CM का एलान, स्मार्ट प्रीपेड मीटर उपभोक्ताओं को बिजली में मिलेगी 4 प्रतिशत छूट..
उत्तराखंड: प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने वाले बिजली उपभोक्ताओं को वर्तमान दरों में चार प्रतिशत की छूट मिलेगी। इसकी शुरुआत सोमवार से सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कर दी है। मीटर लगने पर बिजली बिल की जरूरत खत्म होगी। मोबाइल की भांति रिचार्ज करना होगा। सचिव ऊर्जा आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि प्रदेश में 15 लाख 84 हजार उपभोक्ताओं के घरों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। बिजली आपूर्ति व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए वर्तमान में 59,212 ट्रांसफार्मर और 2,602 फीडरों पर स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू हो चुका है।
उनका कहना हैं कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने वाले उपभोक्ताओं को बिजली दरों में चार प्रतिशत की छूट मिलेगी। यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने कहा कि यह योजना उपभोक्ताओं के लिए वरदान साबित होगी। स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने पर मोबाइल की तर्ज पर बिजली का भी रिचार्ज होगा। बिलों की समस्या दूर हो जाएगी। उपभोक्ता का रिचार्ज खत्म होने से पहले ही एसएमएस आ जाएगा। कभी भी वह अपना बिजली खर्च मोबाइल एप के माध्यम से देख सकेंगे, ताकि उसी हिसाब से बिजली खर्च पर नियंत्रण पाया जा सके। लाइन हानियां भी कम हो जाएंगी।
उपभोक्ता के बिजली खर्च की पूरी जानकारी..
यूपीसीएल मुख्यालय में कंट्रोल रूम बनाया गया है। यहां सभी बिजली उपभोक्ताओं के खर्च की पूरी जानकारी अपडेट रहेगी। किस महीने कितनी बिजली खर्च की गई, लगातार खर्च बढ़ने पर उसी हिसाब से कनेक्शन का लोड भी बढ़ जाएगा। रिचार्ज खत्म होने पर कुछ समय के लिए बिजली आपूर्ति सुचारू रहेगी और फिर निर्धारित अवधि के बाद बिजली स्वत: बंद हो जाएगी।
राजधानी देहरादून में जुटेंगे 65 देशों के साहित्यकार, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे समारोह का उद्घाटन..
उत्तराखंड: राजधानी के थानों इलाके में विकसित किए जा रहे लेखक गांव में 23 से 27 अक्तूबर तक अंतरराष्ट्रीय कला, साहित्य एवं संस्कृति महोत्सव का आयोजन होगा। इस पांच दिवसीय समारोह में लगभग 65 देशों के साहित्यकार, लेखक और कलाकार भाग लेंगे। देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समारोह का उद्घाटन करेंगे। देश के पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में बैठक में महोत्सव की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया गया।डॉ. निशंक का कहना हैं कि यह महोत्सव हिंदी भाषा के वैश्विक प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करेगा। समारोह में भाग लेने वाले विदेशी विद्वान, साहित्यकार और छात्र हिंदी भाषा के ब्रांड एंबेसडर के रूप में अपने-अपने देशों में हिंदी का प्रचार करेंगे। महोत्सव के उद्घाटन सत्र में देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और समापन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित कई केंद्रीय मंत्री भी इस आयोजन में शिरकत करेंगे।
चार सत्रों में साहित्यिक परिचर्चाओं और विमर्शों का आयोजन किया जाएगा..
महोत्सव का उद्घाटन में विभिन्न प्रदर्शनियों और लोक प्रस्तुतियों के साथ होगा। हिंदी और स्थानीय भाषाओं के 20 लेखकों की पुस्तकों का विमोचन भी शामिल होगा। 23 और 24 अक्टूबर को हिंदी और स्थानीय बोली-भाषाओं पर विशेष कार्यशालाओं का आयोजन होगा। जिसमें डॉ. निशंक की 12 पुस्तकों के गढ़वाली और कुमाऊंनी संस्करणों का लोकार्पण भी किया जाएगा। पहले दो दिनों का संयोजन भाषा विज्ञानी रमाकांत बैंजवाल और बीना बैंजवाल करेंगे। इसी दौरान एनबीटी (नेशनल बुक ट्रस्ट) द्वारा बच्चों की किताबों की अनुवाद कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी। 25 अक्तूबर को मुख्य उद्घाटन सत्र के बाद चार सत्रों में साहित्यिक परिचर्चाओं और विमर्शों का आयोजन किया जाएगा। 26 अक्तूबर को पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण योग, अध्यात्म और संगीत के स्वास्थ्य पर प्रभावों पर विचार प्रस्तुत करेंगे। 27 अक्तूबर को समापन समाराेह होेगा।
अब नगर निगम, पालिका और नगर पंचायत मनमर्जी से खर्च नहीं कर पाएंगे बजट..
उत्तराखंड: प्रदेश के नगर निकाय अब मनमर्जी से खर्च नहीं कर पाएंगे। निकायों की आमदनी और खर्च को व्यवस्थित करने के लिए पहली बार नीति बनाई जा रही है। इस नीति के आने के बाद निकायों के नेता बिना बजट की हवा-हवाई घोषणाएं नहीं कर पाएंगे। न ही निर्धारित सीमा से अधिक खर्च कर सकेंगे। राज्य के नगर निकाय लगातार सरकार की इमदाद पर निर्भर रहते हैं। कई निकायों की तो कमाई बेहद कम होने से हर खर्च सरकार के बजट से ही चलता है। यहां बजट खर्च करने की व्यवस्था निर्धारित नहीं है।
सरकार से मिलने वाले पैसे के अलावा खुद की आमदनी को भी कहीं विकास कार्यों में ही खर्च कर दिया जाता है, तो कहीं वेतन और भत्तों में ही बड़ा हिस्सा खर्च हो रहा है। जरूरत इस बात की है कि नगर निकाय कुल बजट व राजस्व प्राप्ति को श्रेणीकरण के हिसाब से खर्च करें। कई निकायों में अक्सर चुनाव से पहले नेता व पार्षद, सभासद बजट की अनुपलब्धता के बावजूद कई घोषणाएं कर देते हैं। इससे या तो वे घोषणाएं पूरी नहीं हो पाती या फिर कम बजट के बावजूद बड़ी योजनाएं निकायों पर बोझ बन जाती हैं। शहरी विकास विभाग के स्तर से नगर निकायों के लिए बजट खर्च, राजस्व प्राप्ति की नीति तैयार की जा रही है। यह नीति भविष्य में कैबिनेट में लाई जाएगी। कैबिनेट की मुहर के बाद यह अस्तित्व में आ जाएगी।
इतना बजट देती है सरकार..
आपको बता दे कि सरकार हर बजट में नगर निकायों को 10-10 करोड़ रुपये का प्रावधान करती है। अनिर्वाचित निकायों बद्रीनाथ, केदारनाथ और गंगोत्री के लिए दो-दो करोड़ रुपये का प्रावधान किया जाता है। 2023 के बजट में भी नगर निगमों के लिए सरकार ने 392 करोड़ 96 लाख, नगर पालिकाओं के लिए 464 करोड़ 37 लाख, नगर पंचायतों के लिए 114 करोड़ 70 लाख का प्रावधान किया था। इस साल के बजट में भी कमोबेश ऐसे ही बजटीय प्रावधान किए गए हैं। नए निकायों को सीधे 10-10 करोड़ दिए जाते हैं। अनिर्वाचित निकाय बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री को दो-दो करोड़ का बजट दिया जाता है। दूसरी ओर, केंद्रीय वित्त आयोग से भी निकायों को करीब 450 करोड़ मिलते हैं।
ग्रामीण सीएचसी में 80% विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी, रिपोर्ट में हुआ खुलासा..
उत्तराखंड: पर्वतीय क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में 80% विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। पहाड़ों में 80 हजार की आबादी पर एक सीएचसी होना चाहिए। इसके अनुसार पहाड़ में 44 सीएचसी की कमी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी हेल्थ डायनमिक्स (इंफ्रास्ट्रक्चर एंड ह्यमून रिसोर्स) रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट में 31 मार्च 2023 तक उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विश्लेषण किया गया। इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड (आईपीएचएस) के मानकों के अनुसार विशेषज्ञ डॉक्टरों की 80% कमी है।
आपको बता दे कि पर्वतीय क्षेत्रों के सीएचसी में सर्जन, बाल रोग, ग्यानाक्लोजिस्ट, फिजिशियन, एनेस्थेटिस्ट के 245 विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत है। इनमें 48 ही कार्यरत हैं जबकि 197 पद खाली चल रहे हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पर्वतीय क्षेत्रों के अधिकतर सीएचसी में ग्यानाक्लोजिस्ट डॉक्टर कार्यरत नहीं है। 2005 में राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 44 सीएचसी थे, जो बढ़कर 49 हो गए हैं। वही प्रदेश में चार राजकीय मेडिकल कॉलेज संचालित हैं। एमबीबीएस डॉक्टरों को पीजी कराने की सुविधा है, लेकिन पीजी करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों का लाभ ग्रामीण उत्तराखंड को नहीं मिल रहा है। प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों के 1,240 पद सृजित हैं। इसमें लगभग पांच सौ ही विशेषज्ञ डॉक्टर कार्यरत हैं। उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी चल रही है। प्रदेश सरकार की ओर से इस कमी को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। 2027 तक प्रदेश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर हो जाएगी।
उत्तराखंड। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के क्रम में पंचकेदारों में से द्वितीय केदार मद्महेश्वर धाम को विकसित किया जाएगा। इसके साथ केदारनाथ धाम के अंतिम मोटर पड़ाव गौरीकुंड स्थित मां गौरी के मंदिर का सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा।
शासन के धर्मस्व व संस्कृति विभाग के अनु सचिव रमेश सिंह रावत द्वारा इस संबंध में संस्कृति विभाग के निदेशक को अलग-अलग आदेश जारी किये गए हैं। आदेशों में मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रम में मद्महेश्वर धाम के विकास और गौरीकुंड स्थित मां गौरी मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए कार्यदायी संस्था से विस्तृत परियोजना आख्या (डीपीआर) तैयार करने के निर्देश जारी किए गए हैं। आदेश में लोक निर्माण विभाग को कार्यदायी संस्था नामित करते हुए श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) से समन्वय स्थापित करते हुए डीपीआर तैयार करने को कहा गया है।
उधर, बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मद्महेश्वर धाम के विकास और मां गौरी मंदिर के सौंदर्यीकरण की योजना को स्वीकृति देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा की मद्महेश्वर धाम के विकास की योजना से वहां श्रद्धालुओं व तीर्थयात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी। इससे क्षेत्रीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।
उल्लेखनीय है कि 3,497 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मद्महेश्वर धाम रुद्रप्रयाग जनपद के ऊखीमठ विकास खंड में स्थित है। मद्महेश्वर पहुंचने के लिए श्रद्वालुओं को करीब 14 किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। पंच केदारों में से द्वितीय केदार के रूप में मद्महेश्वर धाम की मान्यता है। यहां भगवन शिव के नाभि रूप की पूजा होती है। मंदिर का प्रबंधन बीकेटीसी देखती है। इसी प्रकार मां गौरी का मंदिर केदारनाथ धाम के अंतिम मोटर स्टेशन गौरीकुंड में स्थित है। केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्वालु मां गौरी के दर्शनों के बाद अपनी यात्रा पर निकलते हैं। इसका प्रबंधन भी बीकेटीसी के पास है।
अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन की पहली बार मेजबानी करेगा उत्तराखंड..
उत्तराखंड: प्रदेश में पहली बार अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। आयुष मंत्रालय ने इस बार आयोजन की मेजबानी उत्तराखंड को सौंपी है। 12 से 15 दिसंबर तक एफआरआई देहरादून में सम्मेलन प्रस्तावित है। इसके लिए आयुर्वेद विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। सम्मेलन में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयुर्वेद संस्थानों के विशेषज्ञ, आयुष फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधि आयुष चिकित्सा व संभावनाओं पर मंथन करेंगे।
बीते वर्ष दिसंबर माह में वैश्विक निवेशक सम्मेलन के बाद प्रदेश सरकार अब अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन कराने की तैयारियों में है। आयुष मंत्रालय के सहयोग से प्रदेश में यह पहला आयोजन होगा। सम्मेलन में 8 से 10 देशों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा। इसके साथ ही देश में प्रसिद्ध आयुष चिकित्सा एवं शोध संस्थानों के विशेषज्ञ, आयुष फार्मा कंपनियां अलग-अलग सत्रों में आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने पर मंथन करेंगे।
इस सम्मेलन से उत्तराखंड को आयुष हब के रूप में विकसित करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी विशेषज्ञों से मिलेंगे। सम्मेलन के दौरान उत्तराखंड में आयुष एवं वेलनेस क्षेत्र में निवेश के लिए कंपनियों के साथ एमओयू कराने के लिए विभाग प्रयास कर रहा है। अपर सचिव आयुष विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन के लिए तैयारियां चली है। सम्मेलन के लिए एफआरआई में स्थान चयनित किया गया। इसके लिए देश दुनिया से आने वाले प्रतिनिधियों की सूची तैयार की जा रही है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री से मिले अनिल बलूनी, एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने का किया अनुरोध..
उत्तराखंड: गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों को हवाई सेवाओं का विस्तार देने की मांग को लेकर भाजपा सांसद व पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू से मुलाकात की। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से गढ़वाल की एयर कनेक्टिविटी में विस्तार के लिए अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह इस दिशा में जानकारी जुटा कर जल्द कार्रवाई करेंगे।
मुलाकात के दौरान बलूनी ने केंद्रीय मंत्री को एक पत्र भी सौंपा। उन्होंने आग्रह किया कि उड़ान योजना के तहत गढ़वाल लोक सभा क्षेत्र के रामनगर, लैंसडौन, पौड़ी, गोपेश्वर और जोशीमठ को देहरादून से हेली सेवा से जोड़ने पर विचार किया जाए। उन्होंने गौचर (चमोली) हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण में आ रही अड़चनों को भी दूर करने की मांग की। उनका कहना हैं कि हवाई अड्डे का आधुनिकीकरण होने से इस क्षेत्र में एयर कनेक्टिविटी में सुधार होगा। गढ़वाल सांसद ने मंत्री को कहा कि भौगौलिक दृष्टि से गढ़वाल एक ऐसी लोकसभा है जिसमें 14 विधानसभाएं आती हैं। इसके कई क्षेत्र देश के दुर्गम इलाकों में शुमार होते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं के कारण इस लोकसभा क्षेत्र के कई इलाकों से संपर्क टूट जाता है। सड़क मार्ग अकसर प्रभावित होता रहता है। इस कारण यहां से पलायन की समस्या भी काफी गंभीर होती जा रही है। इसलिए ऐसे इलाकों में एयर कनेक्टिविटी की काफी जरूरत है। गढ़वाल सांसद की मांग पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए सभी मांगों पर जल्दी कार्रवाई का आश्वासन दिया।
उत्तराखंड परिवहन निगम दिल्ली मार्ग पर चलाएगा 70 सीएनजी बसें..
उत्तराखंड: परिवहन निगम राज्य के विभिन्न शहरों से दिल्ली के लिए 70 सीएनजी बसें अनुबंध पर संचालित करेगा। इसके लिए निगम ने निविदा जारी कर दी है। दिल्ली में बीएस-4 वाहनों का प्रवेश अक्तूबर से बंद होने जा रहा है, जिसके उपाय के तौर पर ये निर्णय लिया गया है। परिवहन निगम के पास बड़ी संख्या में बीएस-4 बसें हैं। चूंकि दिल्ली में इनका प्रवेश बंद हो जाएगा, इसलिए दिल्ली की सेवा प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए ही निगम ने 150 बसें खरीदी थीं, जो कि अगले महीने से मिलनी शुरू हो जाएंगी। अब 70 सीएनजी बसें भी चलाने की योजना बनाई गई है, जिसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है। 18 सितंबर तक टेंडर डाला जा सकता है।
आपको बता दे कि अनुबंध की अवधि छह वर्ष होगी, जिसे बाद में एक वर्ष बढ़ाया जा सकेगा। निगम 5.20 किलोमीटर प्रति किलोग्राम की दर से सीएनजी उपलब्ध कराएगा। निगम के सभी खर्च निकालने के बाद बस संचालन से हुए लाभ में से बस मालिक को 25 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। अगर सभी खर्च निकालने के बाद हानि होती है तो उसे भी बस मालिक से साझा किया जाएगा।
जानिए किस मार्ग पर चलेंगी कितनी सीएनजी बसें..
देहरादून-दिल्ली 13, हरिद्वार-दिल्ली 07, ऋषिकेश-दिल्ली 06, कोटद्वार-दिल्ली 01, रुड़की-दिल्ली 10, हल्द्वानी-दिल्ली 12, रामनगर-दिल्ली 05, रुद्रपुर-दिल्ली 07, काशीपुर-दिल्ली 05, टनकपुर-दिल्ली 04
यूजेवीएनएल की तीन विद्युत परियोजनाओं में एक माह में बनाया बिजली उत्पादन का रिकॉर्ड..
उत्तराखंड: जल विद्युत निगम लिमिटेड की यमुना घाटी की तीन जल विद्युत परियोजनाओं में एक माह में पहली बार रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। छिबरो, खाेदरी और व्यासी जल विद्युत परियोजना में अगस्त में 724.467 का रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया गया है। अब तक का एक माह का सर्वाधिक उत्पादन 721.990 मिलियन यूनिट बीते साल अगस्त का दर्ज था। यूजेवीएनएल के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप सिंघल का कहना हैं कि उत्पादन की दृष्टि से अगस्त निगम के लिए बेहतरीन साबित हुआ। देहरादून जिले की हिमाचल प्रदेश की सीमा पर यमुना की प्रमुख सहयोगी नदी टोंस पर वर्ष 1975 में छिबरो जल विद्युत परियोजना (240 मेगावाट) की स्थापना की गई थी। इसमें अगस्त में 146.768 मिलियन यूनिट उत्पादन हुआ। यह उत्तर भारत का पहला भूमिगत जल विद्युत गृह है। इसमें 60-60 मेगावाट की चार मशीनों से उत्पादन किया जा रहा है।
30-30 मेगावाट की चार मशीनों से होता है विद्युत उत्पादन..
प्रबंध निदेशक का कहना हैं कि छिबरो की डाउन-स्ट्रीम में वर्ष 1984 में खोदरी जल विद्युत परियोजना (120 मेगावाट) की स्थापना की गई थी। इस परियोजना से अगस्त में 65.589 मिलियन यूनिट का विद्युत उत्पादन हुआ। निगम की स्थापना के बाद से अब तक का अगस्त माह का सर्वाधिक विद्युत उत्पादन है। इससे पूर्व अगस्त 2021 में 63.814 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन किया गया था। इस परियोजना में 30-30 मेगावाट की चार मशीनों से विद्युत उत्पादन होता है। छिबरो और खोदरी परियोजनाओं का परिचालन टेंडम कंट्रोल तकनीक से किया जाता है।
यह देश में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। उन्होंने बताया कि यमुना पर वर्ष 2022 मेंं व्यासी जल विद्युत परियोजना से उत्पादन शुरू हुआ था। इस बार अगस्त में परियोजना में 86.787 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन हुआ है। यह एक माह का सर्वाधिक उत्पादन है। परियोजना में 60-60 मेगावाट क्षमता की दो मशीनों से उत्पादन होता है। वर्ष 1975 में यमुना, टोंस और आसन नदियों के जल से पोषित कुल्हाल जल विद्युत परियोजना (30 मेगावाट) की स्थापना हुई है। परियोजना से अगस्त में 18.795 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन हुआ। यह मासिक लक्ष्य से अधिक था। परियोजना में 10-10 मेगावाट की दो मशीनों से उत्पादन किया जाता है।
यूपी राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बनी बबिता चौहान..
देश-विदेश: उत्तर प्रदेश में राज्य महिला आयोग का गठन किया गया है। राज्य महिला आयोग का गठन करते हुए एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और 25 सदस्यों के नामों की घोषणा की है। बबिता चौहान को आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वहीं मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसके साथ ही चारू चौधरी को भी उपाध्यक्ष बनाया गया है। वह एक साल तक इस पद पर बनी रहेंगी। बता दें कि बबिता चौहान मूल रुप से आगरा की रहने वाली हैं। वह पहले भी बीजेपी में कई अहम पदों पर जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। बबिता चौहान भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की यूपी इकाई की उपाध्यक्ष हैं। वह यूपी बीजेपी कार्यकारिणी में सदस्य की भूमिका में भी जिम्मेदारी निभा रही हैं। वह खेरागढञ से जिला पंचायत सदस्य भी हैं। वहीं यूपी महिला आयोग में बीजेपी नेता चारू चौधरी को उपाध्यक्ष बनाया गया है। वह मूल रुप से गोरखपुर की रहने वाली हैं। इसी के साथ सरकार की ओर से महिला आयोग के सदस्य के रुप में जिन 25 नामों की घोषणा की गई है उनमें प्रियंका गांधी के लड़की हूं लड़ सकती हूं की पोस्टर गर्ल रही डॉ.प्रियंका मौर्य को भी शामिल किया गया है।