15वें वित्तीय आयोग (Fifteenth Finance Commission, XVFC) ने वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) को सौंपी। आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह (N K Singh) के नेतृत्व में सदस्य अजय नारायण झा, प्रो. अनूप सिंह, डॉ. अशोक लाहिड़ी, डॉ. रमेश चंद व सचिव अरविंद मेहता ने राष्ट्रपति से भेंट कर यह रिपोर्ट सौंपी।
आयोग द्वारा एक अधिकृत वक्तव्य में कहा गया है कि विचारणीय विषय (Terms of Reference,ToR)) की शर्तों के अनुसार, आयोग को 2021-22 से 2025-26 तक यानी पांच साल की अवधि के लिए 30 अक्टूबर, 2020 तक अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करना अनिवार्य था। पिछले साल आयोग ने वर्ष 2020-21 के लिए अपनी सिफारिशों वाली रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। जिसे केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया था और यह रिपोर्ट 30 जनवरी, 2020 को संसद के पटल पर रखी गई थी।
आयोग से अपने विचारणीय विषयों में अनेक विशिष्ट और व्यापक मुद्दों पर अपनी सिफारिशें देने के लिए कहा गया था। ऊर्ध्वाधर (vertical) और क्षैतिज (horizontal) कर विचलन, स्थानीय सरकारी अनुदान, आपदा प्रबंधन अनुदान के अलावा, आयोग को विद्युत क्षेत्र, डीबीटी को अपनाने, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों में राज्यों के कार्य प्रदर्शन प्रोत्साहनों की जांच करने और सिफारिश करने के लिए भी कहा गया था। आयोग से यह जांचने के लिए कहा कि क्या रक्षा और आंतरिक सुरक्षा के वित्तपोषण के लिए एक अलग तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए और यदि ऐसा है तो इस तरह के तंत्र का संचालन कैसे किया जा सकता है? केंद्र सरकार को प्रस्तुत की जाने वाली इस रिपोर्ट में आयोग ने अपने सभी विचारणीय विषयों का निपटान करने की मांग की रखी है।
यह रिपोर्ट चार खंडों में तैयार की गई है। खण्ड-I और खण्ड-II में पहले की तरह मुख्य रिपोर्ट और उसके साथ के अनुलग्नक संलग्न हैं। खण्ड-III केंद्र सरकार को समर्पित है और इसमें मध्यम अवधि की चुनौतियों और आगे के रोडमैप के साथ प्रमुख विभागों की गहराई से जांच की गई है। खण्ड-IV पूरी तरह से राज्यों के लिए समर्पित है। आयोग ने बड़ी गहराई से प्रत्येक राज्य के वित्त का विश्लेषण किया है और प्रत्येक राज्य के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने के लिए राज्य के लिए विशिष्ट विचार-विमर्श को दर्शाया है।
रिपोर्ट में निहित सिफारिशों के बारे में स्पष्टीकरण ज्ञापन और कार्रवाई की गई रिपोर्ट के साथ एक बार केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किए जाने के बाद,यह रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। इस रिपोर्ट का कवर और शीर्षक ‘कोविड के दौरान वित्त आयोग’ (Finance Commission in Covid Times) रखा गया है। राज्यों और केंद्र के बीच संतुलन को दर्शाने के लिए कवर पर तराजू का उपयोग किया गया है।