कुंभनगरी हरिद्वार में आयोजित विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में धर्मांतरण व लव जिहाद जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई और इनके विरुद्ध ठोस कानूनों की जरुरत पर जोर दिया गया। बैठक में साधु-संतों ने देशभर में हिंदू मंदिरों के अधिग्रहण पर गहरा आक्रोश जताया और इस संबंध में एक प्रस्ताव प्रस्ताव पारित कर मंदिरों पर से सरकारी नियंत्रण समाप्त करने की मांग की गई। साथ ही इसके लिए देशभर में जनजागरण अभियान चलाने का संकल्प भी लिया गया।
विहिप की मार्गदर्शक मंडल की एक दिवसीय बैठक शुक्रवार को हरिद्वार के भोपतवाला स्थित अखण्ड परमधाम आश्रम में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने की। बैठक में संतों ने लव जिहाद की समस्या पर आक्रोश प्रकट करते हुए कहा कि यह विधर्मियों की सोची समझी साजिश है, जिसके खिलाफ केन्द्र सरकार प्रभावी कानून बनाए।
संतों ने मांग की, कि मंदिरों का अधिग्रहण समाप्त हो, देश की भूमि पर बढ़ती जा रही अवैध कब्रगाहों, मजारों पर प्रतिबंध लगे, देश में मठ-मंदिरों पर सरकारी टैक्सों को समाप्त किया जाए। गौ व गंगा की रक्षा के लिए निरंतर प्रयास किये जाएं। बैठक में पाकिस्तान में हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों का मामला भी उठा। मांग की गई कि पाकिस्तान से आने वाले हिन्दुओं को भारत में शरण मिलनी चाहिए। पाकिस्तान में हिन्दुओं की जो दुर्दशा हो रही है, वह हिन्दुत्व के लिए ही नहीं। अपितु मानवता के लिए भी चिंता का विषय है।
बैठक में पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पूर्व में प्रदेश सरकार द्वारा गठित किए गए चारधाम देवस्थानम बोर्ड में शामिल 51 मंदिरों के अधिग्रहण पर पुनर्विचार की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस संबंध में शीघ्र ही तीर्थ पुरोहितों की बैठक बुला कर निर्णय लिया जाएगा। चारधामों के बारे में शंकराचार्य द्वारा प्राचीन काल से जो व्यवस्था की गई है, उसका पूरी तरह से पालन किया जाएगा।
Press note containing deliberations made in the Kendriya Margdarshak Mandal Meet of VHP in Haridwar today. A resolution is also passed to free all Temples from Govt Control.. pic.twitter.com/WLepzXksln
— Vishva Hindu Parishad -VHP (@VHPDigital) April 9, 2021
बैठक में जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, स्वामी परमानंद महाराज, निर्वाणी पीठाधीश्वर स्वामी विशोकानंद भारती, स्वामी अविचलदास, स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती, स्वामी हरिचेतनानंद, स्वामी चिदानंद मुनि, स्वामी ललितानंद गिरि महाराज, स्वामी कैलाशानन्द गिरी समेत कई प्रमुख संतों ने अपने विचार रखे।
महाकुंभ के दौरान आयोजित हो रही विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय
मार्गदर्शक मंडल की बैठक में प्रमुख साधू-संतों के अलावा विहिप
के केंद्रीय पदाधिकारी भाग लेंगे और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
महाकुंभ के आयोजन के बीच विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार 9 अप्रैल को हरिद्वार में होगी। प्रात: 10 बजे से सायं 6 बजे तक चलने वाली यह बैठक भोपतवाला स्थित अखंड परमधाम आश्रम में होगी।
मार्गदर्शक मंडल की इस बैठक में देशभर के वरिष्ठ साधू-संतों के अतिरिक्त विहिप के केंद्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार, उपाध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय, विहिप महामंत्री मिलिंद परांडे, केन्द्रीय धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी, मार्गदर्शक मंडल के संयोजक जीवेश्वर मिश्र सहित अनेक केंद्रीय पदाधिकारियों के भाग लेने की संभावना है।
बैठक में श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान तथा मंदिर निर्माण, हिंदू मंदिरों की स्वायत्तता व सरकारी नियंत्रण से मुक्ति, धर्मांतरण व लव जिहाद जैसे अनेक सम-सामयिक विषयों पर चर्चा की संभावना है। विहिप हिन्दू मंदिरों की स्वायत्तता की पक्षधर है और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त रखना चाहती है।
हाल ही में तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के लिए घोषित अपने संकल्प पत्र में भाजपा ने जब धर्मांतरण का विरोध और मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण से मुक्त करने की बात कही, तो विहिप ने भाजपा की इस घोषणा का बयान जारी कर स्वागत किया था।
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री समेत लगभग 50 से अधिक मंदिरों को अधिग्रहित कर बनाए गए उत्तराखंड देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर तीर्थ-पुरोहित समाज और स्थानीय हक-हकूकधारी नाराज हैं। विहिप की मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के अभियान से देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे लोगों के पक्ष को मजबूती मिलेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने भले ही लव जिहाद, जबरन, लोभ लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कानून बना दिया हो, लेकिन हिन्दू युवतियों को बहकाने और छलने के जिहादी मिशन को अंजाम देने वाले असामाजिक तत्व नए-नए तरीके खोज रहे हैं। कभी विद्यालय शिक्षक बनकर, तो कभी विश्वविद्यालय परिसरों में अपने आप को मीडियाकर्मी बताकर छात्राओं को अपने जाल में फंसा लेते हैं।
नया प्रकरण मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का है। जहां दो युवक खुद को दो बड़े चैनलों का रिपोर्टर बताकर छात्राओं को अपने जाल में फंसा रहे थे। मामले का खुलासा उस समय हुआ जब एक युवक विश्वविद्यालय परिसर के अंदर मौजूद स्वामी विवेकानंद पार्क के पास एक छात्रा से उसका मोबाइल नंबर मांग रहा था, छात्रा के मना करने पर युवक ने जबरन उसका हाथ पकड़कर खींचने की कोशिश की। छात्रा के विरोध और शोर मचाने पर वहां छात्र और कर्मचारी एकत्रित हो गए।
इसके बाद घटना की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय लोग और विहिप, बजरंग दल के कार्यकर्ता वहां पहुंचे और उन्होंने युवक से पूछताछ शुरू की। आरोपी ने अपने आप को ज़ी न्यूज का रिपोर्टर बताते हुए छात्रों पर रौब जमाने की कोशिश की। जब छात्रों और उपस्थित स्थानीय लोगों ने उससे मेरठ के किसी मीडियाकर्मी को फोन लगाकर बुलाने को कहा तो उसके मोबाइल में किसी भी मीडियाकर्मी का नंबर नहीं मिला, जिससे लोगों का संदेह बढ़ गया।
उसके मोबाइल में गर्लफ्रेंड नाम से एक फोल्डर बना था, जिसमें 59 हिंदू लड़कियों के नाम और इसी प्रकार लगभग 350 फोटो सेव थे। युवक से जब उसका नाम पूछा गया तो उसने श्याम बताया। लेकिन उसके गले में मौजूद ज़ी न्यूज़ का आई कार्ड दिखा तो उसमें उसका नाम श्यान सिद्दिकी था। आरोपी को पुलिस को सौंपा गया तो वहां उसने अपना नाम पहले साहिल और बाद में सालिक बताया।
पुलिस ने जिहादी सालिक के पास से ज़ी न्यूज़ चैनल की माइक आईडी, ज़ी न्यूज़ का लोगो लगा हुआ बैग, ज़ी न्यूज़ का आई कार्ड, जिंदा कारतूस, रिवाल्वर का कवर और एक वायरलेस सेट बरामद किया। वायरलेस सेट पर तो मोदी गिफ्ट लिखा था, जिससे वो सबको ये बताता था कि ये वायरलेस उसको प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिफ्ट किया है। अर्थात् इन सब छल प्रपंच के जरिए वह योजना बनाकर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में था।
जब जिहादी सालिक की पुरानी अपराध हिस्ट्री खंगाली गई तो मालूम हुआ कि वह पहले भी धोखाधड़ी के मामले में थाना सदर बाजार से जेल जा चुका है। पुलिस ने सालिक को तो गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन उसके साथी अनस और इस नापाक मिशन से जुड़े अन्य जिहादी अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं जो बड़े स्तर पर लव जिहाद के इस खेल में कुचक्र रच रहे थे। देखना होगा कि पुलिस लव जिहाद के खेल में शामिल अपराधियों तक कब और कैसे पहुंच पाती है।
हिंदू संगठनों ने मांग की है कि सालिक से मिला सामान, दस्तावेज और हथियार ही नहीं लव जिहाद के इस खतरनाक मोड्यूल की गहन जांच होनी चाहिए, ताकि कथित मजहबी शान्तिदूतों की करतूतें और उनके बचाव में सदा खड़े रहने वाले देशविरोधी अर्बन नक्सल गठजोड़ की पोल भी समाज के सामने खुल सके।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ‘धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020′ के तहत अशोका गार्डन थाने में पहला मामला दर्ज किया गया है। आरोपी ने धर्म छिपाकर एक लड़की से प्रेम प्रसंग किया। उसके बाद उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने लगा। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मामले में आरोपी असद ने न सिर्फ लड़की पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया, बल्कि जब लड़की ने उससे दूरी बनानी शुरू की तो उसने व्हाट्सएप्प के स्टेटस में चुनौती देते हुए एक दूसरी लड़की की फोटो के साथ लिखा “माई न्यू गर्ल फ्रेंड, और ये भी हिन्दू।” दूसरे स्टेटस में उसने लिखा “अब देखते हैं कौन भक्त आएगा बीच में…..” ये दो स्टेटस आरोपी युवक की विकृत मानसिकता को दर्शाते हैं।
एएसपी राजेश सिंह भदौरिया ने बताया, आरोपी असद ने आशु बनकर छात्रा से दोस्ती की। आरोपी ने अपना धर्म छिपाकर उसके साथ कई बार दुष्कर्म भी किया। दोनों की दोस्ती वर्ष 2019 से थी। दोनों जब रायसेन गए, तब युवक के धर्म के बारे में लड़की को पता चला। इसके बाद आरोपी ने उस पर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाया। इतना ही नहीं, उसके साथ मारपीट भी की।
यह है पूरा मामला
पीड़िता मूलत: बालाघाट की रहने वाली 23 वर्षीय संगीता (बदला हुआ नाम) इंजीनियरिंग द्वितीय वर्ष की छात्रा है। वह अशोका गार्डन इलाके में किराये पर कमरा लेकर रहती है। वर्ष 2019 में वह जिस बस स्टॉप से बस पकड़ती थी, वहां एक 30 वर्षीय आशु नाम का युवक उसका पीछा कर बात करने की कोशिश करता था। वह अपने आप को मैकेनिकल इंजीनियर बताता था। नवंबर 2019 में धीरे- धीरे दोनों की दोस्ती हो गई।
12 दिसंबर, 2019 को आरोपी युवक छात्रा के घर पहुंचा और खुद को हिंदू बताकर उससे शादी करने की इच्छा जाहिर की और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद साल 2020 में मई महीने में आशु एक फंक्शन में गया था, उसी दौरान वह मस्जिद गया और मस्जिद में नमाज पढ़ने लगा। पीड़िता ने जब उससे पूछा तो उसने बताया कि वह मुस्लिम है और उसका असली नाम असद है। वह मैकेनिकल इंजीनियर नहीं, बल्कि एक साधारण मैकेनिक है। यह बात सुनकर पीड़िता ने आरोपी से कहा कि तुमने धोखा दिया है। इसके बाद युवती ने उससे दूरी बना ली। तो अक्तूबर 2020 में आरोपी ने छात्रा के साथ सड़क पर ही गाली-गलौज और मारपीट भी की। बीती 11 जनवरी को भी उसने युवती को रोका और धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया।
मंगलवार को उसने युवती की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी की। परेशान होकर युवती ने इसकी शिकायत भाजपा भोपाल जिला कार्यसमिति सदस्य संजय मिश्रा से की और उनके साथ अशोका गार्डन थाने पहुंची। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020’ के तहत मामला दर्ज किया। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी ऐशबाग भोपाल का रहने वाला है।
उत्तर प्रदेश के बाद अब मध्य प्रदेश भी लव जिहाद के विरुद्ध सख्त कानून बनाएगा। इस क्रम में शनिवार को मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने ‘मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2020’ को स्वीकृति दे दी। प्रदेश में अब लव जिहाद करने वाले आरोपी को 10 वर्ष की जेल होगी साथ ही इस कृत्य में उसका साथ देने वाले सहयोगियों के लिए भी सजा का प्रावधान इस क़ानून में है। सरकार ने इस क़ानून में लव जिहाद कराने वाले मौलवी और पादरी को भी 5 साल की सजा का प्रावधान किया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट की वर्चुअल बैठक में लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी गई है। अब इसे 28 दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम को कठोर बनाने के साथ कुछ ऐसे प्रावधान किए गए है जो देश के किसी भी राज्य में अब तक नहीं है।
बिल की ख़ास बातें
जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा। धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा।
बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा और एक लाख रूपये तक के जुर्माने का देना पड़ेगा। यह अपराध गैर जमानती होगा। धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी। इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान किया गया है। आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा। (वीएसके इनपुट साथ हिमदूत ब्यूरो)
लव जिहाद या रोमियो जिहाद अर्थात मुस्लिम पुरुषों अथवा युवकों द्वारा हिन्दू महिलाओं या युवतियों को छल-कपट और बहला-फुसलाकर प्रेम का स्वांग रचाकर इस्लाम कबूलने के लिए विवश करना है। मुस्लिम युवा अपनी पहचान छिपाकर न सिर्फ हिन्दू समुदाय की लड़कियों को बहलाते फुसलाते हैं, बल्कि घर से भगा कर उनका यौन शोषण करते हैं। शादी के लिए मजबूर कर जबरन धर्म परिवर्तन के लिए भी बाध्य करते हैं।
पहली बार वर्ष 2009 में केरल और कर्नाटक में लव जिहाद की अवधारणा सामने आई और आज एक दशक पूरा होने के बाद पूरे देश में चिंता का बड़ा सबब बन गयी है। भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन में इस्लामी जिहादी ताकतें सैकड़ों लव जिहाद के मामलों को अंजाम दे चुकी हैं।
पाकिस्तान में आए दिन अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़ी हिन्दू, सिक्ख और ईसाई नाबालिग बच्चियां शिकार बन रही हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में 2009, 2010, 2011 और 2014 से लगातार बढ़ रहे लव जिहाद के मामलों से हिन्दू, सिक्ख और ईसाई संगठन बेहद चिंतित हैं। केरल हाईकोर्ट वर्षों पूर्व लव जिहाद के बढ़ते मामलों को बड़ा खतरा बता चुका है।
भारत के अन्य राज्यों के साथ देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लव जिहाद की घटनाएं प्रशासन के लिए सरदर्द और सामाजिक वैमनस्यता का कारण बन गयी हैं। देश के सभी राज्यों में लव जिहाद पर नियन्त्रण के लिए ठोस क़ानून की मांग के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 24 नवम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी गई है।
इस कानून के लागू होने के बाद छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस वर्ष तक की सजा भुगतनी होगी।
धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश को स्वीकृति देकर जबरन धर्मांतरण के मामलों में दो से सात साल तक की सजा के प्रस्ताव को सरकार ने और कठोर करने का निर्णय किया है। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में भी तीन से 10 वर्ष तक की सजा होगी। जबरन या कोई प्रलोभन देकर किसी का धर्म परिवर्तन कराया जाना अपराध माना जाएगा। दूसरे धर्म में शादी से दो माह पहले नोटिस देना अनिवार्य हो गया है। इसके साथ ही जिला अधिकारी की अनुमति भी जरूरी हो गई है। नाम छिपाकर शादी करने पर 10 साल की सजा होगी।
उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने अध्यादेश का स्वागत करते हुए कहा कि बच्चियों को बहलाने-फुसलाने वालों के खिलाफ हम लगातार सख्त हैं। लव जिहाद के सिंडीकेट का खुलासा हमारी सुरक्षा एजेंसियों ने किया था। दिनेश, रमेश, सुरेश नाम रखने वालों की जब जांच हुई तो वे मुख्तार, अंसार, रईस निकले। जो इस प्रकार का षड्यंत्र कर रहे थे, उनके खिलाफ कानून लाया गया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी पिछले दिनों अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया कि शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है। लव जिहाद की व्याधि से परेशान राज्य चाहे कर्नाटक हो, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार अथवा केरल या पश्चिम बंगाल हो, देर-सवेर सभी को इस्लामी जिहाद की इस घिनौनी चाल को रोकने के लिए ठोस क़ानून बनाना ही होगा।
इसमें किसी समुदाय विशेष को टार्गेट करने की कोई बात नहीं है। यह क़ानून व्यक्तिगत विवाह की स्वतंत्रता को भी बाधा नहीं पहुंचाएगा। बल्कि यह बेटियों को सुरक्षा और अधिकार देगा। संवैधानिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता में शादी के बाद जबरन धर्म परिवर्तन को कैसे जायज माना जाए। जब क़ानून बनेगा तो उसमें भारत के सभी नागरिक आएंगे, फिर मुस्लिम समुदाय की चिंता की बात ही क्यों?