उत्तराखंड। श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति में नए मुख्य कार्याधिकारी (CEO) की नियुक्ति चर्चाओं का केंद्र बन गयी है। सेवा नियमावली को ताक पर रख कर नए सीईओ के रूप में उत्तराखंड मंडी परिषद के सचिव विजय थपलियाल की नियुक्ति के बाद शासन की मंशा पर भी सवाल उठने लग गए हैं।
गौरतलब है कि मंदिर समिति द्वारा कुछ माह पूर्व अपने कार्मिकों के लिए सेवा नियमावली तैयार कर प्रदेश कैबिनेट से पारित कराई गयी थी। वर्ष 1939 में गठित मंदिर समिति में सेवा नियमावली के बनने को एक उपलब्धि के रूप में प्रचारित किया गया था। सेवा नियमावली में अन्य बातों के अलावा सीईओ पद के लिए प्रथम श्रेणी का राजपत्रित अधिकारी होना अनिवार्य अहर्ता रखी गयी है। इसके साथ ही उक्त अधिकारी को प्रशासनिक कार्यों का अनुभव जरुरी माना गया है। मंदिर समिति में गत वर्ष शासन द्वारा अतिरिक्त मुख्य कार्याधिकारी (ACEO) का पद भी सृजित किया गया था। ACEO पद पर शासन ने पीसीएस अधिकारी की नियुक्ति का शासनादेश जारी किया है।
इसका स्पष्ट तात्पर्य है कि सीईओ पद पर वरिष्ठ PCS अथवा जूनियर आईएएस अफसर की तैनाती ही होनी थी। किन्तु शासन ने सेवा नियमावली और शासनदेशों को ताक पर रखकर मंडी समिती में सचिव स्तर के अधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल को मन्दिर समिती का सीईओ नियुक्त कर दिया। मंडी समिती सचिव पद पर समूह ग के माध्यम से नियुक्ति होती है। विभागीय पदोन्नति के बाद थपलियाल के वेतनमान में भले ही वृद्धि हुई हो, किंतु वे राजपत्रित अधिकारी की श्रेणी में नहीं हैं।
थपलियाल को सीईओ नियुक्त करने से मन्दिर समिति को कई प्रकार के अंतर्विरोधों का सामना करना पड़ रहा है। थपलियाल की कनिष्ठता और स्तर को देखते हुए अपर मुख्य कार्याधिकारी के पद पर कोई भी PCS अफसर आने को तैयार नहीं है।
यही नहीं मन्दिर समिति में पूर्व से तैनात अफसरों को भी शासन के इस निर्णय के कारण असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। मंदिर समिति में वर्तमान में मुख्य वित्त अधिकारी के पद पर तैनात अधिकारी प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी हैं और थपलियाल से कई स्तर ऊपर हैं। इसी प्रकार समिति के विशेष कार्याधिकारी सचिवालय में अनु सचिव स्तर के अधिकारी हैं।
बीकेटीसी में थपलियाल की नियुक्ति शुरु दिन से ही विवादों और चर्चाओं का केंद्र बनी रही है। धर्मस्व व संस्कृति विभाग के सचिव हरिश्चंद सेमवाल ने विगत माह 29 जुलाई को 3 वर्ष के लिए थपलियाल को प्रति नियुक्ति पर सीईओ नियुक्त करने के आदेश जारी किए। इसके बाद 30 जुलाई को मंडी परिषद के प्रबंध निदेशक बीएस चलाल ने थपलियाल को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया था। मगर आश्चर्यजनक ढंग से चार घंटे के भीतर ही मंडी परिषद ने शासन के निर्देश पर थपलियाल के अनापत्ति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया।
मंडी परिषद द्वारा आनन- फानन में अनापत्ति प्रमाण पत्र निरस्त किये जाने के करीब एक सप्ताह बाद 8 अगस्त को दुबारा से थपलियाल को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया और फिर थपलियाल ने सीईओ का कार्यभार संभाला। बहरहाल, थपलियाल की नियुक्ति को लेकर तमाम तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है। इस संबंध में संपर्क किये जाने पर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सेवा नियमावली का पालन करना और देखना शासन में धर्मस्व व संस्कृति विभाग का काम है। धर्मस्व विभाग ही इस बारे में बता सकता है। उधर, इस मामले में सचिव धर्मस्व व संस्कृति हरिश्चंद्र सेमवाल से भी बात करने की कोशिश की गई, किंतु उनसे संपर्क नहीं हो सका।
उत्तराखंड। साल 2020 में कोरोना नामक वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया की गति अनायास रोक दी थी। उत्तराखंड भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ। पहले लॉकडाउन और उसके बाद महामारी से जूझने के लिए अमल में लाई गई उपायों की लंबी श्रृंखला ने चारधाम यात्रा को लगभग ठप्प कर दिया था। इससे श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) की वित्तीय स्थिति भी डगमगा गयी थी।
महामारी के भय से उबरी दुनिया ने जब दोबारा गति पकड़ी तो प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयासों से यात्रा मार्गों पर भी हलचल नज़र आने लगी। वर्ष 2022 प्रदेश सरकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेता अजेंद्र अजय को बीकेटीसी के अध्यक्ष का दायित्व सौंपा। अजेंद्र के नेतृत्व में बीकेटीसी ने नई ऊर्जा के साथ काम शुरू किया और शासन के सहयोग से यात्रा के लिए आवश्यक अवस्थापना विकास से लेकर परिवेश निर्माण तक के कार्यों को गतिमान किया।
पूर्व में कार्मिकों के वेतन, दैनिक क्रियाकलापों के संचालन और विभिन्न अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए बीकेटीसी को आर्थिक कठिनाइयों से जूझना पड़ता था। अजेंद्र के कार्यकाल में आय के नए स्रोतों के समुचित नियोजन से बीकेटीसी का वित्तीय तलपट आशातीत लाभ दर्शाने लगा है। विगत ढाई वर्षों में बीकेटीसी की परिधि में आने वाले अनेक पौराणिक मंदिरों के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण की सराहनीय पहल की गई। इसके साथ ही यात्रा मार्गों पर स्थित विभिन्न विश्राम गृहों के उच्चीकरण के भी अभूतपूर्व कार्य किये गए।
बाबा केदार की शीतकालीन गद्दी स्थल ऊखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर परिसर में कोठा भवन के जीर्णोद्वार और मंदिर परिसर के विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की मांग स्थानीय जनता द्वारा तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है। राजनीतिक लाभ के लिए पूर्व में करीब आधा दर्जन से अधिक बार यहां पर भूमि पूजन भी किये गए। मगर अजेंद्र ने इस परियोजना को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया और वर्तमान में न्यू इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के सहयोग से पांच करोड़ रूपये की लागत से प्रथम चरण के कार्य तेजी से गतिमान हैं।
वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ धाम में पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके श्री ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण गत वर्ष एक दानीदाता के सहयोग से एक वर्ष के रिकॉर्ड समय में कराया गया। गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर परिसर में ध्वस्त हो चुके भैरव मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग क्षेत्रीय जनता करीब एक दशक से उठाती रही है। मगर अजेंद्र के प्रयासों से कुछ माह पूर्व शुरू हुआ मंदिर निर्माण का कार्य शीघ्र ही पूरा होने को है। इसके अलावा तुंगनाथ व विश्वनाथ मंदिर की जर्जर हो चुकी छतरियों का पुनर्निर्माण कार्य भी सम्पन्न कराये गए हैं।
अजेंद्र के कार्यकाल का सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित कराना रहा है। सोमनाथ, काशी विश्वनाथ, सिद्धि विनायक, राम मंदिर अयोध्या जैसे तमाम प्रमुख मंदिरों में स्वर्ण मंडित विभिन्न कार्य कराने वाले मुंबई के लाखी परिवार ने केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को पूरी तरह से स्वर्ण मंडित किया। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। मगर कुछ लोगों के दुष्प्रचार को नजरअंदाज कर दिया जाए तो वास्तव में बाबा केदार के गर्भगृह की स्वर्णमयी आभा देश-विदेश के श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुयी है।
बीकेटीसी में वित्तीय नियोजन एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। आश्चर्यजनक रूप से पूर्व में यहां इसके नियंत्रण की कोई सटीक व्यवस्था नहीं थी। अजेंद्र ने पदभार ग्रहण करते ही सबसे पहले वित्तीय पारदर्शिता के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित करने की पहल की और इस पर शासन से प्रदेश वित्त सेवा के अधिकारी की तैनाती करवाई। इससे आर्थिक गतिविधियों का नियामन त्रुटिहीन हो गया है। कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिणाम है कि बीकेटीसी आधारभूत ढांचे के विकास के लिए विभिन्न निर्माण कार्यों को सम्पादित करने के बावजूद आर्थिक दृष्टि से मजबूत स्थिति में आ गयी है। बीकेटीसी ने वर्तमान यात्राकाल में केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में यात्रा सुविधाओं के विकास के लिए प्रदेश सरकार को दस करोड़ रूपये की धनराशि प्रदान की। प्रदेश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा कि जब किसी निगम अथवा बोर्ड ने प्रदेश सरकार को सहयोग के रूप में धनराशि दी होगी।
वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय में गठित बीकेटीसी में कर्मचारियों की नियुक्ति, पदोन्नति आदि के लिए कोई पारदर्शी व्यवस्था नहीं थी और ना ही कार्मिकों के लिए कोई सेवा नियमावली थी। बीकेटीसी के इतिहास में पहली बार अजेंद्र ने इसके लिए पहल की और तमाम गतिरोधों के बावजूद सेवा नियमावली बनायीं। धार्मिक संस्थाओं के लिए इस तरह की नियमावली का निर्माण करना दरअसल एक संवेदनशील विषय रहा है। प्रचलित परंपराओं के साथ आवश्यक वैधानिक शर्तों का संयोजन एक चुनौतीपूर्ण टास्क होता है। लिहाजा, इससे पूर्व किसी ने भी इस संवेदनशील विषय को छूने का साहस नहीं किया।
प्रशासनिक व्यवस्था के निर्बाध प्रचालन और कार्य संस्कृति में बदलाव लाने के लिए भी कई प्रयास किये गए। इसमें सबसे प्रमुख निर्णय कार्मिकों का स्थानांतरण था। मंदिर समिति के इतिहास में पहली बार कार्मिकों के स्थानांतरण किये गए। स्थानांतरण प्रक्रिया ने मंदिर समिति में भूचाल ला दिया था। मगर अध्यक्ष ने कुशल प्रशासनिक क्षमता का परिचय देते हुए स्थानांतरण आदेशों को लागू करा कर छोड़ा। कर्मचारियों की लंबित पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर उनके मनोबल को बढ़ाने के साथ कार्मिकों को गोल्डन कार्ड सुविधा प्रदान करने जैसे अनेक निर्णय लिए गए।
सुधारों के क्रम में धामों में दर्शन व्यवस्था को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए बीकेटीसी ने अपना सुरक्षा संवर्ग बनाने का प्रस्ताव प्रदेश सरकार को भेजा है। इसको सरकार ने स्वीकृति दे दी है। उम्मीद है कि शीघ्र ही बदरीनाथ व केदारनाथ मंदिरों में दर्शन व सुरक्षा की कमान बीकेटीसी के सुरक्षाकर्मियों के पास होगी।
हालांकि, सुधारों की राह कभी भी आसान नहीं होती है। बीकेटीसी में भी सुधार की बयार कुछ लोगों को पसंद नहीं आयी और वे अध्यक्ष अजेंद्र के विरुद्ध लगातार बात-बेबात के मुद्दों को लेकर विवाद खड़ा करने का प्रयास करते रहते हैं। मगर अजेंद्र ने सारे विरोधों को दरकिनार करते हुए अपना अभियान जारी रखा है।
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के विरोध के बाद प्रदेश सरकार ने विगत विधानसभा चुनाव से पहले इसे भंग कर श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) को पुनर्जीवित कर दिया था। प्रदेश सरकार ने बीकेटीसी की कमान निर्विवादित व स्वच्छ छवि वाले वरिष्ठ भाजपा नेता अजेंद्र अजय को सौंपी। पूर्व में केदारनाथ आपदा घोटाला और प्रदेश में लैंड जिहाद जैसे मुद्दों को उठा कर चर्चाओं में रहे अजेंद्र अजय बीकेटीसी के अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद से फिर से न केवल खुद चर्चाओं में बने हुए हैं, बल्कि बीकेटीसी भी लगातार चर्चाओं में बनी हुई है। दरअसल, मंदिर समिति में दीमक की तरह लगे हुए कुछ लोगों ने वर्षों से ऐसी परंपरा कायम की हुयी है कि वो नए अध्यक्ष के आने पर उसे अपनी करबट में लेने की कोशिश करते हैं। यदि अध्यक्ष उनके अनुसार नहीं चलता है तो उसे घेरने और दबाब बनाने की कोशिश करते हैं। अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए बिना वजह के मुद्दों पर विवाद भी खड़ा करा देते हैं। अजेंद्र ने धामों में निजी स्वार्थों के लिए कार्य कर रहे कुछ लोगों के संगठित गिरोह पर भी चोट की और व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाने का प्रयास किया है। इस कारण अजेंद्र लगातार स्वार्थी तत्वों के निशाने पर भी हैं और उन्हें घेरने की लगातार कोशिश की जा रही है। मगर अजेंद्र इन सब की परवाह किये बगैर लगातार मंदिर समिति में सुधारों को जारी रखे हुए हैं।
अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही अजेंद्र ने सबसे पहले बीकेटीसी की कार्यप्रणाली में बदलाव के प्रयास किए। वर्ष 1939 में अंग्रेजों के समय गठित हुई बीकेटीसी में कर्मचारियों व अधिकारियों के ट्रांसफर अपवादस्वरूप ही होते रहे हैं। अजेंद्र ने कर्मचारियों व अधिकारियों के स्थानांतरण कर बीकेटीसी में हड़कंप मचा दिया था।। कुछ कार्मिकों ने अध्यक्ष द्वारा किये गए ट्रांसफरों को धता बताने की कोशिश भी की, किन्तु अध्यक्ष के सख्त रूख के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका। अध्यक्ष ने कार्मिकों की कार्यक्षमता में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया। वर्षों से पदोन्नत्ति की मांग कर रहे कार्मिकों मुराद पूरी की और वेतन विसंगति का सामना कर रहे 130 से अधिक कार्मिकों के वेतन में वृद्धि भी की।
अजेंद्र ने लगभग 11 वर्षों से बीकेटीसी में मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर कुंडली जमाये बैठे विवादित अफसर बीडी सिंह को भी चलता किया। भाजपा हो अथवा कांग्रेस हर सरकार में बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर जमे रहने वाले बीडी सिंह ने मंदिर समिति से हटते ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ही ले ली थी। अजेंद्र ने बीकेटीसी में पारदर्शिता व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए भी कई कदम उठाये। मंदिर समिति में वित्तीय पारदर्शिता कायम करने के लिए वित्त अधिकारी का पद सृजित कर शासन से वित्त अधिकारी की नियुक्ति कराई गयी। केदारनाथ धाम में दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी ग्लास हॉउस निर्मित कराया गया। अन्य भी कई नयी पहल शुरू की गयीं, जिनसे बीकेटीसी की आय में भी वृद्धि हुई है।
आजादी से पूर्व गठन होने के बावजूद बीकेटीसी में अभी तक कार्मिकों की सेवा नियमावली नहीं है। इस कारण कई विसंगतियां पैदा होती रही हैं। बीकेटीसी बोर्ड ने विगत माह बैठक में कार्मिकों की सेवा नियमावली का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है, जिस पर शासन स्तर पर तेजी से कार्रवाई चल रही है। अजेंद्र ने सचिवालय की तर्ज पर बीकेटीसी में अलग से सुरक्षा संवर्ग तैयार करने की पहल भी की है। यह प्रस्ताव भी शासन में विचाराधीन है। बीकेटीसी का सुरक्षा संवर्ग गठित होने पर केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में मंदिरों की आंतरिक सुरक्षा पूरी तरह से बीकेटीसी के हाथों में रहेगी। अजेंद्र के कार्यकाल में बीकेटीसी में अवैध नियुक्तियों पर भी रोक लगी। अब तक अधिकांश अध्यक्षों के कार्यकाल में बीकेटीसी में बड़ी संख्या में कार्मिकों की अवैध रूप से नियुक्तियां की गयीं। इस कारण बीकेटीसी को सात सौ से भी अधिक कर्मचारियों का बोझ उठाना पड़ रहा है। आधे कार्मिकों के पास कोई काम तक नहीं है। पहली बार अजेंद्र के कार्यकाल में एक भी कर्मचारी की अवैध नियुक्ति नहीं हुयी।
अजेंद्र ने मंदिरों के जीर्णोद्वार, विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की दिशा में भी ठोस पहल की। उनके कार्यकाल में सबसे चर्चित कार्य केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित किया जाना रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार की अनुमति के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देख रेख में यह प्रक्रिया पूर्ण कराई। हालांकि, राजनीतिक कारणों से कुछ लोगों ने इस पर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। अजेंद्र ने बाबा केदारनाथ व भगवान मद्महेश्वर की शीतकालीन गद्दी स्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के विकास व विस्तारीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी काम शुरू किया। इस कार्य के लिए स्थानीय जनता द्वारा करीब तीन दशकों से मांग उठायी जाती रही है और पूर्व में कई मुख्यमंत्रियों द्वारा इसका शिलान्यास भी किया गया था।
आपदा में ध्वस्त हो चुके केदारनाथ मंदिर के समीप स्थित ईशानेश्वर मंदिर का निर्माण भी अजेंद्र के कार्यकाल की उपलब्धि है। आपदा के इतने वर्षों पश्चात गत वर्ष इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। एक वर्ष के भीतर मंदिर का निर्माण कार्य करा कर इसकी प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी गयी। केदारनाथ धाम में बीकेटीसी कार्मिकों के आवास व कार्यालय भवन इत्यादि के कार्य भी विगत वर्ष ही शुरू हुए हैं। वर्तमान में बीकेटीसी द्वारा गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ परिसर में स्थित भैरव मंदिर निर्माण के साथ-साथ तुंगनाथ मंदिर व त्रियुगीनारायण मंदिर के विकास व सौंदर्यीकरण की योजना पर भी काम किया जा रहा है। बहरहाल, अजेंद्र ने मंदिर समिति में बदलावों और सुधारों के लिए मुहिम जारी रखी हुयी है। मगर उनके प्रयासों की हवा निकालने के लिए मंदिर समिति के बाहर व भीतर के कुछ लोग लगातार अभियान छेड़े हुए हैं। मंदिर समिति में सुधारों की कवायद कितना परवान चढ़ पाती है, यह भविष्य के गर्भ में है।
उत्तराखंड। केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह में लगे सोने को पीतल में बदलने का सबसे पहले वीडियो वायरल करने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत खुद सवालों के घेरे में आ गए हैं। भाजपा ने केदारनाथ आपदा के समय आपदा राहत कार्यों को लेकर ना केवल तत्कालीन कांग्रेस सरकार को घेरा है, बल्कि आपदा घोटाले में मनोज रावत को भी कठघरे में खड़ा किया है।
भाजपा ने केदारनाथ में स्वर्णमंडन के कार्य में घोटाले का आरोप लगाने वाले कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें केदारनाथ आपदा में हुए घोटालों पर सही स्थिति जनता के सामने रखने की जरूरत है, क्योंकि सभी मामले उनके क्षेत्र से जुड़े हैं और उन्हें धार्मिक स्थलों को की छवि से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता बिपिन कैन्थोला ने कहा कि केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने के मामले में कांग्रेस घृणित राजनीति कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के निर्देश पर मनोज रावत के नेतृत्व में केदारनाथ गए दल ने प्रेस कांफ्रेंस में जो आरोप लगाए वो भ्रामक व तथ्यहीन हैं। कांग्रेस नेताओं ने अब तक जितने भी आरोप लगाए हैं, उनका श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा बिंदुवार जवाब दे दिया गया है। इसके बावजूद कांग्रेस नेता बेवजह के आरोप-प्रत्यारोप लगा कर केदारनाथ धाम की छवि को धूमिल करने का दुष्प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता केदारनाथ मंदिर के गर्भ गृह को स्वर्ण मंडित करने को लेकर तमाम आरोप लगा रहे हैं। मगर उनके द्वारा अभी तक इसका कोई भी दस्तावेज अथवा प्रमाण जनता के सामने नहीं रखा गया है। इसके विपरीत केदारनाथ आपदा के समय आपदा के लिए आयी राहत राशि में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किस प्रकार से बंदरबांट की, यह जग जाहिर है। आपदा पीड़ितों के हिस्से की धनराशि को अनाप-शनाप तरीके से खर्च किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के पूर्व विधायक मनोज रावत को तत्कालीन हरीश रावत सरकार द्वारा “हिटो-केदार” अभियान के नाम पर लाखों रूपये दिए गए। आपदा के पैंसे को ट्रैकिंग के नाम पर लुटा दिया गया। गढ़वाल मंडल विकास निगम के माध्यम से माऊंटेनियर्स एंड ट्रैकर्स एसोसियशन (माटा) नाम की एक संस्था को आनन-फानन में ट्रैकिंग अभियान संचालित करने का जिम्मा सौंप दिया गया। माटा संस्था का सोसायटी रजिस्ट्रार के यहां 22 सितंबर, 2016 को पंजीकरण किया गया और उसी माह इस संस्था को ट्रैकिंग अभियान संचालित करने की अनुमति दे गयी।
इस संस्था के अध्यक्ष कांग्रेस नेता मनोज रावत थे। इस प्रक्रिया में नियम-कानूनों का किसी प्रकार से पालन नहीं किया गया। इस संस्था के पास किसी प्रकार का अनुभव नहीं था। ना ही संस्था के चयन के लिए कोई प्रक्रिया अपनायी गयी। मनोज रावत की संस्था को किस आधार पर यह कार्य दिया गया, इसमें प्रतिभागियों का चयन किसने किया और वो कौन थे, ये कहीं स्पष्ट नहीं है।
उत्तराखंड। श्री बदरीनाथ – केदारनाथ समिति (बीकेटीसी) की बोर्ड बैठक में आगामी वित्त वर्ष के लिए 76.25 करोड़ का बजट प्रस्तावित किया। बोर्ड बैठक में आगामी यात्रा को लेकर भी विस्तृत कार्ययोजना को स्वीकृति दी गयी। अब केदारनाथ व बदरीनाथ के दर्शनों के लिए वीआईपी व वीवीआइपी को तीन सौ रूपये प्रति व्यक्ति शुल्क देना पड़ेगा।
बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में आगामी बजट को बोर्ड के समक्ष रखा गया। बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने बजट प्रस्तुत करते हुए इसमें श्री बदरीनाथ अधिष्ठान के लिए 39.90 करोड़ और श्री केदारनाथ अधिष्ठान के लिए 36.35 करोड़ का परिव्यय प्रस्तावित है। बजट में विगत वर्ष की 65.53 करोड़ की आय के मुकाबले आगामी वित्तीय वर्ष के लिए 94.26 करोड़ रुपए की प्रस्तावित आय का लक्ष्य रखा गया है।
वीआईपी व वीवीआइपी से 300 रूपये का शुल्क
बीकेटीसी ने पिछले दिनों देश के चार प्रमुख मंदिरों से तिरुपति बाला जी, श्री वैष्णो देवी, श्री महाकालेश्वर व श्री सोमनाथ मंदिरों में पूजा, दर्शन आदि व्यवस्थाओं के प्रबंधन के अध्ययन के लिए चार दल भेजे थे। उनकी रिपोर्ट की संस्तुतियों के आधार पर बीकेटीसी ने श्री बदरीनाथ व श्री केदारनाथ मंदिरों के दर्शनों के लिए आने वाले सभी तरह के वीआईपी व वीवीआइपी से विशेष दर्शनों व प्रसाद के लिए प्रति व्यक्ति तीन सौ रूपये का शुल्क निर्धारित किया है। अभी तक मंदिर दर्शनों के लिए आने वाले विशिष्ट व्यक्तियों से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता था। उल्टा मंदिर समिति विशिष्ट व्यक्तियों के दर्शनों के दौरान आम श्रद्धालुओं को दर्शनों को रोक देती थी। इसके साथ ही विशिष्ट व्यक्तियों को निःशुल्क प्रसाद भी दिया जाता था।
बीकेटीसी के कार्मिक ही देखेंगे प्रोटोकॉल की व्यवस्था
प्रोटोकॉल के तहत दर्शनों के लिए आने वाले वीआईपी आदि को बीकेटीसी के कार्मिक ही मंदिरों में दर्शन कराने और प्रसाद वितरण इत्यादि की जिम्मेदारी संभालेंगे। इससे वीआईपी सुविधा के नाम पर अव्यवस्था पैदा नहीं होगी। अभी तक वीआईपी को दर्शन कराने के लिए पुलिस, प्रशासन, बीकेटीसी आदि अपने – अपने तरीके से दर्शन व्यवस्था संभालते हैं।
बीकेटीसी के कार्मिक नहीं लेंगे दान – दक्षिणा
श्रद्धालु मंदिर के लिए जो भी दान अथवा चढ़ावा देते हैं, उसे बीकेटीसी के वेतनधारी पुजारी और कर्मचारी ग्रहण नहीं करेंगे। पूजा व्यवस्था से जुड़े कार्मिक श्रद्धालुओं को दान – चढ़ावे को दान पात्र में डालने को प्रेरित करेंगे। अन्यथा कार्मिकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
दान- चढ़ावे की गिनती के लिए विशेष व्यवस्था
मंदिरों को मिलने वाली दान चढ़ावे की गिनती के लिए पारदर्शी व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए दोनों धामों में पारदर्शी शीशे के हट बनाये जाएंगे। इनको सीसीटीवी कैमरों से लेस किया जाएगा।
सूचना प्रौद्योगिकी इकाई की स्थापना
बीकेटीसी में आइटी संबंधी कार्यों को मजबूती देने के लिए स्वयं की सूचना प्रौद्योगिकी इकाई गठित जाएगी। इससे ई-ऑफिस की स्थापना, विभिन्न अनुभागों को कम्प्यूटरीकृत करने आदि में आसानी होगी।
अस्थायी कार्मिकों को ईपीएफ सुविधा
बीकेटीसी के अस्थायी कार्मिकों के भविष्यगत लाभों को संरक्षित करने की दृष्टि से उन्हें ईपीएफ की सुविधा दी जाएगी।
जूनियर इंजिनियर सहित एक महिला कर्मी बर्खास्त
बीकेटीसी में स्थिर वेतन पर जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनात दीपक रावत और एक अस्थायी महिला कार्मिक कमला को लंबी अवधि से अपने कार्य स्थल से अनुपस्थित रहने पर सेवा से मुक्त कर दिया गया है।
केदारनाथ धाम में लगेगा 100 किग्रा का अष्टधातु का त्रिशूल
केदारनाथ धाम आगामी यात्राकाल के प्रारम्भ में एक दानीदाता के सहयोग से 100 किग्रा का अष्टधातु का त्रिशूल स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही मार्कण्डेय मंदिर मक्कूमठ के जीर्ण शीर्ण सभा मंडप का जीर्णोद्धार भी किया जाएगा।
विद्यापीठ में तैयार होंगे आयुर्वेदिक उत्पाद
बीकेटीसी ने विद्यापीठ (गुप्तकाशी) में वर्तमान में बंद पड़ी आयुर्वेदिक फार्मेसी को फिर से शुरू कर विभिन्न उत्पाद तैयार करने का निर्णय लिया है। इससे बीकेटीसी द्वारा संचालित आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्रों को प्रैक्टिकल की सुविधा भी हासिल होगी।
बैठक में अध्यक्ष अजेंद्र अजय के अलावा उपाध्यक्ष किशोर पंवार, सदस्य महेंद्र शर्मा, श्रीनिवास पोस्ती, कृपा राम सेमवाल, वीरेंद्र असवाल, राजपाल जड़दारी, भास्कर डिमरी, आशुतोष डिमरी, जय प्रकाश उनियाल, रणजीत सिंह राणा, पुष्कर जोशी, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, विशेष कार्याधिकारी रमेश रावत, अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी, कार्याधिकारी रमेश तिवारी आदि उपस्थित थे।