कोरोना से बचाव को लेकर देश में वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। वैक्सीन को लेकर राजनीति भी हो रही है, विपक्षी दलों के नेता केंद्र को तो निशाना बना रहे हैं, लेकिन अपने दल द्वारा शासित राज्यों में अव्यवस्थाओं पर कुछ नहीं बोल रहे। उदाहरण, कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार-बार केंद्र से वैक्सीन का मुद्दा उठा रहे हैं, यह भी पूछ रहे हैं कि हमारे बच्चों की वैक्सीन कहां गई? लेकिन, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर चुप हैं। जहां उनकी या उनके सहयोगियों की सरकार है. झारखंड (37 %) और छत्तीसगढ़ (30 %) कोरोना वैक्सीन की बर्बादी में पहले तीन राज्यों में शामिल हैं।
राजस्थान में भी वैक्सीन की बर्बादी के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों पर 500 वायल में लगभग 2500 से भी ज्यादा डोज तो केवल डस्टबिन में मिले हैं। ये वायल 20-75% तक भरे हुए थे। 16 जनवरी से लेकर 17 मई तक राज्य में 11.50 लाख से भी अधिक कोविड-19 वैक्सीन की डोज बर्बाद हुई हैं।
राहुल गाँधी जी पूछ रहे थे हमारे बच्चों के #Vaccine कहाँ हैं ?@RahulGandhi जी,कचरे के डिब्बों में हैं हमारे बच्चों के वैक्सीन
आकर देखिये राजस्थान में👇 pic.twitter.com/5NussFjPjg— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) May 31, 2021
सबसे बुरी स्थिति राजस्थान के चूरू जिले की है। जिले में 39.7% वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई। हनुमानगढ़ में 24.60 प्रतिशत वैक्सीन तो भरतपुर में 17.13%, कोटा में 16.71%, चित्तौड़गढ़ में 11.81%, जालौर में 9.63%, सीकर में 8.83%, अलवर में 8.32% और धौलपुर में 7.89% वैक्सीन बर्बाद की गई। जयपुर प्रथम में 4.67% और द्वितीय में 1.31% वैक्सीन की डोज बर्बाद कर दी गई।
राजस्थान में 2500 कोविड की डोज कचरे में !आपदा के समय क्या ये निंदनीय नही है।@Rahulgandhi @priyankagandhi
इस पर भी बोलिये राजस्थान की जनता भी भारत की जनता है।हां ये अलग बात है यहा कांग्रेस की सरकार है pic.twitter.com/FytspbOC70— Dr. Alka Gurjar (@alka_gurjar) May 31, 2021
माना कि बड़ी वैक्सीनेशन ड्राइव में कुछ सीमा तक वैक्सीन की बर्बादी होती है, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में वेस्टेज होने पर जवाबदेही तो बनती है। एक ओर कांग्रेस व राज्य सरकार वैक्सीन की कमी बताते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है और दूसरी ओर स्वयं इस तरह की बर्बादी भी नहीं रोक पा रही। वैक्सीन की एक डोज की वेस्टेज का अर्थ है, एक जीवन को सुरक्षा कवच नहीं दे पाना।
राजस्थान सरकार का कोरोना प्रबंधन का मॉडल देखिये
कचरे में वैक्सीन
कबाड़ में वेंटिलेटर
फाइलों में ऑक्सीजन प्लांट
इंजेक्शन व दवाइयों की कालाबाजारी
कोरोना से मौत के आंकड़ों की जादूगरी
चिरंजीवी योजना में निःशुल्क इलाज का झूठा दावा#GehlotWastedVaccine— Arjun Ram Meghwal (@arjunrammeghwal) May 31, 2021
महामारी की दूसरी लहर ने बता दिया कि वैक्सीन का कितना महत्व है। वेस्टेज से लोगों का सुरक्षा कवच तो प्रभावित होता ही है, सप्लाई चेन पर भी खासा असर पड़ता है। वैक्सीन वेस्टेज यदि बहुत अधिक है तो इसकी मांग बढ़ती जाएगी और गैर-आवश्यक मात्रा में इसे खरीदना पड़ेगा। आज जब सवा अरब नागरिकों का वैक्सीनेशन होना है तो ऐसे में एक डोज के महत्व व उसकी कीमत को आसानी से समझा जा सकता है।
Negligence or politics ..? @INCIndia has to answer for this total failure of its Rajasthan State Govt . They keep preaching the whole world about vaccination . pic.twitter.com/XvM0PNpFll
— B L Santhosh (@blsanthosh) May 31, 2021
राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी ट्वीटर पर मुद्दा बन गई है। केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेगवाल, भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी.एल.संतोष समेत भाजपा की राष्ट्रीय सचिव अलका गुर्जर, मेजर सुरेंद्र पूनिया आदि तमाम लोगों ने ट्वीट कर कांग्रेस से इस पर सवाल पूछा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने इन ख़बरों को गंभीरता से लेते हुए राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा को पत्र लिख कर मामले की जांच करने को कहा है।
राजस्थान के कुछ ज़िलों में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी की ख़बरों को गंभीरता से लेते हुए मैंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री @RaghusharmaINC जी को पत्र लिखकर मामले की जांच करने को कहा है।
मैंने वैक्सीन की बर्बादी रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर बेहतर योजना बनाने को कहा है।@PMOIndia pic.twitter.com/nBsfGGAhtN
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) May 31, 2021
उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि राज्यों से लगातार आग्रह किया जा रहा है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके यहां सप्लाई की गई कुल वैक्सीन में से एक प्रतिशत से भी कम बर्बाद हो। जिन राज्यों में वैक्सीन की अधिक बर्बादी हो रही है, वे टीकाकारण अभियान को सही तरीके से चलाएं। इन राज्यों को वैक्सीनेशन में किसी भी प्रकार की लापरवाही से बचना चाहिए. एक वैक्सीन बर्बाद होने का अर्थ है कि कोई व्यक्ति इसकी डोज से वंचित रह जाएगा।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और जिलाधिकारियों के साथ सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिग के द्वारा प्रदेश में कोविड की रोकथाम और बचाव कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाने के निर्देश दिये जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों की सहायता की जा सके, इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए।
उन्होंने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के लिये तैयारियों को शीघ्रता से धरातल पर लागू किया जाए। वर्तमान में कोविड के मामलों में कमी देखने को मिल रही है, फिर भी हमें पूरी तरह से सावधान रहना है। किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए। तीसरी लहर में बच्चों पर फोकस करना है। जिला व ब्लॉक स्तर तक इसकी मैपिंग हो। फील्ड में काम करने वालों को मालूम होना चाहिए कि किसी तरह की परिस्थिति में उन्हें क्या करना है। उन्होंने ने कहा कि मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन और कालाबाजारी करने वालों पर जरूरी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि ई-संजीवनी का अच्छा रेस्पोंस मिल रहा है। इसे और अधिक सुदृढ़ और प्रचारित किया जाए।
मैंने निर्देशित किया हैं कि ऐसे बच्चों के लिए विशेष योजना बनाई जाए, जिनके माता-पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु कोविड के कारण हुई है। इसके लिये जल्द से जल्द इनका चिन्हीकरण सुनिश्चित किया जाए। pic.twitter.com/0pC3FyvTfh
— Tirath Singh Rawat (मोदी का परिवार) (@TIRATHSRAWAT) May 22, 2021
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड को लेकर अधिक ध्यान देना है। इसके लिए विकेंद्रीकृत योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। आशा, एएनएम की सही तरीके से ट्रेनिंग हो। पीएचसी व सीएचसी स्तर तक तैयारियां हों। हर ब्लाॅक में कन्ट्रोल रूम हों। ग्राम सभाओं का सहयोग लिया जाए। जहाँ तक सम्भव हो दूरस्थ क्षेत्रों के लिए मोबाईल टेस्टिंग वैन, मोबाईल लैब, सेम्पलिंग वैन की व्यवस्था हो। गांव-गांव, घर- घर तक जरूरी मेडिकल किट व दवाओं की उपलब्धता हो। गांवों में क्वारेंटाईन सेंटर चिन्हित कर उन्हें जरूरी सुविधाओं से युक्त किया जाए।
उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन में धन की कमी नहीं है। इसके लिये हर सम्भव प्रयास कर वैक्सीनैशन की प्रक्रिया में तेजी लानी है। प्रस्तावित और निर्माणाधीन ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट को जल्द पूरा किया जाए। ऑक्सीजन आपूर्ति में बहुत सुधार हुआ है। इसे आगे भी बनाये रखना है। हमारे सभी आईसीयू संचालित होने चाहिए। कोविड से सम्बंधित सूचनाओं की रियल टाईम डाटा एन्ट्री सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेंगू को लेकर भी तैयारियां की जाएं। इसके बचाव के संबंध में जनजागरूकता अभियान चलाए जाएं। यह देख लिया जाए कि हमारे कोविड अस्पताल और कोविड केयर सेंटर के आस-पास पानी एकत्र न हो।
बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार शत्रुघ्न सिंह, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, डीजीपी अशोक कुमार, अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार, सचिव अमित नेगी, डॉ पंकज कुमार पाण्डेय सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
कोरोना से बढ़ती मौतों को देखते हुए राज्य सरकार ने जनता से कोविड के लक्षण दिखते ही उपचार शुरू करने की अपील की है। साथ ही राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जो भी टेस्ट करवाएगा, उसे तुरंत दवाई दे देंगे। रिजल्ट का इंतजार नहीं किया जाएगा। सरकार के अनुसार यह व्यवस्था हर जनपद में लागू हो गई है और कोविड किट बंटना शुरू हो गई है।
प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने जनता से अपील की कि जब भी लक्षण दिखना शुरू हो, तो तत्काल उपचार करवाएं। उन्होंने कहा कि तत्काल उपचार शुरू होने से कोविड के मामलों और मौत के आंकड़ों में कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों को आईसीयू की जरूरत नहीं है और अगर वे इसका उपयोग कर रहे हैं, उनकी निगरानी के लिए एक समिति गठित की गई है, जो हाॅस्पिटल्स की मॉनिटरिंग करेगी।
सोमवार को सचिवालय में एक प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश को एक लाख वैक्सीनेशन प्रतिदिन के हिसाब से आवश्यकता है। हमने भारत सरकार को लिखा है कि राज्य सरकार अगर बाहर से सीधे वैक्सीन आयात कर सकती है तो उसके लिए हमें अनुज्ञा दी जाए। बहुत जल्द हम मोबाइल टेस्टिंग वैन भी शुरू करेंगे, जो दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जाकर मरीजों की पहचान करेगी और वहीं उनकी जांच करेगी। इससे उन्हें उपचार के लिए शहर आने की आवश्यकता नहीं होगी।
सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा एक साल में लगातार स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। राज्य में मार्च 2020 में ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड्स 673 थे जो कि वर्तमान में 5500 से अधिक हैं। इसी प्रकार आईसीयू 216 के मुकाबले, अब 1390 है। वेंटिलेटर्स 116 से बढ़ कर अब 876 हो गये हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर्स 1193 थे जो कि वर्तमान में 9900 हो गये हैं। ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर्स 275 के मुकाबले अब 1293 हैं। वर्तमान में एंबुलेंस 307 और 64 टूनाड मशीन हैं। वहीं मार्च 2020 में केवल एक टेस्टिंग लैब थी, वर्तमान मे 10 सरकारी लैब और 26 प्राइवेट लैब हैं।
उन्होंने बताया कि हाॅस्पिटल्स को निर्देश दिए हैं कि ऑक्सीजन बेड की उपलब्धता की स्थिति को लगातार अपडेट करते रहें। पब्लिक को परेशानी न हो, इसके लिए अस्पतालों की वेबसाइट पर लिखे गए सभी पीआरओ के नंबर भी अपडेट किए जाने चाहिए। हमने एक टास्क फोर्स का भी गठन किया है, जिसमें डीएम, पुलिस, मेडिकल डिपार्टमेंट के स्पेशलिस्ट होंगे, जो सभी शिकायतों पर संज्ञान लेकर आगे कार्रवाई करेंगे।
प्रभारी सचिव पंकज पांडे ने बताया कि टेस्टिंग और रिजल्ट में अंतर आने को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि जो भी टेस्ट करवाएगा, उसे तुरंत दवाई दे देंगे, उसके लिए रिजल्ट का इंतजार नहीं करेंगे। यह व्यवस्था हर जनपद में लागू हो गई है और किट बंटना शुरू हो गई है। यह कार्य चरणबद्ध तरीके से चल रहा है। राज्य सरकार का प्रमुख लक्ष्य मौत के आंकड़ों को कम करना है।
उन्होंने बताया कि रेमडिसिविर के भाव भारत सरकार ने तय किए हैं। जितने रूपए में सरकार को यह उपलब्ध हो रहा है, उतने ही रूपयों में निजी अस्पतालों को भी ट्रांसफर हो रहा है। हमने निजी अस्पतालों को भी निर्देश दिए हैं कि जनता को भी उतने ही रूपए में रेमडिसिविर उपलब्ध करवाए जाएं, जितने में हमने उन्हें दिया है।
उत्तराखंड सरकार 18 से 44 आयु वर्ग के नागरिकों के लिए 10 मई से टीकाकरण का कार्य शुरू करेगी। टीकाकरण के लिए राज्य सरकार द्वारा कोविड वैक्सीन खरीदी जा रही है। वैक्सीन निर्माता कंपनी द्वारा वैक्सीन की आंशिक आपूर्ति कर दी गई है।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि शनिवार को कोविशील्ड वैक्सीन की 1 लाख डोज इंडिगो एयरलाईन की उड़ान जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंची, जहां से उसे राजधानी के चंद्रनगर स्थित राज्य औषधि भंडार केंद्र के कोल्ड स्टोर/वॉक इन कूलर में रख दिया गया है। वहां से सभी जनपदों को आपूर्ति की जा रही है।
अमित नेगी ने बताया कि यह वैक्सीन 18 से 44 आयु वर्ग के नागरिकों के लिए है और अब राज्य में 10 मई से टीकाकरण का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा। नेगी के अनुसार कोविड-19 टीकाकरण अभियान के इस आयु वर्ग के अन्तर्गत उत्तराखण्ड के लगभग 50 लाख लोगों को निःशुल्क वैक्सीन दी जाएगी। यह टीकाकरण केन्द्रों पर होगा जिसकी जानकारी कोविन पोर्टल पर लाभार्थियों को मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री @TIRATHSRAWAT जी ने आज डिजिटल माध्यम से प्रदेश में #COVID19 की स्थिति और वैक्सीनेशन की समीक्षा की तथा अधिकारियों को #Vaccination में और तेजी लाने व 18 से 44 वर्ष तक की आयु के लोगों हेतु कोविड वैक्सीन की पहली खेप आते ही वैक्सीनेशन शुरू करने के निर्देश दिए। pic.twitter.com/s2iaoainNI
— Department Of Health(Uttarakhand) (@MinOfHealthUK) May 8, 2021
ज्ञातव्य है कि टीकाकरण के लिए 18 से 44 आयु वर्ग के लाभार्थियों हेतु विगत माह 28 अप्रैल से कोविन पोर्टल और आरोग्य सेतू एप पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू हो गई थी। रजिस्ट्रेशन कराने वाले साभार्थियों को टीकाकरण कराने से पूर्व ऑनलाईन अपॉइंटमेंट लेना अनिवार्य है। लाभार्थियों को अपॉइंटमेंट प्राप्त होने के पश्चात् ही टीकाकरण केन्द्रों पर वैक्सीनेशन के लिए जाना होगा।
वैक्सीन केवल कोविन पोर्टल या आरोग्य सेतु के माध्यम से स्व पंजीकरण एवं अग्रिम अपॉइंटमेंट के बाद दी जाएगी। पंजीकरण के लिए selfregistration.cowin.gov.in पर लॉगइन करना आवश्यक है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कोविन पोर्टल पर उपलब्ध है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने निर्देश दिए हैं कि कोविड पर प्रभावी नियंत्रण के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट एवं वैक्सीनेशन में तेजी लाई जाए। हरिद्वार कुंभ स्नानों के दृष्टिगत हरिद्वार में वैक्सीनेशन और आरटी पीसीआर टेस्ट के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।
मुख्यमंत्री तीरथ ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अधिकारियों के साथ प्रदेश में कोरोना महामारी की स्थिति की समीक्षा की और अधिकारीयों को निर्देश दिए कि राज्य में जिन स्थानों पर कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, उन स्थानों पर कंटेनमेंट एवं माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए जाएं। साथ ही टीकाकरण पर विशेष ध्यान दिया जाय।
उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे राज्यों के जिन स्थानों पर अधिक मामले मिल रहे हैं, जो भी लोग उत्तराखंड आ रहे हैं, उनको कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट लाने पर ही प्रवेश दिया जाए। इसके लिए शीघ्र गाइडलाइन जारी की जाए।
एसपीएस चिकित्सालय ऋषिकेश में खराब व्यवस्थाओं की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए की व्यवस्थाओं को जल्द सुधारा जाए और कार्य के प्रति लापरवाही दिखाने वालों पर सख्त कारवाई की जाय। हरिद्वार कुंभ एवं आगामी चारधाम यात्रा के दृष्टिगत स्वास्थ्य एवं अन्य आवश्यक सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाय।
बैठक में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मुख्य सचिव ओम प्रकाश, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, शैलेश बगोली, एस ए मुरुगेशन आदि उपस्थित थे।