उत्तराखंड शिक्षा विभाग में त्रिस्तरीय ढांचे का ड्राफ्ट तैयार, केवि की तर्ज पर बनेंगे तीन संवर्ग..
उत्तराखंड: प्रदेश में विद्यालयी शिक्षा के तहत शैक्षणिक संवर्ग का नया त्रि-स्तरीय ढांचा बनाने की तैयारी है। शिक्षा निदेशालय ने इसका ड्राफ्ट तैयार कर इसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार इसे मंजूरी मिलने पर केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर त्रि-स्तरीय संवर्ग पीआरटी, टीजीटी और पीआरटी होंगे। बताया गया कि विभाग में शिक्षकों के पदोन्नति के अवसर समाप्त हो रहे थे, जिसे देखते हुए इस तरह का ढांचा बनाया जा रहा है। शिक्षा विभाग में वर्तमान में प्राथमिक और माध्यमिक दो संवर्ग हैं। कक्षा एक से आठवीं तक के शिक्षक प्राथमिक संवर्ग के तहत आते हैं, जबकि कक्षा नौ से 12वीं तक के शिक्षक माध्यमिक संवर्ग के हैं। अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के अनुसार प्रदेश में जूनियर हाईस्कूलों के हाईस्कूल में उच्चीकरण से प्राथमिक संवर्ग के शिक्षकों के पदोन्नति के पद खत्म हो रहे हैं।
यही वजह है कि संगठन की ओर से यह मांग की जा रही कि राज्य के जूनियर हाईस्कूलों का अलग से संचालन किया जाए। वहीं जिन विद्यालयों का हाईस्कूल के रूप में उच्चीकरण किया गया है, उनसे जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों का समायोजन किया जाए। यदि इन स्कूलों का अलग से संचालन नहीं किया जाता तो विभाग का त्रिस्तरीय ढांचा बनाया जाए। अखिल भारतीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष सतीश घिल्डियाल के अनुसार राज्य में लगभग 1,500 से अधिक जूनियर हाईस्कूलों का हाईस्कूल के रूप में उच्चीकरण किया जा चुका है, जिससे विभाग में पदोन्नति के पद लगातार खत्म हो रहे हैं।
एससीईआरटी के ढांचे का पुनर्गठन भी प्रस्तावित..
एससीईआरटी के तहत शैक्षणिक संवर्ग के ढांचे के पुनर्गठन के साथ ही अशासकीय विद्यालय के राजकीयकरण का भी प्रस्ताव है। शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत ने इस संबंध में विभाग को निर्देश दिए हैं। बताया गया कि इस संबंध में जल्द ही शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में बैठक होनी है। विद्यालयी शिक्षा के त्रि-स्तरीय ढांचे के लिए ड्राफ्ट तैयार कर इसे मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया है। इसे मंजूरी मिलने पर विभाग में तीन श्रेणियां पीआरटी, टीजीटी और पीजीटी हो जाएंगी।
इन 87 शिक्षक-कर्मचारियों पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार, नोटिस जारी..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग में 87 शिक्षक-कर्मचारी पिछले काफी समय से अनुपस्थित चल रहे हैं। विभाग की ओर से सभी को नोटिस जारी किया गया है। मूल तैनाती पर न लौटने या फिर संतोषजनक जवाब न मिलने पर इन्हें बर्खास्त किया जा सकता है। शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने विभाग में अनुपस्थित चल रहे शिक्षकों की रिपोर्ट तलब की गई थी। महानिदेशक की ओर से निदेशक माध्यमिक शिक्षा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा और निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण समेत सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किया गया था। निर्देश में कहा गया था कि अनुपस्थित चल रहे इन शिक्षकों और कर्मचारियों की वजह से इनके स्थान पर अन्य शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पा रही हैं।
इससे शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। इस तरह के शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी आवश्यक है। शिक्षा महानिदेशक के निर्देश पर विभाग से मांगी रिपोर्ट के मुताबिक, 87 शिक्षक-कर्मचारी अनुपस्थित मिले हैं। इसमें नौ प्रवक्ता, 16 सहायक अध्यापक एलटी, 42 प्राथमिक शिक्षक, 13 मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी और सात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं।
विभाग के अधिकारियों का कहना हैं कि इन सभी को नोटिस जारी कर इनके खिलाफ नियुक्ति प्राधिकारी की ओर से कार्रवाई की जा रही है। प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों का नियुक्ति प्राधिकारी जिला शिक्षाधिकारी बेसिक, सहायक अध्यापक एलटी का अपर निदेशक मंडल, प्रवक्ता व प्रधानाध्यापक का निदेशक व प्रधानाचार्य का शासन है। शिक्षा विभाग में पिछले काफी समय से अनुपस्थित चल रहे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है, इन्हें नोटिस दिए जा चुके हैं। मूल तैनाती पर न लौटने एवं संतोषजनक जवाब न मिलने पर तय प्रक्रिया अपनाने के बाद इनकी सेवा समाप्त की जाएगी।
उत्तराखंड में 143 शिक्षक बीमार, अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई शुरू..
उत्तराखंड: प्रदेश में 143 शिक्षक बीमार मिले हैं। शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने कहा कि शारीरिक और मानसिक अस्वस्थ इन शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति की दिए जाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसमें सबसे अधिक 100 शिक्षक देहरादून जिले के हैं। गढ़वाल मंडल के शिक्षकों की तीन अक्तूबर को स्क्रीनिंग होगी। इसके बाद शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। शिक्षा विभाग में तबादले और संबद्धता के लिए कई शिक्षक बीमार हो जाते हैं, जिससे इनके मूल विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है।
जबकि बीमार शिक्षकों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के पूर्व में कई बार आदेश हो चुके हैं। शिक्षा मंत्री और शासन के आदेश के बाद भी जिलों से विभाग को इस तरह के शिक्षकों की रिपोर्ट नहीं मिल रही थी। विभाग की ओर से इस तरह के शिक्षकों की सूची तलब की गई। शिक्षा महानिदेशक का कहना हैं कि प्रदेश में 142 शिक्षक और एक कर्मचारी शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ मिले हैं। इसमें प्राथमिक के 84, सहायक अध्यापक एलटी के 44, प्रवक्ता 11, एक लिपिक और तीन प्रधानाचार्य शामिल है।
इन जिलों में बीमार हैं शिक्षक और कर्मचारी..
बागेश्वर-03, अल्मोड़ा-02, नैनीताल-04, चमोली-08, रुद्रप्रयाग-03, ऊधमसिंह नगर-01, पिथौरागढ़-शून्य, चंपावत-02, पौड़ी-02, देहरादून-100, उत्तरकाशी-02, हरिद्वार-13, टिहरी-03
दो साल में जो रिपोर्ट नहीं मिली तीन दिन में मिल गई..
शिक्षा विभाग में बीमार शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के समय-समय पर आदेश जारी होते रहे हैं। वर्ष 2002 में भी इसका आदेश हुआ, लेकिन अब तक शिक्षा महानिदेशालय को इस तरह के शिक्षकों की रिपोर्ट नहीं मिल पा रही थी। अब नवनियुक्त शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान की ओर से 26 सितंबर को सभी जिलों से तीन दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की गई, जिस पर हर जिले से विभाग को शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ शिक्षकों की रिपोर्ट मिली है। शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए शासनादेश के अनुसार कार्रवाई होगी। गढ़वाल मंडल में इसके लिए स्क्रीनिंग की तिथि भी तय हो चुकी है।
शिक्षा विभाग को मिले 292 अतिथि शिक्षक, एक सप्ताह के भीतर होगी तैनाती
उत्तराखंड: प्रदेश में 292 अतिथि शिक्षकों का चयन किया गया है, खाली पदों के सापेक्ष 292 अभ्यर्थियों को पूर्व में तैयार की गयी। मेरिट सूची के आधार पर चयनित किया गया है। इन अतिथि शिक्षकों के चयनित होने के बाद शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने अगले एक सप्ताह के भीतर इन अतिथि शिक्षकों को तैनाती दिए जाने के निर्देश भी जारी कर दिए हैं। राज्य में अतिथि शिक्षकों का चयन विभिन्न चरणों में किया जा रहा है, इस बार तीसरे चरण के तहत इन शिक्षकों को चुना गया है।
प्रदेश में जिन अतिथि शिक्षकों का चयन किया गया है उसमें गणित के 46, भौतिक विज्ञान के 52, रसायन विज्ञान के 62, जीव विज्ञान के 32 और अंग्रेजी में 100 अतिथि शिक्षक शामिल हैं। तीसरे चरण के तहत चयनित किए गए अतिथि शिक्षकों में से चमोली जिले में विभिन्न विषयों के 43 अतिथि शिक्षकों की तैनाती की जाएगी। इसी तरह पिथौरागढ़ में 58, पौड़ी में 74, अल्मोड़ा में 52, उत्तरकाशी में तीन, टिहरी में आठ, नैनीताल में 7, चंपावत में 22, बागेश्वर में 19, रुद्रप्रयाग में 10 और देहरादून में तीन अतिथि शिक्षकों को तैनाती दी जाएगी।
इन सभी शिक्षकों को एक सप्ताह के भीतर तैनाती देने के निर्देश जारी हुए हैं। इन अतिथि शिक्षकों को ऐसे विद्यालयों में तैनाती दी जाएगी, जहां पर शिक्षकों की ज्यादा कमी दिखाई देगी। इस दौरान विभिन्न विषयों के आधार पर चयनित शिक्षकों को जरूरत के लिहाज से विद्यालय आवंटित होंगे। चयनित किए गए शिक्षकों में रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, अंग्रेजी और गणित विषयों के शिक्षकों को चुना गया है।
इससे पहले प्रवक्ता संवर्ग में 851 अतिथि शिक्षकों की तैनाती का निर्णय लिया गया था। जिसको दो चरणों में तमाम विद्यालयों में तैनाती के जरिए पूरा किया गया। जबकि इसके बाद मुख्य शिक्षा अधिकारी के स्तर पर विषयवार रिक्त पदों के सापेक्ष अतिथि शिक्षकों की डिमांड मांगी गई थी। उत्तराखंड में पिछले लंबे समय से सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए अलग-अलग प्रयोग किये जा रहे हैं। अतिथि शिक्षकों के जरिए सरकार विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को खत्म करने का प्रयास कर रही है। जिसमें काफी हद तक शिक्षा विभाग को कामयाबी भी मिल रही है।
सीआरपी और बीआरपी के 955 पदों पर भर्ती का रास्ता खुला, जल्द शिक्षा विभाग शुरू करेगा प्रक्रिया..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग में सीआरपी और बीआरपी के 955 पदों पर रुकी भर्ती प्रक्रिया फिर शुरू होगी। शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी के अनुसार हाईकोर्ट से भर्ती पर लगी रोक हट गई है। भर्ती प्रक्रिया को जल्द शुरू किया जाएगा। प्रदेश में बीआरपी के 285 और सीआरपी के 670 पदों पर विभिन्न वजहों से भर्ती पिछले आठ साल से भी अधिक समय से नहीं हो पाई है। आउटसोर्स से होने वाली भर्ती के लिए सेवायोजन विभाग के रोजगार प्रयाग पोर्टल पर इस साल 29 जून से ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे।
बताया गया था कि दो सप्ताह के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, लेकिन चयनित एजेंसी के खिलाफ कोर्ट में याचिका पर भर्ती पर रोक लग गई थी। उधर, बीआरपी और सीआरपी के पद पर भर्ती के लिए अभ्यर्थी के पास बीएड की उपाधि के साथ ही सीटीईटी या यूटीईटी का प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है। सीआरपी के लिए स्नातकोत्तर में किसी भी विषय में 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। जबकि बीआरपी के लिए स्नातक या स्नातकोत्तर में 55 प्रतिशत अंक होने चाहिए। भर्ती के 10 प्रतिशत पद सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए आरक्षित हैं।
शिक्षा विभाग ने छात्रों की कक्षा के हिसाब से तय किया बस्ते का वजन..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग ने छात्र-छात्राओं की कक्षा के हिसाब से स्कूल बस्ते का वजन तय किया है। शिक्षा सचिव रविनाथ रामन की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। शिक्षा महानिदेशक को जारी आदेश में कहा गया है कि पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों को बस्ते से मुक्त रखा गया है। वहीं कक्षा 6 और 7 के छात्रों का 3 और 12वीं के छात्रों के बस्ते का वजन 5 किलोग्राम से अधिक नहीं होगा।
शिक्षा सचिव की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश पर 11 जनवरी 2024 को प्रदेश के विद्यालयों में बस्ता रहित दिवस के संचालन के निर्देश दिए गए थे। जबकि अब केंद्र सरकार के स्कूल बैग पॉलिसी 2020 के आधार पर स्कूल बस्ते का वजन तय किया गया है। इस संबंध में निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण की ओर से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। जिसके आधार पर कक्षावार स्कूल बस्ते का वजन तय किया गया है।
बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास हो रहा प्रभावित..
अभिभावकों के अनुसार नर्सरी से लेकर 12वीं तक के छात्र-छात्राओं के बस्ते का अच्छा खासा वजन है। बस्ते का अधिक वजन होने से बच्चे बुरी तरह से थक जाते हैं। इससे उनका मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है। पहले बच्चे स्कूल से घर आने पर खेलते थे, अब घर आते ही थक कर सो जाते हैं। बस्ते का वजन कम करने के लिए वजन तय करना सरकार की अच्छी पहल है।
कक्षा बस्ते का अनुमानित वजन किलो में
पूर्व प्राथमिक बस्ता मुक्त
कक्षा 1 व 2 1.6 से 2.2
कक्षा 3 से 5 1.7 से 2.5
कक्षा 6 से 7 2 से 3
कक्षा 8 2.5 से 4
कक्षा 9 व 10 2.5 से 4.5
कक्षा 11 व 12 3.5 से 5
केंद्र सरकार के निर्देश के बाद कक्षावार छात्रों के बस्ते का वजन तय किया गया है। यह व्यवस्था प्रदेश के सरकारी और निजी सभी विद्यालयों के लिए लागू होगी।
शिक्षा विभाग का अजब-गजब फरमान, इनकी लगेगी ट्रैफिक ड्यूटी..
उत्तराखंड: प्रदेश में अब शिक्षक पढ़ाने के साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था को भी संभालेंगे। उत्तराखंड के इस जिले में शिक्षक क्लास के साथ ही सड़कों पर भी नजर आएंगे। आपको बता दे कि अब सरकारी शिक्षकों की ट्रैफिक ड्यूटी भी लगेगी। इसके लिए आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। नैनीताल में पर्टयकों की भारी भीड़ उमड़ रही है। पर्यटकों की भीड़ को देखते हुए फैसला लिया गया है कि अब सरकारी शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ ही सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था को भी देखेंगे। चुनाव ड्यूटी खत्म होते ही शिक्षकों को अब ट्रैफिक व्यवस्था संभालने का जिम्मा दिया जा रहा है। इसके लिए आदेश जारी कर दिए गए हैं।
नैनीताल में लगातार बढ़ते ट्रैफिक के दबाव के कारण जिलाधिकारी ने फैसला लिया है कि अब शिक्षक पढ़ाने के साथ ही ट्रैफिक ड्यूटी भी करेंगे। डीएम के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने ये अजीब फरमान जारी कर दिया है। इसके पीछे की वजह जिले में पुलिस कर्मियों की कमी बताई जा रही है। इसके साथ शिक्षा विभाग ने ये तर्क भी दिया है कि स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं। डीईओ बेसिक की ओर से शिक्षकों की ट्रैफिक ड्यूटी के लिए आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। जारी आदेशों के अनुसार पांच शिक्षकों को नैनीताल जिले में ट्रैफिक की व्यवस्था संभालने के लिए नामित किया गया है। ये शिक्षक सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक अपनी ट्रैफिक ड्यूटी देंगे।
उत्तराखंड में खुलेगा अब भर्तियों का पिटारा..
उत्तराखंड: आचार संहिता हटने के बाद 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भी भर्ती होनी है। आयोग गत सप्ताह ही इसकी इजाजत दे चुका है। इस भर्ती को सम्पन्न कराने के लिए शिक्षा विभाग उत्तराखंड राजकीय प्राथमिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 2024 संशोधित कर चुका है। नर्सिंग अधिकारियों के 1500 और डॉक्टरों के 500 रिक्त पदों पर भर्ती होनी है।
लोकसभा चुनाव के कारण लगी आचार संहिता के समाप्त होने से अब उत्तराखंड में भी काम तेजी से होने लगेंगे। राज्य में भर्तियां होंगी और लंबे समय से अटकी पदोन्नति और ट्रांसफर भी हो सकेंगे। साथ ही नई योजनाओं के लिए बजट भी जारी होगा। गुरुवार को आचार संहिता हटने के विधिवत आदेश जारी होने की उम्मीद है।
उत्तराखंड में 3600 बेसिक टीचरों की भर्ती का रास्ता साफ, बीएड की बाध्यता खत्म, जल्द शुरू होगी भर्ती..
उत्तराखंड में 3600 बेसिक टीचरों की भर्ती का रास्ता साफ, बीएड की बाध्यता खत्म, जल्द शुरू होगी भर्ती..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग ने राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2024 को अपनी मंजूरी दे दी है। नई नियमावली में बेसिक शिक्षक भर्ती के लिये आवश्यक शैक्षिक योग्यता बीएड की बाध्यता खत्म कर दी है। अब केवल डीएलएड धारक ही बेसिक शिक्षक के पात्र होंगे। प्रदेशभर के डीएलएड प्रशिक्षितों को प्राथमिक शिक्षक बनने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा सेवा नियमावली, 2012 में संशोधन कर उत्तराखंड राजकीय प्रारम्भिक शिक्षा (अध्यापक) (संशोधन) सेवा नियमावली, 2024 को अपनी मंजूरी दे दी है। नई नियमावली में बेसिक शिक्षक भर्ती के लिये आवश्यक शैक्षिक योग्यता बीएड की बाध्यता खत्म कर दी है। अब केवल डीएलएड धारक ही बेसिक शिक्षक के पात्र होगा।
बता दे कि सरकार के इस फैसले के बाद जल्द ही करीब 3600 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों को इसके निर्देश दे दिए हैं। प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया खत्म होने से प्रदेशभर के प्राथमिक विद्यालयों में रिक्त शिक्षकों के सभी पद भर दिये जाएंगे। जिससे सूबे की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
उत्तराखंड में बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे शिक्षक, विभाग समय पर नहीं कर पाया वरिष्ठता तय..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग में शिक्षक 35 से 40 साल की सेवा के बाद बिना पदोन्नति सेवानिवृत्त हो रहे हैं। शिक्षक संगठनों का कहना है कि विभाग के समय पर वरिष्ठता तय न कर पाने से यह स्थिति बनी है, जबकि नियम पूरे सेवाकाल में कम से कम तीन पदोन्नतियों का है। इस साल 31 मार्च को सैकड़ों शिक्षक एक ही पद से सेवानिवृत्त हो गए। शिक्षक ओपी कोटनाला का कहना हैं कि ट्रिब्यूनल ने सरकार को शिक्षकों के वरिष्ठता विवाद के निपटारे के आदेश दिए थे, लेकिन विभाग मामले को सुलझा नहीं पाया। उनका कहना हैं कि वह पिछले 35 साल से एक ही पद पर हैं। वही शिक्षक सुनील गैरोला बताते हैं कि 1988 में सहायक अध्यापक एलटी के पद पर नियुक्ति मिली थी। तब से इसी पद पर हूं।
शिक्षकों के उत्साह में कमी..
राजकीय माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष अजय राजपूत का कहना हैं पिछले तीन साल में तीन हजार से अधिक शिक्षक बिना पदोन्नति सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नियमानुसार शिक्षक और कर्मचारी को पूरे सेवाकाल में कम से कम तीन पदोन्नति मिलनी चाहिए, लेकिन शिक्षा विभाग में ऐसा नहीं हो पा रहा है। विभाग की ओर से शिक्षकों की वरिष्ठता तय न करने की वजह ये यह स्थिति बनी है। शिक्षकों को समय पर पदोन्नति न मिलने से शिक्षकों के उत्साह में कमी आती है। राजकीय शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रमेश चंद्र पैन्युली बताते हैं कि शिक्षकों की समय पर वरिष्ठता तय नहीं हुई। जिससे मजबूर होकर शिक्षकों को इसके खिलाफ कोर्ट जाना पड़ा। संगठन की ओर से प्रयास किया जा रहा कि शिक्षकों के वरिष्ठता के इस मसले का जल्द से जल्द निपटारा किया जाए।