Uttarakhand: नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों की ग्रेडिंग के आधार पर तय होगी फीस, बैठक में रखा जाएगा प्रस्ताव
उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से शुल्क नियामक समिति निजी कॉलेजों के लिए फीस तय करती है। निजी नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेजों के संचालकों ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के समक्ष फीस तय करने का मुद्दा उठाया।
प्रदेश में चल रहे नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों की ग्रेडिंग के आधार पर फीस का तय की जाएगी। इससे नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही नर्सिंग कोर्स करने वाले छात्र-छात्राओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
प्रदेश में 2016-17 के बाद से नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेजों में चल रहे कोर्सों की फीस का निर्धारण नहीं किया गया। उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से शुल्क नियामक समिति निजी कॉलेजों के लिए फीस तय करती है। निजी नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेजों के संचालकों ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के समक्ष फीस तय करने का मुद्दा उठाया।
सुविधाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेजों में फीस निर्धारण के लिए नई व्यवस्था पर विचार किया जा रहा है। इसमें कॉलेजों की शिक्षा की गुणवत्ता, फैकल्टी व हॉस्टल की सुविधाओं पर ग्रेडिंग की जाएगी। इसके आधार पर कॉलेजों की फीस तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि निजी संस्थानों को शिक्षा और सुविधाओं की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा।
मंत्री ने कहा कि मैदानी क्षेत्रों की तुलना में पर्वतीय क्षेत्रों में नर्सिंग व पैरामेडिकल कॉलेजों की संख्या कम है। सरकार का प्रयास है कि पर्वतीय क्षेत्रों के युवाओं को नर्सिंग की पढ़ाई के लिए दूसरे क्षेत्रों में न जाना पड़े। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में निजी नर्सिंग एवं पैरामेडिकल संस्थान खोलने को प्राथमिकता दी जाएगी।
तोताघाटी में आवाजाही शुरू, अब बगवान में बंद हुआ हाईवे,
Landslide in Uttarakhand :बदरीनाथ हाईवे पर 20 भूस्खलन और 11 भूधंसाव जोन सक्रिय हो गए है। कई पुराने भूस्खलन जोन भी सक्रिय हुए हैं। इससे वाहनों की आवाजाही खतरनाक बनी हुई है। आज शनिवार को ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे एक बार फिर तोताघाटी के पास बाधित हो गया। ट्रैफिक को डायवर्ट कर दिया गया है।
लगातार बारिश के चलते हो रहे भूस्खलन से पहाड़ों पर दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। यात्रियों सहित स्थानीय लोगों को भी सड़कें और हाईवे बंद होने से परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है।भूस्खलन के कारण शनिवार को ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे एक बार फिर तोताघाटी के पास बाधित हो गया। ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया।
इसके बाद तोता घाटी में अपराहन 12:30 ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग वाहनों के आवागमन के लिए खोला जा सका। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी बृजेश भट्ट ने बताया कि अपराह्न 1 बजे लगभग ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे बगवान के समीप बाधित हो गया है। पहाड़ी से हाईवे पर मलबा गिरा है।
ऋषिकेश-बदरीनाथ मार्ग पर तोता घाटी के समीप भूस्खलन के बाद ऋषिकेश से श्रीनगर की ओर जाने वाले वाहनों को अन्य वैकल्पिक मार्गो से डायवर्ट किया गया है। पुलिस के मुताबिक तोता घाटी के समीप देर रात भारी मात्रा में बोल्डर मार्ग पर आ गए हैं, जिससे पूरा मार्ग बंद हो गया था।
येलो अलर्ट के बीच मसूरी में मूसलाधार बारिश, जानें अगले दो दिन कैसा रहेगा मौसम
अगले सप्ताह के बाद फिर से मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। 22 अगस्त के बाद प्रदेश के अधिकतर इलाकों में भारी बारिश की संभावना है।
उत्तराखंड में शुक्रवार को भारी बारिश होने के आसार हैं। मौसम विभाग ने प्रदेशभर में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं, देर शाम मसूरी में मूसलाधार बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
वहीं, शनिवार को कुछ जिलों में मौसम साफ रहने की संभावना है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने कहा, अगले दो दिन बारिश से थोड़ी राहत के आसार हैं। अगले सप्ताह के बाद फिर से मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। 22 अगस्त के बाद प्रदेश के अधिकतर इलाकों में भारी बारिश की आशंका है।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य के देहरादून और बागेश्वर जिले में अब तक सबसे अधिक बारिश हुई है। दून में 1608.1 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य 56 फीसदी अधिक है। बागेश्वर जिले में सामान्य से 174 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। जिले में अब तक 1561.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई। हरिद्वार में सामान्य से 80 प्रतिशत बारिश रिकॉर्ड की गई। अब तक जिले में 1236 मिमी बारिश हो चुकी है।
नगालैंड में शहीद हुआ उत्तराखंड का जवान..
उत्तराखंड: नगालैंड के मोन जिले में शनिवार को सैन्य बलों की फायरिंग में 13 लोगों की मौत के बाद रविवार को भी तनाव चरम पर रहा। जानकारी के अनुसार इस घटना के बाद हुई हिंसा में टिहरी जिले के नौली गांव (हिंसरियाखाल पट्टी) निवासी सेना के पैराटू्रपर गौतम लाल (24) शहीद हो गए। शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार को जौलीग्रांट देहरादून लाया जाएगा।
वहीं गौतम के शहीद होने की खबर से क्षेत्र में शोक है। रमेश लाल और रूपा देवी के सबसे छोटे पुुत्र गौतम वर्ष 2018 में पैराशूट रेजीमेंट की 21वीं बटालियन में भर्ती हुए थे। इन दिनों वह नगालैंड ड्यूटी में थे। राजकीय इंटर कॉलेज हिंसरियाखाल से इंटरमीडिएट की पढ़ाई करने के बाद वह सेना में भर्ती हो गए थे।
वह अक्तूबर मेें एक माह की छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटे थे। गौतम लगभग हर दो दिन के अंतराल में घर में फोन करके माता-पिता व परिजनों का हाल जानते थे। शुक्रवार को भी उनका फोन आया था। उन्होंने जनवरी में घर आने की बात की थी।
क्या थी घटना
आपको बता दे कि नागालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी की दो घटनाओं में 13 कोयला खदान कर्मियों की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हो गए। पुलिस का कहना हैं कि फायरिंग की पहली घटना शनिवार शाम को गलत पहचान के चलते हुई, जिसमें जवानों ने कार्यकर्ताओं को युंग ओंग गुट का उग्रवादी समझकर गोलियां चला दी। इस घटना में छह मजदूरों की मौत हो गई। ये सभी मजदूर जब घर नहीं लौटे तो स्थानीय युवक व ग्रामीण इनकी तलाश में निकले और सेना के वाहनों को घेर लिया। इसके बाद हुई हिंसा में एक जवान शहीद हो गया और सेना के वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। भीड़ से बचने के लिए सैनिकों ने फिर से फायरिंग की, जिसमें 7 और स्थानीय लोगों की मौत हो गई। घायलों में दो की हालत गंभीर है, जिन्हें इलाज के लिए गुवाहाटी भेजा गया है।
असम राइफल्स के कैंप को तहस-नहस किया..
घटना को लेकर रविवार को भी स्थानीय स्तर पर तनाव बना रहा और गुस्साई भीड़ ने कोनयाक यूनियन और असम राइफल के कैंप को तहस-नहस कर दिया। अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने मोन जिले में मोबाइल, इंटरनेट, डाटा सेवा, बल्क एसएमएस पर रोक लगा दी है। पुलिस सेना द्वारा किए गए गलत पहचान के दावे की जांच कर रही है। सेना ने भी घटना की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित कर दी है और घटना पर गहरा दुख प्रकट किया है।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने निर्देश दिए हैं कि लिंगानुपात में कमी वाले जनपदों को फोकस करते हुए गहन माॅनिटरिंग की जाए। साथ ही उन्होंने गर्भवती महिला की द्वितीय तिमाही जांच को जरुरी बताया। यह निर्देश उन्होंने सोमवार को सचिवालय में महिला सशक्त्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में दिए।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने अधिकारियों को कहा कि मदर चाईल्ड ट्रेकिंग सिस्टम (MCTS) में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए, गर्भवती महिला की प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय तिमाही की जांच अवश्य करायी जाए। उन्होंने कहा कि द्वितीय तिमाही जाँच बहुत ही महत्त्वपूर्ण होती है। ऐसे समयावधि में गर्भपात होना अथवा जांच न कराया जाना संदिग्ध होता है। यदि गर्भपात हुआ है तो इसके कारणों की भी जांच की जानी चाहिए।उन्होंने महिलाओं में आयरन की कमी एवं कुपोषण के साथ ही, मातृ मृत्यु दर को कम किए जाने हेतु लगातार प्रयास किए जाने की बात कही।
उन्होंने वन स्टाॅप सेंटर को और अधिक सक्रिय किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वन स्टाॅप सेंटर में पंजीकृत केसों में से कितनों में चार्जशीट दाखिल हुई , कितनों में सजा हुयी इसका भी ब्यौरा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ड्राॅप आउट बालिकाओं के ड्राॅप आउट करने के कारणों को जानकर उनके निराकरण के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि ड्राॅप आउट करने वाले बच्चों में अधिकतर प्रवासी और मजदूरों के बच्चे होते हैं, ऐसे में उनके लिए नोन-फार्मल एजुकेशन पर विचार किया जा सकता है।
बैठक में जानकारी दी गई कि वर्ष 2018-19 में राज्य में जन्म के समय लिंगानुपात 938 बालिका प्रति हजार बालक था, जो अब बढ़कर 949 बालिका प्रति हजार बालक हो गया है। जन्म के समय लिंगानुपात की दृष्टि से उत्तराखण्ड, देश के टाॅप 10 राज्यों में शामिल है और राज्य के 05 जनपद बागेश्वर, अल्मोड़ा, चम्पावत, देहरादून एवं उत्तरकाशी देश के टाॅप 50 जनपदों में शामिल हैं। बताया गया कि चमोली, नैनीताल एवं पिथौरागढ़ में लिंगानुपात में गिरावट आई है।
इस अवसर पर सचिव एल. फैनई, एच.सी. सेमवाल सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की बैठक में जनपद बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक व आर्थिक विकास को सुदृढ़ करने एवं पलायन को कम करने हेतु आयोग द्वारा की गई सिफारिशों से सम्बन्धित पुस्तिका का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पलायन आयोग द्वारा पलायन के मूल कारणों से सम्बन्धित दी गई प्रारंभिक रिपोर्ट से ही स्पष्ट था कि इसके लिए मुख्यतः शिक्षा व स्वास्थ्य की बेहतर सुविधा एवं रोजगार की कमी रही है। उन्होंन कहा कि आयोग के सुझावों पर राज्य सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लिए जा रहे है। उन्होंने कहा कि आयोग को वर्किंग एजेन्सी के रूप में नहीं, अपितु राज्य से पलायन रोकने तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिये थिंकटेक के रूप में कार्य करना होगा।
बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट के सम्बन्ध में ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ0 एस0एस0नेगी ने बताया कि जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार जनपद बागेश्वर की जनसंख्या 2,59,898 है, इनमें 1,24,326 पुरूष तथा 1,35,572 महिलाएं है। पिछले 10 वर्षों में 346 ग्राम पंचायतों से कुल 23,388 व्यक्तियों द्वार अस्थायी रूप से पलायन किया गया है। पिछले 10 वर्षों में 195 ग्राम पंचायतों से 5912 व्यक्तियों द्वार पूर्णरूप से स्थायी पलायन किया गया है। आंकड़े दर्शाते है कि जनपद के सभी विकास खण्डों में स्थायी पलायन की तुलना में अस्थायी पलायन अधिक हुआ है। जनपद की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2016-17 के लिए अनन्तिम रूप से 1,00,117 रूपये है।
आयोग द्वारा जनपद हेतु जो सिफारिशें रखी हैं उनमें प्रमुख रूप से पशुधन की गुणवत्ता में सुधार लाने, दुग्ध उत्पादन और उससे जुड़े व्यवसायों का प्रशिक्षण, होम स्टे, इकोटूरिज्म, पर्यटन से जुड़े कौशल विकास प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाने की बात कही है। इसके साथ ही मनरेगा में समान अवसर और भागीदारी सुनिश्चित करके महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बनाए रखना, फसलों को जंगली जानवरों से बचाव के लिए बन्दरबाड़ों/सोलर पावर फैन्सिंग का निर्माण कराए जाने, औषधीय, सुगंधित पौंधों व जड़ी-बूटी की खेती और बागवानी पर जोर देने की सिफारिश की गई है।
इस अवसर पर आयोग के सदस्यों रामप्रकाश पैन्यूली, सुरेश सुयाल, दिनेश रावत घण्डियाल, अनिल सिंह शाही व रंजना रावत ने भी अपने सुझाव रखे।