द कपिल शर्मा शो में सिद्धू के लौटने की चर्चा पर अर्चना ने कहा कुछ ऐसा..
देश-विदेश: बॉलीवुड का राजनीति से भी कुछ ऐसा जुड़ाव रहा है कि अगर राजनीति में कुछ विवाद हो तो उसका असर मनोरंजन जगत में भी देखने को मिलता है। इन दिनों नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के इस्तीफे के बाद से टीवी जगत में ऐसे ही हलचल मची हुई है। आपको बता दे कि सिद्धू ‘द कपिल शर्मा शो’ में जज की कुर्सी संभाल रहे थे लेकिन जब उन्हें पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनने का मौका मिला तो उन्होंने शो छोड़ दिया। इसके बाद अर्चना पूरन सिंह को शो में जज बनाया गया।
आपको बता दे कि कपिल शर्मा अक्सर मजाक करते हैं कि अर्चना ने यहां से एक मंत्री तक निकलवा दिया साथ ही ये भी कि अर्चना का पहला प्यार उनके पति परमीत नहीं बल्कि कुर्सी है। अब जैसे ही सिद्धू के इस्तीफे की खबर सामने आई सोशल मीडिया पर अर्चना को लेकर मीम बनने लगे कि उनकी नौकरी संकट में है। वहीं अर्चना ने एक इंटरव्यू में इस बारे में अपनी राय साफ कर दी है। साथ ही उन्होंने कह दिया कि अगर सिद्धू शो पर लौटते हैं तो वो क्या करेंगी।
इस पर अर्चना का कहना हैं कि ये एक ऐसा मजाक है जो सालों से होता आया है और सच तो ये है कि मुझे फर्क ही नहीं पड़ता है, ना ही मैं इसे बहुत गंभीरता से लेती हूं। अगर सिद्धू सच में फिर से शो में एंट्री लेते हैं और मेरी जगह आते हैं तो मेरे पास और भी दूसरे काम हैं जो मैं कर सकती हूं। मैं काफी सालों से कुछ और करना चाहती थी।
अर्चना पूरन सिंह लंबे समय से कॉमेडी शोज को जज करती आईं हैं। कॉमेडी सर्कस के दौरान अर्चना जज की कुर्सी पर विराजमान थी और उनके जबरदस्त हंसने का अंदाज फैंस को काफी पसंद आता है। ऐसे में जब सिद्धू शो से बाहर हुए तो कपिल के पास अर्चना से बेहतर कोई रिप्लेसमेंट ही नहीं था।
बता दें कि अर्चना ने खुलासा किया कि जब सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे तो मेरे घर पर लोगों ने खूब फूल भेजे थे। उन्होंने कहा कि लोगों ने फूलों के साथ संदेश भेजा था कि, अर्चना मैम मुबारक हो क्योंकि वो वहां पर बन गए हैं। दरअसल लोगों का ये कहना था कि अब सिद्धू पार्टी को लेकर अपना फर्ज पूरा करेंगे तो शो पर लौटेंगे नहीं। ऐसे में अर्चना की कुर्सी को कई नुकसान नहीं होगा।
आपको बता दे कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। लेकिन उनका कहना है कि वे कांग्रेस में बने रहेंगे। सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे खत में कहा कि वे कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने रहेंगे। 23 जुलाई को उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था।
कर्मकार कल्याण बोर्ड से शमशेर सिंह सत्याल की छुट्टी..
उत्तराखंड: भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल की बोर्ड से छुट्टी कर दी गई है। इसके साथ ही शासन ने बोर्ड का पुनर्गठन भी कर दिया है। सचिव श्रम हरबंस सिंह चुघ को बोर्ड के अध्यक्ष और पीसीएस डा अभिषेक त्रिपाठी को सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ ही बोर्ड को लेकर सत्याल और श्रम मंत्री डा हरक सिंह रावत के मध्य छिड़ी रार के अब खत्म होने के आसार हैं।
आपको बता दे कि कर्मकार कल्याण बोर्ड पिछले साल अक्टूबर में तब सुर्खियों में आया, जब तत्कालीन त्रिवेंद्र सरकार ने बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी देख रहे श्रम मंत्री डा हरक सिंह रावत से यह जिम्मा वापस ले लिया था। जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी माने जाने वाले शमशेर सिंह सत्याल को अध्यक्ष बना दिया गया। इस पर श्रम मंत्री ने सख्त नाराजगी जताई थी, लेकिन तब सरकार के निर्णय के अनुरूप शासन ने बोर्ड का पुनर्गठन कर दिया था।
बोर्ड के सचिव की जिम्मेदारी देख रही दमयंती रावत को भी उनके मूल विभाग में भेज दिया गया था। जिसके बाद सत्याल की अध्यक्षता वाले बोर्ड ने पिछले बोर्ड के सभी फैसले पलट दिए थे। साथ ही बोर्ड के तमाम कार्यों में नियमों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए इसका स्पेशल आडिट कराने का निर्णय लिया था। लेकिन तब इसे टाल दिया गया था।
सरकार में नेतृत्व परिवर्तन के बाद तीरथ सरकार के कार्यकाल में बोर्ड की सचिव को हटाकर हरिद्वार की उपश्रमायुक्त को यह जिम्मा सौंपा गया। इस पर बोर्ड अध्यक्ष सत्याल ने आपत्ति जताई और तभी से दोनों के मध्य तलवारें खिंची थी।
इतना ही नहीं, इसके बाद बोर्ड को लेकर सत्याल और श्रम मंत्री भी एक-दूसरे के खिलाफ मुखर थे। इस बीच बोर्ड का मामला हाईकोर्ट में भी पहुंच गया। इन सबके चलते सरकार की किरकिरी हो रही थी। जिसके बाद धामी सरकार ने बोर्ड से सत्याल को हटाने का निर्णय लिया। श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने सत्याल को हटाए जाने की पुष्टि की।
खुशखबरी- दरोगा के पदों पर भर्ती को मिली मंजूरी..
उत्तराखंड: पुलिस सिपाही भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होने के साथ ही अब दरोगा भर्ती का भी रास्ता साफ हो गया है। कैबिनेट ने दरोगा सेवा नियमावली में संशोधन को मंजूरी प्रदान कर दी हैं। इसके साथ पुलिस मुख्यालय ने 150 पदों पर भर्ती की तैयारी शुरू कर दी है। पुलिस मुख्यालय ने इसी सप्ताह 1521 कांस्टेबल के रिक्त पदों पर भर्ती का अधिचयन अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भेज दिया है।
अब मुख्यालय दूसरे चरण में दरोगा के 150 पदों पर भर्ती की तैयारी कर रहा है। इसके लिए मुख्यालय उप निरीक्षक सेवा नियमावली में बदलाव का इंतजार कर रहा था। अब कैबिनेट से नई नियमावली को हरी झंडी मिल गई है। नई नियमावली के तहत अब सिविल पुलिस का कोटा 50 प्रतिशत हो गया है।
जो पहले 34 प्रतिशत ही था। शेष 50 प्रतिशत पद इंटेलीजेंस और पीएससी के बीच बटेंगे। इसी के साथ गृह विभाग ने वर्तमान में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पास लंबित दरोगा रैंकर्स भर्ती का परिणाम जारी करने को हरी झंडी दे दी है।
उक्त परिणाम अब नई नियमावली के अधीन ही जारी होगा। इसी के साथ रैंकर्स भर्ती अब हमेशा के लिए समाप्त कर दी गई है। जिसके बाद अब पुलिस में कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल में पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर होंगे। दरोगा भर्ती के लिए नियमावली संशोधन का इंतजार किया जा रहा था। अब नई नियमावली के तहत अक्तूबर में भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ कर दी जाएगी।
सिद्धू 72 दिन के प्रदेश अध्यक्ष, कहा-पंजाब के भविष्य से समझौता नहीं करूंगा..
देश-विदेश: पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच मंगलवार को पार्टी प्रधान नवजोत सिद्धू ने 72 दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिन पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उसके बाद से सिद्धू पर सुपर सीएम होने के आरोप लग रहे थे।
मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम संबोधित त्यागपत्र में सिद्धू ने लिखा कि समझौता करने से व्यक्ति का चरित्र खत्म हो जाता है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब की जनता के कल्याण के एजेंडा से कभी समझौता नहीं कर सकता हूं। उन्होंने आगे लिखा, इसलिए मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं।
मैं कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा। उनके इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर ने अपनी पहली प्रतिक्रिया ट्वीट के माध्यम से दी। उन्होंने लिखा कि मैंने तो पहले ही कहा था कि यह आदमी स्थिर नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए सिद्धू सही नहीं है।
पंजाब की राजनीति में उलटफेर जारी है। मंगलवार को पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात पर अटकलों का सिलसिला खत्म भी नहीं हुआ था कि नवजोत सिद्धू ने इस्तीफा देकर नया धमाका कर दिया। वहीं सूत्रों के अनुसार, सिद्धू इकबाल प्रीत सहोता को डीजीपी बनाए जाने से नाराज थे।
पार्टी की जीत के साथ ही शुरू हुए थे विवाद..
आपको बता दे कि आज पंजाब कांग्रेस जिस समस्या से जूझ रही है, उसकी शुरुआत 2017 चुनाव में पार्टी की जीत के साथ ही हुई थी। बता दे कि नवजोत सिंह सिद्धू 2017 चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। बेबाक अंदाज वाले सिद्धू राहुल और प्रियंका वाड्रा की पसंद थे। पार्टी जीती तो सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चाएं तेज हो गई।
लेकिन जब कैप्टन सीएम बने तो उन्होंने साफ कर दिया कि पंजाब को डिप्टी सीएम की जरूरत नहीं है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि अति महत्वाकांक्षी सिद्धू के लिए ये पहला झटका था और कैप्टन सिद्धू विवाद की शुरुआत यहीं से हो गई थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड एडवेंचर फेस्ट में किया प्रतिभाग..
उत्तराखंड: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर सॉलिटेयर फार्म मालसी, देहरादून में उत्तराखण्ड एडवेंचर फेस्ट में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने पर्यटन पर आधारित लगाई गई प्रदर्शनियों का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि पर्यटन परियोजनाओं के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक पर्यटन सुविधा एवं निवेश प्रकोष्ठ का निर्माण किया जायेगा।
पर्यटन उद्योगों से संबंधी सभी प्रस्तावों पर विशेष रूप से पर्यटन विभाग द्वारा ही कार्यवाही की जायेगी, न कि उद्योग विभाग के द्वारा। शहरी विकास विभाग और आवास विभाग विशेष रूप से उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों के लिए बहुस्तरीय कार- लिफ्ट स्थान स्थापित करने के लिए एक परियोजना शुरू की जायेगी।
नवंबर, 2021 में कुमाऊं के रामनगर में साहसिक कार्य पर निवेश सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। खेल विभाग की ओर से पंडित नैन सिंह सर्वेयर पर्वतारोहण प्रशिक्षण संस्थान पर्यटन विभाग को सौंपा जाएगा। उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग को एक स्थायी, पर्यावरण के अनुकूल उद्योग के रूप में विकसित करने के मार्ग तलाशने के लिए पर्यटन मंत्रालय के तहत एक समर्पित ईकोटूरिज्म विंग का गठन किया जाएगा। ईकोटूरिज्म विंग का उद्देश्य दीर्घकालिक विचारों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक सहभागिता व सामाजिक नेतृत्व की भागीदारी के साथ ईकोटूरिज्म का विकास सुनिश्चित करना होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना हैं कि उत्तराखंड प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है। उत्तराखण्ड में पर्यटन के क्षेत्र में अनेक संभावनाएं हैं। हर साल करोड़ों में पर्यटक यहां आते हैं। उनका कहना हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही विभिन्न विकास योजनाओं से उत्तराखंड को पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा। ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश – कर्णप्रयाग रेलवे लाइन जैसे निर्माण कार्य आज उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे हैं। राज्य में सड़क, रेल एवं हवाई कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ी है। विभिन्न क्षेत्रों में नई पॉलिसी लाई जा रही है एवं उनका सरलीकरण किया जा रहा है।
चारधाम यात्रा: उत्तराखंड शासन ने जारी किया नया आदेश..
उत्तराखंड: नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उत्तराखंड शासन के धर्मस्व विभाग ने चारधाम यात्रा 2021 के लिए तीर्थ यात्रियों की संख्या निर्धारित की है। इसके संबंध में विभाग ने एसओपी जारी किया है। एसओपी के अनुसार श्री बद्रीनाथ धाम हेतु के लिए 1000, श्री केदारनाथ के लिए 800, श्री गंगोत्री के लिए 600 और श्री यमुनोत्री के लिए 400 तीर्थयात्री प्रतिदिन चारों धाम पहुंच सकते हैं।
शासन का कहना है कि 18 सितंबर से शुरू हुई चारधाम यात्रा में देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट www.devasthanam.uk.gov.in में पंजीकृत तीर्थयात्रियों में से प्रतिदिन कम श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इसलिए अब यह संख्या निर्धारित की गई है। नए आदेश में कहा गया हैं कि जो पंजीकृत तीर्थयात्री निर्धारित तिथि को चारधाम यात्रा पर नहीं पहुंच रहे हैं उनके स्थान पर अन्य पंजीकृत तीर्थयात्री चारधाम में दर्शन को जा सकेंगे।
हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार, शासन की ओर से चारधाम यात्रा भले ही शुरू कर दी गई है। लेकिन सरकार शासन की ओर से चारधाम में तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित किए जाने की वजह से न सिर्फ तीर्थयात्री बल्कि बस और टैक्सी संचालकों के सामने भी मुसीबत खड़ी हो गई है।
स्थिति यह है कि चार धाम यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं होने से दूसरे राज्यों के तीर्थयात्री न सिर्फ ट्रेन बल्कि ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून से बुक कराई गई टैक्सी और बसों की बुकिंग भी निरस्त करवा रहे। तीर्थयात्रियों के इस कदम ने चारधाम यात्रा के लिए बस और टैक्सी संचालित करने वाले संचालकों की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
उत्तराखंड परिवहन महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय का कहना है कि सरकार और शासन की ओर से बद्रीनाथ धाम के लिए एक हजार, केदारनाथ धाम के लिए आठ सौ, गंगोत्री के लिए छह सौ और यमुनोत्री धाम के लिए चार सौ तीर्थयात्रियों की संख्या निर्धारित की गई है।
चारधाम में इतनी कम संख्या निर्धारित किए जाने की वजह से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री बस और टैक्सी की बुकिंग निरस्त करवा चुके हैं। तीर्थयात्रियों में तमाम ऐसे हैं जो ट्रेन से हरिद्वार, ऋषिकेश को पहुंच गए, लेकिन चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण नहीं करा पाने की वजह से उन्होंने बस और टैक्सी की बुकिंग भी निरस्त करा दी ।
भाजपा नेता व पूर्व दर्जाधारी अजेंद्र अजय ने प्रदेश के धर्मस्व सचिव हरीश चंद्र सेमवाल से फोन पर बात कर चार धामों के दर्शन के लिए निर्धारित की गई श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी की मांग की है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इस अनुमति के लिए प्रदेश शासन को हाई कोर्ट से अनुरोध करना चाहिए।
अजेंद्र ने कहा कि इस वर्ष अब चार धाम यात्रा को लगभग एक माह का समय ही शेष रह गया है। नैनीताल उच्च न्यायालय द्वारा श्रद्धालुओं की संख्या सीमित किए जाने से जहां एक ओर अनेक लोग यात्रा करने से वंचित रह जाएंगे, वहीं दूसरी तरफ यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों को लॉकडाउन के कारण हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई में कठिनाई पैदा होगी। उन्होंने सचिव धर्मस्व को सुझाव दिया कि प्रदेश शासन इस विषय में नैनीताल उच्च न्यायालय से अनुरोध करे, ताकि चारों धामों में अधिक संख्या में यात्रियों को दर्शनों की अनुमति मिल सके।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार के अनुरोध पर नैनीताल उच्च न्यायालय ने चारों धामों में कुछ शर्तों के साथ यात्रा की अनुमति दी है। न्यायालय ने बद्रीनाथ के लिए 1000, केदारनाथ के लिए 800, गंगोत्री के लिए 600 व यमुनोत्री के लिए 400 यात्रियों को प्रतिदिन दर्शन करने की अनुमति दी है।
कोविड काल के दौरान चार धाम यात्रा के पूरी तरह से ठप हो जाने के कारण अर्थ व्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। इसके मददेनजर प्रदेश सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू कराने को लेकर न्यायालय में प्रभावी तरीके से अपना पक्ष रखा।
न्यायालय ने यात्रा शुरू कराने की अनुमति तो दी। मगर यात्रियों की संख्या सीमित करने से यात्रा व्यवसाय से जुड़े लोगों के अलावा इन धामों की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हैं।
चमोली के नारायणबगड़ में बादल फटने से मची तबाही..
उत्तराखंड: लगातार हो रही बारिश के कारण उत्तराखंड में तबाही मची हुई हैं। आये दिन यहां पर बादल फटने की खबर सामने आ रही हैं। ऐसी ही खबर उत्तराखंड के चमोली जिले से भी सामने आयी हैं। जहां सोमवार तड़के बादल फटने की घटना से तबाही मच गई है। जिले के नारायणबगड़ में तड़के बादल फटने की घटना में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के मजदूरों के करीब 15 टेंट मलबे में दब गए।
वहीं मलबे से कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे भी बंद हो गया है। मार्ग को खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह नारायणबगड़ के पंती कस्बे के ऊपरी भाग में करीब 6 बजे बादल फटने से मंगरीगाड़ में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है।
गधेरे (बरसाती नाले) के सैलाब से कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे के किनारे बीआरओ के मजदूरों के करीब 10 से 15 टेंट मलबे में दब गए। जब मलबा आया मजदूर अपने टेंट के अंदर थे। लेकिन जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ। मजदूरों के परिजनों और स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाते हुए सभी बच्चों और महिलाओं को सैलाब से बचा लिया। ये सभी मजदूर नेपाल और झारखंड के रहने वाले हैं। मलबे से कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे बंद हो गया है, जिसे खोलने के प्रयास जारी हैं।
नारायणबगड़ क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील..
घटना के दौरान वह पर मौजूद लोगों का कहना हैं कि कई दोपहिया वाहन व कार भी मलबे में दबे हुए हैं। प्रशासन मौके पर पहुंच गया है। बचाव व राहत के कार्य शुरू कर दिए गए हैं। मजदूरों और उनके बच्चों को गांव के लोगों ने अपने घरों में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है। बादल फटने की घटना से पूरे क्षेत्र के लोग खौफजदा हैं। स्थानीय जानकारों का कहना है कि नारायणबगड़ क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील है। जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी के मुताबिक घटना में जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है। कर्णप्रयाग-ग्वालदम हाईवे को खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई है।
चारधाम यात्रा के लिए गाइडलाइन जारी, पढ़िए पूरी खबर..
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर लगी रोक हट गई है। इस फैसले से उन कारोबारियों को बड़ी राहत मिली है, जो लंबे वक्त से चारधाम यात्रा की शुरुआत का इंतजार कर रहे थे। आज यानि शनिवार से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। अगर आप भी शनिवार से शुरू होने जा रही चारधाम यात्रा में शामिल होने जा रहे हैं तो इसके लिए नियमों का भलिभांति समझ लें। कहीं ऐसा न हो कि आप चारधाम यात्रा से वंचित रह जाएं।
परिवहन आयुक्त दीपेंद्र कुमार चौधरी की ओर से शुक्रवार को यात्रा के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए। दिशा-निर्देशों के अनुसार किसी भी यात्री वाहन को ग्रीन कार्ड या ट्रिप कार्ड के बिना प्रवेश नहीं दिया जाएगा। यात्रा करने वाले लोग वाहन की आरसी, फिटनेस प्रमाण पत्र, इंश्योरेंस, प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र, परमिट, उत्तरखंड राज्य का मोटर वाहन कर जमा कराने का प्रमाण पत्र, चालक का लाइसेंस, ग्रीन कार्ड, ट्रिपकार्ड, यात्री सूची की वैध मूल प्रमाण की प्रति जरूर साथ रखें।
वाहन की लाइट, डीपर, वाईपर, ब्रेक, स्टेयरिंग, टायर की जांच कर लें। वाहन में लाल, सफेद और पीले रिफ्लेक्टर लगाएं। फर्स्ट एड किट, लकड़ी या लोहे का गुटका और अग्निशमन यंत्र रखें। वाहन में टॉर्च, रस्सी, पंचर किट, हवा भरने का पंप रखें। इसके साथ ही वाहन में कूड़ादान और वोमेटिंग बैग भी रखें। यात्रा के दौरान मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजर का पालन करना होगा।
चारधाम यात्रा के दौरान रात आठ बजे से सुबह पांच बजे तक वाहनों का संचालन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित रहेगा। वाहन में किसी भी तरह का ज्वलनशील पदार्थ एलपीजी, डीजल, पेट्रोल, कैरोसिन टैंक के अलावा अलग से स्टोर न करें। एक चालक एक दिन में लगातार आठ घंटे से अधिक वाहन न चलाए। चप्पल पहनकर वाहन चलाने पर कार्रवाई हो सकती है। मोटर कैब, मैक्सी कैब में टेपरिकॉर्डर का संचालन नहीं किया जा सकता। टूरिस्ट बसों में इस शर्त पर म्यूजिक सिस्टम चलाने की अनुमति होगी कि उसका संचालन कंडक्टर के हाथ में हो।
देर रात फिर हुए तबादले ,19 पीसीएस अधिकारियों के कार्यभार बदले..
उत्तराखंड: देर रात फिर हुए तबादले उदय राज सिंह को अपर सचिव पेयजल बनाया गया गिरधारी सिंह रावत को निदेशक खेल बनाया गया रंजना से प्रबंध निदेशक तराई बीज विकास निगम वापस लिया गया रोहित मीणा को मुख्य कार्यपालक अधिकारी उत्तराखंड खादी ग्राम उद्योग बोर्ड बनाया गया हरीश चंद्र कांडपाल से अधिशासी निदेशक उत्तराखंड ग्रामीण विकास संस्थान लिया गया वापस विनोद गिरी गोस्वामी से निदेशक प्रशासन और मॉनिटरिंग पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय जीवन सिंह से संभागीय खाद्य नियंत्रक कुमायूं संभाग लिया गया वापस प्रबंध निदेशक तराई बीज विकास निगम बनाया गया।
आरडी पालीवाल को अधिशासी निदेशक उत्तराखंड ग्रामीण विकास संस्थान बनाया गया अशोक कुमार पांडे को अपर जिलाधिकारी नैनीताल बनाया गया अभिषेक त्रिपाठी को अपार स्थानिक आयुक्त उत्तराखंड नई दिल्ली बनाया गया केके मिश्रा को अपर जिलाधिकारी देहरादून और मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्मार्ट सिटी देहरादून बनाया गया जगदीश लाल से सचिव सेवा का अधिकार आयोग का पद हटाया गया गिरीश चंद गुणवंत को नगर आयुक्त नगर निगम ऋषिकेश व सचिव सेवा का अधिकार की दी गई जिम्मेदारी।
हरवीर सिंह को संभागीय खाद्य नियंत्रक कुमाऊं यू संभाग की भी दी गई जिम्मेदारी अपर जिलाधिकारी प्रशासन नैनीताल की जिम्मेदारी ली गई वापस रजा अब्बास को उप सचिव सूचना आयोग का अतिरिक्त पंकज कुमार उपाध्याय को सचिव जिला विकास प्राधिकरण नैनीताल का अतिरिक्त प्रभार दयानंद सरस्वती ग्रुप कुंभ मेला अधिकारी हरिद्वार का अतिरिक्त प्रभार जयकिशन को संयुक्त मजिस्ट्रेट रानीखेत की जिम्मेदारी अनुराग आर्य को डिप्टी कलेक्टर रुद्रप्रयाग बनाया गया।