यूजेवीएनएल का उत्पादन सुधरा, बिजली किल्लत अभी भी बरकरार..
उत्तराखंड: प्रदेश में वैसे तो यूजेवीएनएल का बिजली उत्पादन बढ़ गया है, लेकिन अचानक हो रही किल्लत की वजह से कुछ जगहों पर कटौती हो रही है। यूपीसीएल प्रबंधन मांग के सापेक्ष बिजली उपलब्धता की कोशिश में जुटा है। प्रदेश में इस समय बिजली की मांग वैसे तो करीब 5.5 करोड़ यूनिट चल रही है, जिसके सापेक्ष उपलब्धता 5.4 करोड़ यूनिट तक की है। यूजेवीएनएल का उत्पादन भी 2.4 करोड़ यूनिट तक पहुंच गया है। लेकिन उमस के बीच अचानक बिजली की मांग में उतार चढ़ाव आ रहा है। इसकी वजह से अचानक बिजली की शॉर्टेज पैदा हो रही है, जिसकी बाजार से तत्काल आपूर्ति संभव नहीं है। ऐसे में हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां एक से डेढ़ घंटे की कटौती हो रही है तो फर्नेश इंडस्ट्री में चार से पांच घंटे की कटौती हो रही है।
बिजली उपभोक्ताओं की परेशानी का अब होगा समाधान, UPCL तैयार कर रहा शिकायत प्रबंधन प्रणाली..
उत्तराखंड: प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की शिकायतों का त्वरित निस्तारण, देरी पर जुर्माने की अदायगी के लिए उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) शिकायत प्रबंधन प्रणाली (कंप्लेन हैंडलिंग सिस्टम) विकसित कर रहा है। 31 जनवरी तक इसे तैयार कर लिया जाएगा।
बीते दो नवंबर को उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ता सेवाओं से संबंधित संशोधित विनियम जारी किए थे। इसके तहत बिजली कनेक्शन और बिलों में गड़बड़ी पर यूपीसीएल की समय सीमा तय की गई थी। आयोग ने निर्देश दिए थे कि आठ माह के भीतर उपभोक्ताओं के लिए यूपीसीएल को ऐसी प्रणाली विकसित करनी है, जिसमें उन्हें अपनी शिकायत की हर अपडेट एसएमएस, ई-मेल से मिलने के साथ ही देरी पर लगने वाला जुर्माना भी सीधे उपभोक्ता के खाते में पहुंच जाए।
यूपीसीएल को इसकी शिकायत प्रबंधन प्रणाली तैयार कर तीन माह के भीतर यानी 31 जनवरी से पहले नियामक आयोग के सामने पेश करनी है। इस मामले में यूपीसीएल के डायरेक्टर ऑपरेशन एमएल प्रसाद ने चीफ इंजीनियर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। यह समिति इस ऑनलाइन सिस्टम को तैयार करने के लिए अपनी रिपोर्ट देगी। मामले में गुरुवार को यूपीसीएल के डायरेक्टर प्रोजेक्ट अजय कुमार अग्रवाल ने भी एक पत्र जारी किया है, जिसमें उन्होंने जल्द सिस्टम विकसित करने को कहा है।
उत्तराखंड में आजकल सौर ऊर्जा की खेती चर्चा में है। प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना काल में घर वापस लौटे प्रवासियों व अन्य बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना शुरु की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद जिस तरह से इस योजना की अक्सर चर्चा कर रहे हैं, उससे यह अंदाज लगाना कठिन नहीं है कि वो खुद इसको लेकर कितने उत्साहित हैं। मुख्यमंत्री निरंतर इस योजना की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं और उन्होंने इसे अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया हुआ है। अगर योजना वास्तविक धरातल पर उतरती है, तो यह स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
योजना की खास बात
प्रदेश सरकार ने विगत दिवस 8 अक्टूबर को इस योजना का औपचारिक शुभारम्भ किया। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल इस योजना को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित किया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार ने 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित करने का लक्ष्य रखा है। राज्य के स्थायी निवासी अपनी निजी या लीज की भूमि पर सोलर पॉवर प्लांट स्थापित कर सकते हैं। कोई भी उद्यमशील युवा, बेरोजगार, किसान इस योजना के लिए पात्र होगा। सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए डेढ़ से दो नाली यानी 300 वर्ग मीटर भूमि की जरुरत होगी।
योजना पर व्यय
25 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र पर लगभग दस लाख रुपये का खर्च होगा। योजना की कुल लगत का 70 प्रतिशत तक लाभार्थी को ऋण के रूप में मिलेगा। शेष 30 प्रतिशत की राशि लाभार्थी को मार्जिन मनी के रूप में वहन करना होगा। चयनित लाभार्थियों को सहकारी बैंकों के माध्यम से आठ प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। यह ऋण 15 वर्ष की अवधि के लिए होगा। योजना का आवंटन जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी।
प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे। – त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री
प्रतिवर्ष 38 हजार यूनिट बिजली उत्पादन
राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रतिमाह 15 हजार रूपये की आय होगी
योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को उत्तराखंड ऊर्जा कार्पोरेशन (UPCL) द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (PPA) किया जाएगा। ऊर्जा निगम लाभार्थियों से साढ़े चार रुपए की दर पर बिजली खरीदेगा। इस प्रकार लाभार्थी को 15 हजार रूपये प्रतिमाह तक का आर्थिक लाभ हो सकेगा।
सोलर फार्मिंग से एग्रो फार्मिंग
सरकार ने सोलर फार्मिंग को एग्रो फार्मिंग से जोड़ा है। प्लांट लगाने वाली भूमि पर जलवायु के अनुकूल जड़ी-बूटी व सगंध पौधों के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही मधुमक्खी पालन, अदरक आदि का उत्पादन किया जा सकता है। इससे जहां बंजर खेतों में फिर से हरियाली लहलहाने लगेगी, वहीं रोजगार के अवसर बढ़ने से पलायन पर भी अंकुश लग सकेगा।
जिलाधिकारियों की जवाबदेही तय
योजना के शुभारम्भ के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखेंगे। इसके साथ ही भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।