उत्तराखंड सरकार का अवैध खनन पर वार, बढ़ाई जुर्माने की राशि..
उत्तराखंड: प्रदेश में अवैध खनन में पकड़ी जाने वाली पोकलेन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा। ऐसे मामले में 10 टायर ट्रक-डंपर के पकड़े जाने पर जुर्माने की राशि दोगुनी कर दी गई है। खनन की चोरी रोकने और माफिया पर शिकंजा कसने के लिए खनन विभाग ने खनिज की अवैध ढुलाई और खनन करने पर जुर्माना बढ़ा दिया है। निगरानी बढ़ाने के लिए खनन वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य होगा। शासन ने बुधवार को उत्तराखंड खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण का निवारण) (चतुर्थ संशोधन) नियमावली-2024 जारी कर दी है। इसके तहत खनिज की छोटे स्तर पर बिक्री के लिए 200 मीटर तक रिटेल भंडारण की अनुमति दी गई है।
नियमावली खनिजों के परिवहन प्रयुक्त होने वाले सभी वाहनों में जीपीएस लगाया जाना अनिवार्य किया गया है। जीपीएस और धर्मकांटा को भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के विभागीय ई- रवन्ना पोर्टल के साथ इंटीग्रेटेड किया जाएगा। इसके साथ खनिज ढुलाई में इस्तेमाल होने वाले वाहनों का रूट एसडीएम, जिला खान अधिकारी और वाहन स्वामियों के समन्वय के साथ तय होगा। वाहन पर नंबर प्लेट न होने, अस्पष्ट होने और ई- रवन्ना न होने की स्थिति में पांच लाख तक जुर्माना जिला खान अधिकारी जिस स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट और रिटेल भंडारणकर्ता आदि से खनिज को लाया गया हो उस पर लगा सकेंगे।
नियमावली में रिटेल भंडारण को अनुमति दी गई, अब तुलनात्मक तौर पर छोटे स्तर भी कारोबार किया जा सकेगा। इसकी अनुमति पांच साल के लिए मिलेगी। यह दो सौ घनमीटर तक भंडारण कर सकेंगे। भंडारकर्ता को भंडारण क्षेत्रफल के संशोधन में सूचना समाचार पत्र में देगा, इस पर किसी व्यक्ति को आपत्ति है, तो सूचना की विज्ञप्ति प्रकाशित होने के 15 दिन में कर सकेगा।
दो से अधिक बार पकड़े गए वाहन को राज्य संपत्ति घोषित किया जाएगा
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के निदेशक राजपाल लेघा कहते हैं कि अवैध परिवहन में शामिल वाहनों पर जुर्माना बढ़ाया गया है, पहले दस टायर पर 50 हजार जुर्माना था, जो एक लाख किया गया है। पोकलेन पर भी जुर्माना बढ़ाया गया है। इसके अलावा दो या दो अधिक बार कोई ऐसा वाहन पकड़ा जाता है तो उसे आदतन अपराधी मानते हुए पकड़े गए वाहन का जब्त कर राज्य सरकार में समाहित कर राज्य संपत्ति घोषित कर दिया जाएगा। बुग्गी पर भी दो हजार का जुर्माना तय किया गया है।
किराए पर भूमि देने वालों की जिम्मेदारी तय हुई
अगर किसी व्यक्ति ने किराए पर भूमि खनिज भंडारण और खनन एक तय समय के लिए अनुमति दी है, यह अवधि निकल जाती है। उसके बाद उस जगह पर अवैध खनन और भंडारण पाए जाने पर उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की होगी। साथ ही ई- रवन्ना प्रपत्रों की वैद्यता समाप्त होने के 72 घंटे में स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट आदि रिसीव नहीं करते हैं, तो ई- रवन्ना पत्र स्वत: विलोपित हो जाएंगे। ईश्ररवन्ना प्रपत्रों को डिजिटल करने और हाई सिक्योरिटी पेपर पर निर्गत किया जाएगा।
बिना ई पास के यात्रा करने में श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी..
उत्तराखंड: इस बार राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट में ऑनलाइन ई-पास के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया है। यानी इसके बिना तीर्थयात्री बद्रीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री,यमुनोत्री धाम के दर्शन नहीं कर सकते हैं। वेबसाइट पर क्लिक करने पर आसानी से ई-पास पंजीकरण नहीं होने से तीर्थयात्रियों को दिक्कत आ रही है।
व्यवहारिक परेशानी के चलते कई यात्री यात्रा स्थगित कर वापस घर लौट रहे हैं। चारधाम यात्रा के प्रवेशद्वार तीर्थनगरी ऋषिकेश के चारधाम यात्रा बस टर्मिनल कंपाउंड में इस तरह का मामला सामने आया। यहां पर कुछ यात्री पहुंचे और संयुक्त यात्रा रोटेशन व्यवस्था समिति के बुकिंग काउंटर पर केदारनाथ धाम के लिए जानकारी ली।
बुकिंग क्लर्क आशुतोष तिवारी ने संबंधित वेबसाइट पर पहले ई-पास के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करने की सलाह दी। करीब डेढ़ घंटे प्रयास करने के बाद ऑनलाइन पंजीकरण नहीं हुआ। वेबसाइट पर ई-पास पंजीकरण का स्लॉट 6 अक्तूबर तक पैक होना दिखाता रहा।
आखिरकार इन यात्रियों को ई-पास पंजीकरण नहीं होने पर यात्रा स्थगित कर घर लौटना पड़ा। इस दौरान यात्रियों ने उत्तराखंड सरकार से ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया को सुधारने की मांग करते हुए कहा कि इससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है। बिना ई-पास के यात्रा पर नहीं जा सकते। देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइड फुल चल रही है, जिससे नए ई-पास का पंजीकरण नहीं हो रहा है।
कई यात्रियों का कहना हैं कि उत्तराखंड सरकार को इस बात की जानकारी पहले ही देनी चाहिए थी। कुछ यात्रियों को यह आने के बाद पता चल रहा हैं कि यात्रा पर आने के लिए ई पास भी होना चाहिए।जब वहा ई पास बनाने जा रहे हैं तो वहां पर उन्हें स्लॉट 15, 20 दिनों तक फुल बताया जा रहा हैं। जिसके चलते यात्रियों को मायूस होकर यात्रा स्थगित कर घर लौटना पड रहा हैं।
उत्तराखंड सरकार 18 से 44 आयु वर्ग के नागरिकों के लिए 10 मई से टीकाकरण का कार्य शुरू करेगी। टीकाकरण के लिए राज्य सरकार द्वारा कोविड वैक्सीन खरीदी जा रही है। वैक्सीन निर्माता कंपनी द्वारा वैक्सीन की आंशिक आपूर्ति कर दी गई है।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी ने बताया कि शनिवार को कोविशील्ड वैक्सीन की 1 लाख डोज इंडिगो एयरलाईन की उड़ान जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंची, जहां से उसे राजधानी के चंद्रनगर स्थित राज्य औषधि भंडार केंद्र के कोल्ड स्टोर/वॉक इन कूलर में रख दिया गया है। वहां से सभी जनपदों को आपूर्ति की जा रही है।
अमित नेगी ने बताया कि यह वैक्सीन 18 से 44 आयु वर्ग के नागरिकों के लिए है और अब राज्य में 10 मई से टीकाकरण का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा। नेगी के अनुसार कोविड-19 टीकाकरण अभियान के इस आयु वर्ग के अन्तर्गत उत्तराखण्ड के लगभग 50 लाख लोगों को निःशुल्क वैक्सीन दी जाएगी। यह टीकाकरण केन्द्रों पर होगा जिसकी जानकारी कोविन पोर्टल पर लाभार्थियों को मिलेगी।
मुख्यमंत्री श्री @TIRATHSRAWAT जी ने आज डिजिटल माध्यम से प्रदेश में #COVID19 की स्थिति और वैक्सीनेशन की समीक्षा की तथा अधिकारियों को #Vaccination में और तेजी लाने व 18 से 44 वर्ष तक की आयु के लोगों हेतु कोविड वैक्सीन की पहली खेप आते ही वैक्सीनेशन शुरू करने के निर्देश दिए। pic.twitter.com/s2iaoainNI
— Department Of Health(Uttarakhand) (@MinOfHealthUK) May 8, 2021
ज्ञातव्य है कि टीकाकरण के लिए 18 से 44 आयु वर्ग के लाभार्थियों हेतु विगत माह 28 अप्रैल से कोविन पोर्टल और आरोग्य सेतू एप पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू हो गई थी। रजिस्ट्रेशन कराने वाले साभार्थियों को टीकाकरण कराने से पूर्व ऑनलाईन अपॉइंटमेंट लेना अनिवार्य है। लाभार्थियों को अपॉइंटमेंट प्राप्त होने के पश्चात् ही टीकाकरण केन्द्रों पर वैक्सीनेशन के लिए जाना होगा।
वैक्सीन केवल कोविन पोर्टल या आरोग्य सेतु के माध्यम से स्व पंजीकरण एवं अग्रिम अपॉइंटमेंट के बाद दी जाएगी। पंजीकरण के लिए selfregistration.cowin.gov.in पर लॉगइन करना आवश्यक है। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कोविन पोर्टल पर उपलब्ध है।
सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए आमजन को दिक्कतों का सामना न करना पड़े। यह सुनिश्चित करने के लिए माह अक्टूबर में शुरू किया गया मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम यानी सीएम क्यूआरटी(क्विक रेस्पॉन्स टीम) तेजी से अपने लक्ष्यों को हासिल करने की ओर अग्रसर है। बीते तीन माह में इस सेवा के जरिए 70 प्रतिशत से ज्यादा लोगों की समस्याओं का निराकरण किया गया। जबकि शेष शिकायतों पर भी कार्यवाही गतिमान है।
उत्तराखंड सरकार की दूरगामी नीति के अंतर्गत जरूरतमंदों की बुनियादी समस्याओं के निदान की दिशा में गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य रोजगार आदि शामिल हैं। राज्य सरकार का मानना है कि प्रदेश के निवासियों को मूलभूत सुविधाएं समय पर मिलें और कोशिश है कि सबकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति समय पर सुनिश्चित हो सके। यदि कहीं पर किसी की कोई शिकायत हो तो उसका तत्काल निदान किया जाए।
इसी उद्देश्य के साथ अक्टूबर माह में प्रदेश के सात जिलों में मुख्यमंत्री त्वरित समाधान सेवा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसमें जिला स्तर पर शिविरों का आयोजन जिलाधिकारी-सीडीओ के स्तर से किया जा रहा है। यूं तो 21 सितंबर को इस सेवा को शुरू किया गया लेकिन आधिकारिक रूप से जिलों में इस सेवा ने 1 अक्टूबर 2020 से कार्य करना प्रारंभ किया। तब से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक इस शिविरों के जरिए प्रदेशभर में लोगों की कुल 4025 शिकायतें विभिन्न विभागों को प्राप्त हुई जिनमें से 2904 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है। यानि अब तक 70 प्रतिशत शिकायतों का निस्तरण किया जा चुका है।
इन विभागों की शिकायतों का हो रहा निदान
बिजली, सड़क, सिंचाई, वन, जल संस्थान, पेयजल निगम, जल संस्थान, स्वजल, ग्राम्य विकास, पंचायतीराज, शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास, कृषि विभाग, राजस्व विभाग, पशुपालन विभाग, समाज कल्याण, उरेडा, जिला पंचायत, दूरसंचार, मंडी समिति, उद्यान विभाग, स्वास्थ्य विभाग, कृषि एवं भूमि संरक्षण, पर्यटन विभाग, पुलिस, पीएमजीएवाई, नलकूप विभाग, खाद्य आपूर्ति, उपकोषागार, ग्रामीण निर्माण विभाग, नगर पालिका आदि।
उत्तराखंड सरकार ने नैनीताल (Nainital) की सुंदरता में चार चांद लगाने वाली नैनी झील (Naini Lake) के सौंदर्य और सरंक्षण के लिए विशेष प्रयास शुरु किए हैं। सोमवार को अपने एक दिवसीय नैनीताल भ्रमण के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Chief Minister Trivendra Singh Rawat) ने नैनी झील में एक करोड़ की लागत से यूनडीपी (UNDP) के सहयोग से स्थापित दिव्य नैनी झील जल गुणवत्ता आंकलन प्रणाली का लोकापर्ण किया।
इस प्रणाली के तहत झील की जल गुणवत्ता के सतत मापन हेतु दो प्रोटियएस सेंसर स्थापित किए गए हैं। जिनसे झील के पानी की गुणवत्ता संबंधी आंकड़ों को एलईडी स्क्रीन पर आम जनमानस के लिए प्रसारित किया जा रहा है। झील की गुणवत्ता संबंधित आंकड़ों के सतत प्रदर्शन से स्थानीय लोगों व पर्यटकों को झील को स्वच्छ रखने हेतु जागरुकता बढ़ेगी। साथ ही जल गुणवत्ता के विस्तृत आंकड़ों एवं चेतावनी एसएमएस एवं मोबाइल ऐप द्वारा लोगों को प्रसारित की जाएगी। इन सेंसरों के जरिए झील का पूर्ण रासायनिक विश्लेषण किया जाएगा। इससे झील के अन्तर्जलीय वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं हेतु अनुकूल पर्यावरण विकास एवं प्रबंधन हो सकेगा और झील के सरंक्षण में सहयोग मिलेगा।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि नैनी झील अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए दुनिया भर मे जानी जाती है और सदैव से ही पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। उन्होंने कहा नैनी झील हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने सभी से नैनीझील को स्वस्थ व स्वच्छ रखने की अपील भी की। उन्होंने उम्मीद जताई कि झील के लिए स्थापित की गई जल गुणवत्ता प्रणाली जल संरक्षण के साथ ही जल की निर्मलता भी बनाए रखेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रदेश की नदियों, झीलों, तालाबों और जल स्रोतों को पुर्नजीवित करने के लिए व्यापक जन अभियान शुरु किया गया है, जिसमें सफलता मिली है। प्रदेश की कोसी, गगास, रिस्पना, शिप्रा नदियों में व्यापक वृक्षारोपण का कार्य किया गया है। सौंग व जमरानी बांध बनने से 125 करोड़ की बिजली बचत होगी। उन्होंने बताया कि अल्मोड़ा में तड़ाग ताल के पुर्नजीवन एवं संरक्षण हेतु 10 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं।
इस अवसर पर स्थानीय विधायक संजीव आर्य ने क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं को मुख्यमंत्री के सम्मुख रखा।