उत्तराखंड के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक क्षेत्र में महिलाओं की बढ़चढ़ कर भागीदारी के उदाहरण भरे पड़े हुए हैं। उत्तराखंड पृथक राज्य निर्माण आंदोलन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। अलग राज्य पाने के लिए यहां की मातृ शक्ति को अथाह संघर्ष व बलिदान ही नहीं देना पड़ा, अपितु अपनी अस्मिता तक लुटानी पड़ी है। मगर फिर भी उसने अलग राज्य मिलने तक हार नहीं मानी थी।
विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन के कारण यहां की महिलाओं का अपने पर्यावरण के प्रति दृष्टि का लोहा दुनिया ने माना है। चिपको आंदोलन के बाद विकास व पर्यावरण की एक नई बहस शुरू हो गई थी। नशामुक्ति के विरुद्ध आंदोलन हो या अन्य तमाम मुद्दे, पहाड़ की की महिलाएं किसी मोर्चे पर पीछे नहीं दिखी हैं। स्वतंत्रता से पूर्व की बात करें तो देश की आजादी के आंदोलन में भी उसकी भागीदारी रही है।
मगर इसे विडंबना ही कहना चाहिए कि राजनीतिक व सामाजिक तौर पर अपनी पूरी सजगता प्रदर्शित करने के बावजूद पहाड़ की महिलाओं का पहाड़ जैसी कठिनाइयों से लगातार वास्ता पड़ता रहा है। रोजगार की तलाश में पहाड़ से होने वाले पलायन की मार का सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं के जीवन पर दिखता है।
बच्चों के लालन-पालन से लेकर चूल्हा-चौका, खेत-खलिहान और अंदर-बाहर तक पूरी गृहस्थी की धुरी महिलाओं के इर्द-गिर्द सिमट कर रह जाती है। सरकारों की तमाम कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद पहाड़ की महिलाओं के पीठ का बोझ कम नहीं हुआ है। महिलाएं सुबह जंगल चली जाती हैं और जब घास-लकड़ी की गठरी तैयार हो जाए तभी लौटकर आती हैं और ऐसे में कई बार तो शाम के अंधेरे में ही घर पहुंच पाती हैं।
घास लेने जंगल गई महिलाओं के पेड़ से गिरने अथवा चट्टानों से फिसल कर मौत होने की घटनाएं भी अक्सर सुनाई देती हैं। इसके साथ ही जंगली जानवरों से भी उसका साबका अक्सर पड़ता रहता है। प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि कार्यों का पूरा जिम्मा आमतौर पर महिलाओं के ही कंधे पर होता है। खेत जुतवाने हों या उनकी निराई-गुड़ाई-कटाई के तमाम काम उन्हें ही करने होते हैं। मगर जिन खेतों में वो अपना पूरा खून-पसीना बहाती हैं, उसका स्वामित्व भी उनके पास नहीं है।

इसे सुखद संकेत मानना चाहिए कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने इस दिशा में एक नई पहल की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कुछ समय पूर्व घोषणा की थी कि उनकी सरकार भूमि के स्वामित्व में महिलाओं को भी अधिकार प्रदान करेगी। मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में प्रदेश मंत्रिमंडल की विगत 18 नवम्बर को आयोजित बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गई।
प्रदेश मंत्रिमंडल ने भूमि के स्वामित्व में महिलाओं (बालिग) को अधिकार देने के लिए राज्य के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने का निर्णय लिया है। समिति में राजस्व व न्याय विभाग के सचिवों को भी शामिल किया गया है। यह समिति तय करेगी कि भूमि के स्वामित्व में महिलाओं की हिस्सेदारी किस प्रकार से तय की जाएगी। समिति शीघ्र ही इसका प्रस्ताव तैयार कर अगली बैठक में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उम्मीद है की जल्दी ही प्रदेश में महिलाओं को भूमि के स्वामित्व में अधिकार मिल जाएगा।
महिलाओं के नाम पर भूमि होने से वे बैंक से ऋण लेकर अपना कुछ भी व्यवसाय शुरू कर सकेंगी। बहरहाल, महिलाओं को भूमि के स्वामित्व में अधिकार देना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा और वो केवल दूसरे पर ही निर्भर नहीं रहेंगी। महिलाओं के आत्मनिर्भर होने का मार्ग प्रशस्त होगा। महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलेगा।
प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट गुरुवार को वैदिक विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए। गुरुवार को ही हिमालय में स्थित द्वितीय केदार के रूप में पूजे जाने वाले भगवान मद्महेश्वर के कपाट भी बंद हो गए।
कपाट बंद होने के मौके पर बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से भव्य सजाया गया था। ब्रह्म मुहुर्त में मंदिर को पूजा के लिए खोला दिया गया था। इसके बाद नित्य भोग लगा कर अपराह्न में रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी द्वारा कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

परंपरा के अनुसार बद्रीनाथ के निकट स्थित माणा गांव की महिलाओं द्वारा बुना गया घृत कंबल भगवान बद्रीविशाल को ओढ़ाया गया। इसके साथ ही विभिन्न धार्मिक रस्मों का निर्वहन करते हुए अपराह्न 3 बजकर 35 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए।
इस अवसर पर उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह, धर्माधिकारी भुवन उनियाल सहित प्रशासन, पुलिस व सेना के अधिकारी मौजूद रहे।

उधर, मद्महेश्वर में मुख्य पुजारी टी.गंगाधर लिंग ने स्वयंभू शिवलिंग की समाधि पूजा कर कपाट बंद होने की प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद बाबा मद्महेश्वर की डोली ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए रवाना हुई। शीतकाल में भगवान मद्महेश्वर की पूजा- अर्चना उखीमठ में ही होती है।
वर्षा व बर्फवारी के बीच विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट सोमवार को भैयादूज के अवसर पर शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं । कपाट बंद करने से पहले मंदिर तड़के तीन बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया था। इसके बाद मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने बाबा की समाधि पूजा संपन्न की और साढ़े छ: बजे भगवान भैरवनाथ को साक्षी मानकर मंदिर के गर्भगृह को बंद कर दिया। वैदिक विधि-विधान के साथ साढ़े आठ बजे मंदिर का सभा मंडप व मुख्य द्वार बंद किया गया। कपट बंद होने के साथ ही भगवान केदारेश्वर की चल-उत्सव डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल उखीमठ के लिए रवाना हो गई।
कपाट बंद होने के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के औद्योगिक सलाहकार डॉ के.एस. पंवार उपस्थित रहे।
इसके अलावा मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मनुज गोयल, देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी. सिंह, पुलिस अधीक्षक नवनीत भुल्लर, मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी युद्धवीर पुष्पवान सहित तीर्थ पुरोहित एवं हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे । देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि इस यात्रा वर्ष 1,350,23 श्रद्धालुओं ने भगवान केदारनाथ के दर्शन किए।
बाबा के जय घोष के साथ डोली ने अपने प्रथम पड़ाव रामपुर हेतु प्रस्थान किया, जहां देवस्थानम बोर्ड के कार्याधिकारी एन.पी.जमलोकी, कोषाध्यक्ष आर सी तिवारी एवं वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल उत्सव डोली की अगवानी करेंगे। 17 नवंबर मंगलवार को उत्सव डोली श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी और 18 नवंबर को उखीमठ स्थित शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी। उखीमठ में ही बाबा केदारनाथ की शीतकालीन पूजा होती है।
कपाट बंद होने के अवसर पर केदारनाथ धाम में बारिश व बर्फबारी के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखाई दी। बर्फबारी के बीच बाबा की डोली सेना के बेंड की धुन पर केदारनाथ से रवाना हुई। बर्फबारी के कारण उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री अपने निर्धारित समय पर बद्रीनाथ के लिए उड़ान नहीं भर सके।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दो दिन के उत्तराखंड के दौरे पर रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ केदारनाथ पहुंचे। केदारनाथ में हैलीपैड पर उतरने के तुरंत बाद दोनों मुख्यमंत्रियों ने वर्ष 2013 की आपदा के बाद वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। शाम को दोनों मुख्यमंत्री केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर रात्रि विश्राम भी वहीं करेंगे।
इससे पूर्व, योगी आदित्यनाथ दोपहर में राजकीय वायुयान से गोरखपुर से देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे। एयरपोर्ट पर योगी आदित्यनाथ का मुख्यमंत्री त्रिवेंद, प्रदेश के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत व मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने स्वागत किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी हैं।

जौलीग्रांट एयरपोर्ट से वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हेलीकॉप्टर से केदारनाथ के लिए रवाना हुए। 16 नवंबर की प्रातः शीतकाल के लिए केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हो रहे हैं। दोनों मुख्यमंत्री प्रातः केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर कपाट बंद होने के कार्यक्रम के साक्षी बनेंगे। इसके बाद दोनों प्रातः 7:30 बजे बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। बद्रीनाथ में प्रातः 8 से 9 बजे तक उनका पूजा-अर्चना का कार्यक्रम है।
पूजा-अर्चना के बाद वे बद्रीनाथ में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होंगे। यहां बता दें कि बद्रीनाथ में हेलीपैड के समीप उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (Jagat Prakash Nadda) ने अपनी टीम का विस्तार करते हुए विभिन्न प्रदेशों के प्रभारी का सह प्रभारियों की नियुक्ति की है। उत्तराखंड का प्रभार राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम को सौंपी गई है। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा को उत्तराखंड का सह प्रभारी नियुक्त किया गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री व मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्रीय महामंत्री दुष्यंत कुमार गौतम को उत्तराखंड के अलावा पंजाब व चंडीगढ़ का प्रभार भी सौंपा गया है। गौतम ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। भाजपा में लम्बे समय तक विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। वे भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। वर्तमान में वे हरियाणा से राज्यसभा सदस्य हैं।
उत्तराखंड की सह प्रभारी बनाई गईं रेखा वर्मा पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के साथ- साथ उत्तर प्रदेश की धौरहरा लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। वर्ष 2014 में रेखा वर्मा पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को हराकर लोकसभा पहुंचीं। 2019 के चुनाव में भी रेखा ने वहीं इतिहास दोहराया। इस बार उनकी जीत का अंतर और बढ़ गया।
इसके साथ भूपेंद्र यादव को किसान मोर्चा, अरुण सिंह को अन्य पिछड़ा वर्ग मोर्चा, दुष्यंत कुमार गौतम को महिला मोर्चा, तरुण चुग को युवा मोर्चा, डी. पुरंदेश्वरी को अल्पसंख्यक मोर्चा, सीटी रवि को अनुसूचित जाति मोर्चा और दिलीप सैकिया को अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रभारी बनाया गया है।


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15-16 नवंबर को दो दिन के उत्तराखंड दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे केदारनाथ व बद्रीनाथ के दर्शन करेंगे। साथ ही बद्रीनाथ में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास करेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस भ्रमण में उनके साथ रहेंगे।
सरकारी सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 नवंबर को दोपहर 2:50 बजे गोरखपुर से सरकारी जहाज से जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचेंगे। वहां से वे हेलीकाप्टर से केदारनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। केदारनाथ मंदिर में दर्शन व पूजन के बाद वे वहां का भ्रमण भी करेंगे। उस दिन रात्रि को योगी आदित्यनाथ केदारनाथ में ही रुकेंगे।
16 नवंबर को प्रातः 4:30 बजे से एक घंटे तक योगी आदित्यनाथ केदारनाथ धाम में पूजा-अर्चना कर कपाट बंद होने के कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके बाद वे प्रातः 7:30 बजे बद्रीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगे। बद्रीनाथ में प्रातः 8 से 9 बजे तक उनका पूजा-अर्चना का कार्यक्रम है।
पूजा-अर्चना के बाद वे 10 बजे बद्रीनाथ में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृह का शिलान्यास करेंगे। यहाँ बता दें कि बद्रीनाथ में हेलीपैड के समीप उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटक आवास गृह का निर्माण प्रस्तावित है। इस कार्यक्रम में वे एक घंटे तक शिरकत करेंगे। इसके बाद वे लखनऊ के लिए रवाना होंगे।
उत्तराखंड (Uttarakhand) भाजपा (BJP) के तेज-तर्रार विधायकों (MLA) में शामिल सुरेंद्र सिंह जीना (Surendra Singh Jeena) का गुरूवार तड़के दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। पचास वर्षीय जीना को कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाए जाने के बाद पिछले सप्ताह अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनके निधन पर तमाम वरिष्ठ नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
विधायक जीना की गंगाराम अस्पताल में उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विगत दिवस अस्पताल के निदेशक को फोन कर विधायक के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी और उचित देखभाल के निर्देश दिए थे। मगर गुरूवार तड़के लगभग 4 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अभी लगभग दो सप्ताह पूर्व उनकी पत्नी नेहा जीना का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। बताया जाता है की पत्नी के निधन से उनको गहरा सदमा पहुंचा था।

मूल रूप से अल्मोड़ा जिले की भिक्यासैंण तहसील के सदीगांव निवासी सुरेंद्र सिंह जीना का जन्म 8 दिसंबर 1969 को हुआ था। दिल्ली में उनका अपना स्वतंत्र व्यवसाय था। वर्ष 2007 के विधान सभा चुनाव में उन्होंने प्रदेश की तत्कालीन भिक्यासैंण सीट से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। इसके बाद वे लगातार 2012 व 2017 में अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधान सभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। वे कुमायु मंडल विकास निगम (KMVN) के अध्यक्ष भी रहे हैं।
जीना को प्रदेश के बेहद प्रतिभाशाली व ऊर्जावान नेताओं में गिना जाता था। अपनी विधान सभा में वे खासे लोकप्रिय थे। उन्होंने अपने पिता प्रताप सिंह जीना के नाम से एक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया था। इसके माध्यम से वे गरीबों व जरूरतमंदों की हर तरह से सहायता करते थे। जीना बहुत बड़ी संख्या में अपने क्षेत्र के बेरोजगारों को दिल्ली आदि में रोजगार उपलब्ध कराते रहते थे।
उनके निधन पर प्रदेश की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय कुमार, सांसद अजय भट्ट, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत आदि ने शोक व्यक्त किया है।
उत्तराखंड के 21 वें स्थापना दिवस (Uttarakhand Foundation Day) के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा समेत तमाम नेताओं ने राज्यवासियों को बधाई दी है। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान शहीद हुए आंदोलनकारियों को याद करते हुए राजधानी देहरादून के शहीद स्मारक में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति कोविंद ने ट्विटर पर अपना सन्देश जारी करते हुए कहा कि – ‘देवभूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। राज्य का अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य और समृद्ध संस्कृति देश के लिए गौरव का विषय है। मैं राज्य के समग्र विकास और प्रगति के साथ उत्तराखंड के सभी निवासियों के उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य की कामना करता हूँ।’
उप राष्ट्रपति नायडू ने कहा – ‘राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखंड के लोगों को बधाई। देव भूमि के रूप में विख्यात – ‘देवताओं की भूमि’, उत्तराखंड अपनी सुरम्य सुंदरता और समृद्ध आध्यात्मिक विरासत के लिए जाना जाता है। राज्य और इसके मेहनती लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए मेरी शुभकामनाएं।’
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि – ‘उत्तराखंड के निवासियों को राज्य के स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई। प्रगति के पथ पर अग्रसर, प्राकृतिक संपदा और नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर यह प्रदेश ऐसे ही विकास की नित नई ऊंचाइयों को छूता रहे।’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया – ‘उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर प्रदेश के सभी बहनों व भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं। देवभूमि उत्तराखंड की निरंतर प्रगति और समृद्धि व प्रदेशवासियों की ख़ुशहाली की कामना करता हूँ।’
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने अपने सन्देश में कहा – ‘अध्यात्म के लिए विश्व विख्यात, भारतीय सभ्यता व संस्कृति की पावन संगम स्थली देवभूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।’
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने देहरादून के शहीद स्मारक पर राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और राज्य निर्माण में शहीदों के बलिदान का स्मरण किया।
अखिल भारतीय कांग्रेस ने भी अपने ट्विटर हैंडल से प्रदेशवासियों को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी हैं। मगर कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता ने कोई ट्वीट नहीं किया। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा – ‘समस्त प्रदेशवासियों को देवभूमि उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।’
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस (Uttarakhand Foundation Day) के अवसर पर आयोजित होने वाले चार दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला रविवार से शुरू हो गई। पहले दिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभिन्न स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों में राज्यवासियों को कई सौगातें दी। मुख्यमंत्री ने सुबह अपने सरकारी आवास से माउंटेन टैरेन बाइकिंग रैली का फ्लैग ऑफ कर कार्यक्रमों की औपचारिक शुरुआत की।
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा आयोजित इस साइकिल रैली को झंडी दिखा कर रवाना करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य के 21 वें वर्ष में प्रवेश के लिए सभी को बधाई दी। यह रैली मुख्यमंत्री आवास से जॉर्ज एवरेस्ट (मसूरी) के लिए रवाना हुई। इस रैली में युवाओं के अलावा महिलाओं ने भी प्रतिभाग किया।
सरकारी डिग्री कॉलजों में फ्री इंटरनेट सुविधा
कार्यक्रमों की श्रृंखला में रविवार को ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र डोईवाला पहुंचे, जहां उन्होंने शहीद दुर्गा मल्ल राजकीय महाविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदेश के सभी महाविद्यालयों व विश्व विद्यालयों के लिए हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी व वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सरकारी महाविद्यालयों को यह सुविधा प्रदान करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा युवाओं की पूरी दुनिया से जुड़ने की अभिलाषा होती है। इस दिशा में यह हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी युवाओं के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है।
प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि इस सुविधा का लाभ राज्य के 2 लाख से अधिक छात्र- छात्राओं को मिलेगा। कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, विधायक हरबंश कपूर आदि उपस्थित थे।
देश के सबसे लंबे भारी वाहन झूला पुल का लोकार्पण
दोपहर को मुख्यमंत्री ने टिहरी पहुंच कर विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील पर निर्मित डोबरा-चांठी मोटर पुल का लोकार्पण किया। यह पुल भारी वाहनों के लिए देश का सबसे लंबा झूला पुल है। इस पुल के निर्माण से क्षेत्र की जनता का लगभग डेढ़ दशक का इंतजार खत्म हुआ। 725 मीटर लंबा यह पुल लगभग 3 अरब की लागत से तैयार हुआ है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पुल के निर्माण से क्षेत्र के विकास में नए आयाम जुड़ेंगे। यह क्षेत्र पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि टिहरी झील साहसिक पर्यटन का केंद्र बनेगी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने लगभग पौने 5 अरब की योजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण भी किया। कार्यक्रम में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत, सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवान, विधायक विजय सिंह पंवार, धन सिंह नेगी, शक्ति लाल शाह आदि उपस्थित थे।
यहां बता दें कि 9 नवम्बर को उत्तराखंड अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूरे कर रहा है। स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में सरकार ने चार दिन तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। इस वर्ष स्थापना दिवस की खास बात यह है कि गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र दो दिन तक वहां आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे। यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि गैरसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कुछ बड़ी घोषणाएं भी कर सकते हैं।
उत्तराखंड हाईकोर्ट (High Court of Uttarakhand) ने उत्तरकाशी में तैनात मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate, CJM) नीरज कुमार को नशे की हालत में परिजनों से मारपीट और उत्पात मचाने के आरोप में निलंबित कर दिया है। निलंबन के दौरान नीरज कुमार जिला न्यायाधीश बागेश्वर के साथ संबद्ध रहेंगे और उन्हें वेतन-भत्ते आधे ही मिलेंगे। हाईकोर्ट ने उन्हें बिना अनुमति के जिला मुख्यालय छोड़कर न जाने का आदेश भी दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने दो जजों के स्थानांतरण भी किए हैं।
हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ की संस्तुति के बाद रजिस्ट्रार जनरल हीरा सिंह बोनाल ने कार्यालय ज्ञाप जारी कर CJM के तत्काल प्रभाव से निलंबन के आदेश दिए हैं। कार्यालय ज्ञाप के अनुसार CJM नीरज कुमार उत्तरकाशी की कलेक्ट्रेट कॉलोनी में रहते हैं। 30 अक्टूबर को कलेक्ट्रेट कॉलोनी के लोगों ने हाई कोर्ट को एक शिकायत भेजी। CJM पर आरोप है कि उन्होंने 29 अक्टूबर को रात 8 बजे से 12 बजे तक नशे में अपने परिजनों के साथ मारपीट की, गालियां दीं और सड़क में उत्पात मचाया।
CJM ने कॉलोनी में खड़ी एक उप जिला मजिस्ट्रेट व तहसीलदार के वाहनों के शीशे भी तोड़ दिए। जब आसपास के लोगों ने CJM को रोकने की कोशिश की तो उन्होंने लोगों के साथ दुर्व्यवहार किया। CJM की इन हरकतों के कारण आसपास रहने वाले परिवारों में बहुत रोष और भय था। CJM के पुत्र ने उन्हें घर ले जाने की कोशिश की तो उन्होंने बेटे के साथ भी अभद्र व्यवहार किया। इसके बाद CJM अपने सरकारी वाहन को बीच सड़क में ले जाकर लगातार हूटर बजाने लगे। हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली – 2002 के विभिन्न प्रावधानों के तहत CJM को निलंबित किया है।
इधर, हाई कोर्ट ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन) विकासनगर (देहरादून) के पद पर तैनात मदन राम को नीरज कुमार के स्थान पर उत्तरकाशी का CJM तैनात किया है। देहरादून के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रमेश सिंह (I st) को मदन राम की जगह विकासनगर भेजा गया है।