26/11 जैसे हमले की साजिश- मुंबई पुलिस को मिली मुंबई में आतंकी हमले की धमकी
देश-विदेश: मायानगरी मुंबई को एक बार फिर से दहलाने की साजिश रची जा रही है। इस संबंध में मुंबई पुलिस के व्हाट्सएप पर एक धमकी भरा मैसेज आया है। इस मैसेज में कहा गया हैं कि मुंबई को उड़ाने की पूरी तैयारी है। कभी भी हमला किया जा सकता है। धमकी देने वाले का कहना है कि यह हमला 26/11 हमले जैसा होगा। इस मैसेज के बाद मुंबई पुलिस अलर्ट मोड में आ गई है।
कहा गया है कि मैसेज भेजने वाले की पड़ताल की जा रही है। प्राथमिक जांच में पता चला है कि यह मैसेज पाकिस्तान के नंबर से आया है। मैसेज में कहा गया है कि मेरी जांच करोगे तो लोकेशन पाकिस्तान दिखाएगी, लेकिन धमाका मुंबई में होगा। धमकी देने वाले ने मैसेज में लिखा है कि भारत में इस हमले को छह लोग अंजाम देंगे।
व्हाट्सएप पर हार्ट इमोजी भेजना हुआ मुश्किल लग सकता हैं 20 लाख का जुर्माना..
देश-विदेश: आज दुनिया का सबसे लोकप्रिय मल्टीमीडिया मैसेजिंग एप व्हाट्सएप है। व्हाट्सएप के जरिये लोग पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल तक बातें कर रहे हैं, लेकिन आपको जानकर झटका लगेगा कि व्हाट्सएप पर चैटिंग की यह लत आपको जेल पहुंचा सकती है साथ ही 20 लाख रुपये तक का भारी-भरकम जुर्माना भी लग सकता है। जानकारी के अनुसार सऊदी अरब के साइबर क्राइम एक्सपर्ट का कहना है कि व्हाट्सएप पर रेड हार्ट इमोजी भेजने पर आप कानूनी पचड़े में पड़ सकते हैं।
एक रिपोर्ट में यहा भी दावा किया जा रहा है कि सऊदी अरब में व्हाट्सएप पर रेड हार्ट इमोजी भेजने पर 100,000 सऊदी रियाल यानी करीब 20 लाख रुपये का जुर्माना लग सकता है। इस जुर्माने का साथ दो से पांच साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है। सऊदी अरब की एंटी फ्रॉड एसोसिएशन के सदस्य अल मोआताज कुतबी ने अपने एक बयान में कहा है कि व्हाट्सएप पर रेड हार्ट इमोजी भेजना का मतलब उत्पीड़न है।
उन्होंने आगे कहा कि ऑनलाइन चैट के दौरान कुछ तस्वीरें और इमोजी उत्पीड़न के अपराध में बदल सकती हैं, हालांकि किसी के ऊपर तभी कार्रवाई होगी जब उसके खिलाफ कोई मुकदमा दायर करता है रेड हार्ट इमोजी के अलावा लाल गुलाब वाला इमोजी भी आपको मुसीबत में डाल सकता है।
1 नवंबर से इन फोन में नहीं चलेगा व्हाट्सएप,ध्यान से देखिये ये पूरी लिस्ट..
देश-विदेश: हर साल व्हाट्सएप कई सारे पुराने ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए अपना सपोर्ट बंद करता है। सपोर्ट बंद करने का मतलब यह है कि कुछ डिवाइस के लिए व्हाट्सएप का नया अपडेट जारी नहीं किया जाता है। पहले से इंस्टॉल एप काम करता रहता है लेकिन अपडेट ना मिलने की वजह से एप को नए फीचर्स नहीं मिल पाते हैं और सिक्योरिटी का खतरा रहता है। इस साल भी कई सारे व्हाट्सएप के लिए 1 नवंबर से सपोर्ट बंद हो रहा है। तो आइए देखते हैं कि इस लिस्ट में आपका फोन भी शामिल है या नहीं।
Android डिवाइस की लिस्ट..
यदि आपके पास कोई पुराना फोन है जिसमें एंड्रॉयड वर्जन 4.0.4 है तो आपके फोन में 1 नवंबर के बाद व्हाट्सएप नहीं चलेगा। इस लिस्ट में Samsung Galaxy Trend Lite, Galaxy Trend II, Galaxy SII, Galaxy S3 mini, Galaxy Xcover 2, Galaxy Core, और Galaxy Ace 2 फोन शामिल हैं। वहीं अन्य फोन की बात करें तो इस लिस्ट में LGs Lucid 2, LG Optimus F7, LG Optimus F5, Optimus L3 II Dual, Optimus F5, Optimus L5, Optimus L5 II, Optimus L5 Dual, Optimus L3 II, Optimus L7, Optimus L7 II Dual, Optimus L7 II, Optimus F6, Enact , Optimus L4 II Dual, Optimus F3, Optimus L4 II, Optimus L2 II, Optimus Nitro HD, 4X HD, Optimus F3Q के साथ सपोर्ट बंद होने वाला है।
इस लिस्ट में ZTE Grand S Flex, ZTE V956, Grand X Quad V987 और ZTE Grand Memo के नाम शामिल हैं। लिस्ट में हुवावे के फोन Huawei Ascend G740, Ascend Mate, Ascend D Quad XL, Ascend D1 Quad XL, Ascend P1 S और Ascend D2 का नाम है। सोनी के भी कुछ फोन इस लिस्ट में हैं जो कि Sony Xperia Miro, Sony Xperia Neo L और Xperia Arc S हैं।
iOS डिवाइस
आईओएस की अगर बात करें तो iOS 10 और इससे ऊपर के सभी वर्जन में व्हाट्सएप काम करेगा। यदि किसी के पास ऐसा आईफोन है जिसमें आईओएस 9 है तो उसमें 1 नवंबर से व्हाट्सएप काम नहीं करेगा। इस लिस्ट में iPhone 6S, iPhone 6S Plus, Apple iPhone SE 1 आदि शामिल हैं।
KaiOS डिवाइस..
आपको बता दे कि जियो फोन और जियो फोन 2 के अलावा नोकिया के भी कई फोन में KaiOS दिया गया है। इनमें से जिन फोन में KaiOS 2.5.0 है या इससे ऊपर का वर्जन है उनमें व्हाट्सएप सपोर्ट करेगा। JioPhone और JioPhone 2 में व्हाट्सएप का सपोर्ट मिलता रहेगा।
- सुयश त्यागी
स्वतंत्र पत्रकार व लेखक
सोशल मीडिया का उदय कुछ लोगों के लिए सिर्फ मनोरंजन का एक साधन हो सकता है, पर जब हम वैश्विक पटल पर इसका प्रभाव देखेंगे तो किसी भी लोकतांत्रिक देश के संविधान में दी हुई अभिव्यक्ति की आजादी की कल्पना के वास्तविक स्वरूप इसके उदय के बाद ही बल मिला है। आज हर व्यक्ति के पास समाज के समक्ष अपनी बात रखने की एक ताकत है, एक आवाज है और ना जाने कब उसकी आवाज, एक सामूहिक आवाज का रूप बन जाये, उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।
देश में कई प्रतिभाशाली लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम एक ऐसा मंच मिला है, जिसके चलते उनमें छुपी रचनात्मकता व सृजनशीलता का समाज से परिचय हुआ है। आज समाज में ऐसे ही होनहार कई सोशल मीडिया सेलेब्स ने अपना एक खास स्थान बना रखा है। आज एक वर्ग ऐसा भी है, जो ना ही कोई न्यूज़ देखता और ना ही कोई अखबार पढ़ता है पर इन सोशल मीडिया की जानी-मानी हस्तियों से अनेक प्लेटफार्म पर देश भर की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर लेता है। यहां तक देश के कई पीड़ितों को सोशल मीडिया पर आंदोलन खड़े करने से ही परिणाम मिले हैं।
कभी एक दौर हुआ करता था, जब टी.वी और अखबार पर आने वाली सभी खबरों को सच माना जाता था। किसी भी व्यक्ति के पास उस पर विश्वास करने के अलावा कोई विकल्प ना था। उसकी प्रमाणिकता जांचने का कोई माध्यम ही ना था। पर आज हर व्यक्ति के पास सही-गलत तय करने की एक ताकत है और यही निष्पक्ष ताकत कभी-कभी देश में बड़े सकारात्मक बदलाव लेकर आती है।
हाल हीं में सोशल मीडिया पर एक खबर चली। भारत के लोगों को वैक्सीन उपलब्ध नही हो रही और सरकार विदेशों में निर्यात कर रही है। वास्तव में आधा सत्य कभी-कभी झूठ से भी अधिक घातक होता है और इस वाकये पर कई पोस्ट आपने जरूर देखी होगी, किसी ना किसी व्यक्ति ने अज्ञानवश या अपने तय एजेंडा तहत ये पोस्ट की ही होगी, जो आपके फ़ेसबुक, ट्विटर या इंस्टाग्राम से होकर एक ना एक बार जरूर गुजरी होगी। हम क्यों खबरों को ऊपरी सतह पर ही परखकर सत्य मान लेते है, आखिर गूगल पर फैक्ट चेक करने में समय ही कितना लगता है ? हम एकाउंट से गलत खबर चला देंगे पर थोड़ा समय निकालकर उसकी प्रमाणिकता नही देखेंगे।
वैक्सीन के विषय में बात करें, तो अभी हाल ही में भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने एक साक्षात्कार में बताया वैश्विक स्तर पर देशों के बीच अनेक करार होते है और देशों के बीच का व्यापार वैश्विक बाजार की शर्तों पर होता है ना कि घरेलू शर्तों। वैक्सीन बनाने के लिए लगने वाला कच्चा माल कई देशों से लिया जा रहा, उसके तहत उत्पादन के बाद उन्हें कुछ वैक्सीन देने का करार हुआ था, जिसके तहत ये निर्यात हुए है। अगर हम करार तोड़ेंगे तो विदेशों से आने वाला कच्चा माल रुक जाएगा और वैक्सीन के उत्पादन के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
पहले जब वैक्सीन लगवाने लोग आ नही रहे थे। उत्पादन लगातार बढ़ रहा था तब एक-दो देशों को वैक्सीन दी भी गई। पर जब से भारत के लोगों में वैक्सीन लगवाने के लिए जागरूकता आई है, लगभग पूरा उत्पादन भारत में ही लगाया जा रहा है। ऐसी भ्रामक खबरे चलाने वाला यह वही वर्ग है जो कुछ समय पूर्व देश में वैक्सीन के कारगर ना होने का आरोप लगा रहा था। जगह-जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जनता से वैक्सीन ना लगवाने का आग्रह कर रहा था और आज फिर करार के तहत हो रहे निर्यात पर प्रश्न उठाकर भारत की छवि धूमिल कर रहा है। यह वही वर्ग है जिसने समाजवाद और साम्यवाद का चोला ओढ़कर उद्योगों और मशीनों का विरोध कर सालों तक भारत को सुविधा और तकनीक विहीन रखा और आज ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रहे उद्योगों पर भी मनमानी का दोषरोपण कर राजनीति का निष्कृष्ट रूप प्रस्तुत कर रहा है।
भारत की जनता को फिजूल के मुद्दों पर उलझाकर देश में एक नकारात्मक वातावरण बनाना ही इनका एक मात्र लक्ष्य है। ये वर्ग आपको अपने वर्षों तक रहे कार्यकाल पर सवाल नही करने देगा। वह यह नही बताएगा आजादी के इतने वर्ष बाद भी स्वास्थ्य और शिक्षा की बात करने वाले दल ने कितने एम्स और शैक्षिक संस्थान खोले। वह यह भी नही बताएगा कि अफजल की फांसी से लेकर बाटला हाउस एनकाउन्टर पर आंसू बहाने की जगह अगर समय रहते देश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर ही गंभीरता से ध्यान दिया जाता तो शायद आज ये हालात ना होते। वर्तमान में महाराष्ट्र में सौ करोड़ की मासिक वसूली का प्रसंग हो या फिर 2014 के पहले हो रहे लाखों करोड़ों के घोटालों का, आपको ये वर्ग बस जातीय ध्रुवीकरण व सामाजिक तुष्टिकरण का ही गलत स्वरूप दिखाता रहेगा और देश व समाज को विभिन्न वर्गों में बांटने का प्रयास करता रहेगा।
हाल ही में एक जाने माने पत्रकार ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट से एक टेंट के नीचे लेटे कुछ मरीजों की फोटो साझा की, जिन्हें बॉटल व ऑक्सीजन लगी हुई थी। उस पर हेडिंग दी गुजरात का स्वास्थ्य मॉडल। उनकी उसी पोस्ट पर एक दूसरे पत्रकार ने पूछा आखिर गुजरात के किस जिले की खबर है? उन्होंने जवाब दिया – जिला तापी गुजरात। कुछ देर बाद दूसरे पत्रकार ने उस चित्र से जुड़ा एक वीडियो शेयर किया और उस पर लिखा – ये मेरे द्वारा की हुई रिपोर्टिंग है और ये तस्वीर नवापूर महाराष्ट्र से है, ना कि गुजरात से। अपनी किरकिरी होते देख मजबूरन पत्रकार महोदय को अपनी पोस्ट हटानी पड़ी।
ऐसे एजेंडा आधारित प्रसंगों को देख आज सोशल मीडिया की बढ़ती ताकत के साथ उसके दुरुपयोग की भी अधिक चिंता है। देश के प्रत्येक नागरिक का जागरूक व टेक्नोलॉजी से यूजर फ्रेंडली होना आज डिजिटल दुनिया के युग में एक बड़ी जिम्मेदारी है। इस बढ़ती जिम्मेदारी के साथ हमारा देश आज एक महामारी से भी गुजर रहा है। ऐसे में जब व्यक्ति घरों में बंद हो, करने को कोई काम ना हो, हर तरफ दहशत का मौहाल हो, तो जाहिर सी बात है, यही उसका मनोरंजन का अंतिम व आसान विकल्प होगा। ऐसे में फेक न्यूज़ की मंडियां भी अपने जोरों पर है। कब वहां से कोई फेक न्यूज़ पढ़कर वो अपने परिचितों को भेज दे, उसे कुछ खबर ही नही होती।
आज देश की अधिकांश जनता इन भ्रामक खबरों के चलते कोरोना एक्सपर्ट भी बन बैठी है, जो कभी-कभी अपने घर पर ही किसी कोरोना से पीड़ित मरीज का व्हाट्सएप्प के माध्यम से प्राप्त जानकारी के आधार पर ही उपचार शुरू कर देती हैं। इन नादानियों से आज हमें स्वयं भी बचना है व समाज को भी बचाना है। सभी राज्य व केंद्र की सरकार व अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा विशषज्ञों के नंबर लगातार जारी किये जा रहे हैं। बिना सोचे समझे और डॉक्टर के परामर्श के बिना हमें किसी भी प्रकार के प्रयोग से बचना चाहिए और शासन द्वारा जारी किये गए निर्देशों का ही पूर्ण रूप से पालन कर देश व समाज की भलाई में अपना योगदान देना चाहिए।