उत्तराखंड में जल्द किया जाएगा लागू होगा यूसीसी, 21 जनवरी से उपयोग में लाया जायेगा वेबपोर्टल..
उत्तराखंड: कैबिनेट ने आज समान नागरिक संहिता( यूसीसी) की नियमावली को मंजूरी दे दी है। अब इसे जल्द ही प्रदेश में लागू किया जा सकेगा। सीएम धामी की अध्यक्षता में आज प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इसमें यूसीसी का प्रस्ताव लाया गया। इस दौरान कैबिनेट ने नियमावली के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी।
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का वेबपोर्टल 21 जनवरी को पहली बार प्रदेशभर में एक साथ उपयोग में आएगा। फिलहाल यह कवायद सरकार के अभ्यास (मॉक ड्रिल) का हिस्सा होगी। इसके बाद यूसीसी को लागू किया जा सकता है। मॉक ड्रिल में यूसीसी का प्रशिक्षण ले रहे रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार और अन्य अधिकारी अपने-अपने कार्यालयों में यूसीसी पोर्टल पर लॉगइन करेंगे। उसके जरिये विवाह, तलाक, लिव इन रिलेशन, वसीयत आदि सेवाओं के पंजीकरण का अभ्यास करेंगे। सुनिश्चित करेंगे कि यूसीसी लागू होने के बाद आम लोगों को उससे संबंधित सेवाएं मिलने में कोई तकनीकी बाधा तो नहीं आएगी। मॉक ड्रिल से सरकार, विशेष समिति और प्रशिक्षण टीम अपनी-अपनी तैयारियों को परख सकेंगी।
उत्तराखंड में अब यूनिफॉर्म सिविल कोड, नए साल में होगा लागू..
उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में जनवरी 2025 से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की घोषणा की हैं। उन्होंने कहा है कि यूसीसी लागू करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। वक्फ बोर्ड ने भी समान नागरिक संहिता का स्वागत किया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि नए साल में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) उत्तराखंड में लागू कर दिया जाएगा। जिसके बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला पहला प्रदेश बन जाएगा। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने यूसीसी का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यूसीसी उभरते हुए भारत की एक तस्वीर है और ये विकसित भारत की ओर एक मजबूत कदम है।
शादाब शम्स ने कहा यूसीसी देश के लिए नजीर होगी और पूरे देश में सभी राज्य यूसीसी को अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि यूसीसी किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है बल्कि इसमें रीतियों और परंपराओं का ध्यान रखा गया है। मुसलमान निकाह करेगा तो रजिस्टर कराएगा, हिन्दू फेरे लेगा तो रजिस्टर कराएगा, उसी तरीके से तलाक रजिस्टर कराना होगा। उन्होंने कहा कि ये कानून बेटियों को बराबरी का हक देगा और आने वाला वक्त उत्तराखंड का होगा।
UCC क्या होता है ?
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) एक देश एक नियम के तहत काम करता है। इसके तहत सभी धर्म के नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेना, विरासत और उत्तराधिकार जैसे कानूनों को एक कॉमन कानून के तहत नियंत्रित करने की बात कही गई है। फिर चाहे वो व्यक्ति किसी भी धर्म का क्यों न हो। मौजूदा समय में अलग-अलग धर्मों में इन्हें लेकर अलग-अलग राय और कानून हैं। यूसीसी लागू होने के बाद उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य बन जाएगा जहां पर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया गया है।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सम्मान समारोह में शामिल हुए सीएम धामी..
उत्तराखंड: प्रदेश में सबसे पहले UCC लागू किए जाने पर सीएम पुष्कर सिंह धामी को सम्मानित किया गया है। सीएम धामी को मुंबई में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मृति पुरस्कार प्रदान किया गया है। रविवार को दादर, वेस्ट मुंबई में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस एवं उत्तराखण्ड में सर्वप्रथम यू.सी.सी. लागू किए जाने के उपलक्ष्य में आयोजित ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सम्मान समारोह’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस दौरान सीएम को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया।
सीएम धामी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपना पूरा जीवन भारत की एकता, अखंडता को समर्पित किया है। वो एक अच्छे विचारक थे। उन्होंने भारतीय जन संघ के रूप में जो बीज बोया वह आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने है। उनका जीवन हमें देश सेवा में समर्पण की याद दिलाता है। उन्होंने हमेशा समानता, एकता, न्याय का समर्थन किया, उन्होंने देश को एक विधान, एक प्रधान और एक निशान का मंत्र दिया। अपने विचारों से एक शक्तिशाली समृद्ध भारत के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। सीएम धामी का कहना हैं कि छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर सावरकर और डॉ मुखर्जी को एक साथ स्मरण करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने कार्यक्रम हेतु आयोजकों का भी आभार व्यक्त किया।
सीएम धामी का कहना हैं कि आज डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को प्रधानमंत्री के नेतृत्व में पूरा होते सभी देशवासी देख रहे हैं। आज देश में समान नागरिक अधिकार पर कार्य हो रहा है। देश की आज़ादी के बाद अब जाकर कश्मीर से धारा 370 को समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा उत्तराखंड सरकार ने भी डॉ. मुखर्जी के सपनों को साकार करते हुए संविधान के अनुसार समान नागरिक संहिता विधेयक पारित कर महामहिम राष्ट्रपति जी की मंजूरी ले ली है। देश में उत्तराखंड राज्य सबसे पहले समान नागरिक संहिता लागू करने वाला राज्य बन गया है। विधानसभा चुनाव 2022 में उत्तराखंड की जनता ने एक बार फिर लगातार दूसरी बार हमारी सरकार बनाई। सत्ता में आते ही हमने सबसे पहले जनता से लिए वादे अनुसार समान नागरिक संहिता लाने का काम किया। उन्होंने कहा राज्य में सभी के विचारों को एकत्र कर समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट को तैयार किया गया ।
मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए सभी को समान कानून की आवश्कता..
सीएम का कहना हैं कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का मानना था कि मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए समाज में रह रहे सभी लोगों हेतु समान कानून की आवश्कता है। उन्होंने इसे समाजिक और नैतिक आवश्यकता बताया था। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता किसी से पक्षपात करने के लिए नहीं अपितु पीएम मोदी का सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास को धरातल में उतारने हेतु लाए हैं। उन्होंने कहा यूसीसी से महिलाओ, बुजुर्गों, बच्चों, आम नागरिकों को उनका अधिकार मिलेगा।
उत्तराखंड विधानसभा ने रचा इतिहास, सीएम धामी के नेतृत्व में पास हुआ यूसीसी बिल..
उत्तराखंड: आजादी के बाद देश का पहला समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 विधानसभा में पास हो गया। इसके साथ ही उत्तराखंड ने इतिहास रच दिया है। इस बिल के आने के बाद क्या कुछ बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। यहां आसान भाषा में समझें।
UCC बिल पास कर उत्तराखंड ने रचा इतिहास
दो दिन लंबी चर्चा, बहस और तर्कों के बाद बुधवार की शाम सदन में समान नागरिक संहिता विधेयक उत्तराखंड 2024 ध्वनिमत से पास हो गया। जहां एक ओर उत्तराखंड में अब लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष होगी तो वहीं प्रदेश में विवाह का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस बिल के प्रवाधान कुछ इस प्रकार है।
1- लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष होगी।
2- शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
3- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान कारण और आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।
4- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी। पहली पत्नी के जिंदा रहते दूसरी शादी नहीं हो सकेगी। हालांकि अनुसूचित जनजाति के लोग इस परिधि से बाहर रहेंगे
5 – उत्तराधिकार में लड़कियों को भी अब लड़कों के बराबर का हक मिलेगा। इसके साथ ही संपत्ति में अधिकार के लिए जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं किया गया है। नाजायज बच्चों को भी अब जैविक संतान माना जाएगा।
6- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। ये एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा। यानी लिव इन रिलेशनशिप की जानकारी परिजनों को देनी होगी। इसके साथ ही लिव-इन के दौरान पैदा हुए बच्चों को उस कपल का जायज बच्चा ही माना जाएगा। उस बच्चे को जैविक संतान के समस्त अधिकार प्राप्त होंगे।
7- नौकरीशुदा बेटे की मृत्यु पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी दूसरी शादी करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
8- अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा न हो तो उनके भरण पोषण के जिम्मेदारी पति की होगी।
9- सभी को अब गोद लेने का अधिकार मिलेगा।मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
10- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
11- अगर पति-पत्नी के बीच झगड़े की स्थिति होती है तो ऐसे में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स यानी उने दादा-दादी को दी जा सकती है।
उत्तराखंड में UCC को लेकर मिली बड़ी खबर..
उत्तराखंड: यूसीसी (समान नागरिक संहिता) को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान सामने आया है। सीएम धामी का कहना है कि ड्राफ्ट कमेटी ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। आपको बता दें समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने वाली समिति का कार्यकाल 22 जनवरी को पूरा हो रहा है। सीएम धामी का कहना है कि ड्राफ्ट कमेटी ने अपना कार्य पूरा कर लिया है। कार्यकाल खत्म होने से पहले समिति अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी। जिसके बाद यूसीसी को लागू कर दिया जाएगा। बता दे कि इससे पहले सितम्बर माह 2023 में कमेटी का कार्यकाल पूरा हो रहा था। लेकिन समिति ने उस समय रिपोर्ट तैयार नहीं की थी। जिस वजह से धामी सरकार ने समिति के कार्यकाल को चार महीने के लिए बढ़ा दिया था। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करना प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। इस वजह से सरकार के लिए इस समय सबसे अहम प्रदेश में यूसीसी लागू करना है। अब माना जा रहा है कि इस महीने के आखिर तक यूसीसी को लागू कर दिया जाएगा।