बद्रीनाथ धाम में VIP कल्चर को लेकर धरने पर बैठे पंडित-पुरोहित और व्यापारी, SDM ने VIP व्यवस्था खत्म करने की घोषणा की..
उत्तराखंड: देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है। रविवार को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए। चारधाम यात्रा शुरू होते ही धामों में व्यवस्थाओं और यात्रियों की सुविधाओं को लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और स्थानीय लोगों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। जिसके बाद बद्रीनाथ धाम में वीआईपी व्यवस्था खत्म हो गई है। उप जिलाधिकारी जोशीमठ ने धरनास्थल पर आकर इसकी सार्वजनिक घोषणा की है। बद्रीनाथ मंदिर समिति द्वारा विगत वर्ष शुरू की गई वीआईपी दर्शन की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है। उप जिलाधिकारी जोशीमठ द्वारा धरना स्थल पर आकर घोषणा सार्वजनिक की गई है। बता दें सोमवार सुबह से तीर्थ पुरोहितों के साथ पंडा समाज और स्थानीय लोग वीआईपी कल्चर ख़त्म करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे हुए थे।
स्थानीय लोगों का कहना था कि बामणी गांव जाने वाले पैदल रास्ते पर वीआईपी दर्शन के लिए एक कार्यालय बनाया गया है। जिससे वहां पर गांव की तरफ जाने वाले लोगों के मार्ग को बंद कर दिया गया है। गांव के लोगों को इस रास्ते से गुजरने नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन की लापरवाही की वजह से आम जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है।
27 अप्रैल को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट..
उत्तराखंड: बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रियाओं के तहत आज मंगलवार को जोशीमठ नृसिंह मंदिर से बद्रीनाथ के रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, आदि गुरू शंकराचार्य की गद्दी और गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा के साथ योगबद्री मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना हुए। बुधवार को पांडुकेश्वर से कुबेर जी और उद्घव जी की उत्सव डोली रावल, और शंकराचार्य की गद्दी बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना होगी। जिसके बाद 27 अप्रैल को प्रात: 7 बजकर 10 मिनट पर विधि-विधान से भगवान बद्रीनाथ जी के कपाट खोल दिए जाएंगे।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने गुरुवार को सचिवालय में बद्रीनाथ-केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों को निर्धारित समय सीमा में पूर्ण कर लिया जाए।
उन्होंने केदारनाथ धाम हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा जुलाई, 2021 के प्रथम सप्ताह तक समुचित स्टाफ की तैनाती किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने मंदाकिनी नदी पर निर्मित सुरक्षा दीवार की सुदृढ़ता एवं वर्तमान स्थिति की जांच रिपोर्ट एक माह के भीतर प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए गए। जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग ने बताया कि केदारनाथ में सम्बन्धित व्यक्तियों हेतु भूमिधरी के अधिकार का शासनादेश हो गया है। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि उनके म्यूटेशन की कार्यवाही भी शीघ्र पूर्ण की जाए।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बद्रीनाथ धाम में कराए जाने वाले कार्यों को ससमय प्रारम्भ कर निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत कार्यों को पूर्ण करने हेतु कार्य योजना तैयार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने सभी कार्यों में गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिए जाने के भी निर्देश दिए।
इस अवसर पर सचिव अमित नेगी, दिलीप जावलकर, एस.ए. मुरुगेशन, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बन्धित जनपदों से जिलाधिकारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
हिंदुओं के विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट इस वर्ष 18 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। मंगलवार को बसंत पंचमी के अवसर पर विधि-विधान के साथ कपाट खोलने की तिथि निर्धारित की गई।
उत्तराखंड के चमोली जनपद में लगभग 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि हर वर्ष बसंत पंचमी को तय की जाती है। प्राचीन परंपरा के अनुसार नरेंद्रनगर (टिहरी) स्थित राजदरबार में महाराजा मनुजयेन्द्र शाह की उपस्थिति में आयोजित एक समारोह में कपाट खुलने की तिथि तय की गई। पंडित कृष्ण प्रसाद उनियाल एवं विपिन उनियाल ने पूजा-अर्चना व पंचाग गणना की और परंपरानुसार महाराजा ने कपाट खुलने की तिथि घोषित की। इस वर्ष मंगलवार, 18 मई को प्रातः 4 :15 बजे विधि-विधान के साथ बद्रीनाथ के कपाट खोले जाएंगे।
इस अवसर पर बदरीनाथ धाम के रावल ईश्वरीप्रसाद नंबूदरी, टिहरी सांसद महारानी माला राज्यलक्ष्मी शाह, गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत , पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह गांववासी, चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष शिवप्रसाद ममगाईं, उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम् प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी, डा. हरीश गौड़ सहित डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत पदाधिकारी हरीश डिमरी, पंकज डिमरी, विनोद डिमरी, सुरेश डिमरी, आशुतोष डिमरी आदि मौजूद रहे।
प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट गुरुवार को वैदिक विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। गुरुवार को ही हिमालय में स्थित द्वितीय केदार के रूप में पूजे जाने वाले भगवान मद्महेश्वर के कपाट भी बंद हो गए।
कपाट बंद होने के मौके पर बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से भव्य सजाया गया था। ब्रह्म मुहुर्त में मंदिर को पूजा के लिए खोला दिया गया था। इसके बाद नित्य भोग लगा कर अपराह्न में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।
परंपरा के अनुसार बद्रीनाथ के निकट स्थित माणा गांव की महिलाओं द्वारा बुना गया घृत कंबल भगवान बद्रीविशाल को ओढ़ाया गया। इसके साथ ही विभिन्न धार्मिक रस्मों का निर्वहन करते हुए अपराह्न 3 बजकर 35 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए।
इस अवसर पर उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन उनियाल सहित प्रशासन, पुलिस व सेना के अधिकारी मौजूद रहे।
उधर, मद्महेश्वर में मुख्य पुजारी टी.गंगाधर लिंग ने स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा कर कपाट बंद होने की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद बाबा मद्महेश्वर की डोली ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए रवाना हुई। शीतकाल में भगवान मद्महेश्वर की पूजा- अर्चना उखीमठ में ही होती है।
उत्तराखंड स्थित विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट रविवार को शीतकाल के लिए बंद हो गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु व तीर्थ-पुरोहित मौजूद रहे।
अन्नकूट– गोवर्द्धन पूजा के पर्व पर विधिवित पूजा-अर्चना के बाद 12:15 बजे कपाट बंद होने की रस्म पूरी हुई। कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की उत्सव डोली शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा के लिए रवाना हुई। इसके बाद श्रद्धालु अब आगामी छह माह तक मुखबा में ही मां गंगा के दर्शन कर सकेंगे।
कपाट बंद होने तथा उत्सव डोली के प्रस्थान के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष मात्र साढ़े तेईस हजार श्रद्धालुओं ने ही मां गंगा के दर्शन किए।
इधर, द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के अवसर पर 16 नवंबर को बंद होंगे।केदारनाथ धाम में आज कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इस क्रम में आज विधि-विधान के साथ बाबा केदार की चल-विग्रह डोली का पूजन किया गया। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी उपस्थित रहेंगे।
16 नवम्बर को ही श्री यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद होंगे। जबकि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर बंद होंगे। द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर के कपाट भी 19 नवंबर को बंद हो रहे हैं। तृतीय केदार श्री तुंगनाथ के कपाट 4 नवंबर और चतुर्थ केदार श्री रूद्रनाथ के कपाट 17 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं।