प्रवासी श्रमिक राशन कार्ड मामले में राज्यों को सुप्रीम फटकार, 6 हफ्ते में काम पूरा करने का निर्देश..
प्रवासी श्रमिक राशन कार्ड मामले में राज्यों को सुप्रीम फटकार, 6 हफ्ते में काम पूरा करने का निर्देश..
देश-विदेश: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमने अपना धैर्य खो दिया है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को 19 नवंबर तक इस मामले में आवश्यक कदम उठाने का अंतिम मौका दिया। पीठ का कहना हैं कि हमने अपना धैर्य खो दिया है, हम यह साफ कर रहे हैं कि अब और ढिलाई नहीं बरती जाएगी। पीठ ने कहा कि हम आपको हमारे आदेश का पालन करने के लिए एक आखिरी मौका दे रहे हैं। इसके बाद आपके सचिव मौजूद रहेंगे। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी का कहना हैं कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत प्रत्येक प्राथमिकता वाले परिवार को केवल एक राशन कार्ड जारी किया जाता है। बता दे कि शीर्ष अदालत कोविड के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों का संज्ञान लेने के बाद 2020 में स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई कर रही थी।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था, जिसमें प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड और अन्य कल्याणकारी उपाय के उसके 2021 के फैसले और उसके बाद के निर्देशों के अनुपालन के बारे में बताया गया हो। शीर्ष अदालत ने 29 जून, 2021 के फैसले में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीयूडब्ल्यू) बनाने के प्रति केंद्र के उदासीनता को अक्षम्य करार दिया था। कोर्ट ने इसे 31 जुलाई, 2021 तक शुरू करने का आदेश दिया था, ताकि सभी प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत किया जा सके और कोविड संकट के दौरान उन तक कल्याणकारी उपाय पहुंचाए जा सकें। कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को महामारी के खत्म होने तक उन्हें मुफ्त सूखा राशन उपलब्ध कराने के लिए योजनाएं बनाने का आदेश दिया था, जबकि केंद्र को अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटित करना होगा।
उत्तराखंड में राशन कार्ड धारकों को हर माह मिलेगा ये अनाज..
उत्तराखंड: प्रदेश में राशन कार्ड धारकों को अब सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से गरीबों को हर माह मिलने वाले राशन में अब एक किलो मंडुवा भी दिया जाएगा। जिससे गरीबों की थाली में पौष्टिकता से लबरेज मोटा अनाज भी मिलेगा। साथ ही मंत्री ने विभाग के उच्च अधिकारियों को प्रत्येक माह में 10 दिन फ़ील्ड में जाकर कार्य करने के निर्देश भी दिए।
बता दे कि कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने विभागीय समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि गरीबों को हर माह पांच किलो गेहूं मिलता है। इसके स्थान पर चार किलो गेहूं और एक किलो मंडुवा दिया जाएगा। उनका कहना हैं कि विद्यालयों में मिड डे मील और आंगनबाड़ी केंद्रों में दिए जाने वाले पौष्टिक आहार में भी मोटे अनाज शामिल किए जाएंगे, ताकि खपत बढ़ सके।
इस कड़ी में उन्होंने अधिकारियों को आदेश दिए की मंडुवा, रामदाना, झंगोरा जैसे मोटे अनाज पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि मोटे अनाज के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऐसे में खपत पर भी विशेष जोर है, क्योंकि किसान खपत के अनुसार ही पैदावार करता है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में उगाया जाने वाला मंडुवा पौष्टिकता का खजाना है। यहां की परंपरागत फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। राज्य की कुल कृषि योग्य भूमि का 85 फीसद भाग असिंचित होने के बावजूद यहां इसकी खेती आसानी से की जा सकती है। मंडुवा हृदय व मधुमेह रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभदायक होता है। इसमें पर्याप्त पोषक तत्व होने की वजह से यह कुपोषण से बचाने में भी मददगार होता है। बाजार में मंडुवे का आटा 40 से 50 रुपये प्रति किलो के हिस्सा से उपलब्ध है।