देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में औद्योगिक वातावरण विकसित करने और युवाओं के स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए 200 करोड़ रुपये का वेंचर फंड स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस वेंचर फंड के लिए बजट में 20 करोड़ रुपये का शुरुआती प्रावधान भी किया गया है। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बजट प्रस्तुति के दौरान कहा कि राज्य के युवा सिर्फ शिक्षा में डिग्री ही नहीं बल्कि कौशल भी विकसित करेंगे। स्टार्टअप्स के माध्यम से नए प्रयोगों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसमें सरकार युवाओं का पूरा समर्थन करेगी।
स्टार्टअप्स के लिए प्रमुख कदम:
. वेंचर फंड: स्टार्टअप्स को आर्थिक सहायता देने के लिए 200 करोड़ रुपये का वेंचर फंड।
. प्रारंभिक प्रावधान: बजट में 20 करोड़ रुपये का प्रारंभिक आवंटन।
. युवाओं को प्रोत्साहन: स्टार्टअप्स में नवाचार और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
महिला सशक्तीकरण को मिलेगा बूस्ट: जेंडर बजट में 16.66% की बढ़ोतरी
धामी सरकार ने राज्य के विकसित उत्तराखंड के लक्ष्य को पूरा करने में महिलाओं की भूमिका को अहम मानते हुए जेंडर बजट में 16.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। इस बार जेंडर बजट को बढ़ाकर 16,961 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
महिला सशक्तीकरण के लिए विशेष योजनाएं:
योजना का नाम बजट (करोड़ में)
नंदा गौरा योजना – 157.84
मातृत्व वंदन योजना – 21.74
सीएम बाल पोषण योजना – 29.9
महालक्ष्मी किट – 22.62
सीएम वात्सल्य योजना – 18.88
ईजा बोई शगुन योजना – 14.13
सीएम महिला पोषण योजना – 13.96
सीएम आंचल अमृत योजना – 14.00
महिला बहुमुखी विकास निधि – 08.00
विधवा की पुत्री का विवाह – 05.00
महिला एसएसजी सशक्तीकरण – 05.00
महिला उद्यमी विशेष सहायता – 05.00
अल्पसंख्यक मेधावी बालिका – 03.76
सतत आजीविका योजना – 02.00
सरकार की प्रतिबद्धता:
वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि महिला सशक्तीकरण केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि समाज और प्रदेश के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है। सशक्त महिलाएं परिवार, समाज, प्रदेश और देश की समृद्धि का आधार बनेंगी। धामी सरकार के इन प्रयासों से राज्य में नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा और महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।
नैनीताल: जिला विकास प्राधिकरण ने भीमताल और नौकुचियाताल झीलों के सौंदर्यीकरण की तैयारी शुरू कर दी है। इन झीलों के रखरखाव और सौंदर्यीकरण के लिए 64 करोड़ रुपये से अधिक की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार कर शासन को भेजी गई है।
पर्यटन सीजन से पहले दोनों झीलों का कायाकल्प करने की योजना है, ताकि पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिल सके और स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।
प्रमुख प्रावधान:
. भीमताल झील के लिए 35 करोड़ और नौकुचियाताल झील के लिए 29 करोड़ का प्रस्ताव तैयार।
. शासन से बजट अवमुक्त होते ही दोनों झीलों का सौंदर्यीकरण कार्य शुरू होगा।
. साथ ही झीलों के आसपास आधारभूत सुविधाओं का विकास भी होगा।
ये कार्य होंगे पूरे:
1. झीलों की सफाई: झीलों के पानी की गुणवत्ता सुधारने और जल जीवन को संरक्षित रखने के लिए।
2. आकर्षक रेलिंग: झीलों के किनारों पर सुरक्षा और सौंदर्य दोनों के लिए।
3. प्रकाश व्यवस्था: झील किनारे पथ प्रकाश की बेहतर व्यवस्था।
4. सैलानियों के लिए बेंच: विभिन्न स्थानों पर आकर्षक बेंच लगाई जाएंगी।
5. सेल्फी प्वाइंट: पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए फोटो स्पॉट विकसित किए जाएंगे।
6. पैदल रास्तों का सुधार: झीलों के चारों ओर वॉकवे को सुधारने का कार्य किया जाएगा।
स्थानीय मांग को मिला समर्थन:
जिला विकास प्राधिकरण के सचिव विजय नाथ शुक्ल ने बताया कि स्थानीय लोगों की लंबे समय से मांग थी कि इन झीलों का सौंदर्यीकरण किया जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। प्रस्ताव का उद्देश्य न केवल झीलों की सुंदरता को बढ़ाना है बल्कि क्षेत्र में सुविधाओं का विकास कर पर्यटन को भी नई ऊंचाइयां देना है।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा:
झीलों का कायाकल्प होने से नैनीताल के इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। साथ ही स्थानीय व्यवसाय और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
सरकार से बजट मिलने के बाद जल्द ही कार्यों की शुरुआत होगी, जिससे भीमताल और नौकुचियाताल का प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखरेगा।
उत्तराखंड में मौसम ने अचानक करवट ली है। ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार बर्फबारी हो रही है, जिससे पहाड़ियां सफेद चादर में लिपट गई हैं। प्रदेशभर में झमाझम बारिश, कड़ाके की ठंड, और बर्फबारी का खूबसूरत नजारा देखने को मिल रहा है। आज सुबह से ही कई जिलों में हल्की बूंदाबांदी से लेकर तेज बारिश तक जारी है। उत्तरकाशी के हर्षिल घाटी और आस-पास के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है। गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी बर्फबारी का दौर जारी है, जिससे निचले इलाकों में घने बादल छाए हुए हैं।
मुखबा में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास का बर्फीला नजारा बेहद मनमोहक है। वहीं, खरसाली गांव, यमुनोत्री धाम, और आस-पास के क्षेत्रों में भी सुबह चार बजे से बर्फबारी हो रही है। बड़कोट तहसील जैसे निचले इलाकों में रिमझिम बारिश हो रही है।
धामों में सर्दी का प्रकोप, यात्रा तैयारियां प्रभावित
लगातार बर्फबारी के चलते बदरीनाथ धाम में करीब छह इंच तक ताजा बर्फ जम गई है। ठंड के बढ़ते असर को देखते हुए जिलाधिकारी ने अपने अधिकारियों के साथ धाम का दौरा रद्द कर दिया है। इस साल चारधाम यात्रा चार मई से शुरू होनी है, लेकिन मौसम की वजह से प्रशासनिक टीम अब तक धाम नहीं पहुंच पाई है। यात्रा के लिए पेयजल, बिजली, सीवर, और सड़क जैसे बुनियादी ढांचे को तैयार करना बाकी है।
मौसम विभाग का पूर्वानुमान:
मौसम विभाग के अनुसार, आज प्रदेश के कुछ हिस्सों में मौसम खराब रहेगा। हालांकि, 21 फरवरी से प्रदेशभर में मौसम शुष्क रहने की संभावना है।
बर्फबारी और ठंड के बीच उत्तराखंड की पहाड़ियां आज किसी जन्नत की तरह नजर आ रही हैं, लेकिन यात्रा तैयारियों और प्रशासनिक गतिविधियों पर इसका प्रभाव साफ दिख रहा है।
उत्तराखंड की धामी कैबिनेट ने राज्य में सशक्त भू-कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इस महत्वपूर्ण कदम से राज्य की सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक संसाधनों, और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांगों और भावनाओं का सम्मान करते हुए, हमारी सरकार ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दी है। यह निर्णय राज्य की मूल पहचान बनाए रखने में अहम भूमिका निभाएगा।”
नए भू-कानून के प्रमुख प्रावधान:
1. 2018 के सभी प्रावधान निरस्त:
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार द्वारा लागू सभी प्रावधानों को नए कानून में समाप्त कर दिया गया है।
2. बाहरी व्यक्तियों पर भूमि खरीद प्रतिबंध:
हरिद्वार और उधम सिंह नगर को छोड़कर, शेष 11 जिलों में बाहरी व्यक्ति हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की भूमि नहीं खरीद सकेंगे।
3. पहाड़ों में चकबंदी और बंदोबस्ती:
पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि के सही उपयोग और अतिक्रमण रोकने के लिए चकबंदी और बंदोबस्ती की जाएगी।
4. जिलाधिकारियों के अधिकार सीमित:
अब जिलाधिकारी व्यक्तिगत रूप से भूमि खरीद की अनुमति नहीं दे पाएंगे। सभी प्रक्रियाएं सरकारी पोर्टल के माध्यम से होंगी।
5. ऑनलाइन पोर्टल से निगरानी:
राज्य में भूमि खरीद के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा, जहां बाहरी व्यक्तियों द्वारा की गई सभी खरीद दर्ज होगी।
6. शपथ पत्र अनिवार्य:
राज्य के बाहर के लोगों को भूमि खरीदने के लिए शपथ पत्र देना होगा, जिससे फर्जीवाड़ा और अनियमितताओं को रोका जा सके।
7. नियमित भूमि खरीद रिपोर्टिंग:
जिलाधिकारियों को राजस्व परिषद और शासन को भूमि खरीद की रिपोर्ट नियमित रूप से देनी होगी।
8. नगर निकाय सीमा में भू उपयोग:
नगर निकाय क्षेत्र में भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भू उपयोग के अनुसार होगा। नियमों के विरुद्ध उपयोग की गई भूमि सरकार में निहित हो जाएगी।
कानून का संभावित प्रभाव:
. बाहरी व्यक्तियों की अंधाधुंध भूमि खरीद पर रोक लगेगी।
. भूमि का बेहतर प्रबंधन, खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में।
. भूमि की कीमतों में अनावश्यक बढ़ोतरी पर नियंत्रण।
. राज्य के मूल निवासियों को भूमि खरीदने में सहूलियत।
. सरकार का अधिक नियंत्रण, जिससे अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
नया भू-कानून उत्तराखंड की संस्कृति, प्राकृतिक संसाधनों और स्थानीय नागरिकों के हकों की रक्षा करेगा, साथ ही राज्य के मूल स्वरूप को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उत्तराखंड हाईकोर्ट में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर एक और जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण फॉर्म में पूछे गए सवालों को लेकर है, जिन पर याचिकाकर्ता ने आपत्ति जताई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है और जवाब देने के लिए 21 फरवरी तक का समय दिया है।
मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में इस याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि लिव-इन रजिस्ट्रेशन फॉर्म में अनावश्यक और निजता से जुड़े सवाल पूछे जा रहे हैं, जिनका उत्तर देना अनिवार्य किया गया है। इनमें आवेदक के विधवा, शादीशुदा या पूर्व संबंधों से जुड़ी जानकारियों को प्रस्तुत करने की बात कही गई है। याचिकाकर्ता ने इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वह इन आपत्तियों पर अपना रुख स्पष्ट करे। अदालत ने अगली सुनवाई अप्रैल के पहले सप्ताह में तय की है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामा चंद्रन और रोहित अरोड़ा ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट में लिव-इन रजिस्ट्रेशन फॉर्म प्रस्तुत करते हुए तर्क दिया कि ऐसे सवालों का कोई कानूनी औचित्य नहीं है और यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के समान है।
इससे पहले भी UCC को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर लगातार सुनवाई हो रही है। अब सभी की निगाहें सरकार के जवाब पर टिकी हैं।
उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन आज भू-कानून संशोधन सहित कई महत्वपूर्ण विधेयक सदन में प्रस्तुत किए जा सकते हैं। इसके अलावा, कुछ अन्य रिपोर्टों को भी सदन पटल पर रखने के प्रस्ताव आने की संभावना है।
बजट सत्र के दौरान बुधवार सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक होगी, जिसमें भू-कानून में संशोधन सहित अन्य अहम प्रस्तावों पर चर्चा हो सकती है। राज्य सरकार भू-कानून को और सख्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस सत्र में इससे जुड़ा विधेयक लाए जाने की संभावना है।
जनभावनाओं के अनुरूप फैसले का संकल्प
भू-कानून संशोधन को लेकर बनी अटकलों पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार जनभावनाओं के अनुरूप कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि चाहे भू-कानून हो या अन्य कोई कानून या संकल्प, भाजपा सरकार जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
विपक्ष पर मुख्यमंत्री का तंज
मुख्यमंत्री धामी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि एक ओर विपक्ष सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग करता है, लेकिन जब सदन चलता है, तब सार्थक चर्चा से बचता है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सदन के समय का उत्पादक तरीके से उपयोग करना चाहिए, न कि हंगामे में बर्बाद करना चाहिए।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर बनी एलिवेटेड रोड को खुलने में अब और देरी होगी। डाटकाली मंदिर क्षेत्र में नए क्रॉस फ्लाईओवर के निर्माण के कारण, इस सड़क को मार्च-अप्रैल तक वाहनों के लिए खोला जा सकता है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) इस फ्लाईओवर को तेजी से तैयार करने में जुटा है, जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी और दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी।
तेजी से जारी है निर्माण कार्य
डाटकाली मंदिर क्षेत्र में बन रहे 70 मीटर लंबे फ्लाईओवर पर 34 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसका लगभग 40% कार्य पहले ही पूरा हो चुका है। गणेशपुर से डाटकाली के बीच 12 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड का निर्माण अक्टूबर में पूरा हो चुका था, लेकिन फ्लाईओवर निर्माण के चलते इसके उद्घाटन में देरी हुई। अब इसके मार्च से अप्रैल के बीच पूरा होने की उम्मीद है।
डाटकाली मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं को राहत
एक्सप्रेसवे पर बनी एलिवेटेड रोड डाटकाली मंदिर चौक तक फैली है, जहां पहले से एक टनल और आशारोड़ी तक फ्लाईओवर तैयार किया जा चुका है। मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक नया फ्लाईओवर तैयार किया जा रहा है, जो सीधे मंदिर को जोड़ेगा और एक्सप्रेसवे के ट्रैफिक को बाधित नहीं करेगा।
मार्च-अप्रैल के बीच इस एलिवेटेड रोड के चालू होने की संभावना जताई जा रही है, जिससे दिल्ली-देहरादून यात्रा और सुगम हो जाएगी।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून एलिवेटेड कॉरिडोर की समीक्षा बैठक में रिस्पना और बिंदाल कॉरिडोर के निर्माण में हो रही देरी पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने अधिकारियों को जल्द से जल्द निर्माण कार्य शुरू करने के निर्देश दिए।
यातायात सुधार की दिशा में बड़ा कदम
राज्य सरकार शहर की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने और जाम की समस्या से राहत दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस परियोजना के तहत, रिस्पना नदी पर 11 किलोमीटर और बिंदाल नदी पर 15 किलोमीटर लंबे चार लेन एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण प्रस्तावित है।
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा कॉरिडोर
सीएम धामी ने केंद्र सरकार से अनुरोध करने के निर्देश दिए कि देहरादून एलिवेटेड कॉरिडोर को दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से जोड़ा जाए। इसके अलावा, उन्होंने बढ़ती आबादी और यातायात के मद्देनजर अन्य शहरों के लिए भी योजनाबद्ध विकास पर कार्य करने पर जोर दिया।
अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का सहारा लेगी पुलिस, ADG कानून व्यवस्था ने की बैठक..
उत्तराखंड: एडीजी कानून व्यवस्था एपी अंशुमान ने सभी जिलों की सोशल मीडिया सेल के कामों की समीक्षा की। उन्होंने प्रदेश के सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को चिह्नित कर उनके साथ गोष्ठी करने के निर्देश दिए हैं। एडीजी मंगलवार को सभी जिलों की सोशल मीडिया सेल के कामों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सोशल मीडिया की निगरानी पुलिस मुख्यालय की एसओपी के अनुरूप कराने के निर्देश दिए। इस दौरान कहा गया कि जनजागरूकता और सकारात्मक प्रचार-प्रसार के लिए पुलिस अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स का सहारा लेगी। एडीजी ने अधिकारियों से कहा कि नियमित निगरानी के दौरान भ्रामक पोस्ट पर तत्काल कार्रवाई की जाए। सोशल मीडिया सेल के कार्यों की नियमित रूप से डीएसपी ऑपरेशन निगरानी करेंगे। उन्होंने पुलिस कप्तानों को भी निर्देश दिए कि वह समय से सेल की जनशक्ति और उनके कार्यों का मूल्यांकन कर समीक्षा रिपोर्ट रेंज कार्यालय को भेज दें। जिससे इसमें सुधार आदि की जो गुंजाइश हो उस पर समय से कदम उठाया जा सके।
नोडल डीआईजी कानून व्यवस्था को पत्र लिखेंगे
कानून व्यवस्था एवं शांति व्यवस्था को प्रभावित करने वाली पोस्ट का तत्काल खंडन कराया जाए। ऐसी पोस्ट को हटाने और कार्रवाई के लिए शासन स्तर पर नामित नोडल डीआईजी कानून व्यवस्था को पत्र लिखा जाए। उन्होंने पुलिसकर्मियों को भी सोशल मीडिया की पॉलिसी याद दिलाने के निर्देश दिए। कहा कि उन्हें पूर्व में जारी निर्देशों का अनुपालन कराने को कहा जाए। कोई पुलिसकर्मी इस पॉलिसी का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही एडीजी ने पुलिस मुख्यालय स्थित अपराध एवं कानून व्यवस्था से संबंधित सभी अनुभागों के कार्यों की भी समीक्षा की। अनुभाग अधिकारियों को समय से सभी कार्यों को पूरा करने के निर्देश दिए।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रील नहीं बना पाएंगे पुलिस वाले, नहीं माने तो होगी सख्त कार्रवाई..
उत्तराखंड: फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आए दिन पुलिसकर्मियों की रील और वीडियो देखने को मिल जातें है। कई बार तो वीडियो देखने में खूब मजेदार लगती है। लेकिन कई बार वर्दी में रील देखने से आरोप लगते हैं कि पुलिस की छवि धूमिल की जा रही है। ऐसे में उत्तराखंड पुलिस ने पुलिसकर्मियों के लिए इंटरनेट मीडिया नीति तैयार कर ली है। आपको बता दे कि इस नीति के तहत कुल 41 तरह के क्रियाकलापों पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। कोई भी पुलिसकर्मी अब वर्दी, सरकारी वाहन या दफ्तर में सोशल मीडिया के लिए रील या फोटो नहीं बना सकेगा। इसके साथ ही पुलिसकर्मियों के लिए पांच क्रियाकलापों को शर्त के साथ छूट प्रदान की गई है। इसके लिए डीजीपी अभिनव कुमार ने दिशा निर्देश जारी किए हैं।
नियमों का पालन न करने पर होगी कार्रवाई..
पुलिस के मुख्य प्रवक्ता डॉ. निलेश आनंद भरणे का कहना हैं कि बीते कुछ समय से देखने में आ रहा था कि पुलिसकर्मी वर्दी में सोशल मीडिया पर वीडियो प्रसारित कर रहे हैं। इसके साथ ही बहुत से प्लेटफार्म पर सरकारी आदेशों को भी हूबहू प्रसारित किया जा रहा था। जिसे देखते हुए पुलिस कर्मियों के लिए इंटरनेट मीडिया नीति बनाई गई है। नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाही की जाएगी।
सुरक्षा और साइबर सिक्योरिटी के लिए दिए हैं सुझाव..
इंटरनेट मीडिया नीति में देश में प्रचलित कई नियमों का भी हवाला दिया गया है। इसके साथ ही ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ओर से निर्धारित दिशा निर्देशों को भी इस नीति में शामिल किया गया है। नई नीति में इंटरनेट मीडिया अकाउंट की सुरक्षा और साइबर सिक्योरिटी के लिए सुझाव भी दिए गए हैं। बता दें बहुत से पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के यूट्यूब चैनल हैं। जिससे वह अच्छी खासी कमाई भी कर लेते हैं। इस नीति के अनुसार कोई भी पुलिसकर्मी इस तरह के चैनल या क्रियाकलापों से आय प्राप्त नहीं कर पाएंगे। यदि ऐसा जरुरी भी है तो इसके लिए किसी सक्षम अधिकारी से अनुमति लेनी होगी।
ये हैं प्रतिबंधित गतिविधियां
ड्यूटी के बाद वर्दी पहने किसी भी प्रकार की ऐसी वीडियो जिससे पुलिस की छवि धूमिल होती हो, इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड किया जाना प्रतिबंधित रहेगा।
सरकारी कार्य के दौरान अपने कार्यालय व कार्यस्थल पर वर्दी में वीडियो व रील बनाने और किसी भी कार्मिक की ओर से अपने व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म पर लाइव टेलीकास्ट प्रतिबंधित होगा।
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पुलिस कार्मिकों की ओर से ऐसी कोई जानकारी साझा नहीं की जाएगी, जो उन्हें अपनी विभागीय नियुक्ति के कारण प्राप्त हुई हो।
किसी भी गोपनीय सरकारी दस्तावेज, हस्ताक्षरित रिपोर्ट या पीड़ित के प्रार्थनापत्र को सरकारी या व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं डाला जाएगा।
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पुलिस के ‘सराहनीय कार्य’ से संबंधित पोस्ट में आरोपियों की फोटो व वीडियो सरकारी और व्यक्तिगत इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर ब्लर करने के बाद ही प्रसारित होगी।
जिन आरोपियों की शिनाख्त परेड बाकी है उनका चेहरा इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित नहीं होगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्राप्त पोस्ट, फोटो, वीडियो को बिना सत्यापन के फॉरवर्ड नहीं किया जाएगा।
पुलिस कर्मियों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किसी भी व्यक्ति को ट्रोल या बुली नहीं किया जाएगा।
सरकारी और व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पुलिस कार्मिकों द्वारा मित्रों का चयन करते समय सतर्कता बरतना अपेक्षित है। पुलिसकर्मी ऐसे किसी व्यक्ति को मित्र न बनाए या फॉलो न करें जो असामाजिक और आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो।
पुलिसकर्मियों द्वारा गश्त या वाहन चैकिंग के दौरान मौके पर मोबाइल से फोटो या वीडियो लेते समय Geo Tagging के विकल्प को बंद रखा जाएगा।