उतनी ही कमी कर दी जाती है। यूपीसीएल प्रबंधन ने अगस्त माह में एफपीपीसीए दरों की घोषणा कर दी है। निगम प्रबंधन का कहना है कि सितंबर माह के बिजली बिल में इसी हिसाब से छूट दी जाएगी। केंद्र सरकार ने राज्य को गैर आवंटित कोटे से मिल रही 100 मेगावाट बिजली की अवधि सितंबर तक बढ़ा दी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के अनुरोध पर पहले यह बिजली 31 जुलाई तक मिली थी। सीएम धामी ने इसे आगे बढ़ाने का अनुरोध किया था, जिसके बाद केंद्र के गैर आवंटित कोटे से 30 सितंबर तक 100 मेगावाट बिजली राज्य को मिलती रहेगी।
यूजेवीएनएल का उत्पादन सुधरा, बिजली किल्लत अभी भी बरकरार..
उत्तराखंड: प्रदेश में वैसे तो यूजेवीएनएल का बिजली उत्पादन बढ़ गया है, लेकिन अचानक हो रही किल्लत की वजह से कुछ जगहों पर कटौती हो रही है। यूपीसीएल प्रबंधन मांग के सापेक्ष बिजली उपलब्धता की कोशिश में जुटा है। प्रदेश में इस समय बिजली की मांग वैसे तो करीब 5.5 करोड़ यूनिट चल रही है, जिसके सापेक्ष उपलब्धता 5.4 करोड़ यूनिट तक की है। यूजेवीएनएल का उत्पादन भी 2.4 करोड़ यूनिट तक पहुंच गया है। लेकिन उमस के बीच अचानक बिजली की मांग में उतार चढ़ाव आ रहा है। इसकी वजह से अचानक बिजली की शॉर्टेज पैदा हो रही है, जिसकी बाजार से तत्काल आपूर्ति संभव नहीं है। ऐसे में हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां एक से डेढ़ घंटे की कटौती हो रही है तो फर्नेश इंडस्ट्री में चार से पांच घंटे की कटौती हो रही है।
आपदा से बिजली को लगे झटके,थत्यूड़ में सब स्टेशन में घुसा मलबा..
उत्तराखंड: प्रदेश में लगातार बारिश के बीच आपदा के कारण बिजली उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सब स्टेशन में मलबा आने से थत्यूड़ के पास के 100 गांवों में अंधेरा छा गया। कई अन्य जगहों पर भी शनिवार को आपूर्ति दिनभर बाधित रही। यूपीसीएल ने देर शाम तक आपूर्ति सुचारू होने का दावा किया है। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के कई पावर हाउस नदियों में बाढ़, मलबा आने की वजह से बंद हो गए। इसके चलते विद्युत उत्पादन 2.2 करोड़ यूनिट से घटकर 1.6 करोड़ यूनिट तक आ गया है। यमुना का जलस्तर शनिवार को खतरे के निशान 455.37 मीटर तक पहुंचा। भारी मात्रा में सिल्ट आने के चलते दोपहर 12.45 पर डाकपत्थर बैराज से करीब 35 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
वही शक्ति नहर के सभी गेट बंद कर दिए गए। ढालीपुर (51 मेगावाट), ढकरानी (37.5 मेगावाट), कुल्हाल (30 मेगावाट) जल विद्युत परियोजना में दोपहर एक बजे से उत्पादन ठप हो गया। देर रात उत्पादन सुचारू होने की उम्मीद जताई जा रही है। सिल्ट को नहर में जाने से रोकने के लिए शक्ति नहर के गेट बंद कर दिए गए। करीब एक बजे शक्तिनहर पर बने ढालीपुर, ढकरानी और कुल्हाल जल विद्युत परियोजना में विद्युत उत्पादन ठप हो गया। यमुना में सिल्ट आने का सिलसिला अभी जारी है। शाम को भी डाकपत्थर में यमुना खतरे के निशान को छूकर बहती रही। यूजेवीएनएल के जनसंपर्क अधिकारी विमल डबराल का कहना हैं कि पीपीएम की मात्रा बढ़ने के कारण डाकपत्थर बैराज से पानी छोड़ा गया। पीपीएम की मात्रा कम होने के बाद शक्ति नहर में पानी छोड़ा जाएगा। रात तक तीनों जल विद्युत केंद्रों में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। मनेरी भाली एक व दो के अलावा चीला का उत्पादन भी बंद है।
यमुनोत्री में आपदा के कारण शनिवार को दिनभर आपूर्ति ठप रही। यूपीसीएल का दावा है कि देर शाम तक आपूर्ति सुचारू कर दी गई। इसके साथ ही जौनपुर क्षेत्र में बारिश के कारण सुवाखोली मोटर मार्ग पर भूस्खलन हो गया। उसका मलबा सड़क के नीचे 33 केवी विद्युत सब स्टेशन में घुस गया, जिससे क्षेत्र के करीब 100 गांवों की विद्युत आपूर्ति ठप हो गई। सब स्टेशन में तीसरी बार मलबा घुसा है। इससे पहले उसी स्थान पर पिछले माह 19 जून और 4 जुलाई को भी मलबा घुसा था, जिससे पूरे क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति घंटों तक बाधित रही। कई ट्रांसफार्मर पूरी तरह से मलबे में दब गए। रात को ही थत्यूड़ बाजार सहित 100 से अधिक गांवों की विद्युत आपूर्ति ठप हो गई। ऊर्जा निगम टिहरी के ईई अमित आनंद का कहना है कि वैकल्पिक आपूर्ति का प्रयास किया जा रहा है। यूपीसीएल के निदेशक परिचालन एमआर आर्य का कहना है कि विद्युत आपूर्ति दुरुस्त करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। यमुनोत्री की आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। राज्य में इस समय बिजली की मांग करीब 5.2 करोड़ यूनिट है, जिसके सापेक्ष उपलब्धता पांच करोड़ यूनिट तक है। यूजेवीएनएल की आपूर्ति बाधित होने की वजह से अचानक बिजली संकट हो रहा है, जिससे फर्नेश उद्योगों के साथ ही हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण इलाकों में भी कटौती हो रही है।
यूपीसीएल रोजाना एक करोड़ यूनिट बिजली बाजार से खरीद रहा..
उत्तराखंड: प्रदेश में बिजली की मांग और बढ़ गई है, जिसके चलते यूपीसीएल को आपूर्ति करने में काफी मशक्कत उठानी पड़ रही है। हालात ये है कि दिन में तो बाजार में आसानी से सस्ती बिजली उपलब्ध हो रही है लेकिन शाम को पीक आवर में 10 रुपये प्रति यूनिट की दर पर भी बिजली नहीं मिल पा रही है। हालांकि निगम का दावा है कि मांग के सापेक्ष करीब पूरी बिजली उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे घोषित कटौती नहीं हो रही।
पहली बार प्रदेश में भीषण गर्मी के बीच बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर तक पहुंची है। बारिश कम होने से यूपीसीएल की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। ऊर्जा निगम मुख्यालय के अनुसार बिजली की मांग जून माह में रिकॉर्ड 6.4 करोड़ यूनिट तक पहुंची है। इसके सापेक्ष उपलब्ध महज 5.8 करोड़ यूनिट तक है। रोजाना 80 लाख से एक करोड़ यूनिट बिजली बाजार से खरीदनी पड़ रही है। दिन में बाजार में उपलब्धता होने की वजह से सस्ती दरों पर बिजली मिल पा रही है लेकिन शाम को पीक आवर में बाजार में भारी शॉर्टेज हो रही है।
इसके चलते 10 रुपये के दाम पर भी बिजली नहीं मिल पा रही है। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना है कि बाजार में पीक आवर में बिजली जुटाना काफी चुनौतीपूर्ण हो रहा है। बुधवार को प्रदेश के मैदानी इलाकों खासतौर से देहरादून व आसपास बारिश हुई, जिसकी वजह से यूपीसीएल को कुछ राहत मिली है। अब आने वाले दिनों में बारिश होने पर ही यूपीसीएल को कुछ उम्मीद है। यूपीसीएल प्रबंधन के मुताबिक, फिलहाल कहीं भी घोषित कटौती नहीं की जा रही है। स्थानीय कारणों से ही कटौती हो रही है।
उत्तराखंड में बिजली की मांग बढ़ी, पांच करोड़ यूनिट के करीब पहुंची..
उत्तराखंड: गर्मियों के साथ ही बिजली की मांग में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है। इस समय, लगभग पांच करोड़ यूनिट तक की बिजली की आवश्यकता है। यूपीसीएल को रोजाना बाजार से लगभग डेढ़ करोड़ यूनिट बिजली खरीदने का काम करना पड़ रहा है, जो कि एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। प्रदेश में बिजली की मांग विशेष रूप से शुक्रवार को बड़ी मात्रा में बढ़ गई है, जब 4.9 करोड़ यूनिट तक की मांग दर्ज की गई। यहां तक कि यूपीसीएल के पास राज्य, केंद्र और अन्य स्रोतों से कुल 3.2 करोड़ यूनिट की उपलब्धता होने के बावजूद, अत्यधिक बिजली की आवश्यकता के कारण बाजार से बिजली खरीदनी पड़ रही है। यूपीसीएल रोजाना लगभग 1.4 करोड़ यूनिट तक बाजार से बिजली खरीद रहा है, फिर भी मांग को पूरा करने में सांस फूल रही है। इसके परिणामस्वरूप हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के अलावा अन्य मैदानी ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती हो रही है। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयास किया जा रहा है, लेकिन कटौती की स्थिति अब भी गंभीर है।
यूपीसीएल कर्मचारियों को महंगाई भत्ते की सौगात, पेंशनरों का भत्ता भी बढ़ा..
उत्तराखंड: यूपीसीएल ने सभी अधिकारियों, कर्मचारियों और पेंशनरों को बढ़े हुए महंगाई भत्ते की सौगात दे दी है। यह भत्ता उन्हें पिछले साल एक जुलाई 2023 से मिलेगा। यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार की ओर से जारी आदेश के अनुसार निगमकर्मियों को अभी तक 42 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा था। एक जुलाई 2023 से इसमें चार प्रतिशत की बढ़ोतरी करते हुए 46 प्रतिशत कर दिया गया है। महंगाई भत्ते की गणना में विशेष वेतन, वैयक्तिक वेतन या अन्य वेतन को शामिल नहीं किया जाएगा।
ईपीएफ से आच्छादित कार्मिकों को महंगाई भत्ते के एरियर की 12 प्रतिशत धनराशि ईपीएफ कटौती के बाद बाकी का नकद भुगतान किया जाएगा। उधर, निगम ने सभी पेंशनरों के लिए भी महंगाई भत्ता 46 प्रतिशत कर दिया है। इन्हें भी एक जुलाई से ही यह भत्ता दिया जाएगा। निगम के हजारों कर्मचारियों-पेंशनरों को इसका लाभ मिलेगा।
उपनल संविदा कर्मियों ने मांगा महंगाई भत्ता..
उधर, उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन (इंटक) के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि ने मांग की कि उन्हें भी परिवर्तनीय महंगाई भत्ता दिया जाए। इस संबंध में पूर्व में आदेश जारी हुआ था, जिस पर बाद में रोक लगा दी गई थी। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगम में काम कर रहे उपनल कर्मियों का जोखिम अत्यधिक है। लिहाजा, उन्हें महंगाई भत्ता देने का प्रस्ताव कैबिनेट में लाया जाए।
प्रदेश में बढ़ने लगी बिजली की किल्लत,बाजार से खरीदने की मजबूरी..
उत्तराखंड: गर्मियां बढ़ने के साथ ही प्रदेश में बिजली की किल्लत भी बढ़ने लगी है। शनिवार को यूपीसीएल ने इस सीजन की सर्वाधिक 43 मिलियन यूनिट (4 करोड़ 30 लाख यूनिट) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। कम उत्पादन के बीच यूपीसीएल को फिर बाजार से बिजली खरीदने की जरूरत पड़ने लगी है।
आपको बता दे कि केंद्र सरकार से गैर आवंटित कोटे की बिजली तो यूपीसीएल को मिली लेकिन इस साल यूजेवीएनएल से बिजली का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले कम हो रहा है। गत वर्ष इन दिनों यूजेवीएनएल से 14.5 मिलियन यूनिट बिजली मिल रही थी जो कि इस साल केवल 8.5 मिलियन यूनिट मिल रही है।
यूपीसीएल के निदेशक परियोजना अजय अग्रवाल का कहना हैं कि प्रदेश में बिजली की मांग इस सीजन की अब तक की सर्वाधिक 43 मिलियन यूनिट शनिवार को आंकी गई है। उन्होंने कहा कि इसके सापेक्ष करीब 32 से 35 मिलियन यूनिट बिजली तो उपलब्ध है।
बाकी बाजार से खरीदनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है। बताया कि शुक्रवार को प्रदेश में बिजली की मांग करीब 41.6 मिलियन यूनिट आंकी गई थी जो कि शनिवार को बढ़कर 43 आंकी गई है।
गैस से मिल रहा सहारा, तीसरी मशीन भी चलेगी..
यूपीसीएल ने काशीपुर स्थित गैस प्लांट का संचालन शुरू कर दिया है। दो मशीनों से रोजाना करीब 200 मेगावाट बिजली मिल रही है। 19 मई से तीसरी मशीन भी संचालित की जाएगी, जिससे यूपीसीएल को 100 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलेगी। यूपीसीएल अधिकारियों का कहना हैं कि इससे कुछ राहत मिलेगी।