फ्लोटिंग पॉपुलेशन की बढ़ती चुनौती से निपटने को केंद्र से मांगी सहायता, वित्त मंत्री ने उठाए ये मुद्दे..
उत्तराखंड: प्रदेश ने अस्थायी आबादी (फ्लोटिंग पॉपुलेशन) की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार से विशेष सहायता मांगी है। शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जैसलमेर में राज्यों के साथ हुई प्री-बजट कंसल्टेशन बैठक में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया। इसके साथ ही बागेश्वर से कर्णप्रयाग व रामनगर से कर्णप्रयाग रेल लाइन का सर्वे कराने का आग्रह किया। वित्त मंत्री का कहना हैं कि उत्तराखंड की वर्तमान जनसंख्या से पांच गुना अधिक अस्थायी आबादी राज्य में है। तीर्थाटन व पर्यटन में पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ पर्यटन बनाए रखना एक चुनौतीपूर्ण दीर्घकालिक आवश्यकता है। अस्थायी आबादी के लिए साफ-सफाई, सीवरेज ट्रीटमेंट, सुरक्षित पेयजल, इलेक्ट्रिक वाहन व सर्विस स्टेशन की सुविधाएं विकसित करने की आवश्यकता है। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से विशेष वित्तीय सहायता दी जाए।
भूजल संरक्षण के लिए नई केंद्र पोषित योजना शुरू करने का अनुरोध..
आगामी केंद्रीय बजट में उत्तराखंड में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की स्थापना करने का प्रावधान करने का अनुरोध किया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व साइबर सुरक्षा से संबंधित उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने में केंद्र सरकार से सहयोग मांगा। मंत्री ने बताया कि भूजल संरक्षण के लिए राज्य में लगभग 2500 करोड़ रुपये की सौंग बांध परियोजना का काम शुरू किया गया। केंद्र सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी है। उत्तराखंड ने भूजल संरक्षण के लिए एक नई केंद्र पोषित योजना शुरू करने का अनुरोध किया। वित्त मंत्री अग्रवाल ने राज्य के दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में जल विद्युत परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए दो करोड़ प्रति मेगावाट की दर से आठ हजार करोड़ की सहायता अंतराल अनुदान (वीजीएफ) का प्रावधान केंद्रीय बजट में करने का आग्रह किया। रोपवे परियोजनाओं के लिए पर्वतीय राज्यों के लिए वीजीएफ में केंद्रीय अंशदान 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत किया जाए। जल जीवन मिशन योजना के शेष कार्यों को पूरा करने के लिए समय सीमा बढ़ाई जाए।
मनरेगा में श्रम व सामग्री का अनुपात समान किया जाए..
वित्त मंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री से कहा कि मनरेगा के तहत वर्तमान में श्रम व सामग्री का अनुपात 60:40 है। उत्तराखंड की ओर से पर्वतीय राज्या में श्रम व सामग्री का अनुपात 50:50 किया जाए। इसके अलावा मनेगा अर्द्ध प्रशिक्षित श्रमिकों को मानदेय में भी बढ़ोतरी की जाए। राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों में संशोधन करने के साथ प्रदेश में 60 वर्ष से 79 आयु वर्ग के लिए वृद्धावस्था पेंशन में केंद्रांश को बढ़ाया जाए।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि इस बार का बजट भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देगा। यह सब अचानक नहीं हुआ है बल्कि यह सोच भारतीय मानस में पिछले तीस वर्षों से कहीं न कहीं काम कर रही थी। सीतारमण ने उद्योग संगठन फिक्की (Federation of Indian Chambers of Commerce & Industry) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए ये बात कही।
उन्होंने कहा कि खर्च के लिए बहुत ज्यादा पैसों की आवश्यकता होने के बावजूद बजट में इस तरह से वित्तीय संसाधन जुटाने के प्रयास किए गए हैं जो करों पर आधारित नहीं है। उन्होंने कहा “यह एक ऐसा बजट है जिसमें बिना करों के वित्तीय संसाधन जुटाने की कोशिश की गई है। बजट में दिशात्मक परिवर्तन अपने आप में इतना विशिष्ट है जो ऐसी उद्यमिता को प्रोत्साहित करेगा जिसका प्रदर्शन सही अवसर पर मिलने पर देशवासी अक्सर करते हैं”।
वित्त मंत्री ने कहा, “मैं यह जोकर देकर कहना चाहती हूं कि हमने समाज के किसी भी वर्ग पर एक रुपए का भी अतिरिक्त बोझ नहीं डाला”। उन्होंने कहा ” हमें इस बात का भरोसा है कि इस वर्ष से राजस्व संग्रह में सुधार होगा और सरकार केवल अपनी परिसंपत्तियों में विनिवेश के माध्यम से ही नहीं बल्कि कई अन्य तरीकों से भी गैर कर राजस्व जुटाने का प्रयास करेगी”।
सीतारमण ने उद्योग जगत से अनुरोध किया कि वह भी निवेश करने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा “मुझे उम्मीद है कि उद्योग जगत उस भावना को समझेगा जिसके साथ बजट लाया गया है। इसलिए आप सभी को इस काम में हाथ बंटाने के लिए आगे आना चाहिए”। उन्होंने कहा कि अपने सभी कर्ज और देनदारियों से मुक्त हो चुके उद्योगों को अब निवेश करने और अपना कारोबार बढ़ाने की स्थिति में आ जाना चाहिंए और उनसे ऐसा संकेत मिलना चाहिए कि जरुरी प्रौद्योगिकी हासिल करने के लिए आगे वे किसी भी तरह के संयुक्त उपक्रम लगा सकते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था को तत्काल प्रोत्साहन देने के लिए सरकार सार्वजनिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और कृषि पर ज्यादा खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि “सरकार भले ही पैसों से भरा बैग ले आए तो भी वह विकसित होते आकांक्षी भारत की सारी जरुरतें अकेले पूरा नहीं कर सकती”।
सीतारमण ने कहा कि सरकार ने इस बार बजट में एक विश्वसनीय और पारदर्शी लेखा विवरण दिया है। इसमें न तो कुछ छुपाया गया है और न ही किसी तरह की लीपा-पोती की गई है। यह सरकारी वित्त के साथ ही घोषित आर्थिक सुधारों और प्रोत्साहन पैकेजों के बारे में जानकारी देने का एक ईमानदार प्रयास है। इसने यह साफ कर दिया है कि सरकार किसी तरह की आशंका से घिरी नहीं बैठी है, बल्कि भारतीय उद्योगों और व्यापार जगत पर पूरा भरोसा करते हुए आगे बढ़ रही है।
वित्त सचिव डा. अजय भूषण पांडे, आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज तथा निवेश और लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडे सहित कई लोगों ने भी इस अवसर पर फिक्की के सदस्यों को संबोधित किया।
फिक्की के अध्यक्ष उदय शंकर ने कहा कि इस बजट का सबसे संतोषजनक पहलू यह है कि इसमें करों को लेकर कोई बहुत अधिक बदलाव नहीं किए गए। यह नीति को लेकर निश्चितंता और निवेशकों में भरोसा कायम करती है। बजट में नियमों के आसान अनुपालन और फेसलेस टैक्स असेसमेंट की व्यवस्था के माध्यम से देश में कारोबारी सुगमता की दिशा में सरकारी प्रयासों को जारी रखा गया है। इससे करदाताओं को बड़ी राहत मिली है। इससे दीर्घ अवधि में देश में कर आधार का दायरा बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
कार्यक्रम के समापन पर फिक्की के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव मेहता ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।