देहरादून में 29 नवंबर को ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल का आह्वान..
उत्तराखंड: केंद्र सरकार की अधिसूचना के खिलाफ देहरादून में स्वचालित फिटनेस स्टेशन खोले जाने का विरोध करते हुए निजी ट्रांसपोर्टरों ने मंगलवार 29 नवंबर को जिले में नाकाबंदी कर विधानसभा तक मार्च निकालने का आह्वान किया है। ट्रांसपोर्टरों का कहना हैं कि एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए परिवहन विभाग के अधिकारियों ने फिटनेस स्टेशन बनाया है और वहां वाहनों को ले जाने का दबाव बनाया जा रहा है.
देहरादून महानगर सिटी बस सर्विस फेडरेशन ने गढ़वाल के सभी वाहनों को एक ही फिटनेस सेंटर में जांच के लिए भेजने का विरोध किया है। महासंघ के मुताबिक इसके विरोध में 29 नवंबर को परिवहन व्यवसायी विधानसभा तक मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की अधिसूचना को लागू करने में परिवहन आयुक्त कार्यालय असमर्थता दिखा रहा है। जबकि केंद्र की गाइडलाइन में स्पष्ट है कि भारी वाहनों के लिए एक अप्रैल 2023 से और छोटे वाहनों के लिए एक जून 2024 से फिटनेस सेंटर अनिवार्य रूप से शुरू हो जाएं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डोईवाला के लालतपड़ में वाहनों की फिटनेस के लिए पीपीपी मोड पर बने ऑटोमेटेड फिटनेस स्टेशन का उद्घाटन किया था।इस स्टेशन के बनने के बाद आरटीओ कार्यालय में हो रहे फिटनेस कार्य को बंद कर दिया गया है।ट्रांसपोर्टर शुरू से ही इसका विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि डोईवाला पहुंचने के लिए डीजल के दाम बढ़ रहे हैं और प्रत्येक वाहन पर पांच से छह हजार रुपये अतिरिक्त खर्च हो रहे हैं. इसके विरोध में ट्रांसपोर्टरों ने एक दिन पहले शुक्रवार को परिवहन मुख्यालय जाकर परिवहन आयुक्त से मुलाकात की थी, लेकिन आयुक्त ने निर्णय पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
केंद्र ने आदेश दिया है कि 1 अप्रैल 2023 से सभी बड़े वाहनों, बसों और ट्रकों को फिटनेस के लिए ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर जाना होगा।बाकी छोटे वाहनों पर यह नियम 1 जून 2024 से लागू होगा। आरोप है कि यहां तक कि इससे पहले उत्तराखंड के परिवहन अधिकारी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए मनमानी कर रहे हैं।
सकारात्मक फैसला न लेने की वजह से बैंककर्मियों की दो दिवसीय हड़ताल..
उत्तराखंड: महासंघ युनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के आह्वान पर आज और कल राष्ट्रीयकृत बैंकों के बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे। ऐसे में इन बैंकों में 16 और 17 दिसंबर को कोई कामकाज नहीं होगा। इसके साथ ही उत्तराखंड ग्रामीण बैंकों ने दो दिवसीय हड़ताल को नैतिक समर्थन देने का फैसला लिया है।
बैंककर्मियों का कहना हैं कि शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अधिनियमों में परिवर्तन कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की सरकार की मंशा का हम सख्त विरोध करते हैं। लंबे समय से आंदोलन करने के बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक फैसला न लेने की वजह से दो दिवसीय हड़ताल करने का फैसला लिया गया है।
आपको बता दे कि 16-17 दिसंबर को राष्ट्रीयकृत बैंकों के बैंककर्मी एस्लेहाल स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सामने हड़ताल कर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। बैंककर्मियों ने कहा कि बैंकों का निजीकरण होने से बैंककर्मियों के साथ ही लोगों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। यूएफबीयू के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल का कहना हैं कि बैंकों का निजीकरण कर सरकार कॉर्पोरेट पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। इसके विरोध में 16-17 दिसंबर को बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे।
उनका कहना हैं कि सरकारी बैंक आम नागरिकों को सस्ती बैंकिंग सेवा उपलब्ध कराते हैं। लेकिन इन बैंकों का निजीकरण होने से जहां एक ओर लोगों को महंगी बैंकिंग सेवाएं मिलेंगी। उसके साथ ही इसका रोजगार पर भी बुरा असर पड़ेगा।
उधर, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक अधिकारी संगठन के महासचिव भुवनेंद्र बिष्ट ने कहा कि बैंकों के दो दिवसीय हड़ताल का संगठन नैतिक समर्थन करता है। हालांकि बैंकों में कामकाज जारी रहेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने फरवरी में पेश केंद्रीय बजट में घोषणा की थी कि दो सरकारी बैंकों का निजीकरण किया जाएगा। सरकार अपने विनिवेश कार्यक्रम के तहत यह निजीकरण करने जा रही है।