प्रदेश के मंत्रियों के विभागों की समीक्षा के क्रम में बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के साथ वन, सेवायोजन एवं कौशल विकास, श्रम तथा आयुष विभाग को लेकर बैठक की। समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कई निर्देश दिए।
वन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश के वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बुकिंग के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया जाए। वन विभाग द्वारा जहां भी वृक्षारोपण करवाया जा रहा है, उन वृक्षों की सुरक्षा के लिए सुनियोजित कार्ययोजना तैयार हो। वृक्षारोपण करने तक का ही उद्देश्य न हो, बल्कि इनकी सुरक्षा के लिए भी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। इस कार्य में जन सहयोग सुनिश्चित हो। वन विभाग राजस्व वृद्धि पर विशेष ध्यान दे। उन्होंने वनाग्नि को रोकने के लिए समुचित प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया।
आयुष विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि पौड़ी (गढ़वाल) के चरक डांडा में अंतर्राष्ट्रीय शोध संस्थान की स्थापना के लिए जल्द डीपीआर बनाई जाए। मुख्यमंत्री ने सेवायोजन एवं कौशल विकास को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश में जिन 25 आईटीआई को अपग्रेड किया जा रहा है, उनमें प्रशिक्षण की बेहतर व्यवस्था के साथ ही प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों के प्रतिभा प्रदर्शन एवं प्रोत्साहित करने के लिए प्रोडक्शन एवं मार्केटिंग की व्यवस्था भी हो। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के औद्योगिक संस्थानों में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए उद्योग विभाग की जिम्मेदारी सुनिश्चित की है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बताया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के अन्तर्गत ढेला ‘रेस्क्यू सेन्टर’ एवं पाखरो ‘टाइगर सफारी’ की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। उन्होंने कहा की प्रदेश में पिछले तीन सालों में प्रतिवर्ष औसतन 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। प्रदेश में 14.77 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित है, जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुना है। राज्य में 2006 में बाघों की संख्या 178 थी, जो 2018 तक बढ़कर 442 हो गई है। हाथियों की संख्या 2017 तक 1839 थी, जो अब बढ़कर 2026 हो गई है। वर्षा जल संरक्षण की दिशा में 02 वर्षों में लगभग 68.37 करोड़ ली0 वर्षा जलसंचय की संरचनाओं का निर्माण किया गया। वन विभाग द्वारा पिछले तीन सालों में विभिन्न योजनाओं के तहत 1 लाख 20 हजार लोगों को रोजगार दिया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने कुमायूं दौरे के दूसरे दिन शनिवार को बागेश्वर में जिले के अधिकारियों के साथ विभिन्न योजनाओं व कार्यों की समीक्षा बैठक की। उन्होंने शासकीय योजनाओं की अद्यतन प्रगति की जानकारी प्राप्त करते हुए विकास कार्यों में और तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विकास एवं जन कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से प्रदेश की जनता को लाभान्वित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में कोविड-19 से निपटने के लिए हम सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। इसमें किसी भी प्रकार का शिथिलता न बरती जाए। इस कार्य में पुलिस को एक्टिव होकर कार्य करना होगा तथा बिना मास्क व नियमों का पालन न करने वालों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करते हुए जुर्माना वसूला जाए। उन्होंने सभी लोगों तक मास्क की उपलब्धता बनी रहे, इसके लिए महिला समूह के माध्यम से मास्क बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि दवाईयों की कमी नहीं होनी चाहिए और मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। कोरोना संक्रमण वायरस के नियंत्रण व रोकथाम के लिए लगातार प्रचार-प्रसार किया जाए।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि इस योजना से लाभार्थियों को लाभान्वित करने के लिए विभाग निरंतर बैंकों के साथ समन्वय स्थापित करें। लाभार्थियों की परेशानियों को दूर करने के लिए बैंकों के साथ मेले का आयोजन करें और इसके लिए जनपद स्तर पर एक नोडल अधिकारी की तैनाती हो। कोविड-19 के कारण जनपद में वापस आये प्रवासियों की सफलता की कहानी पर मुख्यमंत्री ने प्रशंसा व्यक्त करते हुए कहा कि विभाग लोगों से वार्ता करें तथा वे जिस काम में रूचि रखते है उस कार्य के लिए उन्हें प्रेरित किया जाए।
मुख्यमंत्री घोषणा के संबंध में उन्होंने कहा कि जो कार्य शासन स्तर पर लम्बित है उन्हें चिन्हित कर तत्काल शासन को प्रेषित किया जाए। सिंचाई विभाग द्वारा बागेश्वर के घाट निर्माण के संबंध में उन्होंने कहा कि निर्माण कार्यों में स्थानीय पत्थरों का उपयोग किया जाए। उन्होंने कहा कि जिला योजना का 40 प्रतिशत व्यय रोजगारपरक योजनाओं पर अनिवार्य रूप से करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा प्रत्येक व्यक्ति को रोजगारपरक योजनाओं से लाभान्वित करना है। इसलिए स्थानीय आवश्यकताओं के दृष्टिगत स्थानीय प्रशासन निर्णय ले, ताकि आम जनमानस को योजनाओं का वास्तिवक लाभ मिल सके।
बैठक से पूर्व मुख्यमंत्री ने जनपद में ई-ऑफिस का शुभारम्भ किया। इस संबंध में जिलाधिकारी विनीत कुमार ने अवगत कराया कि इस प्रक्रिया को जिला कार्यालय से शुरु किया जा रहा है। इसके बाद मुख्य विकास अधिकारी, पुलिस अधीक्षक तथा तहसील कार्यालयों में प्रारम्भ किया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने ग्राम्या, ग्राम्य विकास विभाग, आजीविका सहयोग परियोजना तथा जिला उद्योग केन्द्र द्वारा लगाए गए स्टॉलों का निरीक्षण कर उनके उत्पादों की प्रशंसा की।
बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष बसंती देवी, विधायक चन्दन राम दास, व बलवन्त सिंह भौर्याल, भाजपा जिलाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट, सहित जनपदस्तरीय अधिकारी मौजूद रहे। इससे पहले, प्रातः मुख्यमंत्री ने बागनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को ग्रोथ सेंटरों की समीक्षा की। उन्होंने उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सभी ग्रोथ सेंटर, बिक्री और मुनाफे का लक्ष्य निर्धारित कर काम करें। उन्होंने जिलाधिकारियों को भी निर्देश दिए कि वे ग्रोथ सेंटरों में स्वयं जाकर वहां आने वाली समस्याओं का निस्तारण करें। उन्होंने उत्पादों की ऑनलाईन मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा।
ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों का स्किल डेवलपमेंट हो
मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों के साथ ग्रोथ सेंटरों की समीक्षा करते हुए कहा कि देहरादून के थानो व नैनीताल के कोटाबाग के एलईडी ग्रोथ सेंटरों को क्वालिटी डिजायनर उपलब्घ कराए जाएं। हरिद्वार में प्रसाद निर्माण से जुड़े सेंटर आगामी कुम्भ को देखते हुए अपनी तैयारियां करें। सभी ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों के स्किल डेवलपमेंट की भी व्यवस्था की जाए।
नियमित बिक्री की व्यवस्था हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रोथ सेंटरों के उत्पादों की सीजनल ही नहीं, बल्कि नियमित बिक्री सुनिश्चित की जाए। आसपास के कुछ ग्रोथ सेंटरों को मिलाकर एक पिकअप वाहन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा सकती है। इससे यातायात लागत कम होगी।
ग्रोथ सेंटर आत्मनिर्भर भारत और वोकल फोर लोकल का अच्छा उदाहरण
त्रिवेंद्र ने कहा कि ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों विशेष तौर पर महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है। इस आत्मविश्वास को और बढ़ाना है। जिलाधिकारी ग्रोथ सेंटरों में खुद जाकर वहां आने वाली समस्याओं का निस्तारण करें। ग्रोथ सेंटर आत्मनिर्भर भारत और वोकल फोर लोकल का अच्छा उदाहरण हैं।
उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बने
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के उत्पादों के लिए एक अम्ब्रेला ब्रांड बनाया जाए। इसके अंतर्गत अन्य ब्रांड भी चलते रहेंगे। इसके लिए दक्ष विशेषज्ञों की सहायता ली जाए। इसके लिए उत्तराखण्ड के उत्पादों की विशेषता, सम्भावित मार्केट आदि का पूरा अध्ययन किया जाए। ब्रांड का नाम इस प्रकार हो जिसमें उत्तराखण्ड की फीलिंग आए। उद्योग विभाग इसे क्रियान्वित करेगा।
ग्रोथ सेंटरों ने मुख्यमंत्री को दिया फीडबैक
मुख्यमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिग के माध्यम से विभिन्न ग्रोथ सेंटरों के संचालक स्वयं सहायता समूहों से बात की और उनसे फीडबैक लिया। बताया गया कि ग्रोथ सेंटर प्रारम्भ होने से उनसे जुड़े ग्रामीणों और महिलाओं की आय में बढ़ोतरी हुई है। धीरे-धीरे उत्पादों को बाजार भी मिलता जा रहा है। स्थानीय लोग ग्रोथ सेंटरों से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं। लोहाघाट के स्वयं सहायता समूह द्वारा बताया गया कि मशीने मिलने के बाद लोहे की कढ़ाई के निर्माण में काफी वृद्धि हुई है। इससे उनकी आय भी बढ़ी है। चमोली के उर्गम के स्वयं सहायता समूह ने बताया कि बदरी गाय के दूध व घी की अच्छी कीमत मिल रही है। दर्जनों ग्रोथ सेंटरों से जुड़े लोगों ने मुख्यमंत्री को ग्रोथ सेंटर योजना के लिए आभार व्यक्त करते हुए ग्रेाथ सेंटरों की कार्यविधि की जानकारी दी।
अभी तक 104 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत, 72 क्रियाशील
अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने बताया कि अभी तक कुल 104 ग्रोथ सेंटर स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 72 क्रियाशील हो चुके हैं। अन्य भी जल्द ही शुरू हो जाएंगे। इन ग्रोथ सेंटरों से लगभग 30 हजार लोग लाभान्वित हो रहे हैं। स्वीकृत किए गए ग्रोथ सेंटरों में एग्री बिजनेस आधारित 38, बेकरी आधारित 04, डेयरी व दुग्ध उत्पाद आधारित 05, मत्स्य 11, आर्गेनिक ऊन 10, प्रसाद 05, मसाला 04, फल प्रसंस्करण 05, शहद व मौन पालन 04, एलईडी 02, शिल्प आधारित 05, आईटी 02, पर्यटन 02, हथकरघा व क्विल्ट आधारित 02, पशुआहार 01 और एरोमा आधारित 04 ग्रोथ सेंटर हैं। बताया गया कि सितम्बर 2020 तक क्रियाशील ग्रोथ सेंटरों की कुल बिक्री धनराशि 6 करोड़ 09 लाख रूपए रही जबकि लाभ की राशि 60 लाख रूपए से अधिक रही। ग्रोथ सेंटरों के टर्नओवर और मुनाफे में लगातार वृद्धि हो रही है। ग्रोथ सेंटरों की ऑनलाईन मार्केटिंग के लिए वेबसाईट बनाई जा रही है। इनका थर्ड पार्टी मूल्यांकन भी कराया जाएगा।
बैठक में मुख्य सचिव ओमप्रकाश, उत्तराखण्ड ग्राम्य विकास और पलायन आयेाग के उपाध्यक्ष डा.एसएस नेगी, मुख्यमंत्री के सलाहकार आलोक भट्ट, अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, सचिव आरके सुधांशु, आर मीनाक्षी सुन्दरम, राधिका झा, हरबंस सिंह चुघ, डा.रणजीत सिन्हा, एसए मुरूगेशन, निदेशक उद्योग सुधीर नौटियाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
उत्तराखंड में आजकल सौर ऊर्जा की खेती चर्चा में है। प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार ने कोरोना काल में घर वापस लौटे प्रवासियों व अन्य बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना शुरु की है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद जिस तरह से इस योजना की अक्सर चर्चा कर रहे हैं, उससे यह अंदाज लगाना कठिन नहीं है कि वो खुद इसको लेकर कितने उत्साहित हैं। मुख्यमंत्री निरंतर इस योजना की प्रगति पर नजर रखे हुए हैं और उन्होंने इसे अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया हुआ है। अगर योजना वास्तविक धरातल पर उतरती है, तो यह स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।
योजना की खास बात
प्रदेश सरकार ने विगत दिवस 8 अक्टूबर को इस योजना का औपचारिक शुभारम्भ किया। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल इस योजना को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के एक अंग के रूप में संचालित किया जा रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार ने 10 हजार युवाओं व उद्यमियों को 25-25 किलोवाट की सोलर परियोजनाएं आवंटित करने का लक्ष्य रखा है। राज्य के स्थायी निवासी अपनी निजी या लीज की भूमि पर सोलर पॉवर प्लांट स्थापित कर सकते हैं। कोई भी उद्यमशील युवा, बेरोजगार, किसान इस योजना के लिए पात्र होगा। सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए डेढ़ से दो नाली यानी 300 वर्ग मीटर भूमि की जरुरत होगी।
योजना पर व्यय
25 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयत्र पर लगभग दस लाख रुपये का खर्च होगा। योजना की कुल लगत का 70 प्रतिशत तक लाभार्थी को ऋण के रूप में मिलेगा। शेष 30 प्रतिशत की राशि लाभार्थी को मार्जिन मनी के रूप में वहन करना होगा। चयनित लाभार्थियों को सहकारी बैंकों के माध्यम से आठ प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जाएगा। यह ऋण 15 वर्ष की अवधि के लिए होगा। योजना का आवंटन जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी।
प्रदेश के युवाओं और वापिस लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में मिलने वाले सभी लाभ इस योजना के विकासकर्ताओं को भी अनुमन्य होंगे। – त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री
प्रतिवर्ष 38 हजार यूनिट बिजली उत्पादन
राज्य में औसतन धूप की उपलब्धता के आधार पर 25 किलोवाट क्षमता के संयंत्र से पूरे वर्ष में लगभग 38 हजार यूनिट प्रतिवर्ष विद्युत उत्पादन हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत यूपीसीएल द्वारा स्थापित 63 केवीए और इससे अधिक क्षमता के स्थापित ट्रांसफार्मर्स से पर्वतीय क्षेत्रों में 300 मीटर और मैदानी क्षेत्रों में 100 मीटर की हवाई दूरी (एरियल डिस्टेंस) तक सोलर पावर प्लांट आवंटित किए जाएंगे। इन ट्रांसफार्मर्स की सूची आनलाईन उपलब्ध कराई जा रही है।
प्रतिमाह 15 हजार रूपये की आय होगी
योजना के अंतर्गत आवंटित परियेाजना से उत्पादित बिजली को उत्तराखंड ऊर्जा कार्पोरेशन (UPCL) द्वारा निर्धारित दरों पर 25 वर्षों तक खरीदी जाएगी। इसके लिए संबंधित लाभार्थी के साथ बिजली खरीद अनुबंध (PPA) किया जाएगा। ऊर्जा निगम लाभार्थियों से साढ़े चार रुपए की दर पर बिजली खरीदेगा। इस प्रकार लाभार्थी को 15 हजार रूपये प्रतिमाह तक का आर्थिक लाभ हो सकेगा।
सोलर फार्मिंग से एग्रो फार्मिंग
सरकार ने सोलर फार्मिंग को एग्रो फार्मिंग से जोड़ा है। प्लांट लगाने वाली भूमि पर जलवायु के अनुकूल जड़ी-बूटी व सगंध पौधों के बीज निःशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके साथ ही मधुमक्खी पालन, अदरक आदि का उत्पादन किया जा सकता है। इससे जहां बंजर खेतों में फिर से हरियाली लहलहाने लगेगी, वहीं रोजगार के अवसर बढ़ने से पलायन पर भी अंकुश लग सकेगा।
जिलाधिकारियों की जवाबदेही तय
योजना के शुभारम्भ के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिलाधिकारी बैंकों से लगातार सम्पर्क और समन्वय बनाए रखेंगे। इसके साथ ही भू-परिवर्तन में एक सप्ताह से अधिक नहीं लगना चाहिए। इससे अधिक समय लगने पर संबंधित के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
देशभर में सामाजिक कार्यों में जुटे हंस फाउंडेशन की प्रेरक माता मंगला के जन्मदिन पर उत्तराखंड को 105 करोड़ की योजनाओं की सौगात मिली है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने सरकारी आवास में हंस फाउंडेशन की इन विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ किया।
हंस फाउंडेशन द्वारा माता मंगला के जन्मदिन के अवसर पर शुरू की गई इन योजनाओं में ‘हंस जल धारा’ के तहत लगभग 200 गांव में शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना प्रमुख है। जिसकी लागत लगभग 50 करोड़ रूपये है। इस योजना को दो से तीन साल में पूरा किया जाना है।

कोविड-19 संक्रमण के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी पहाड़ लौटे हैं। इन लोगों के लिए हंस फाउंडेशन द्वारा 25 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है, जिसके माध्यम से पहाड़ लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार उपलब्ध करवाने में मदद की जाएगी। इसी के साथ राज्य में लगभग 200 गांव में आंगनबाड़ी केंद्रों का निर्माण किया जाना है। जिनकी लागत लगभग 30 करोड़ रूपये है।
मुख्यमंत्री ने की सुदीर्घ जीवन की कामना
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने माता मंगला के सुदीर्घ जीवन की कामना की। उन्होंने कहा कि माता मंगला के जीवन संघर्ष और उनकी सेवा भाव की विचारधारा हम सभी को प्रेरित करती है। उनका जीवन गरीबों की निस्वार्थ सेवा में समर्पित है। राज्य सरकार को भी हमेशा उनका सहयोग मिला है। माता मंगला व भोले महाराज समाज सेवा की भारतीय संस्कृति की महान परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। जिससे लाखों लोगों के जीवन में रोशनी फैल रही है।
आज राज्य को माता मंगला के जन्मदिवस पर 105 करोड़ रुपये की योजनाओं की सौगात मिली है। यह निश्चित तौर पर हमारे राज्य को विकास के पथ पर लेकर जाएगा। इससे पहले हंस फाउंडेशन राज्य को भोले जी महाराज के जन्मदिवस पर 100 करोड़ रूपये की योजनाओं का तोहफा दे चुका है।
रुद्रप्रयाग जिला चिकित्सालय को एंबुलेंस दी
माता मंगला के जन्मदिन के अवसर पर हंस फाउंडेशन ने रूद्रप्रयाग के जिला अस्पताल को एम्बुलेंस (टाटा विंगर), सक्शन मशीन, नेबुलिज़र मशीन, लाइफ सपोर्ट डिवाइस डिफाइब्रिलेटर मशीन, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर,एक्स रे मशीन एवं ईसीजी मशीन प्रदान की है।

हरिद्वार में भी आयोजित हुआ कार्यक्रम
उधर, हरिद्वार में भारत माता मंदिर में भी आध्यात्म और सेवा की प्रतिमूर्ति माता मंगला का जन्मोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर श्रीमहंत ललिता नंद गिरि महाराज ने कहा कि माता मंगला आध्यात्मिक विभूति हैं और निरंतर सेवा भाव से मानव मात्र की सेवा कर रही है। उनका आशीर्वाद एवं उनकी प्रेरणा हम सभी को निरंतर मिलती रहे, यह हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है। अनेक वर्षों से पूरे देश में भोले जी महाराज व माता मंगला की प्रेरणा से हंस फाउंडेशन जनसेवा का कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश सरकार द्वारा स्वरोजगार के लिए संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल क्रियान्वयन पर जोर दिया है। उन्होंने इस सम्बन्ध में गुरुवार को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की और उन्हें कई निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सरकार की इन महत्वाकांक्षी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में जिलाधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने बिजली चोरी को रोकने के लिए सभी जनपदों में सघन अभियान चलाने को कहा और दोषियों के विरुद्ध सख्त कारवाई के निर्देश दिए।
त्रिवेंद्र ने अधिकारियों को कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना, सौर ऊर्जा व पिरूल ऊर्जा नीति से रोजगार के अवसर बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाए। एलईडी ग्राम लाईट योजना के तहत जिन स्थानों पर प्रोडक्शन का कार्य शुरु हो चुका है, उन स्थानों पर जिलों के मुख्य विकास अधिकारी एवं सबंधित विभागीय अधिकारी जाकर महिला स्वयं सहायता समूहों से उनको कार्य करने में आ रही समस्याओं की जानकारी लें। इससे उनकी समस्याओं का शीघ्रता से निवारण हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि एलईडी ग्राम लाईट योजना के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को उचित प्रशिक्षण, राॅ मेटिरियल एवं सप्लाई चेन की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए राज्य में कुछ क्षेत्र हब के रूप में विकसित करने होंगे। स्थानीय स्तर पर लोगों की आय में वृद्धि के लिए सुनियोजित तरीके से कार्य किए जाएं। त्योहारों के सीजन के दृष्टिगत स्थानीय स्तर पर निर्मित सामग्री की मार्केंटिंग के लिए स्वयं सहायता समूहों को सहयोग दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पिरूल नीति से 40 हजार से अधिक लोगों के आय के संसाधन बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस नीति के सफल क्रियान्वयन के लिए जिलाधिकारियों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इससे बिजली उत्पादन के साथ ही अनेक पर्यावरणीय लाभ भी हैं। पिरूल एकत्रीकरण से स्थानीय स्तर पर महिलाओं के आय के संसाधन बढ़े हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने विद्युत विभाग की भी समीक्षा की। उन्होंने बिजली चोरी को रोकने के लिए सभी जनपदों में सघन अभियान चलाने को कहा और निर्देश दिए कि दोषियों पर सख्त कारवाई की जाए। साथ ही इसमें विद्युत विभाग के अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने विद्युत लाईनों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस योजना बनाने को भी कहा और निर्देश दिए कि विद्युत लाईनों की नियमित जांच तथा आवश्यकतानुसार अंडर ग्राउण्ड केबलिंग की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने विद्युत लाईनों की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं पर निर्धारित मानकों के अनुरूप क्षतिपूर्ति एक सप्ताह के अन्दर देने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बरदाश्त नहीं की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाए कि दुर्घटना के कारणों की जांच रिपोर्ट सबंधित क्षेत्र के विद्युत विभाग के अधिकारियों से शीघ्र उपलब्ध हो। बिजली के बिल की रशीद लोगों तक नियमित रूप से पहुंचे।
सचिव ऊर्जा राधिका झा ने कहा कि विभागों को की-परफार्मेंस इंडिकेटर दिए जाने से ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई है। विद्युत उत्पादन में वृद्धि हुई है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत उपलब्धता की स्थिति बहुत अच्छी है। इस अवसर पर एमडी यूपीसीएल डाॅ. नीरज खैरवाल, अपर सचिव कैप्टन आलोक शेखर तिवारी आदि उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति कार्ड के वितरण का शुभारंभ किया। मोदी ने छः राज्यों हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 763 गांवो 1 लाख ग्रामीणों को प्रोपर्टी कार्ड वितरित किए। इनमें उत्तराखण्ड के 50 गांवों के 6800 लोग शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम में कुछ लाभार्थियों से बात भी की।
गोदा गांव के सुरेश ने कही अपनी बात
उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल के विकास खण्ड खिर्सू के ग्राम गोदा के सुरेश चंद्र को भी प्रधानमंत्री के सम्मुख अपनी बात रखने का अवसर मिला। सुरेश ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता से सम्पन्न हुई है। इसमें किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ। प्रापर्टी के कागज मिलने से अब बैंक से ऋण भी मिल सकेगा। सुरेश ने बताया कि उनके गांव से चौखम्भा आदि हिमालयी पर्वत शिखरों के दर्शन होते हैं और निकट ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी हैं। गांव के लोग प्रापर्टी कार्ड मिलने के बाद अपने घरों में होम स्टे बनाना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने उच्च शिक्षा मंत्री को दिए यह निर्देश
प्रधानमंत्री ने सुरेश को बधाई देते हुए कहा कि वे स्वयं उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र में काफी रहे हैं। उन्होंने सुरेश से कहा कि उनका गांव प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। सुरेश भाग्यशाली हैं कि वे ऐसे स्थान पर रहते हैं जहां से पवित्र पर्वतों के दर्शन होते हैं। उन्होंने कहा कि उनका गांव लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। प्रधानमंत्री ने सुरेश के साथ में कार्यक्रम में उपस्थित प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत से कहा कि कहा कि होम स्टे के फोटोग्राफ, कान्टेक्ट नम्बर सहित सारा विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध हो, ताकि पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को जानकारी मिल सके। इससे होम स्टे का काम बढ़िया तरीके से आगे बढ़ सकता है।

गांवों में होगा ऐतिहासिक बदलाव
इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने स्वामित्व योजना के लाभार्थियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि अब लाभार्थियों के पास अपने घरों के मालिक होने का एक कानूनी दस्तावेज होगा। यह योजना देश के गांवों में ऐतिहासिक बदलाव लाने जा रही है। उन्होंने कहा कि देश ने एक अति महत्वाकांक्षी भारत की ओर एक और बड़ा कदम उठाया है, क्योंकि इस योजना से ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी।
अगले 3-4 वर्षों में सबको मिलेगा संपत्ति कार्ड
उन्होंने कहा कि हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के एक लाख लाभार्थियों को आज उनके घरों के कानूनी कागजात सौंप दिए गए हैं और अगले तीन-चार वर्षों में देश के प्रत्येक गांव में हर परिवार को ऐसे संपत्ति कार्ड देने का वादा किया।
विपक्ष की आलोचना
विपक्ष की आलोचना करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग नहीं चाहते हैं कि हमारे किसान आत्मनिर्भर बनें, उन्हें कृषि क्षेत्र में सुधारों से समस्याएं हैं। छोटे किसानों, गौपालकों और मछुआरों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड शुरू करने से दलालों और बिचौलियों को परेशानी हो रही है, क्योंकि उनकी अवैध आय रुक गई है।
गांव तथा गरीबों की आत्मनिर्भरता के लिए अभियान जारी
उन्होंने यूरिया की नीम कोटिंग, किसानों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण इत्यादि पहलों के बारे में भी बताया, जो भ्रष्टाचार को रोकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे प्रभावित लोग आज कृषि सुधारों के विरोध में हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के कारण देश में विकास रुकने वाला नहीं है और गांव तथा गरीबों को आत्मनिर्भर बनाना जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इस संकल्प की सिद्धि के लिए स्वामित्व योजना की भूमिका भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
केंद्रीय पंचायतराज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री अलग-अलग स्थानों से कार्यक्रम से जुड़े हुए थे।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत कुम्हार कला के लिए विद्युत चालित चाक वितरित किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि माटी कला के लिए प्रदेश में एक प्रशिक्षण केन्द्र खोला जाएगा। माटी कला बोर्ड को मिट्टी गूंथने वाली 200 मशीने दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि मिट्टी के कार्यों से जुड़े शिल्पकारों का एक डाटा बेस बनना चाहिए। ऐसे स्थान चिन्हित किये जाएं, जहां पर इस शिल्प पर आधारित कार्य अधिक हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने राजधानी देहरादून में माटी कला बोर्ड के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि तकनीक के साथ इस शिल्प को कैसे और उभारा जा सकता है, इस दिशा में प्रयासों की जरूरत है। युवा पीढ़ी आधुनिक तकनीक के कार्यों के महत्व को जानती है। हमें अपनी विशेषज्ञता वाले कार्यों से अपनी पहचान को बढ़ाना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्लास्टिक प्रतिबंधित होने से मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बढ़ी है। त्योहारों का सीजन और उसके बाद हरिद्वार कुंभ में मिट्टी के उपकरणों की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ेगी। बाजार की मांग के हिसाब से पूर्ति की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि सरकारी कार्यालयों में भी मिट्टी के उपकरणों एवं गमलों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि माटी के कार्य से जुड़े लोगों के जीवन स्तर में सुधार की दिशा में सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि इन कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न मेलों में माटी कला बोर्ड के स्टाॅल लगने चाहिए। जिससे इस कार्य से जुड़े लोगों को अपने उत्पादों को बेचने में मदद मिलेगी।

माटी कला बोर्ड के उपाध्यक्ष शोभाराम प्रजापति ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जो भी जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, सभी योजनाओं में गरीबों के हितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने मिट्टी के कार्य से जुड़े लोगों की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय, मेयर सुनील उनियाल गामा, भाजपा के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, उद्योग निदेशक सुधीर नौटियाल आदि उपस्थित थे।
उत्तराखंड सरकार ने प्राइवेट पैथोलॉजी लैब की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए बुधवार को कोविड-१९ के संक्रमण की रैपिड एंटीजन टैस्टिंग के लिए अधिकतम दर तय कर दी है। अब NABH व NABL से प्रमाणित निजी लैब कोरोना वायरस के संक्रमण की रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए अधिकतम सात सौ उन्नीस रूपये से ज्यादा नहीं वसूल सकेंगे।
प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव अमित सिंह नेगी द्वारा इस सम्बन्ध में आदेश जारी किये गए हैं। आदेश में कहा गया है कि प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण के प्रभावी रोकथाम हेतु इसके टेस्ट बढ़ाये जाने और व्यापक जनहित के मद्देनजर रैपिड एंटीजन टेस्ट की दर तय की गई है। आदेश में कहा गया है कि निजी लैब टेस्ट के उपरांत रिपोर्ट को ICMR के पोर्टल पर दर्ज करने के अलावा जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी और स्टेट सर्विलांस अधिकारी को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएंगे।
आदेश में चेतावनी दी गई है कि इन निर्देशों का उल्लंघन महामारी अधिनियम-1897 और उत्तराखंड राज्य महामारी कोविड-19 विनियमावली,2020 के संगत प्राविधानों की अवहेलना मानी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि निजी लैबों पर कोरोना टेस्ट के नाम पर रैपिड एंटीजन टेस्ट के मनमाने तरीके से पैसे वसूले जाने के आरोप लगातार लग रहे थे। यह भी शिकायत मिल रही थी कि निजी लैब कोरोना टेस्ट करने के बाद टेस्ट रिपोर्ट और पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों की सही जानकारी स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।
