ISRO में युवाओं के लिए निकली वैकेंसी, 69,100 तक होगी सैलरी..
देश-विदेश: इसरो ने टेक्नीशियन बी पदों पर भर्ती निकाली है और साथ ही एप्लीकेशन का प्रोसेस भी शुरू कर दिया है। यानी कि जो भी युवा इस वैकेंसी का हिस्सा बनना चाहता है वे ऑफिशियल वेबसाइट isro.gov.in पर जाकर अपना आवेदन पत्र जमा कर दें। इस आर्टिकल में वैकेंसी की जरूरी और जानकारियां दी गई हैं हालांकि उम्मीदवारों को ये सलाह दी जाती है कि आवेदन से पहले एक बार ऑफिशियल नोटिफिकेशन जरूर पढ़ें-
बता दे कि आवेदन की प्रक्रिया 9 दिसंबर से शुरू हो गई है और उम्मीदवार 31 दिसंबर तक वेबसाइट पर जाकर अपना एप्लीकेशन फॉर्म जमा कर सकते हैं। ध्यान रखें कि आखिरी तारीख के बाद उम्मीदवारों को मौका नहीं दिया जाएगा। इसरो की इस भर्ती के लिए सिलेक्ट होने पर उम्मीदवारों को पे लेवल 3 के अनुसार सैलरी मिलेगी। यानी कि 21,700 रुपये से 69,100 रुपये तक सैलरी मिलेगी।
टेक्नीशियन बी पदों पर अप्लाई करने वाले उम्मीदवारों के लिए ये बेहद आवश्यक है कि उनके पास मान्यता प्राप्त संस्थान से 10वी पास और आईटीआई पास का सर्टिफिकेट होना चाहिए। योग्यता की डिटेल चेक करने के लिए नोटिफिकेशन चेक कर लें। उम्मीदवार आवेदन से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि उनकी उम्र 18 साल से 35 साल के बीच होनी चाहिए। हालांकि रिजर्व्ड कैटेगरी के उम्मीदवारों को उम्र में छूट दी जाएगी। टेक्नीशियन बी पदों पर सिलेक्ट होने के लिए उम्मीदवारों को एक लिखित परीक्षा और स्किल टेस्ट देना होगा। ऑनलाइन आवेदन करते समय उम्मीदवारों को एप्लीकेशन फीस भी देनी होगी। फीस की जानकारी नोटिफिकेशन में दी हुई है।
चंद्रयान 3- क्या फिर से सक्रिय हो पाएंगे विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर?
इसरो के पूर्व अध्यक्ष ने बताई चुनौतियां..
देश-विदेश: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरे भारत के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से इसरो आज फिर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर सकता है। इसरो के अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक नीलेश देसाई का कहना हैं कि अगर भाग्य ने साथ दिया तो दोनों से न केवल फिर संपर्क होगा, बल्कि उनके उपकरण भी उपयोग करने की दशा में मिलेंगे। हालांकि, इसके सामने काफी बड़ी चुनौतियां हैं। इसे लेकर इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर कुछ जरूरी बातें बताईं।
चिंता का विषय..
जी माधवन नायर का कहना हैं कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर लगभग दो सप्ताह से स्लीप मोड में हैं। वहां तापमान माइनस 150 डिग्री से भी ज्यादा हो सकता है। यह लगभग फ्रीजर से कुछ निकालने और और फिर उसका उपयोग करने की कोशिश करने जैसा है। उस तापमान पर बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और तंत्र कैसे एक्टिव रहते हैं, यह वास्तव में चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों के लिए पर्याप्त परीक्षण किए गए हैं। इसमें कोई शक नहीं है। इस पर भी काम किया गया कि ऐसी स्थिति के बाद भी काम करता रहे। फिर भी हमें अपना ध्यान रखना होगा। हमें भाग्य का साथ चाहिए होगा।
अगले 14 दिनों में कुछ और दूरी तक घूम सकते हैं..
बता दे कि चांद पर सूर्योदय के बाद सौर ताप उपकरणों और चार्जर बैटरियों को भी गर्म कर देगा। यदि ये दोनों शर्तें सफलतापूर्वक पूरी हो जाती हैं, तो यह काफी अच्छा मौका है कि सिस्टम फिर से चालू हो जाएगा। एक बार यह चालू हो जाए, तो यह काफी संभव है कि हम अगले 14 दिनों में कुछ और दूरी तक घूम सकते हैं और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रमा की सतह पर अधिक डेटा एकत्र कर सकते हैं।
चार सितंबर को पूरी तरह चार्ज करने के बाद स्लीप मोड में डाल दिया था..
इसरो ने इन दोनों को दो और चार सितंबर को पूरी तरह चार्ज करने के बाद स्लीप मोड में डाल दिया था, क्योंकि चंद्रमा पर रात्रि काल शुरू हो चुका था, जिसमें भयानक सर्दी और विकिरण से उन्हें गुजरना था। बीते 20 दिन में दोनों ने माइनस 120 से माइनस 200 डिग्री सेल्सियस जितनी सर्दी को सहन किया है। अब पृथ्वी के समय अनुसार 20 सितंबर की शाम से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्योदय शुरू हो गया है।