श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के विभागों का होगा कंजप्शन ऑडिट..
पांच साल का देना होगा लेखा-जोखा..
उत्तराखंड: राजकीय मेडिकल कॉलेज के बेस टीचिंग चिकित्सालय के 22 से अधिक विभाग और अनुभाग को पिछले पांच सालों में उपयोग किये गये सभी तरह के सामान का लेखा-जोखा देना होगा। इसके लिए कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने कंजप्शन ऑडिट कराने के लिए अस्पताल के प्रत्येक विभाग को पत्र भेजकर सूचना तैयार करने के निर्देश दिये हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के मेडिकल कॉलेजों के ऑडिट के निर्देश के बाद यह कार्रवाई मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य द्वारा अमल में लाई गई हैं।
बेस चिकित्सालय में सर्जरी, आर्थो, गायनोकॉलोजिस्ट, पीडियाट्रिक, मेडिसिन, ईएनटी, रेस्पिरेटरी, रेडियोथेरेपी, डेंटल, स्कीन, रेडियोलॉजी और मनोरोग सहित अन्य विभाग और अनुभाग चल रहे हैं, जिसमें मरीजों के साथ-साथ कार्यालय, ओपीडी और आईपीडी के लिए उपयोग हेतु विभागों के क्लर्क और स्टोर कीपर द्वारा पेंसिल, पेन रजिस्टर से लेकर छोटी-बड़ी मशीनें, फर्नीचर, कंप्यूटर सामाग्री, दवाईयां और अन्य consumable और NON consumable वस्तुएं विभागाध्यक्षों की डिमांड पर मेडिकल और अस्पताल प्रशासन से ली जाती हैं।
उक्त सामान का समूचित रिकॉर्ड विभागीय स्टॉक रजिस्टर में अंकित किया जाता है। स्टॉक रजिस्टर में अंकित सामान का पांच सालों में सभी रिकॉर्ड की जानकारी के लिए कॉलेज प्रशासन ने कंजप्शन ऑडिट करने का निर्णय लिया है, ताकि विभागों द्वारा अभी तक नियमानुसार उपभोग किये गये सामान की सही जानकारी मिल सके। यहीं नहीं उपभोग्य वस्तुएं और नोन उपभोग्य वस्तुएं दोनों प्रकार के सामानों का लेखा-जोखा स्टॉक रजिस्टर में अंकित करना होता है , जो कि प्रतिवर्ष विभागाध्यक्ष / प्रभारी द्वारा सत्यापित किया जाता है।
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने कहा कि विभागों द्वारा ली गई सामाग्री का लेखा-जोखा अपने विभागीय स्टॉक रजिस्टर में अंकित किया जाता है। प्रतिवर्ष के अंतिम माह में पूरा लेखा-जोखा विभागाध्यक्ष / इंचार्ज द्वारा सत्यापित व हस्ताक्षरित किया जाता है, जिसमें विभाग के क्लर्क एवं स्टोर कीपर पर संपूर्ण लेखा-जोखा रखने की जिम्मेदारी होती है। उन्होंने कहा कि विभागों को अभी तक लिए गए सभी प्रकार के सामानों का हिसाब-किताब बताना होगा।
डॉ. सीएमएस रावत का कहना हैं कि संस्थान द्वारा गठित कंजप्शन ऑडिट टीम द्वारा पिछले 5 वर्षों का प्रत्येक विभागीय ऑडिट 1 नवंबर, 2024 से शुरू किया जाना है। सभी विभागों को पांच सालों की स्टॉक रजिस्टर रिपोर्ट को नियमानुसार पूर्णत तैयार कर कंजप्शन ऑडिट टीम के समक्ष प्रस्तुत कना होगा। उन्होंने कहा कि प्राचार्य ने उक्त कार्य में किसी भी तरह की लापरवाही ना बरतने के निर्देश दिए हैं। वहीं अगर लापरवाही बरती गई, तो नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
सीएमओ ने किया जिला उप चिकित्सालय का औचक निरीक्षण..
उत्तराखंड: उप जिला चिकित्सालय विकासनगर में अनियमितताओं और अव्यवस्थाओं के सम्बन्ध में मिल रही शिकायतों के बीच मुख्य चिकित्साधिकारी देहरादून ने उप चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उप जिला चिकित्सालय में हड़कंप मच गया। उन्होंने चिकित्सालय परिसर का बारीकी से निरीक्षण कर साफ-सफाई की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। गंदगी का अंबार मिलने पर उन्होंने सीएमएस डॉ विजय सिंह को व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के लिए जरुरी आवश्यक दिशा निर्देश दिए।
निरीक्षण से मचा परिसर में हड़कंप..
सीएमओ डॉ संजय जैन ने ओपीडी, लैब, दवा वितरण कक्ष, प्रसव कक्ष व इमरजेंसी चिकित्सक कक्ष और जन औषधि केन्द्र का भी निरीक्षण किया। मीडिया से बातचीत में सीएमओ ने कहा कि मरीजों से अस्पताल से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में भी जानकारी ली है। सीएमओ के औचक निरिक्षण से जिला उप चिकित्सालय में हड़कंप मच गया।
मंत्री धन सिंह ने किया गढ़ भोज दिवस का शुभारंभ,उत्तराखंडी भोजन को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया कार्यक्रम..
उत्तराखंड: मंत्री धन सिंह ने गढ़ भोज दिवस का शुभारंभ किया। उत्तराखंड के परम्परागत फसलों और भोजन के उत्सव गढ़ भोज दिवस को उत्तराखंड के स्कूल, कालेजों, मेडिकल कॉलेज में वृहद रूप से मनाया गया। गढ़ भोज दिवस का मुख्य कार्यक्रम राजकीय बालिका इंटर कॉलेज राजपुर रोड में मनाया गया हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी, तत्व फाउंडेशन, आगाज फेडरेशन और पर्वतीय विकास शोध केंद्र के द्वारा आयोजित किया गया। गढ़ भोज दिवस के मुख्य कार्यक्रम का शुभारंभ शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अपने संबोधन में कहा की कोदा, झंगोरा, कोणी जैसे मोटे अनाज आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में जाना जाने लगा है जिसे कभी गरीबों का खाना माना जाता था।
उत्तराखंड के परम्परागत भोजन को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए गढ़ भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने अद्वितीय कार्य किया इनके द्वारा शुरू किया गया अभियान आज पूरे देश में सराह जा रहा है। बता दें कि इस बार राज्य सरकार के द्वारा स्कूल, कालेजों, स्वास्थ्य विभाग और विश्वविद्यालय को पत्र जारी कर अनिवार्य रूप से गढ़ भोज दिवस मनाने के निर्देश जारी किए गए थे। मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि गढ़ भोज अभियान की वजह से ही गरीबों का अनाज माना जाने वाले श्री अन्ना को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इसके साथ ही किसानों में भी जागरूकता बढ़ी है। उत्तराखंड के संदर्भ में पर्यटन और तीर्थाटन के बाद गढ़ भोज के रूप में मोटे अनाज हमारी आर्थिकी का बड़ा हिस्सा बन रहा है। जिससे हजारों परिवारों को रोजगार मिल रहा है। गढ़ भोज दिवस के आयोजन के बाद से संपूर्ण उत्तराखंड में मोटे अनाजों से बनाने वाले भोजन की धूम मची है। गढ़ भोज ने अपनी पहचान कायम की है आने वाले समय में राज्य भर में गढ़ भोज की किसकी कितनी जानकारी है, उसको लेकर निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही गढ़ भोज दिवस को हर साल मनाया जाएगा।
उत्तरकाशी के नेलांग और जादुंग घाटी में किया गया बाइक रैली का आयोजन..
उत्तराखंड: भारतीय सेना ने भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे जादूंग गांव में पर्यटन और पुर्नवास मिशन शुरू किया है। इस अभियान के तहत सेना के 21 जवानों ने पहली बार समुद्रतल से करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित नेलांग और जादूंग घाटी में बाईक रैली निकाली। गंगोत्री दर्शन के बाद यह रैली अब चमोली के नीती-मलारी घाटी के लिए रवाना हुई है।
केंद्र सरकार की सीमांत गांव को बसाने की योजना में अब भारतीय सेना ने पर्यटन और पुर्नवास को बढ़ावा देने का अभियान शुरू कर दिया है। इसकी शुरूआत जादूंग गांव से हुई है। इस गांव को दोबारा बसाने के लिए यहां पर होमस्टे का निर्माण शुरू हो गया है। इसी क्रम में ट्रैकिंग एजेंसी के संयोजक सूर्यप्रकाश ने कहा कि भारतीय सेना का 21 सदस्यीय बाइक रैली दल हर्षिल होते हुए जादूंग गांव पहुंचा। जहां भैरो घाटी से आगे नेलांग और जादूंग घाटी में इतिहास में पहली कोई बाईक रैली पहुंची होगी। इसमें सेना के जवानों के साथ एक निजि बाईक कंपनी की दो महिला राइडर सदस्य भी मौजूद थे।
जादूंग पहुंचने पर सेना के जवानों ने हर्षिल घाटी के गांव के युवाओं से सीमांत गांव को दोबारा बसाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। सैन्य अधिकारियों का कहना हैं कि विरान पड़ चुके गांवों को दोबारा उसी स्वरूप में बसाना चाहिए, जिस शैली में पहले थे। तभी इनकी शोभा बढ़ेगी और यह आज की पीढ़ी के लिए पर्यटन के साथ नया अनुभव और जानकारी प्रदान करेगा। यह अभियान करीब 13 दिन तक चलेगा। इसमें बाईक पर ही सभी सीमांत गांवों का भ्रमण किया जाएगा। गंगोत्री दर्शन के बाद अब वह मलारी के लिए रवाना हो गए हैं।
उत्तराखंड में तीन साल के लिए जारी किया जाए विद्युत लाइसेंस..
उत्तराखंड: पावर कांट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार से मांग की कि तीनों ऊर्जा निगमों में विद्युत लाइसेंस तीन साल के लिए जारी किया जाए। रविवार को जीएमएस रोड स्थित होटल में आयोजित बैठक में तीन निगमों के ठेकेदारों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष सुरेश बेलवाल ने की।बैठक में ऊर्जा निगमों कमीशनखोरी व उत्पीड़न के खिलाफ रणनीति बनाने के लिए समिति गठित करने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही एसोसिएशन ने पांच वर्ष पहले निर्धारित की गई श्रमिक दरों को बढ़ाने और काम पूरा होने के बाद शीघ्र भुगतान किया जाए। बाहरी क्षेत्रों के बजाय स्थानीय अनुभवी लोगों को काम देने की मांग की।एसोसिएशन ने निगम के बड़े अफसरों को चेतावनी दी कि उत्पीड़न बंद नहीं किया गया तो प्रदेश भर के कांट्रैक्टर एकजुट होकर लड़ाई लड़ेंगे।
प्रवासी श्रमिक राशन कार्ड मामले में राज्यों को सुप्रीम फटकार, 6 हफ्ते में काम पूरा करने का निर्देश..
प्रवासी श्रमिक राशन कार्ड मामले में राज्यों को सुप्रीम फटकार, 6 हफ्ते में काम पूरा करने का निर्देश..
देश-विदेश: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमने अपना धैर्य खो दिया है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को 19 नवंबर तक इस मामले में आवश्यक कदम उठाने का अंतिम मौका दिया। पीठ का कहना हैं कि हमने अपना धैर्य खो दिया है, हम यह साफ कर रहे हैं कि अब और ढिलाई नहीं बरती जाएगी। पीठ ने कहा कि हम आपको हमारे आदेश का पालन करने के लिए एक आखिरी मौका दे रहे हैं। इसके बाद आपके सचिव मौजूद रहेंगे। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी का कहना हैं कि अंत्योदय अन्न योजना के तहत प्रत्येक प्राथमिकता वाले परिवार को केवल एक राशन कार्ड जारी किया जाता है। बता दे कि शीर्ष अदालत कोविड के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों का संज्ञान लेने के बाद 2020 में स्वत: संज्ञान लिए गए मामले की सुनवाई कर रही थी।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र से एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था, जिसमें प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड और अन्य कल्याणकारी उपाय के उसके 2021 के फैसले और उसके बाद के निर्देशों के अनुपालन के बारे में बताया गया हो। शीर्ष अदालत ने 29 जून, 2021 के फैसले में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीयूडब्ल्यू) बनाने के प्रति केंद्र के उदासीनता को अक्षम्य करार दिया था। कोर्ट ने इसे 31 जुलाई, 2021 तक शुरू करने का आदेश दिया था, ताकि सभी प्रवासी श्रमिकों को पंजीकृत किया जा सके और कोविड संकट के दौरान उन तक कल्याणकारी उपाय पहुंचाए जा सकें। कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को महामारी के खत्म होने तक उन्हें मुफ्त सूखा राशन उपलब्ध कराने के लिए योजनाएं बनाने का आदेश दिया था, जबकि केंद्र को अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटित करना होगा।
गांवों में बंजर खेतों को आबाद करने के लिए जगदीशिला तीर्थाटन समिति ने बताई अपनी योजना..
उत्तराखंड: श्री विश्वनाथ जगदीशिला तीर्थाटन समिति अब पहाड़ों के बंजर खेतों को आबाद करेगी। समिति के सदस्य ने 25 वर्ष पूर्ण होने पहाड़ों के गांवों में अरसे से बंजर पड़े खेतों को दोबारा से आबाद करने का संकल्प लिया।प्रिंस चौक स्थित सभागार में प्रेसवार्ता को यात्रा संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी संबोधित कर रहे थे। उनका कहना हैं कि समिति अब सामाजिक सरोकारों से जुड़े काम भी करेगी। कहा कि संगठन की ओर से हर साल डोली यात्रा निकाली जाती है। अब समिति सामाजिक सरोकारों से जुड़े काम भी करेगी। इसमें सबसे पहले खेती बाड़ी को बचाने का काम होगा। डोली यात्रा के आयोजन की शुरूआत अपने गांवों से करेंगे। इससे पलायन रुकेगा और खेती से विमुख लोगों को दोबारा रोजगार प्राप्त होगा। इस संबंध में समिति द्वारा सचिव कृषि उत्तराखंड शासन को एक ज्ञापन भी भेजा गया है।
कचहरी रोड स्थित सौरभ होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि राज्य के पर्वतीय अंचलों में कृषि, पशुपालन व बागवानी लाभकारी व्यवसायों के रूप में विकसित नहीं हो पा रहे हैं। इस कारण स्थानीय युवक व युवतियों में कृषि के प्रति उदासीनता बढ़ी है और पलायन भी। कृषकों की आय बढ़ाने के लिए राज्य और केन्द्र सरकारों द्वारा कई उपाय किये जा रहे हैं लेकिन फिर भी पहाड़ों में खेती लाभप्रद नहीं हो पाई है। इसके मुख्य कारण छोटी और बिखरी जोतें, सिंचाई की सुविधा की कमी, कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन की सुविधाओं का न होना, उन्नत कृषि प्रसार सेवा की कमी और पलायन के कारण श्रमशक्ति का अभाव है। कृषि के प्रति युवाओं का आकर्षण बढ़ाने के लिए पहाड़ों में खेती बाड़ी के लिए उपकरणों और इनपुट्स सब्सिडी के अनुरूप श्रम सब्सिडी का प्राविधान करना नितांन आवश्यक है।
एनआईआरडी के पूर्व निदेशक डा. बीपी मैठाणी ने कहा कि उन्होंने अपने पैतृक गांव सेन्दुल (बालगंगा तहसील, टिहरी गढ़वाल) में एक गांव-एक जोत की अवधारणा पर गांव के सभी किसानों की भूमि को सम्मिलित (पूल) कर कृषक उत्पादक समिति के माध्यम से खेती करने का एक अभिनव प्रयोग किया। पिछले दो वर्षों में वहां कृषि कार्य पर लगभग 7,50,000 रुपये व्यय हुए और उत्पादन लगभग 5,00,000 रू मूल्य का हुआ। इस प्रकार सभी प्रसास करने पर भी 2,50,000 रू0 की हानि उठानी पड़ी। इससे यह सिद्ध होता है कि पहाड़ में जोतों को पूल करने या चकबन्दी कर देने मात्र से किसानों की आय नहीं बढ़ाई जा सकती है। खेती फिर भी हानि का व्यवसाय बना रहेगा। उनका कहना हैं कि इन परिस्थितियों में मेरा यह सुझाव है कि कृषि व्यवसाय को लाभकारी बनाने के लिए श्रम सब्सिडी का प्रावधान किया जाना अति आवश्यक है। इसके लिए सरकार को कृषि और ग्रामीण विकास की योजनाओं में कनवरजेन्स करना होगा। अर्थात सरकार को चाहिए कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का जो 60 प्रतिशत व्यय जल व भूमि संरक्षण आदि कार्यों के लिए निर्धारित है उसमें कृषि कार्य (बुआई-कटाई) को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए। यह मेरा नया सुझाव नहीं है। नीति आयोग ने वर्ष 2018 में कृषि और मनरेगा में समन्वय स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्रियों को उपसमूह गठित किया था उसने भी अपनी रिपोर्ट में कृषि की पत्पादन लागत को कम करने के इस तरह की व्यवस्था की संस्तुति की है।
मनरेगा में एक जॉब कार्डधारी परिवार को एक वर्ष में 100 दिनों का रोजगार देना प्राविधानित है। इससे कृषि सम्बन्धी कार्यों के लिए प्रति परिवार को खेती करने हेतु 60 प्रतिशत अथवा 12000 वार्षिक श्रम सब्सिडी दी जा सकती है। इसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को जोड़कर श्रम सबिडी की राशि 18000 रू० हो जायेगी। यह सब्सिडी डॉयरेक्ट पेमेंट ट्रांसफर (डी०पी०टी०) के माध्यम से कृषक परिवार के बैंक खाते में दी जानी चाहिए। इसके लिए यह शर्त भी लगाई जा सकती है कि यह सुविधा उन्हीं लोगों को मिलेगी जो गांव में रहकर खेती कर रहे हैं। इससे कई युवा जो छोटी नौकरियों में काम करते हुए शहरों में कष्टकारी जीवन व्यतीत कर रहे हैं वे अपने गांव जाकर खेती करने का विकल्प चुन सकते हैं। इससे पलायन कम होगा और युवकों का गांव में आगमन बढ़ने से कृषि और कृषि पर आधारित गैर कृषि उद्यमों का विकास होगा। कृषि व्यवसाय लाभदायी होने से गांवों में खुशहाली का माहौल बनेगा जो सुरक्षा की दृष्टि भी अनुकूल होगा। इस संबंध में सचिव कृषि को एक ज्ञापन भी भेजा गया है।
70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए आधार से बनेंगे आयुष्मान कार्ड, मिलेगी कैशलेस इलाज की सुविधा..
उत्तराखंड: आयुष्मान भारत योजना में 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए आधार नंबर से आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे। इस योजना के शुरू होने से प्रदेश में रहने वाले बाहरी राज्यों के बुजुर्गों को सूचीबद्ध अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा जो अभी तक योजना के दायरे में नहीं है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी। केंद्र सरकार ने 2018 में आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। इसमें गरीब परिवाराें को पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी गई। केंद्रीय योजना में उत्तराखंड के 5.37 लाख परिवार शामिल थे।
पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा..
आपको बता दे कि 2019 में प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी 23 लाख राशन कार्डधारकों के लिए कैशलेस इलाज की सौगात दी थी। इनके इलाज पर आने वाला खर्चा राज्य सरकार को उठाना पड़ रहा है। अब केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाकर 70 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को पांच लाख तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी है। इससे प्रदेश सरकार को बुजुर्गों के इलाज का खर्चा नहीं उठाना पड़ेगा। साथ ही राज्य में रहने वाले बाहरी राज्यों के बुजुर्गों को भी कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बुजुर्गों को कैशलेस इलाज की बढ़ी सौगात दी है। प्रदेश में यह सुविधा पहले से बुजुर्गों को मिल रही है। प्रदेश सरकार की ओर से संचालित राज्य आयुष्मान योजना के दायरे से बाहर बुजुर्गों का आधार नंबर से आयुष्मान कार्ड बनाए जाएंगे।
आयुर्वेद पैरामेडिकल कॉलेजों में इसी सत्र से शुरू होगा डायटीशियन कोर्स..
उत्तराखंड: प्रदेश के आयुर्वेद पैरामेडिकल कॉलेजों में इसी शैक्षिक सत्र से डायटीशियन कोर्स शुरू करने की तैयारी है। सात अक्टूबर को शासन स्तर पर प्रस्तावित बैठक में इस पर फैसला हो सकता है। इसके बाद 15 अक्टूबर से आयुर्वेद के कई कोर्सों में दाखिले के लिए काउंसलिंग शुरू की जाएगी। भारतीय चिकित्सा परिषद की रजिस्ट्रार नर्वदा गुसाईं का कहना हैं कि आयुर्वेद चिकित्सा में डायटीशियन की काफी मांग है। इसे देखते हुए परिषद ने शैक्षिक सत्र 2024-25 से डायटीशियन कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है।
इसके साथ ही आयुर्वेद फार्मासिस्ट, नर्सिंग, पंचकर्म सहायक, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहायक कोर्स में शैक्षिक अर्हता में आयु सीमा में छूट के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। सचिव आयुष रविनाथ रामन की अध्यक्षता में सात अक्टूबर को डायटीशियन कोर्स, शैक्षिक अर्हता में छूट देने के लिए बैठक बुलाई है। जिसमें इन मुद्दों पर निर्णय हो सकता है। इसके बाद 15 अक्टूबर से आयुर्वेद पैरामेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए काउंसलिंग शुरू की जाएगी।
3.36 करोड़ से बनेगा परिषद का भवन..
भारतीय चिकित्सा परिषद का कार्यालय वर्तमान में किराये के भवन में चल रहा है। आयुर्वेद विवि हर्रावाला के पास परिषद का नया भवन बनाया जाएगा। सात अक्टूबर को भवन का शिलान्यास होगा। इस भवन पर 3.36 करोड़ की राशि खर्च होने का अनुमान है।
उत्तराखंड में लागू हुई नई व्यवस्था, सड़क दुर्घटना में मिलेगा 1.50 लाख का तक कैशलेस इलाज..
उत्तराखंड: सड़क दुर्घटना में घायलों को अब आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों में 1.50 लाख तक कैशलेस इलाज मिलेगा। यह सुविधा आयुष्मान योजना से अलग होगी। घायलों के लिए इलाज पर खर्च राशि का भुगतान सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय करेगा। इस नई व्यवस्था को प्रदेश में लागू कर दिया गया। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सभी सूचीबद्ध अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिए हैं। जिन लोगों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है और सड़क दुर्घटना में घायल हो जाते हैं, तो उन्हें भी नई व्यवस्था के तहत कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी। अस्पतालों को इलाज पर आने वाले खर्च का भुगतान मंत्रालय की ओर से किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत का कहना हैं कि इस नई योजना को प्रदेश में लागू कर दिया गया है। इसके लिए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने सभी तैयारियां कर ली हैं। सड़क दुर्घटना के मरीज को अधिकतम सात दिन की अवधि के लिए 1.50 लाख तक का इलाज मिलेगा। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों की दृष्टि से उत्तराखंड संवेदनशील है। यह व्यवस्था घायलों के इलाज में मददगार साबित होगी।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ.आनंद श्रीवास्तव ने कहा कि सड़क हादसे में घायल व्यक्ति की अस्पताल में ई-डीएआर यानी डिटेल एक्सीडेंट रिपोर्ट जनरेट होगी। उसी आईडी से उपचार शुरू हो जाएगा। इस सुविधा के लिए मरीज के पास आयुष्मान या किसी अन्य योजना का कार्ड होना भी अनिवार्य नहीं है।