हरकी पैड़ी से आज निकलेगी कांग्रेस की प्रतिष्ठा रक्षा पदयात्रा..
उत्तराखंड: कांग्रेस की केदारनाथ धाम बचाओ यात्रा आज से शुरू हो गई है। हरिद्वार में हरकी पैड़ी से केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा शुरू की गई है। केदारनाथ बचाओ यात्रा में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेता शामिल हैं। कांग्रेस की केदारनाथ बचाओ यात्रा का आज से आगाज हो गया गया है। यात्रा की शुरूआत हरकी पैड़ी से पूजा-अर्चना के साथ हुआ है। ये यात्रा धर्म नगरी हरिद्वार से केदारनाथ तक जाएगी। कांग्रेस के बड़े नेता यात्रा में शामिल हैं। पूर्व मुख्य मंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या, चकराता विधायक प्रीतम सिंह प्रीतम भी यात्रा में मौजूद हैं।
कांग्रेस का कहना है कि सनातन धर्म की जागरूकता के लिए केदारनाथ बचाओ यात्रा निकाली जा रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि दिल्ली में श्री केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर निर्माण का वो विरोध करते रहेंगे। बता दें कि केदारनाथ बचाओ यात्रा में लगातार साथ चलने के लिए 80 कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का पंजीकरण किया गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का कहना हैं कि ये यात्रा केदारनाथ के कई मुद्दों को लेकर की जा रही है।
केदारनाथ में हुई सोने की चोरी का क्या हुआ ? उन्होंने कहा कि बीकेटीसी के अध्यक्ष कहते हैं कि इतना सोना था ही नहीं लेकिन जब अखबारों में खबरें आ रहीं थी को इनका खंडन क्यों नहीं किया गया ? उन्होंने कहा कि जांच से क्यों बचा जा रहा है जो निर्दोष है उसे तो जांच से डरना ही नहीं चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कृष्णा माई की गुफा का नाम पीएम मोदी के नाम पर करने और उसके लिए पैसे लिए जाने का भी विरोध किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम का इस्तेमाल ट्रस्ट बनाने और मंदिर बनाने का विरोध किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल पूछा है कि केदारनाथ धाम का चांदी कहां गया ? इसका जवाब बीकेटीसी को देना चाहिए।
उत्तराखंड। केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में लगे सोने को पीतल में बदलने का सबसे पहले वीडियो वायरल करने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं। भाजपा ने केदारनाथ आपदा के समय आपदा राहत कार्यों को लेकर ना केवल तत्कालीन कांग्रेस सरकार को घेरा है, बल्कि आपदा घोटाले में मनोज रावत को भी कठघरे में खड़ा किया है।
भाजपा ने केदारनाथ में स्वर्णमंडन के कार्य में घोटाले का आरोप लगाने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें केदारनाथ आपदा में हुए घोटालों पर सही स्थिति जनता के सामने रखने की जरूरत है, क्योंकि सभी मामले उनके क्षेत्र से जुड़े हैं और उन्हें धार्मिक स्थलों को की छवि से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता बिपिन कैन्थोला ने कहा कि केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले में कांग्रेस घृणित राजनीति कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश पर मनोज रावत के नेतृत्व में केदारनाथ गए दल ने प्रेस कांफ्रेंस में जो आरोप लगाए वो भ्रामक व तथ्यहीन हैं। कांग्रेस नेताओं ने अब तक जितने भी आरोप लगाए हैं, उनका श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा बिंदुवार जवाब दे दिया गया है। इसके बावजूद कांग्रेस नेता बेवजह के आरोप-प्रत्यारोप लगा कर केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल करने का दुष्प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने को लेकर तमाम आरोप लगा रहे हैं। मगर उनके द्वारा अभी तक इसका कोई भी दस्तावेज अथवा प्रमाण जनता के सामने नहीं रखा गया है। इसके विपरीत केदारनाथ आपदा के समय आपदा के लिए आयी राहत राशि में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किस प्रकार से बंदरबांट की, यह जग जाहिर है। आपदा पीड़ितों के हिस्से की धनराशि को अनाप-शनाप तरीके से खर्च किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत को तत्कालीन हरीश रावत सरकार द्वारा “हिटो-केदार” अभियान के नाम पर लाखों रूपये दिए गए। आपदा के पैंसे को ट्रैकिंग के नाम पर लुटा दिया गया। गढ़वाल मंडल विकास निगम के माध्यम से माऊंटेनियर्स एंड ट्रैकर्स एसोसियशन (माटा) नाम की एक संस्था को आनन-फानन में ट्रैकिंग अभियान संचालित करने का जिम्मा सौंप दिया गया। माटा संस्था का सोसायटी रजिस्ट्रार के यहां 22 सितंबर, 2016 को पंजीकरण किया गया और उसी माह इस संस्था को ट्रैकिंग अभियान संचालित करने की अनुमति दे गयी।
इस संस्था के अध्यक्ष कांग्रेस नेता मनोज रावत थे। इस प्रक्रिया में नियम-कानूनों का किसी प्रकार से पालन नहीं किया गया। इस संस्था के पास किसी प्रकार का अनुभव नहीं था। ना ही संस्था के चयन के लिए कोई प्रक्रिया अपनायी गयी। मनोज रावत की संस्था को किस आधार पर यह कार्य दिया गया, इसमें प्रतिभागियों का चयन किसने किया और वो कौन थे, ये कहीं स्पष्ट नहीं है।
भाजपा नेता हार्दिक पटेल ने फेसबुक पर अभद्र टिप्पणियों के चलते बंद किया कमेंट बॉक्स..
देश-विदेश: कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हार्दिक पटेल को फेसबुक पर अभद्र टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। इसके कारण उन्हें अपना कमेंट बॉक्स बंद करना पड़ा। गुजरात के चर्चित पाटीदार आरक्षण आंदोलन से उभरे नेता हार्दिक पटेल को लगातार धमकियां भी मिल रही थीं, इसलिए उन्हें पुलिस सुरक्षा भी मुहैया कराई गई है। आपको बता दे कि हार्दिक पटेल ने मंगलवार को फेसबुक पोस्ट लिखकर लोगों से भाजपा में शामिल होने की अपील की थी। यह गुजरात भाजपा के सदस्यता अभियान के सिलसिले में की गई थी। इसमें सोशल मीडिया यूजर्स से अपील की थी कि वे मिस्ड कॉल के जरिए भाजपा की सदस्यता लें। अपील के पोस्टर में पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ हार्दिक पटेल की तस्वीर थी।
150 से ज्यादा अभ्रद टिप्पणियां की गईं..
हार्दिक की यह अपील पोस्ट होते ही उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणियों का सिलसिला शुरू हो गया। लोग उनके कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने पर सवाल उठाने लगे। पोस्ट के नीचे 150 से ज्यादा अभद्र टिप्पणियां की गईं। यह देखकर पटेल को अपना कमेंट बॉक्स बंद करना पड़ा।
गुजरात के बड़े पाटीदार नेता के रूप में उभरे 28 वर्षीय हार्दिक पटेल ने 2 जून को भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। इसके पूर्व उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व व नीतियों को लेकर सवाल खड़े किए थे। इस मौके पर हार्दिक ने भाजपा की टोपी धारण की थी। गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल व वरिष्ठ नेता नितिन पटेल ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई थी। इस साल दिसंबर में गुजरात विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए हार्दिक का पार्टी में शामिल होना भाजपा के लिए लाभकारी तो कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना गया। अब देखना होगा कि भाजपा आगामी चुनाव में उन्हें कितनी अहमियत देती है
बिहार (Bihar) विधान सभा चुनावों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों में हुए उप चुनावों में कांग्रेस (Congress) की करारी हार को शायद पार्टी नेता पचा नहीं पा रहे हैं। चुनाव परिणामों के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने बुधवार को जमकर अपनी भड़ास निकाली। सिलसिलेवार एक के बाद एक करीब दर्जन भर ट्वीट कर दिग्गी राजा ने नेहरु-गांधी परिवार के प्रति अपनी स्वामी भक्ति प्रदर्शित करते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को देश का एकमात्र ऐसा नेता करार दिया है, जो विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विरुद्ध भी आग उगली। यही नहीं उन्होंने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को बेतुका सुझाव दिया है कि वो भाजपा का साथ छोड़ कर देश की राजनीति में सक्रिय हो जाएं और बिहार में तेजस्वी यादव को अपना आशीर्वाद दें। अपने ट्वीट के बाद दिग्गी राजा यूजर्स के निशाने पर आ गए और जम कर ट्रोल हो रहे हैं।
अक्सर अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले दिग्गी राजा ने जिस अंदाज में ट्वीट किए हैं, उससे यह साफ़ लग रहा है कि वे बिहार विधान सभा चुनावों और मध्य प्रदेश उप चुनावों में कांग्रेस की करारी हार से सदमे में हैं। दिग्विजय जितने दुःखी कांग्रेस की हार से हैं, उससे अधिक भाजपा की जीत से लग रहे हैं। भाजपा की जीत के बहाने वो संघ पर निशाना साधने का मौका नहीं चूके और संघ को देश बांटने वाला बता दिया। दिग्विजय ने ट्वीट में कहा कि – ”मैं संघ की विचारधारा का घोर विरोधी हूँ क्योंकि वह भारत की सनातनी परंपराओं व सनातन धर्म की मूल भावना के विपरीत है। यह देश सबका है।” हालांकि, इस ट्वीट में उन्होंने संघ की इस बात के लिए सराहना भी की है कि ”वे अपने लक्ष्य और अपनी विचारधारा के साथ समझौता नहीं करते।” साथ ही उन्होंने कहा की संघ केवल समाज को बांट कर राजनीति करता है।
दिग्विजय सिंह ने नेहरु-गांधी खानदान के प्रति पूरी निष्ठा जताई है और कहा कि – ”मुझे विश्वास है नेहरु-गांधी परिवार के नेतृत्व में हम जनता का विश्वास फिर जीतेंगे। भाजपा ‘जन बल’ को दबाने के लिए ‘धन बल’ का भरपूर उपयोग करेगी। लेकिन देश में भाजपा के नेतृत्व में गिरती अर्थव्यवस्था बड़ती बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ गरीब मज़दूर किसान व वंचित वर्गों के साथ खड़ा होना पड़ेगा।” दिग्विजय ने राहुल गांधी को देश का ”एकमात्र” ऐसा नेता बताया है, जो विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने NDA के सहयोगी दलों को नसीहत देते हुए कहा है कि उन्हें समझना चाहिए राजनीति विचारधारा की होती है। जो भी व्यक्ति अपनी महत्वाकांक्षा के कारण विचारधारा को छोड़कर अपने स्वार्थ के लिए समझौता करता है, वह अधिक समय तक राजनीति में जिंदा नहीं रहता। इस क्रम में उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील की है कि वे भाजपा का साथ छोड़ कर तेजस्वी यादव को अपना आशीर्वाद दें और नीतीश बिहार छोड़ कर देश की राजनीति में सक्रिय हों।
नीतीश कुमार को यह सलाह देते समय दिग्विजय सिंह उन्हें याद दिला रहे हैं कि – ”यही महात्मा गांधी जी व जयप्रकाश नारायण जी के प्रति सही श्रद्धांजलि होगी। आप उन्हीं की विरासत से निकले राजनेता हैं वहीं आ जाइए। आपको याद दिलाना चाहूंगा जनता पार्टी संघ की Dual Membership के आधार पर ही टूटी थी। भाजपा/संघ को छोड़िए। देश को बर्बादी से बचाइए।” नीतीश कुमार को यह ”याद” दिलाते समय दिग्विजय सिंह को शायद यह याद नहीं रहा कि जयप्रकाश नारायण ने कांग्रेस के भ्रष्टाचार व तानाशाही पूर्ण रवैये के खिलाफ ही आंदोलन छेड़ा था। परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था। दिग्विजय सिंह के इस विवेकहीन तर्क पर किसी के भी पास हंसने के अलावा कोई अन्य विकल्प शायद ही होगा।
मध्य प्रदेश विधान सभा उप चुनावों के परिणामों का विश्लेषण करते हुए दिग्गी राजा गजब के तर्क देते हैं। मंगलवार को आए परिणामों में प्रदेश की 28 सीटों में से 19 भाजपा की झोली में गई और कांग्रेस को 9 पर ही संतुष्ट होना पड़ा था। इस पर दिग्विजय सिंह कहते हैं कि लोग समझते थे की ज्योतिरादित्य सिंधिया के जाने के बाद कांग्रेस समाप्त हो जाएगी। पर नई कांग्रेस खड़ी हो गई। दिग्गी राजा के अर्थों में कहें तो मध्य प्रदेश में 28 में से 9 सीटें मिलने से नई कांग्रेस खड़ी हो गई। यानी दिग्विजय सिंह को इतनी सीटें भी मिलने की उम्मीद नहीं थी। इस ट्वीट से यह भी लग रहा है कि दिग्विजय को कांग्रेस की विजय-पराजय से अधिक मतलब सिंधिया को सबक सीखाने पर था। यहां यह भी बता दें की मध्य प्रदेश की ये 28 सीटें कांग्रेस के पास ही थीं। सिंधिया के भाजपा में शामिल होने पर इन सभी विधायकों ने त्याग-पत्र दे दिए थे। जिन पर उप चुनाव हुए थे। बहरहाल, इन ट्वीट के कारण दिग्विजय ट्रोल हो रहे हैं।
कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) द्वारा प्रदेश की महिला व बाल विकास मंत्री और भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी (Imarti Devi) को ‘आइटम’ कहने के मामले ने तूल पकड़ दिया है। भाजपा के साथ-साथ बसपा नेत्री मायावती भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर हो गई है। भाजपा ने जहां सोमवार को बयान के विरोध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भोपाल में मौन व्रत रखा, वहीं मायावती ने ट्वीट कर दलित महिला पर की गई टिप्पणी को लेकर कांग्रेस हाई कमान से सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगने को कहा। इधर, इमरती देवी ने कमलनाथ को पागल कहा है।
ये है मामला
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश की 28 विधान सभा सीटों के लिए 3 नवम्बर को उप चुनाव होने जा रहे हैं। इस क्रम में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को डबरा विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक जनसभा को संबोधित किया। अपने सम्बोधन के दौरान कमलनाथ ने इस सीट से भाजपा प्रत्याशी इमरती देवी पर अभद्र टिप्पणी कर दी और उन्हें ‘आइटम’ कहा।
ये क्या आइटम है ? ये क्या आइटम है ?
कमलनाथ ने कहा – सुरेश राजे जी हमारे उम्मीदवार हैं। सरल-स्वाभाव सीधे-साधे हैं। ये तो करेंगे ही। ये उसके जैसे नहीं हैं। भीड़ की तरफ सवाल उछालते हुए कमलनाथ पूछते हैं। क्या है उसका नाम ? भीड़ से आवाज आती है इमरती देवी। फिर कमलनाथ बोलते हैं – मैं क्या उसका नाम लूं ? आप तो उसको मेरे से ज्यादा पहचानते हैं। आपको तो मुझे पहले ही सावधान कर देना चाहिए था। फिर कमलनाथ ठहाके मारते हुए कहते हैं – ये क्या आइटम है ? ये क्या आइटम है ? और फिर कमल नाथ जोर से अट्टहास करते हैं। भीड़ भी उनके साथ ठहाके लगाने व शोर मचाने लगती है।
मुख्यमंत्री शिवराज ने व्यक्त की कड़ी प्रतिक्रिया
कमलनाथ की टिप्पणी सामने आते ही भाजपा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा – आज कमलनाथ जी, आज आपने अपने ओछे बयान के द्वारा कांग्रेस की विकृत और घृणित मानसिकता का फिर परिचय दिया। आपने श्रीमती इमारती देवी ही नहीं, ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की एक-एक बेटी और बहन का अपमान किया है! कमलनाथ जी, आपको किसी भी महिला के सम्मान के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसने दिया?

भाजपा ने रखा मौन व्रत
मुख्यमंत्री शिवराज समेत मध्य प्रदेश के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने कमलनाथ के बयान के विरोध में सोमवार को अलग-अलग स्थानों पर मौन व्रत रखा। शिवराज ने ट्ववीट कर कहा – मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कल एक महिला के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया, उससे मैं आहत हूँ, शर्मिंदा हूँ। आज बापू के चरणों में उनके लिए प्रायश्चित करने हेतु बैठा हूँ। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर में मौन उपवास पर बैठे।
मायावती ने कहा कांग्रेस आलाकमान मांगे माफ़ी
बसपा नेत्री सोमवार को ट्वीट कर कहा – मध्यप्रदेश में ग्वालियर की डाबरा रिजर्व विधानसभा सीट पर उपचुनाव लड़ रही दलित महिला के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम द्वारा की गई घोर महिला-विरोधी अभद्र टिप्पणी अति-शर्मनाक व अति-निन्दनीय। इसका संज्ञान लेकर कांग्रेस आलाकमान को सार्वजनिक तौर पर माफी माँगनी चाहिए।
मायावती ने कांग्रेस को सबक सीखाने को कहा
अपने दूर ट्वीट में मायावती ने कहा – साथ ही, कांग्रेस पार्टी को इसका सबक सिखाने व आगे महिला अपमान करने से रोकने आदि के लिए भी खासकर दलित समाज के लोगों से अपील है कि वे एम.पी. में विधानसभा की सभी 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में अपना वोट एकतरफा तौर पर केवल बी.एस.पी. उम्मीदवारों को ही दें तो यह बेहतर होगा।
इमरती देवी ने भी कमलनाथ को उसी अंदाज में दिया जवाब
बयान से मचे बवाल के बीच इमरती देवी ने भी उसी अंदाज में कमलनाथ को जवाब दिया है। कमलनाथ की ही तर्ज पर इमरती ने कहा है कि वह क्या जाने महिलाओं की इज्जत कैसे की जाती है। इमरती ने कमलनाथ से सवाल भी किया कि वह आइटम का मतलब बता दें। साथ में यह भी कहा कि उसकी मां-बहन बंगाल की आइटम होंगी। मंत्री ने कहा कि कमलनाथ मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पागल हो गया है। वह अभिनेत्रियों के कमर में हाथ डालकर फोटो खिंचाता है।
कौन है इमरती देवी
इमरती देवी अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखती हैं। वर्ष 2018 में वे कमलनाथ सरकार में महिला व बाल विकास मंत्री बनी थीं। वे ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक मानी जाती हैं। इस वर्ष मार्च में वह कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में सम्मिलित हो गई थीं। उन्होंने कांग्रेस छोड़ने पर विधानसभा की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया था। जुलाई में शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार होने पर इमरती देवी को फिर से महिला व बाल विकास मंत्री बनाया गया। इमरती देवी द्वारा त्यागपत्र देने के बाद रिक्त हुई सीट पर अब उप चुनाव हो रहे हैं।