बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर में जल्द ही हेली सेवा शुरू होगी. बागेश्वर के लोगों को भी हेली सेवा का इंतजार है. कई सालों से लोग हेली सुविधा का इंतजार कर रहे हैं. बागेश्वर के लोगों का वो सपना जल्द साकार होने जा रहा है. उत्तराखंड सरकार राज्य के जिलों को हेली सेवा से जोड़ने का हरसंभव प्रयास कर रही है. ताकि राज्य के लोगों समेत पर्यटक हेली का लाभ उठा सकें. हेली सेवा शुरू होने से उत्तराखंड के पर्यटन और तीर्थाटन को राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा मिलेगा. इसके लिए सरकार की ओर से पूरे प्रयास किए जा रहे हैं. यूकाडा ने बागेश्वर में हेली सेवा शुरू करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं. जल्द ही हेली सेवा का शुभारंभ देहरादून में होगा.
उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) की ओर से बागेश्वर, मसूरी और नैनीताल में जल्द हेली सेवा शुरू की जाएगी. तीनों जिलों में हेली सेवा शुरू करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इधर बागेश्वर जिला प्रशासन ने भी हेली सेवा शुरू करने को लेकर सभी तैयारियां और औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं. जल्द ही हेली सेवा का देहरादून से शुभारंभ होगा. देहरादून से बागेश्वर के गरुड़ स्थित मेलाडुगरी मैदान तक हेली सेवा शुरू होगी. बागेश्वर के मेलाडुगरी मैदान से बागेश्वर से हल्द्वानी और बागेश्वर से देहरादून के लिए हेली सुविधा प्रदान की जाएगी. हेली सेवा हफ्ते में छह दिन सुचारू रहेगी. सोमवार से लेकर शनिवार तक आप हेली सेवा का लाभ उठा पाएंगे. बागेश्वर से हल्द्वानी हेली सेवा का अनुमानित किराया 2500 से लेकर 3000 रुपये तक रहेगा. वहीं बागेश्वर से देहरादून के लिए हेली सेवा का अनुमानित किराया 4500 से लेकर 5000 रुपये तक रहेगा. बागेश्वर के स्थानीय लोगों को भी हेली सेवा का बेसब्री से इंतजार है.
बागेश्वर जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने लोकल 18 को बताया कि जिले में हेली सेवा शुरू करने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं. लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. जल्द ही तिथि निर्धारित होने के बाद सुविधा का शुभारंभ किया जाएगा. जिले में हेली सेवा शुरू होने से बागेश्वर के पर्यटन और धार्मिक स्थानों को बढ़ावा मिलेगा. जिला प्रशासन को उम्मीद है कि जिले में हेली सेवा शुरू होने से पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी होगा. पर्यटकों और यात्रियों को आधुनिक लैस सुविधाएं प्रदान की जाएगी. हेली सेवा से आप बागेश्वर में देहरादून और बागेश्वर से हल्द्वानी तक का सफर तय कर सकेंगे. देहरादून से बागेश्वर और बागेश्वर से हल्द्वानी के लिए हेरिटेज एविएशन कंपनी का चयन किया गया है. यह कंपनी बागेश्वर के लोगों को हेली सेवा प्रदान करेगी.
उत्तराखंड में पिछले तीन दिन से मौसम ने करवट बदल ली है. बीते रविवार को पर्वतीय जिले उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ और बागेश्वर के कई इलाकों में हल्कि बूंदाबांदी हुई, जिसके साथ ही तापमान में गिरावट हुइ हैं. पिछले शनिवार को 3000 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी भी हुई, जिससे सैलानियों के चेहरे खिल उठे. देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र ने आज यानी सोमवार के लिए वेदर अपडेट जारी किया है. उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिले में एक बार फिर हल्की से हल्की बारिश की संभावना जताई गई है. अन्य जिलों में मौसम शुष्क बना रहेगा.
देहरादून का अधिकतम तापमान 25.2 डिग्री सेल्सियस
बीते तीन दिन से हल्की बर्फबारी और बारिश का असर तापमान में भी देखने को मिला. हालांकि रविवार को राज्य के अधिकांश इलाकों में मौसम शुष्क बना रहा. मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक, रविवार को देहरादून का अधिकतम तापमान 25.2 डिग्री और न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. पंतनगर का अधिकतम तापमान 26.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 7.1 डिग्री सेल्सियस रहा. मुक्तेश्वर का अधिकतम तापमान 17.2 डिग्री और न्यूनतम तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस था. वहीं नई टिहरी का अधिकतम तापमान 14.6 डिग्री और न्यूनतम तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. रविवार को देहरादून का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स (Dehradun AQI) 72 दर्ज किया गया है, जो संतोषजनक श्रेणी में आता है.
पर्वतीय राज्यों में रोपवे निर्माण की राह होगी आसान..
वन भूमि के हस्तांतरण को लेकर हुआ बड़ा फैसला..
उत्तराखंड: प्रदेश के सभी पर्वतीय राज्यों में रोपवे परियोजनाओं के निर्माण की राह आसान हो गई है। अब रोपवे बनाने के लिए परियोजना के दायरे की पूरी वन भूमि के हस्तांतरण की आवश्यकता नहीं होगी। केवल पिलर वाली वन भूमि का ही हस्तांतरण कराना होगा। केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सलाहकार समिति की वन संरक्षण अधिनियम में छूट की इस सिफारिश को मंजूरी दे दी है। इससे खासतौर पर उत्तराखंड राज्य के केदारनाथ, मसूरी, नीलकंठ और यमुनोत्री रोप वे परियोजनाओं के निर्माण में तेजी आ सकेगी।
वन भूमि हस्तांतरण के नोडल मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) आरके मिश्रा ने इसकी पुष्टि की है। मिश्रा का कहना हैं कि रोपवे परियोजना के दृष्टिगत मंत्रालय की यह छूट बहुत बड़ी राहत है। वन भूमि हस्तांतरण के लिए दोगुनी भूमि का इंतजाम करना होता है। इस प्रक्रिया में समय लगता है। मंत्रालय की छूट से एक हेक्टेयर कम की वन भूमि के लिए इस प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होगी। पेड़ों का कटान भी रुकेगा। मंत्रालय ने पर्वतीय राज्यों में रोपवे निर्माण के लिए अगस्त 2019 में जो गाइडलाइन जारी की थी, उसे पूरी तरह से बहाल कर दिया है। सलाहकार समिति ने हिमाचल सरकार के गाइडलाइन में राहत देने की मांग पर ये राहत दी है। मंत्रालय के वन संरक्षण प्रभाग विज्ञानी चरन जीत सिंह ने सभी राज्यों के अपर मुख्य सचिवों व प्रमुख सचिवों (वन) को इस संबंध में पत्र भेजे हैं।
पहाड़ी क्षेत्र में रोपवे सुरक्षित और किफायती साधन..
मंत्रालय की सलाहकार समिति ने पहाड़ी क्षेत्र में रोपवे परियोजना को पर्यावरण अनुकूल गतिविधि माना है। समिति का माना कि रोपवे के निर्माण से वन क्षेत्र में न्यूनतम अतिक्रमण और न के बराबर पेड़ों का कटान होता है। दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को परिवहन के सुरक्षित और किफायती साधन उपलब्ध होता है।
प्रदेश में तीन दर्जन रोपवे निर्माण के लिए प्रस्तावित..
उत्तराखंड सरकार ने रोपवे विकास कार्यक्रम पर्वतमाला के तहत केंद्र सरकार को रोपवे निर्माण के लिए तीन दर्जन से अधिक प्रस्ताव भेजे हैं। गौरीकुंड-केदारनाथ और जोशीमठ-हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना का तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिलान्यास तक कर चुके हैं। राज्य सरकार वर्तमान में केदारनाथ, नीलकंठ, यमुनोत्री, मसूरी रोपवे परियोजनाओं के लिए वन भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। मंत्रालय के फैसले के बाद अब इन प्रस्तावों तेजी आ सकेगी। केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत रोपवे निर्माण के लिए जो राहत दी है, उससे राज्य के प्रस्तावित रोपवे प्रस्तावों पर तेजी से काम करने में मदद मिलेगी। केंद्र के फैसले के आलोक में जल्द ही सभी प्रस्तावित रोपवे परियोजनाओं में तेजी से काम करने के संबंध समीक्षा की जाएगी।