उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को अब ऋषिकेश एम्स में कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। यह सुविधा एक्स-सर्विसमैन कॉन्ट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) के तहत प्रदान की जाएगी।
एमओयू पर हुआ हस्ताक्षर
अब तक पूर्व सैनिकों को ऋषिकेश एम्स में कैशलेस इलाज की सुविधा नहीं मिलती थी, जिससे उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इस समस्या को हल करने के लिए ईसीएचएस देहरादून और ऋषिकेश एम्स के बीच एक समझौता (MoU) हुआ है। इस पर उत्तराखंड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल प्रेम राज और एम्स ऋषिकेश के कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ ने हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को भी लाभ मिलेगा। ईसीएचएस निदेशक ने इसे पूर्व सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल बताया है।
दून अस्पताल में एक क्लिक पर मिलेगा मरीजों का डिजिटल रिकॉर्ड
देहरादून मेडिकल कॉलेज में ‘ई-हॉस्पिटल’ सॉफ्टवेयर का नया वर्जन ‘नेक्स्ट जेन’ शुरू किया गया है, जिससे अस्पताल की व्यवस्थाएं पहले से अधिक सुचारु हो जाएंगी।
नई सुविधाएं
. मरीज के पर्चे पर डॉक्टर का नाम और ओपीडी-डे पहले से दर्ज होगा।
. डॉक्टर का लोकेशन भी दर्ज होगा, जिससे मरीजों को सही जानकारी मिलेगी।
. अब कोई डॉक्टर दूसरे डॉक्टर की आईडी से मरीज को भर्ती नहीं कर सकेगा।
. इससे यह भी पता चलेगा कि किस डॉक्टर ने कितने मरीज देखे और कितनों को भर्ती किया।
. ओटी मॉड्यूल शुरू हो गया है, जिससे ऑपरेशन से जुड़ा पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा।
. जल्द ही फार्मेसी और भंडारण मॉड्यूल भी जोड़ा जाएगा, जिससे दवाओं का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जा सकेगा।
हालांकि, शुक्रवार को सॉफ्टवेयर बार-बार हैंग होने के कारण ओपीडी, इमरजेंसी और भर्ती प्रक्रियाओं में परेशानी आई। अधिकारियों के मुताबिक, समस्या जल्द ही ठीक कर ली जाएगी।
एम्स ऋषिकेश 12 वर्षों में देश के सर्वोच्च 50 चिकित्सा संस्थानों की सूची शामिल..
उत्तराखंड: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने बीते 12 वर्षाें में देश को 574 चिकित्सक दिए हैं। वहीं, चिकित्सा के क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए देश के सर्वोच्च 50 चिकित्सा संस्थानों की सूची में 22वें स्थान पर अपनी जगह बनाई है।एम्स ऋषिकेश का शिलान्यास 1 फरवरी 2004 को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सुषमा स्वराज ने किया था। भवन निर्माण आदि पूरा होने के बाद 27 मई 2013 से एम्स में ओपीडी की शुरुआत हुई। इसी वर्ष 30 दिसंबर से आईपीडी की सुविधा भी शुरू की गई थी। सितंबर 2012 से एम्स में एमबीबीएस बैच की शुरुआत भी हुई। वर्ष 2014 में यहां नर्सिंग काॅलेज का संचालन शुरू किया गया। स्थापना के बाद से एम्स ने स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में लगातार नए आयाम स्थापित किए। विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन के साथ ही अपने मेडिकल कॉलेज के माध्यम से एम्स अब तक 574 एमबीबीएस तैयार कर देश की सेवा में समर्पित कर चुका हैं।
एमबीबीएस की 125 सीटें..
एम्स के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस पाठ्यक्रम की 125 सीटें हैं। वर्तमान में यहां एमडी, एमएस, एमडीएस, डीएम, एमसीएच, पीएचडी, मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ, एमएससी नर्सिंग और बीएससी एलाइड हेल्थ के पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। चिकित्सकों को तैयार करने के लिए 214 फैकल्टी हैं। जिसमें 60 प्रोफेसर, 64 एडिशनल प्रोफेसर, 60 एसोसिएट प्रोफेसर और 30 असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। हालांकि फेकल्टी के कुल 305 पद स्वीकृत हैं।
एक साल में 27 पायदान ऊपर चढ़ी एम्स की रैंकिंग..
एम्स ऋषिकेश ने एक साल में नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क की रैंकिंग में 27 पायदान का सुधार किया है। वर्ष 2022 में एम्स की रैंकिंग में 49वें स्थान पर थी। 2023 की रैंकिंग में जबरदस्त सुधार करते हुए 22वें पायदान पर स्थान बनाया है।
एम्स में देश की सर्वश्रेष्ठ सिमुलेशन लैब..
आपको बता दे कि सिम्युलेशन लैब का उद्घाटन वर्ष 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। इसे एडवांस सेंटर ऑफ मेडिकल सिम्युलेशन एंड स्किल्स नाम दिया गया। यह लैब एक मल्टी डिपार्टमेंट की भांति कार्य करती है। जिसमें प्रशिक्षण, वर्कशॉप, कॉन्फ्रेंस आदि गतिविधियां संचालित की जाती हैं। अभी तक इस लैब से मेडिकल क्षेत्र के 29 हजार 469 लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। संस्थान की डीन एकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने बताया कि संस्थान में स्थापित सिम्युलेशन लैब देश की सर्वश्रेष्ठ है।