यूसीसी- अभ्यास में पास, हुए 3500 डमी आवेदन,अब अधिसूचना का इंतजार..
उत्तराखंड: मंगलवार को पूरे प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के वेब पोर्टल का अभ्यास किया गया। इस दौरान पोर्टल पर 3500 डमी आवेदन पंजीकृत किए गए। जिसमें रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रार द्वारा 200 डमी आवेदनों का निष्पादन किया गया। इस दौरान यूसीसी पोर्टल पर 7728 अधिकारियों की आईडी बनाई गई। अभ्यास के दौरान आधार से जुड़ी कुछ तकनीकी समस्या आई, जिसका समय रहते समाधान कर दिया गया। अब 24 जनवरी को पूरे प्रदेश में एक और अभ्यास किया जाएगा, जो सीएससी स्तर पर आयोजित किया जाएगा।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सरकार अभ्यास कार्यक्रम को इसलिए आगे बढ़ाना चाहती है ताकि यूसीसी की अधिसूचना जारी होने से पहले पोर्टल की तकनीकी पहुंच सुनिश्चित की जा सके। इसी मंशा से एक बार फिर पूरे प्रदेश में अभ्यास की तिथि तय की गई है। सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) और प्रशिक्षण से जुड़े अधिकारियों का कहना हैं कि पोर्टल पर पूरे दिन का अभ्यास संतोषजनक रहा। डमी आवेदन जल्दी जमा किए गए।
उन पर सक्षम अधिकारियों द्वारा कार्रवाई का अभ्यास भी किया गया। यूसीसी लागू होने से पहले पोर्टल के संचालन और काम करने की गति को परखने के लिए यह अभ्यास बहुत महत्वपूर्ण था। इस दौरान जो भी छोटी-मोटी तकनीकी समस्याएँ आईं, उनका समाधान किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि समस्या फिर न आए। आईटीडीए ने कहा कि अभ्यास के दौरान आधार आधारित पंजीकरण प्रक्रिया में एक छोटी सी खामी पाई गई थी, जिसमें ओटीपी जनरेट करने में कुछ समस्या आ रही थी, उस प्रक्रिया को दुरुस्त कर दिया गया है। भविष्य में इसमें देरी न हो, इसके लिए काम किया जा रहा है। यूसीसी पोर्टल का मॉक ड्रिल पूरे राज्य में पहली बार किया गया, जो संतुलित बताया गया है। कुछ तकनीकी समस्याएं देखी गईं, जिन्हें समय रहते सुलझा लिया गया।
यूजर ट्रायल सफल, 30 हजार प्रति सेकेंड से ऊपर का लोड,30 हजार एंट्री में भी नहीं अटकेगी वेबसाइट..
उत्तराखंड: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का जो पोर्टल सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) ने तैयार किया है। उस पर एक साथ 30 हजार से ज्यादा यूजर भी अपनी एंट्री कर सकते हैं। अत्याधुनिक सुरक्षा उपायों से लैस इस वेबसाइट को साइबर हमलों से अधिक सुरक्षित बनाने के लिए नेशनल डाटा सेंटर से लिंक किया गया है। आईटीडीए ने यूसीसी वेबसाइट https://ucc.uk.gov.in/की लांचिंग से पूर्व पुख्ता तैयारियां की हैं। किसी भी तरह की तकनीकी खामी को तत्काल दूर करने के लिए टेक्निकल हेल्प डेस्क बनाई गई है।
इस वेबसाइट को दो बार सिक्योरिटी ऑडिट किया जा चुका है। सोर्स कोड रिव्यू में सभी वर्तमान पैमानों पर वेबसाइट खरी उतरी है। आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल का कहना हैं कि वेबसाइट को सुरक्षा की दृष्टि से नेशनल डाटा सेंटर पर होस्ट किया गया है। इससे वेबसाइट पर साइबर हमला होने की दशा में भी कोई नुकसान नहीं होगा। वेबसाइट की प्रोसेसिंग स्पीड काफी उच्च है। यानी एक बार प्रॉसेस करने के बाद बेहद कम समय के भीतर वह पूरा हो जाएगा।
यूजर ट्रायल सफल, 30 हजार प्रति सेकेंड से ऊपर का लोड
यूसीसी पोर्टल पर भविष्य में यूजर की संख्या बढ़ने के मद्देनजर आईटीडीए ने लोड टेस्टिंग की है। प्रति सेकेंड 30 हजार से ज्यादा यूजर भी रहेंगे तो वेबसाइट हैंग नहीं होगी। वहीं, डेमो यूजर आईडी बनाकर वेबसाइट को रन किया गया, जिसका ट्रायल सफल रहा है।
उत्तराखंड में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लागू करने का ऐलान..
उत्तराखंड: प्रदेश में जल्द ही समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो जाएगी। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर इसके संकेत दिए हैं। नए साल के पहले दिन उन्होंने एक्स पर इस बाबत पोस्ट लिखी है। सीएम धामी ने लिखा, देवभूमि उत्तराखंड की देवतुल्य जनता के आशीर्वाद से हम प्रदेश में नागरिकों को समान अधिकार देने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड जल्द लागू करने जा रहे हैं, यह कानून न केवल समानता को बढ़ावा देगा बल्कि देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा।
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने 2024 में समान नागरिक संहिता के लिए कानून पारित किया था। सीएम धानी ने यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए हाईकोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की थी। समिति ने पिछले साल फरवरी में राज्य सरकार को चार खंडों में यूसीसी का एक व्यापक मसौदा प्रस्तुत किया था। धामी सरकार ने कुछ दिनों बाद विधानसभा में उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया और इसे 7 फरवरी को पारित कर दिया गया।
उत्तराखंड में अब यूनिफॉर्म सिविल कोड, नए साल में होगा लागू..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की घोषणा की हैं। उन्होंने कहा है कि यूसीसी लागू करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। वक्फ बोर्ड ने भी समान नागरिक संहिता का स्वागत किया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि नए साल में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) उत्तराखंड में लागू कर दिया जाएगा। जिसके बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला पहला प्रदेश बन जाएगा। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने यूसीसी का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यूसीसी उभरते हुए भारत की एक तस्वीर है और ये विकसित भारत की ओर एक मजबूत कदम है।
शादाब शम्स ने कहा यूसीसी देश के लिए नजीर होगी और पूरे देश में सभी राज्य यूसीसी को अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि यूसीसी किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है बल्कि इसमें रीतियों और परंपराओं का ध्यान रखा गया है। मुसलमान निकाह करेगा तो रजिस्टर कराएगा, हिन्दू फेरे लेगा तो रजिस्टर कराएगा, उसी तरीके से तलाक रजिस्टर कराना होगा। उन्होंने कहा कि ये कानून बेटियों को बराबरी का हक देगा और आने वाला वक्त उत्तराखंड का होगा।
UCC क्या होता है ?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) एक देश एक नियम के तहत काम करता है। इसके तहत सभी धर्म के नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेना, विरासत और उत्तराधिकार जैसे कानूनों को एक कॉमन कानून के तहत नियंत्रित करने की बात कही गई है। फिर चाहे वो व्यक्ति किसी भी धर्म का क्यों न हो। मौजूदा समय में अलग-अलग धर्मों में इन्हें लेकर अलग-अलग राय और कानून हैं। यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य बन जाएगा जहां पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया गया है।
उत्तराखंड सरकार जल्द ही सार्वजनिक करेगी यूसीसी कानून की बुनियाद रही विशेष रिपोर्ट..
उत्तराखंड: प्रदेश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की नींव रखने से पहले भारत के वैदिक काल से लेकर संविधान सभा के गठन तक गहन अनुसंधान किया गया था। साथ ही देश-विदेश में अलग-अलग समय में लागू रहे विभिन्न धर्मों के पर्सनल लॉ का आम लोगों के जीवन पर क्या असर रहा, जैसे मुद्दों पर भी विस्तृत अनुसंधान किया गया था। इसके आधार पर उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी का कानून तो पारित कर दिया लेकिन उस अनुसंधान रिपोर्ट को अभी तक पर्दे में रखा था। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यूसीसी की बुनियाद में रही उस अनुसंधान रिपोर्ट को सरकार जल्द सार्वजनिक करने की तैयारी में है। सरकार यूसीसी कानून और पोर्टल को लागू करने से पहले अनुसंधान रिपोर्ट को जनता के सामने लाना चाहती है ताकि आम लोगों को उन तथ्यों से रूबरू कराया जा सके, जिनकी वजह से यूसीसी कानून पारित किया गया।
आम लोगों पर उनके प्रभाव आदि विषयों पर अनुसंधान..
पोर्टल का काम अक्तूबर तक पूरा होने की उम्मीद है, ठीक उससे पहले सरकार उस रिपोर्ट को सार्वजनिक कर देगी। यूसीसी कानून ड्राफ्ट करने वाली विशेषज्ञ समिति ने इस रिपोर्ट में वैदिक काल से लेकर आज के संदर्भ में यूसीसी की जरूरत पर अनुसंधान किया है। इसमें यूसीसी का आधार, उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, विभिन्न धर्मों के पर्सनल लॉ की पृष्ठभूमि, संविधान सभा की बहस, यूसीसी और अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ पर देश-विदेशों की स्थिति, आम लोगों पर उनके प्रभाव आदि विषयों पर अनुसंधान है।
पहले जानकर रोकी गई थी रिपोर्ट..
बीती 6 फरवरी को यूसीसी कानून पेश किया गया तो सरकार ने उसकी अनुसंधान रिपोर्ट को उस समय सार्वजनिक करने से रोक लिया था। क्योंकि सरकार चाहती थी कि उस समय देश के पहले यूसीसी बिल की चर्चा ही इतनी अधिक थी कि अनुसंधान रिपोर्ट प्रकाश में नहीं आती। चूंकि अब बिल की नियमावली लागू करने की तैयारी है इसलिए उससे पहले अनुसंधान रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का फैसला लिया गया है।
यूसीसी से बाहर हो सकती हैं उत्तराखंड की जनजातियां, अभी सरकार को इस पर लेना है फैसला..
उत्तराखंड: समान नागरिक संहिता से उत्तराखंड की जनजातियां अलग रह सकती हैं। प्रदेश में सात प्रमुख जनजातियां हैं, जिनके तौर तरीके और नियम अलग हैं। हालांकि, अभी सरकार को इस पर फैसला लेना है। समान नागरिक संहिता वैसे तो प्रदेश के हर नागरिक पर लागू करने का लक्ष्य है, लेकिन अनुसूचित जनजातियों को इससे बाहर रखा जा सकता है। अभी सरकार को इस पर फैसला लेना है। प्रदेश में थारू जनजाति उत्तराखंड व कुमाऊं का सबसे बड़ा जनजातीय समुदाय है। थारू जनजाति ऊधमसिंह नगर के खटीमा, नानकमत्ता, सितारगंज, किच्छा आदि क्षेत्रों में निवास करती हैं।
जनजातियों के अपने अलग रीति रिवाज..
इसके बाद जौनसारी राज्य की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है, जो मुख्य रूप से भाबर क्षेत्र व देहरादून के चकराता, कालसी, त्यूनी, लाखामंडल क्षेत्र, टिहरी का जौनपुर और उत्तरकाशी के परग नेकान क्षेत्र में निवास करते हैं। वहीं, भोटिया जनजाति प्रदेश की सबसे प्राचीन मानी जाती है। भोटिया जनजाति की बहुत सी उपजातियां मारछा, तोलछा, जोहारी, शौका, दरमियां, चौंदासी, व्यासी, जाड़, जेठरा, छापड़ा (बखरिया) भोटिया जनजाति महा हिमालय के तलहटी क्षेत्रों में निवास करती हैं। यह जाति पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी में निवास करती है। उधर, बोक्सा जनजाति के लोग राज्य के तराई-भाबर क्षेत्र में ऊधमसिंहनगर के बाजपुर, गदरपुर एवं काशीपुर, नैनीताल के रामनगर, पौड़ी के दुगड्डा और देहरादून के विकासनगर, डोईवाला व सहसपुर विकासखंडों के 173 गांवों में निवास करते हैं।
नैनीताल व उधमसिंहनगर के बोक्सा बहुल क्षेत्र को बुक्सा कहा जाता है, जबकि राजी जनजाति प्रदेश की एकमात्र ऐसी है, जो आज भी जंगलों में निवास करती है। मुख्यतः पिथौरागढ़ जिले में रहती है। थारू, बोक्सा, जौनसारी, भोटिया और राजी जनजातियों को 1967 के अनुसूचित जाति के अंतर्गत रखा गया है। इन जनजातियों के अपने अलग रीति रिवाज हैं। अलग नियम हैं।