चिन्यालीसौड़ में वायुसेना का अभ्यास कल से शुरू..
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है चीन से सटा यह हवाई अड्डा..
उत्तराखंड: वायुसेना के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर 11 दिवसीय अभ्यास शुरू करने जा रही है, जो 19 नवंबर से शुरू होकर 28 नवंबर तक चलेगा। इस दौरान वायुसेना की ओर से बहुउद्देशीय परिवहन विमान एएन-32 की लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास किया जाएगा। चीन सीमा से लगे उत्तरकाशी में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा वायुसेना के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यही वजह है कि इस हवाई अड्डे को वायुसेना पिछले कुछ समय से एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित करने पर काम कर रही है।
इसी के चलते वायुसेना की ओर से यहां समय-समय पर अपने मल्टीपर्पज विमानों के साथ हेलिकॉप्टरों की लैंडिंग और टेकऑफ का अभ्यास किया जाता है। इस क्रम में मंगलवार से वायुसेना यहां 11 दिनों का अभ्यास शुरू करने जा रही है। इसके लिए वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर मानस सक्सेना की ओर से प्रशासन से संपर्क करते हुए अभ्यास के दौरान दो फायर ब्रिगेड गाड़ियां, डॉक्टर की टीम के साथ एंबुलेंस सहित 10 सुरक्षाकर्मी, रनवे की सफाई व आसपास के पेड़ों की लॉपिंग के लिए पांच कर्मी उपलब्ध कराने की मांग की है। वायुसेना का बहुउद्देशीय परिवहन विमान एएन-32 आगरा एयरबेस से सुबह आठ बजे उड़ान भरकर करीब नौ बजे चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहुंचेगा।
तेलंगाना में वायुसेना का ट्रेनर एयरक्राफ्ट दुर्घटनाग्रस्त, दो पायलटों की मौत..
देश-विदेश: तेलंगाना में भारतीय वायुसेना के एक ट्रेनर एयरक्राफ्ट के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर सामने आई है। घटना तेलंगाना के मेदक जिले की है। हादसे के समय विमान में एक ट्रेनर पायलट और एक ट्रेनी पायलट मौजूद थे। हादसे में दोनों पायलटों की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि तेलंगाना के डिंडीगुल स्थित एयर फोर्स एकेडमी से सुबह के समय ट्रेनर विमान ने उड़ान भरी थी। जिसके बाद सुबह 8.55 बजे यह विमान हादसे का शिकार हो गया। हादसे का शिकार हुआ विमान Pilatus PC Mk II एयरक्राप्ट था। वायुसेना ने मीडिया रिपोर्ट में जानकारी दी कि ट्रेनर विमान रुटीन उड़ान पर था। हादसे में दोनों पायलेट गंभीर रुप से घायल हो गए थे, जिसके चलते उनकी मौत हो गई। हादसे में किसी आम नागरिक या संपत्ति को नुकसान नहीं हुआ है। वायुसेना ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। आपको बता दें कि इससे पहले जनवरी में भी भारतीय वायुसेना के दो विमान दुर्घटना का शिकार हुए थे। मध्य प्रदेश के मुरैना में हुए इस हादसे में भारतीय वायुसेना के दो लड़ाकू विमान क्रैश हो गए थे, जिसमें एक पायलट की मौत हो गई थी। ये विमान भी रुटीन ऑपरेशनल फ्लाइंग ट्रेनिंग मिशन पर थे।
बर्फीले तूफान की चपेट में वायुसेना के दस पर्वतारोही लापता, निम से रेस्क्यू टीम रवाना..
उत्तराखंड: माउंट त्रिशूल के आरोहण के लिए गया वायुसेना का दल हिमस्खलन की चपेट में आ गया है। जिसमें करीब 10 पर्वतारोही लापता बताए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार माउंट त्रिशूल के आरोहण के दौरान हिमस्खलन आने से वायुसेना का पर्वतारोही दल इसकी चपेट में आ गया है। हिमस्खलन की चपेट में आने से दस पर्वतारोही लापता बताए जा रहे हैं। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से राहत-बचाव टीम कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में त्रिशूल चोटी के लिए रवाना हो गई है।
शुक्रवार सुबह दल चोटी के समिट के लिए आगे बढ़ा
वायुसेना का दल करीब 15 दिन पहले 7,120 मीटर ऊंची त्रिशूल चोटी के आरोहण के लिए गया था। शुक्रवार सुबह दल समिट के लिए आगे बढ़ा तो इसी दौरान हिमस्खलन हो गया। जिसकी चपेट में वायु सेना के पर्वतारोही आ गए। इस बारे में निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने बताया यह घटना शुक्रवार सुबह पांच बजे के करीब हुई है।
वायुसेना के करीब 10 पर्वतारोही हिमस्खलन की चपेट में आए हैं और लापता चल रहे हैं। त्रिशूल चोटी की ऊंचाई 7,120 मीटर है। इस चोटी के आरोहण के लिए चमोली जनपद के जोशीमठ और घाट के लिए पर्वतारोही टीमें जाती हैं। वायु सेना के पर्वतारोहियों की टीम भी घाट होते हुए त्रिशूल के लिए गई थी। तीन चोटियों का समूह होने के कारण इसे त्रिशूल कहते हैं।
भारत-चीन सीमा विवाद की तनातनी के बीच शुक्रवार को भारतीय वायु सेना की सेंट्रल एयर कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (AOC-in-C) एयर मार्शल राजेश कुमार ने शुक्रवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भेंट की। उन्होंने चीन सीमा से जुड़े उत्तराखंड में सामरिक महत्व के दृष्टिगत वायु सेना की विभिन्न गतिविधियों के संचालन के लिए भूमि की व्यवस्था के संबंध में मुख्यमंत्री से चर्चा की।
एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार एयर मार्शल राजेश कुमार ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री से पंतनगर, जौलीग्रान्ट व पिथौरागढ़ हवाई अड्डे के विस्तार के साथ ही चौखुटिया में एयरपोर्ट हेतु भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि देश के उत्तर पूर्व क्षेत्र की भांति, उत्तराखण्ड के चमोली, पिथौरागढ़ तथा उत्तरकाशी क्षेत्र में रडार की स्थापना हेतु भूमि की उपलब्धता होने से सुविधा रहेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में उत्तराखण्ड जैसे सीमांत क्षेत्र में उपयुक्त स्थलों पर रडार एवं एयर स्ट्रिप की सुविधा जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने वायु सेना की अपेक्षानुसार उत्तराखण्ड में भूमि की उपलब्धता के लिये एयर फोर्स एवं शासन स्तर पर नोडल अधिकारी नामित करने के निर्देश दिये। ये अधिकारी संयुक्त रूप से आवश्यकतानुसार भूमि चिन्हीकरण आदि के संबंध में त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड सैनिक बाहुल्य प्रदेश है। सेना को सम्मान देना यहां के निवासियों की परम्परा रही है। सैन्य गतिविधियों के लिये भूमि की उपलब्धता के लिये राज्य वासियों का सदैव सहयोगात्मक रवैया रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंतनगर एयरपोर्ट को ग्रीन फील्ड एयर पोर्ट तथा जौलीग्रांट को अंतराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से युक्त बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी चौखुटिया में एयर पोर्ट के निर्माण हेतु सैन्य अधिकारियों ने उस स्थान को उपयुक्त बताया गया था। उन्होंने कहा कि राज्य में एयर फोर्स को उसकी गतिविधियों के संचालन हेतु भूमि की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित की जायेगी।
इस अवसर पर प्रदेश के नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर, राजस्व सचिव सुशील कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव नागरिक उड्डयन आशीष चौहान, एयर कमोडोर एस.के. मिश्रा, विंग कमांडर डी.एस जग्गी आदि उपस्थित थे।