मोदी सरकार ने मुखौटा अर्थात शेल कंपनियों की पहचान कर इन्हें बंद करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है। सरकार ने लगातार दो साल या इससे अधिक समय से वित्तीय विवरण (financial statements) दाखिल नहीं करने के आधार पर इन कंपनियों की पहचान की। कंपनी अधिनियम के विभिन्न प्राविधानों के तहत पिछले तीन वर्षों के दौरान 3,82,581 कंपनियों को बंद कर दिया गया है। यह जानकारी राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने दी।
कंपनी अधिनियम के तहत “शेल कंपनी” को पारिभाषित नहीं किया गया है। यह आम तौर पर उस कंपनी को इंगित करता है, जो सक्रिय कारोबार का संचालन नहीं करती है या कंपनी के पास महत्वपूर्ण परिसंपत्ति नहीं है। इन कंपनियों का इस्तेमाल कुछ मामलों में अवैध उद्देश्य के लिए किया जाता है जैसे कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, अस्पष्ट स्वामित्व, बेनामी संपत्ति आदि। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के मुताबिक शेल कंपनी के मामले की जांच करने के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष कार्य बल ने कुछ सिफारिशें की हैं। इसके तहत शेल कंपनियों की पहचान के लिए अलर्ट के रूप में कुछ रेड फ्लैग संकेतकों का उपयोग किया जाता है।
सामान्य भाषा में कहा जाए तो शेल कंपनियां वे कम्पनियाँ हैं जो केवल कागजों पर चलती हैं और पैसे का भौतिक लेनदेन नहीं करती हैं। इन्हें छद्म कम्पनी भी कह सकते हैं। समझा जाता है कि काले धन को सफेद करने के लिए बड़े पैमाने पर शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आतंकी गतिविधियों में पैसों के लेनदेन के लिए भी इन कंपनियों का इस्तेमाल होता है।