कुदरत रही मेहरबान तो राष्ट्रीय खेलों के बाद प्रदेश में होंगे विंटर गेम्स..
उत्तराखंड: अगर कुदरत मेहरबान रही तो उत्तराखंड विंटर गेम्स कराने वाला देश का पहला राज्य बनने वाला है। खेल सचिवालय में सोमवार को खेल अधिकारियों और उत्तराखंड ओलंपिक संघ के बीच बैठक में विंटर गेम्स कराने को लेकर चर्चा हुई। उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके सिंह का कहना हैं कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के बाद उत्तराखंड विंटर गेम्स करवाने के लिए तैयार है, अगर औली में पर्याप्त बर्फ गिरी तो राज्य को राष्ट्रीय खेलों के साथ विंटर गेम्स के आयोजन का गौरव भी हासिल होगा।
इस सिलसिले में खेल अधिकारियों के साथ चर्चा की गई है। फिलहाल प्राथमिकता पर राष्ट्रीय खेल हैं। खिलाड़ियों के चयन को लेकर मंगलवार को भी बैठक जारी रहेगी, जिसमें राज्य की सभी फेडरेशन को बुलाया गया है। वहीं दूसरी ओर सवाल उठ रहे हैं कि 28 जनवरी से 14 फरवरी के मध्य 38वें राष्ट्रीय खेल कराने की तारीख तय होने के बाद राज्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती बेहतर खिलाड़ियों के चयन की है, जिसके लिए अभी प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है।
चयन के बाद अभ्यास शिविर भी लगाए जाने हैं। उस लिहाज से समय कम है। इस बारे में खेल निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि जहां तक तैयारियों का विषय है, उसके लिए संभावित स्थान, स्टेडियम, मैदान व अन्य जगहों पर बाकी काम पूरे करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है। खिलाड़ियों का चयन राज्य ओलंपिक संघ और सभी खेल फेडरेशन को करना है। इसके लिए सोमवार को उत्तराखंड ओलंपिक संघ के साथ बैठक हुई, जिसे विस्तार देने के लिए मंगलवार को सभी खेल फेडरेशन को बुलाया गया है।
इन 87 शिक्षक-कर्मचारियों पर लटकी बर्खास्तगी की तलवार, नोटिस जारी..
उत्तराखंड: शिक्षा विभाग में 87 शिक्षक-कर्मचारी पिछले काफी समय से अनुपस्थित चल रहे हैं। विभाग की ओर से सभी को नोटिस जारी किया गया है। मूल तैनाती पर न लौटने या फिर संतोषजनक जवाब न मिलने पर इन्हें बर्खास्त किया जा सकता है। शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने विभाग में अनुपस्थित चल रहे शिक्षकों की रिपोर्ट तलब की गई थी। महानिदेशक की ओर से निदेशक माध्यमिक शिक्षा, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा और निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण समेत सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किया गया था। निर्देश में कहा गया था कि अनुपस्थित चल रहे इन शिक्षकों और कर्मचारियों की वजह से इनके स्थान पर अन्य शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पा रही हैं।
इससे शिक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा है। इस तरह के शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी आवश्यक है। शिक्षा महानिदेशक के निर्देश पर विभाग से मांगी रिपोर्ट के मुताबिक, 87 शिक्षक-कर्मचारी अनुपस्थित मिले हैं। इसमें नौ प्रवक्ता, 16 सहायक अध्यापक एलटी, 42 प्राथमिक शिक्षक, 13 मिनिस्ट्रीयल कर्मचारी और सात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी शामिल हैं।
विभाग के अधिकारियों का कहना हैं कि इन सभी को नोटिस जारी कर इनके खिलाफ नियुक्ति प्राधिकारी की ओर से कार्रवाई की जा रही है। प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों का नियुक्ति प्राधिकारी जिला शिक्षाधिकारी बेसिक, सहायक अध्यापक एलटी का अपर निदेशक मंडल, प्रवक्ता व प्रधानाध्यापक का निदेशक व प्रधानाचार्य का शासन है। शिक्षा विभाग में पिछले काफी समय से अनुपस्थित चल रहे शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है, इन्हें नोटिस दिए जा चुके हैं। मूल तैनाती पर न लौटने एवं संतोषजनक जवाब न मिलने पर तय प्रक्रिया अपनाने के बाद इनकी सेवा समाप्त की जाएगी।
साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में भविष्य बना रहे उत्तराखंड के युवा..
741 युवक-युवतियां ले रहे पैराग्लाइडिंग की ट्रेनिंग..
उत्तराखंड: राज्य की 124 युवतियों समेत 741 युवा पैराग्लाइडिंग का कोर्स कर आसमान की ऊंचाइयां छूने को तैयार हो रहे हैं। सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से प्रथम चरण में टिहरी में 15 बैच में युवाओं को बेसिक से लेकर गाइडेड पैराग्लाइडिंग के पांच अलग-अलग कोर्स कराए जा रहे हैं। इसमें विभाग की ओर से प्रशिक्षण, रहने, खाने आदि सुविधा निशुल्क दी जा रही हैं। उत्तराखंड का पर्यटन अब तक मुख्य तौर पर धार्मिक और सामान्य पर्यटन के लिए जाना जाता था, लेकिन अब सरकार इसमें साहसिक पर्यटन के जरिए नए आयाम जोड़ रही है। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के भीमताल और देहरादून में मालदेवता जैसे कुछ स्थानों पर पैराग्लाइडिंग पर्यटन बढ़ रहा है। नई संभावनाओं को देखते हुए पर्यटन विभाग नए स्पॉट तलाशने के साथ स्थानीय युवाओं को निशुल्क प्रशिक्षण भी दे रहा है।
प्रशिक्षणार्थियों ने बताए अपने अनुभव..
1- उत्तरकाशी जिले में सांकरी के पास सौड़ गांव निवासी संगीता रावत एक एडवेंचर टूरिज्म कंपनी चलाती हैं, अब वो पैराग्लाइडिंग का प्रशिक्षण लेने के बाद अपने काम को नई ऊंचाई देना चाहती हैं। संगीता अपनी बैच की अकेली महिला प्रशिक्षु हैं।
2- नैनीताल में भीमताल निवासी भरत जोशी डिप्लोमा करने के बाद दिल्ली में प्राइवेट जॉब कर रहे हैं। जोशी बताते हैं कि वो वापस अपने घर लौटना चाहते हैं, इसलिए जैसे ही सरकार की तरफ से निशुल्क पैराग्लाइडिंग कोर्स की जानकारी मिली तो रजिस्ट्रेशन करवा लिया। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वो भी वापस भीमताल लौट आएंगे।
3- सीमांत जिला चमोली के कुनौल गांव निवासी दिनेश सिंह
साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में स्वरोजगार की अपार संभावनाएं हैं। युवाओं को पैराग्लाइडिंग, वाइट वाटर राफ्टिंग, माउंटेनियरिंग जैसे खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रयास है कि अगले कुछ सालों में उत्तराखंड के पास इस क्षेत्र में पर्याप्त प्रशिक्षित मानव संसाधन हों, ताकि राज्य में साहसिक पर्यटन न सिर्फ फूले फले बले, बल्कि सुरक्षित भी हो।
केंद्र ने उत्तराखंड के दस नगर निकायों को अभिनव प्रयासों में किया शामिल..
उत्तराखंड: प्रदेश के 10 नगर निकायों के कार्यों को आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे होने पर देश के 75 अभिनव प्रयासों में शामिल किया है। सचिव शहरी विकास नितेश झा का कहना हैं कि विभिन्न निकायों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत जो कार्य हुए हैं, उन्हें सरकार ने सराहनीय माना है। मंत्रालय ने नगर पालिका बागेश्वर में सखी एरिया लेवल फेडरेशन महिला स्वयं सहायता समूह के डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, नगर निगम हल्द्वानी की अपशिष्ट प्रबंधन की क्रांतिकारी बैणी सेना पहल, नगर निगम रुद्रपुर में वेस्ट टू वंडर्स के तहत जिला प्रशासन एवं अन्य पार्टनर के सहयोग से 30 साल पुराने पहाड़गंज का कायाकल्प कर ट्रेंचिंग ग्राउंड को सुंदर बनाने, नगर पालिका ज्योर्तिमठ के वेस्ट टू वेल्थ के तहत स्थापित मैटेरियल रिकवरी सेंटर में प्लास्टिक अपशिष्टों को 35 श्रेणियों में छंटनी व एक करोड़ की कमाई।
नगर पंचायत केदारनाथ में निजी सहभागिता के माध्यम से डिजिटल रिफंड सिस्टम से प्लास्टिक कचरे का निस्तारण, नगर निगम हरिद्वार में प्रदेश के पहले स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय की पहल, नगर पंचायत कीर्तिनगर में स्थापित ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण और निपटान सुविधा केंद्र, नगर पंचायत गंगोत्री गीले अपशिष्टों का प्रबंधन कर कंपोस्ट तैयार करने की पहल, नगर पंचायत नौगांव उत्तरकाशी में मैटेरियल रिकवरी सेंटर के माध्यम से अपशिष्ट प्रबंधन और नगर निगम देहरादून के नथुवावाला वार्ड में 2019 में स्थापित देहरादून का सैनिटेशन पार्क टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है।
गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर घोड़े की टक्कर से खाई में गिरी नेपाली मूल की महिला यात्री..
उत्तराखंड: गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर चीरबासा हेलिपैड के समीप घोड़े की टक्कर लगने से एक महिला यात्री गहरी खाई में जा गिरी और उसकी मौत हो गई। एनडीआरएफ ने शव खाई से निकालकर हेलिपैड पहुंचाया। इसके बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडर दीपक भट्ट और संजय भट्ट का कहना हैं कि शुक्रवार को शाम लगभग पांच बजे केदारनाथ से गौरीकुंड लौट रही महिला यात्री जिखाकोदरिम 45 वर्ष पत्नी जोगिन्द्र कोहरिन निवासी जिला बीरा नेपाल को चीरबासा में घोड़े ने टक्कर मार दी और वह गहरी खाई में जा गिरी। सूचना पर एनडीआरएफ और यात्रा मैनेजमेंट फोर्स के जवान खाई में उतरे और शव निकालकर सड़क तक पहुंचाया। महिला को रेस्क्यू कर हॉस्पिटल लगाया गया था, जहां डॉक्टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया।
SSP ने किया विकासनगर क्षेत्र के होटलों और रेस्टोरेंट का औचक निरीक्षण..
उत्तराखंड: देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने शुक्रवार देर रात को विकासनगर क्षेत्र के होटलों, रेस्टोरेंट और ढाबों का औचक निरीक्षण किया। एसपी को लगातार इन प्रतिष्ठानों में देह व्यापार और अनैतिक कार्य को बढ़ावा देने की शिकायत मिल रही थी। पुलिस ने 16 प्रतिष्ठानों को चिन्हित भी किया था। एसएसपी ने निरीक्षण के दौरान होटल, रेस्टोरेंट और ढाबा संचालकों को परिसर में बनाए गए सिंगल केबिन का अनैतिक कार्य के प्रयोग करने को लेकर चेताया। वहीं शिकायत या छापा मारने के दौरान पकड़े जाने पर सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
एसएसपी ने हरबर्टपुर में बाजार का निरीक्षण करते हुए व्यापारियों से बातचीत की। उन्होंने त्योहारी सीजन के दौरान यातायात व्यवस्था बनाने के लिए व्यापारियों से सहयोग की अपील की। कहां की व्यापारी फुटपाथ और सड़क पर दुकानों में सामान न रखें। एसपी ने पटाखा बेचने वाले व्यापारियों को बाजार क्षेत्र से अलग स्थान पर दुकान लगाने की बात कही। साथ ही कहा कि दुकानों और गोदाम में पटाखों के भंडारण को वह लाइसेंस के लिए आवेदन करें। बिना लाइसेंस पटाखे बेचने उनका भंडारण करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। एसएसपी ने जानकारी देते हुए कहा कि क्षेत्र में यातायात व्यवस्था में सुधारीकरण के लिए 15 पीआरडी कर्मी ड्यूटी पर लगाए गए हैं। साथ ही सड़क पर खड़े होने वाले वाहनों को उठाने के लिए तहसील क्षेत्र में तीन क्रेन भी दी गई है। एसएसपी ने सभी कोतवाली थाना और चौकी प्रभारी को अपने क्षेत्र में गश्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस सड़कों पर उतरेगी तो अपराध पर अंकुश लगेगा।
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना में बड़ी उपलब्धि,इंजीनीयरों में खुशी..
उत्तराखंड: ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना पैकेज 8 में सुरंग-15 की सफल सफलता के साथ एक प्रमुख मील के पत्थर पर पहुंच गई है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के तहत कार्यरत मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) और इटाल्फेर-लोम्बार्डी जेवी के संयुक्त प्रयासों से संभव हुई है। सुरंग-15, जिसकी कुल लंबाई 7055 मीटर है, ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेलवे मार्ग का एक महत्वपूर्ण घटक है। इस खंड को पूरा करना भौगोलिक दृष्टि से बड़ी चुनौती थी। टीम ने गौचर नाले पर शून्य ओवरबर्डन से लेकर गौचर शहर के आवासीय क्षेत्र के नीचे से गुजरने तक की सभी चुनौतियों को पार कर लिया। MT-05 और MT-06 के बीच कुल 2700 मीटर की ड्राइव लंबाई पूरी होने के बाद सफलता मिली।
एमटी-05 के लिए 2130 मीटर की दूरी तय करने का अभियान 6 जनवरी, 2022 को शुरू हुआ, जबकि एमटी-06 के लिए 570 मीटर की दूरी तय करने का अभियान 6 जून, 2022 को शुरू हुआ। कुल अभियान 1008 दिनों में पूरा हुआ, जो जमीनी स्तर पर टीमों के समन्वित प्रयासों को दर्शाता है। परियोजना की सभी प्रमुख टीमों के संयुक्त प्रयासों से सफलता हासिल हुई। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना एक प्रमुख बुनियादी ढांचा पहल है जिसका उद्देश्य उत्तराखंड में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है। यह सफलता एक बड़ी उपलब्धि है, जो परियोजना को पूरा होने के करीब लाएगी और क्षेत्र में परिवहन नेटवर्क को बढ़ाएगी।
रुद्रप्रयाग जनपद में पांच युवाओं ने मद्महेश्वर घाटी में खोजा 78 किमी लंबा ट्रैकिंग रूट..
उत्तराखंड: चोपता-बिसुड़ीताल-खमदीर-नंदकुंड-मद्महेश्वर ट्रैकिंग रूट दुर्गम है और इस पर ग्लेशियर, झीलें और कई किमी तक फैला पथरीला भू-भाग है। आने वाले दिनों में यह देश-विदेश के ट्रैकर की पसंद बन सकता है। युवाओं ने कुछ समय पूर्व इस ट्रैक को गूगल मैप पर देखा था। इसके बाद उन्होंने इस ट्रैक की भौतिक स्थिति जानने के लिए डिजिटल मैप तैयार किया और इसकी मदद से इस ट्रैक को खोज निकाला। मद्महेश्वर घाटी के गौंडार गांव के अभिषेक पंवार व अजय पंवार, बडाूस गांव के संजय नेगी, नई टिहरी बडियारगढ़ के विनय नेगी और डांगी गांव के विपिन सिंह ने नए ट्रैक की खोज की है।
यह पर्यटक स्थल चोपता को द्वितीय केदार मद्महेश्वर से जोड़ रहा है। 20 सितंबर को पांच सदस्य दल ने पर्यटक स्थल चोपता से नए ट्रैक खोज अभियान की शुरुआत की। पहले दिन तीन किमी की दूरी तय कर दल रात्रि प्रवास के लिए मर्तोली पहुंचा। 21 सितंबर को सुबह छह बजे पांच सदस्यीय दल मर्तोली से आगे बढ़ा और कई नदी नालों को पार करते हुए 15 किमी की दूरी तय कर चित्रा वड्यार पहुंचा। 22 सितंबर को दल चित्रा बड्यार से डिजिटल मैप की मदद से आगे बढ़ते बुग्याली छोटे-छोटे मैदानों व घाटियों के बीच स्थित बिसुड़ीताल होते हुए दवा मरूड़ा पहुंचा। 23 सितंबर को दल दवा मरूड़ा से आगे बढ़ते हुए दुर्गम राह पार करते हुए अजय पास पहुंचा। 24 सितंबर को युवाओं का दल अजय पास से अभियान को आगे बढ़ाते हुए प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज भरतकुंड, केदारनाथ, केदारडोम, खर्च कुंड, भागीरथी, मंदानी पर्वती, सतोपंथ, जन्हुकुंड, चौखंभा का दूर से दीदार करते हुए डगडनियाल खाल पहुंचा। यह पूरा क्षेत्र पथरीला है और यहां पत्थरों की शिलाएं हैं।
खास बात यह है कि क्षेत्र चमोली और रुद्रप्रयाग जिले की सीमा से लगा है। यहां से आगे खमदीर है, जो समुद्रतल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर है। पूरे क्षेत्र में बड़े-बड़े पहाड़ जैसा भूखंड है। खमदीर के निचले हिस्से में ट्री लाइन शुरू होती है। यहां से शेषनाग कुंड से नंदी कुंड होते हुए दल पांडवसेरा से काच्छिनी खाल से नीचे उतरे हुए द्वितीय केदार मद्महेश्वर पहुंचा। पांच सदस्यीय ट्रैकिंग दल में शामिल विनय नेगी ने चोपता-बिसुड़ीताल-खमदीर-नंदकुंड-मद्महेश्वर ट्रैक के तीन डिजिटल मैप तैयार किए। मैप में पूरे ट्रैकिंग रूट के एक-एक बिंदु को दर्शाया गया, जिससे कोई दिक्कत न हो।
दल में शामिल गौंडार निवासी अभिषेक पंवार ने कहा कि ट्रैक के बारे में पूरी रिपोर्ट वन विभाग और पर्यटन विभाग को दी जाएगी, जिससे ट्रैक को लेकर विभागीय स्तर पर जरूरी कार्रवाई की जाए। पांचों युवा बीते वर्ष मद्महेश्वर घाटी में एक सरोवर की खोज भी कर चुके हैं, जिसे उन्होंने शिव सरोवर नाम दिया था। यह सरोवर मद्महेश्वर-पांडवसेरा-नंदकुंड-घिया विनायक पास-पनपतिया ट्रैकिंग सर्किट पर स्थित है। वर्ष 2022 में 27 अगस्त को युवाओं ने अपना ट्रैकिंग अभियान शुरू किया था और एक सितंबर को ताल की खोज की थी।
राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी को ऐतिहासिक बनाएंगे- खेल मंत्री..
उत्तराखंड: 38वें राष्ट्रीय खेलों की तारीख तय होने पर खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा है कि हम खेलों की मेजबानी को ऐतिहासिक और बेहतरीन बनाकर दिखाएंगे। राष्ट्रीय खेलों के साथ विंटर नेशनल गेम का भी आयोजन होगा। राज्य ने का दावा किया कि ज्यादातर खेलों को विश्वस्तरीय स्थायी बुनियादी व्यवस्था में कराने की रूपरेखा और अधिकांश तैयारियां हो चुकी हैं। भारतीय ओलंपिक संघ की 25 अक्तूबर को प्रस्तावित बैठक के बाद खेल प्रतियोगिताओं के लिए स्थान चयन, भव्य आयोजन व अन्य प्रक्रियाओं को अंतिम रूप दिया जाएगा। खेल निदेशालय का कहना है कि हमें अपनी तैयारियों को मुकम्मल करने का पर्याप्त समय मिल गया है।
खेल निदेशालय के अनुसार राष्ट्रीय खेलों में 38 प्रतियोगिताओं के लिए उत्तराखंड के नौ शहरों का चयन किया गया है। इनमें देहरादून और हल्द्वानी में सबसे अधिक प्रतियोगिताएं होंगी। इनके साथ ही हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल, टिहरी, पिथौरागढ़, रुद्रपुर और गुलरभोज में प्रतियोगिताएं कराया जाना प्रस्तावित है। इन जगहों पर ऐसे स्टेडियम और संसाधन विकसित किए जा रहे हैं, जिनसे खेलों के समापन के बाद भी राज्य के खिलाड़ियों को विश्वस्तरीय स्टेडियम, मैदान आदि सुविधाएं मिलती रहें। रेखा आर्य का कहना हैं कि यहां प्रदेश हित में बड़ा मौका है। यह हर उत्तराखंड के निवासी के लिए गर्व का विषय है। हम 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी को ऐतिहासिक और बेहतरीन करके दिखाएंगे।
सरकार ने हाउस ऑफ हिमालया के विस्तार के लिए कंपनियों के साथ किया एमओयू साइन..
उत्तराखंड: राजधानी देहरादून स्थित एक निजी होटल में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की ओर से इंडस्ट्री इंटरेक्शन मीट का आयोजन किया गया। जिसमे शामिल होने पहुंचे वाणिज्य सचिव, भारत सरकार ने हाउस ऑफ हिमालयाज के प्रोत्साहन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के लिए चर्चा की। इंडस्ट्री इंटरेक्शन मीट में शामिल होने के बाद वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने मुख्यमंत्री आवास में सीएम धामी से मुलाकात की।
मुलाकात के दौरान सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखंड के कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट का केंद्र बनाने के लिए सरकार तमाम योजनाओं पर काम कर रही है।प्रदेश के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए हाउस ऑफ हिमालयाज का शुभारंभ किया गया है। राज्य में जैविक खेती, जीआई-टैग उत्पादों को बढ़ावा देने और राज्य के उत्पादों को विश्व स्तर पर ले जाने के लिए एपीडा की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
वहीं भारत सरकार के सचिव सुनील बर्थवाल का कहना हैं कि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), वाणिज्य मंत्रालय की ओर से पहली बार किसी राज्य में इंडस्ट्री इंटरेक्शन मीट का आयोजन किया गया। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री इंटरेक्शन मीट कार्यक्रम में 200 से अधिक लोग शामिल हुए।जिसमें से उत्तराखंड के मुख्य एग्रो प्रोसेसिंग और एलाइड इंडस्ट्री के सीईओ शामिल हुए। सचिव सुनील बर्थवाल ने इंडस्ट्री इंटरेक्शन मीट के आयोजन में राज्य सरकार के सहयोग के लिए सीएम का आभार जताया।
सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि इंडस्ट्री इंटरेक्शन मीट के दौरान उत्तराखंड राज्य के जलवायु अनुरूप यहां कृषि, बागवानी को बढावा देने की संभावना पर विस्तार से चर्चा की गई। उत्तराखंड के कृषि उत्पादों के निर्यात, जैविक खेती और जीआई-टैग उत्पादों को बढ़ावा देने पर भी कई नीतिगत निर्णय लिए गए। चाय विकास एवं संवर्धन योजना (2023-2026) के तहत प्रदेश के छोटे चाय उत्पादकों को जैविक खेती और उद्योग लगाने के लिए वित्तीय सहायता देने पर भी चर्चा की गई है। इंडस्ट्री इंटरेक्शन मीट के दौरान सचिव सुनील बर्थवाल ने हाउस ऑफ हिमालयाज के कार्ट (मोबाइल स्टोर) का उद्घाटन किया।
इसके साथ ही उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादों का ब्रांड “हाउस ऑफ हिमालयाज” को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए तमाम कंपनियों के साथ एमओयू साइन किया गया। “हाउस ऑफ हिमालयाज” और लुलु ग्रुप के बीच उत्तराखंड के उच्च गुणवत्ता वाले कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने और निर्यात को बढावा देने, हाउस ऑफ हिमालयाज” और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुरूप पैकेजिंग मानकों में सुधार लाने, “हाउस ऑफ हिमालयाज” और स्पाइसेस बोर्ड के बीच उत्तराखंड में स्थानीय मसालों की खेती को बढ़ावा देने और उनकी मैन्युफैक्चरिंग कर वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए एमओयू साइन किया गया।